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Monday, April 3, 2017

शीतकाल में गंगोत्री धाम की यात्रा (Travel to Gangotri in winter by Anil Dixit)

Guest Post Written by Anil Dixit
गंगोत्री : हमारा एक फेसबुक ग्रुप है, "घुमक्कड़ी दिल से" इसी नाम से व्हाट्सअप पर भी ग्रुप है । इस ग्रुप में हमारे एक बहुत घुमक्कड़ मित्र है श्री अनिल दीक्षित जी । अनिल जी करावल नगर, दिल्ली के रहने वाले है और इन्हें पहाड़ो पर घूमना और ट्रेकिंग करना बहुत पसंद है । इन्हें जब भी मौका मिलता है तभी ये तूफान की रफ़्तार से घूमने निकल पड़ते है, उत्तराखंड घूमना इन्हें बहुत पसंद है । आज के इस लेख में अनिल जी अपनी लेखनी से हाल ही के दिनों में शीतकाल में भ्रमण की गयी गंगोत्री यात्रा वर्णन कर रहे है । चलिए चलते है गंगोत्री की यात्रा पर अनिल जी की जुबानी : -
 
गंगोत्री मंदिर ( Gangotri Temple at Winter Time)

Monday, May 30, 2016

जम्मू से पहलगाम - कश्मीर यात्रा ( Jammu to Pahalgam - Kashmir..2 )

Written By Ritesh Gupta

इस श्रंखला को प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिये । कश्मीर भारत का एक ऐसा राज्य जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती से हर किसी यायावर को अपनी तरफ आकर्षित करता है, हर यायावर के मन में हमेशा एक बात तो हमेशा रहती है की वो कम से कम एक बार इसे शानदार राज्य की खूबसूरत वादियों की यात्रा जरुर करे। ऐसा ही मौका हमे भी मिला, सो पिछले लेख में मैंने बताया था की कैसे हम लोग आगरा से ग़ाज़ियाबाद और वहां से नई दिल्ली से एक ट्रेन के माध्यम से जम्मू तक पहुंचे । अब प्रस्तुत है आगे का यात्रा हाल जम्मू से पहलगाम तक की यात्रा का -

रामसू, रामबन, जम्मू & कश्मीर - बारिश के मौसम में स्थानीय नाले में भी भरपूर पानी  (Local Nala at Ramsoo, J&K)

Tuesday, August 11, 2015

छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)

Written by → Ritesh Gupta 
यात्रा दिनांक 25जून2014
गंगटोक, सिक्किम यात्रा का दूसरा दिन हमारे लिए बहुत ही खास और उत्साहजनक था, क्योकि इस दिन हम लोग सिक्किम के पूर्वी भाग की यात्रा पर थे । बड़े श्रद्धाभाव से बाबा हरभजनसिंह के मंदिर की यात्रा की और दर्शन कर हम लोग वापिस उस गंगटोक जाने वाले रास्ते पर आ गये और अपनी नई मंजिल छंगू झील (Tsomgo Lake) की यात्रा पर चल दिए  । अब प्रस्तुत है, सिक्किम की इस सबसे खूबसूरत, बड़ी झील के यात्रा का वर्णन  -
 
छंगु झील का एक द्रश्य प्राथर्ना चक्रो के बीच से (Changgu Lake - Tsomgo Lake, East Sikkim, Gangtok )

Thursday, June 18, 2015

बाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम -Baba Harbhajan Singh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)

Written by → Ritesh Gupta
यात्रा दिनांक 25जून2014
गंगटोक, सिक्किम यात्रा का पहला दिन हमारे लिए बहुत ही खास और अभूतपूर्व अनुभव वाला रहा । यहाँ पर आकर हमे सिक्किम के बारे बहुत कुछ जानने को मिला । पिछले लेख में अब तक आपने पढ़ा कि हम लोगो ने जितना हो सकता था, उतना एक दिन में स्थानीय स्थलों में अपने यात्रा में शामिल कर उन स्थलों का भ्रमण किया । अब प्रस्तुत है, पूर्व दिशा के सिक्किम की यात्रा का  वर्णन  -   

एम.जी.बाजार से खाना खाने के बाद अपने होटल के कमरे में लौटे ही थे कि तभी होटल का एक कर्मचारी हमारे पास आया और बोला कल आपका कहाँ जाने का कार्यक्रम है ? हमने कहा कि इंडो-चाइना बॉर्डर- नाथुला पास, बाबा हरभजनसिंह मंदिर और छंगू झील जाना है। उसने कहा की कल तो नाथुला पास जाना आप लोगो के लिए संभव नहीं है, क्योकि सोमवार और मंगलवार नाथुला पास आम लोगो के लिए बंद रहता है और कल का दिन मंगलवार हैं ।
सिक्किम में आस्था-विश्वास का मंदिर -  बाबा हरभजन सिंह जी का मंदिर (Baba Harbhajan Singh Temple Campus)

Friday, August 15, 2014

प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)

Written by → Ritesh Gupta 
नमस्कार मित्रों ! पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि हम लोग कार से एक लंबी दूरी (करीब 388किमी०) आगरा से तय करके भीमताल पहुँच गए थे । अब इस श्रृंखला को विस्तार देते हुए अब चलते है आगे के यात्रा वृतांत पर ।

पहाड़ों  के बीच चलते हुए अचानक एक बड़ी झील दाई तरफ नजर आनी लगी थी, यह झील भीमताल ही थी । अब सबसे पहले हमारा काम था, उस होटल को ढूढना जो झील के इसी तरफ पहाड़ की कुछ मीटर ऊँचाई पर स्थित था । झील के इसी तरफ सड़क किनारे चलते से लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद झील के दूसरे कौने पर पहुँच गए वहाँ पर सरकारी सेवा में खड़े एक सिपाही से होटल का अता-पता लेकर वापिस उसी रास्ते पर आ गए । थोड़ी देर चलने के बाद पहाड़ के ऊंचाई पर जाता हुआ एक रास्ता नजर आ गया, उसी रास्ते पर होते हुए हम लोग "होटल ताल पैराडाईज" पहुँच गए । यह होटल पहाड़ की थोड़ी ऊँचाई पर था सो यहाँ से भीमताल का और उसके पीछे पहाड़ का सद्रश्य बड़ा ही मनभावन था ।

सूर्यदेव की रौशनी से प्रष्ठभूमि नहाये पहाड़ के सद्रश्य भीमताल झील (Beautiful Bhimtal Lake, Nainital)

Friday, February 1, 2013

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath →भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)

Written By→ Ritesh Gupta

अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..9) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “कौसानी का सूर्योदय और प्राचीन बैजनाथ मंदिर” की यात्रा पर ।

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath Temple , भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर

Monday, December 31, 2012

रानीखेत ( Ranikhet ) → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)

Written by Ritesh Gupta

आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल का प्रसिद्ध मंदिर माँ नैनादेवी और कुमाऊँ का ही एक और प्रसिद्ध मंदिर श्री कैंची की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा लगभग नैनीताल और उसके आसपास के स्थलों का भ्रमण हो चुका था । अब चलते हैं नैनीताल शहर से बाहर और अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को भी आगे की तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में कुँमाऊ के प्रसिद्ध पर्वतीय नगर " रानीखेत " की यात्रा पर ले चलता हूँ ।

कैंची धाम बाबा नीव करौरी आश्रम के दर्शन करने के बाद हम लोग टैक्सी में बैठकर उसी सड़क मार्ग NH-87 पर चलते रहे । कुछ देर पहाड़ों में चलने के बाद कोसी नदी और उसकी घाटी दिखाई देना शुरू हो गयी । हम लोग भी कोसी नदी के साथ-साथ के सड़कमार्ग चलते रहे, रास्ते में कोसी नदी कभी सड़क के सामंन्तर और कभी पहाड़ों गहराई में चली जाती थी । बस यूँही कुछ देर पहाड़ और नदी का अवलोकन करते हुए, कुछ किलोमीटर बाद एक स्थान ऐसा आया जहाँ पर कोसी नदी पर सड़क के बायीं तरफ एक पुल बना हुआ था । यह नदी पुल NH-87 का ही एक हिस्सा हैं और रानीखेत जाने का रास्ता भी, बिना मुड़े सीधा रास्ता अल्मोड़ा राज्ज्यीय मार्ग SH-37 हैं, जो कुमाऊँ के एक महत्वपूर्ण नगर अल्मोड़ा को जोड़ता हैं । खैर अपनी योजनानुसार हम लोगो को सर्वप्रथम रानीखेत जाना था, सो सड़क की बायीं तरफ के कोसी नदी के पुल को पार कर हम लोग इसी रास्ते पर चलते रहे ।
Mountain View from NH-87 Toward Ranikhet (दिल को लुभाते यह सुन्दर नज़ारे…)

Tuesday, May 29, 2012

रोहतांग पास ( Rohtang Pass )→ बर्फीली घाटी की रोमांचक यात्रा (एक सुहाना सफ़र मनाली का....3)

Written by Ritesh Gupta
नमस्कार दोस्तों ! पिछले दिन 23 जून को हम लोगो ने मनाली के आस पास के दर्शनीय स्थलों की सैर की थी, जिसके बारे आप मेरे पिछले लेख “एक सुहाना सफ़र मनाली का..2 ” में पढ़ा ही होगा । आइये अब चलते हैं ” रोहतांग दर्रे की रोमांचक यात्रा “ की सैर पर ।

पिछ्ली रात हम लोग तय करके सोये थे कि अगले दिन हम लोगो को सुबह जल्दी उठकर रोहतांग दर्रा और सोलांग वैली देखने जाना हैं और अपने कल के इस कार्यक्रम से हमने अपने कार चालक को भी अवगत करा दिया था । उससे इस सम्बन्ध बातचीत भी हुई और उसने बताया की रोहतांग जाने के लिए बहुत जल्दी सुबह लगभग छह बजे की आसपास निकलना पड़ेगा, जिससे वहाँ पहुंचने में देरी न हो और रास्ते के जाम-झाम से बचा जा सके । दिनांक 24 जून 2010 का ठंडी सुबह का दिन था और सुबह-सुबह ही हल्की बारिश हो चुकी थी । हम लोग पौने पांच बजे के आसपास नींद से उठ गए और फोन करके कार चालक को भी उठा दिया था । हम लोगो ने जल्दी-जल्दी सुबह के अपने नित्यक्रम निपटाए । हमारे कमरे की बाथरूम में गीजर के द्वारा गर्म पानी की सुविधा होने से हम लोग नहा-धोकर तैयार हो गए थे ।
View from Manali→Rohtang Road , Manali (जी करता हैं पंक्षी बनकर उड़ जाऊ दूर गगन में )

Thursday, April 5, 2012

Agra to Manali Via Noida/Delhi by Car (एक सुहाना सफ़र मनाली का....1)

Written By Ritesh Gupta

सभी घुमक्कड़ साथियों को मेरा नमस्कार ! आज मैं अपनी पिछ्ली श्रृंखला माँअम्बाजी, माउन्टआबू और उदयपुर के बाद एक और नए यात्रा लेख की नई कड़ी शुरू करने जा रहा हूँ । यह नई श्रृंखला हैं → भारत के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश के  मनाली, रोहतांग और मणिकरण के सफ़र की । यह यात्रा अपने परिवार सहित जून, 2010 में आगरा से दिल्ली तक बस से तथा दिल्ली से मनाली, रोहतांग और मणिकरण होते हुए और वापिस दिल्ली तक कार के माध्यम से की थी । अब हम चलते हैं,अपने मनाली की यात्रा वृतांत की ओर ।

गर्मी का मौसम था और जून का महीना चल रहा था, इस समय मैदानी इलाके में गर्मीया अपने पूरे चरम होती हैं । उस समय आगरा शहर का तापमान लगभग 40 से 44 के बीच झूल रहा था । दिन में तेज धूप की वजह सड़कों पर लगभग सन्नाटा ही पसरा रहता था और आकाश में किसी भी प्रकार बादलों का कोई भी आवागमन भी नहीं हो रहा था । इधर हमारी रोज की वही एक सी व्यस्त दिनचर्या से मन उब रहा था और ह्रदय में एक अजीब कुलबुलाहट उठ रही थी, कि सारे काम काज छोड़कर किसी ठन्डे जगह (पर्वतीय स्थल) में कुछ दिनों के लिए घूमने चला जाऊ । मन में ये बात आते ही, मैंने किसी पर्वतीय स्थल पर चलने का मन बनाया और नोयडा में रहने वाले अपने छोटे भाई को फोन किया और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा, तो मेरी यह बात सुनकर  वह तुरंत चलने को तैयार हो गया । अब समस्या उठी कि “ कौन सी जगह जाया जाये ?”  क्योकि अधिकतर उत्तर भारत की मुख्य पहाड़ी स्थल (Hill Station) हमारे घूमे हुए थे,  अकेले  “कुल्लू - मनाली ” को छोड़कर । हम लोगो कि सहमति “कुल्लू - मनाली” चलने के लिए हो गयी । चूँकि  इस सफ़र की शुरुआत नोयडा से होनी थी तो इसके लिए मुझे सबसे पहले अपने परिवार सहित नोयडा पहुचना था, उससे से आगे की  यात्रा दिल्ली या नोयडा से शुरू करनी थी । हमारे जाने का स्थान पक्का हो जाने के बाद अब हमारे सामने एक सवाल था कि यहाँ से मनाली कैसे या किस प्रकार जाया जाये ? उसके लिए भी हमारे सामने जाने के कुछ निम्न तरीके/उपाय थे  ।

Tajmahal (click on for large pic)
Wah Taj ! अब हमने अपनी यात्रा आगरा से शुरू की हैं, तो भारत की शान आगरा के "ताजमहल " का एक फोटो तो होना चाहिये |

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