गंगटोक, सिक्किम यात्रा का पहला दिन हमारे लिए बहुत ही खास और अभूतपूर्व अनुभव वाला रहा । यहाँ पर आकर हमे सिक्किम के बारे बहुत कुछ जानने को मिला । पिछले लेख में अब तक आपने पढ़ा कि हम लोगो ने जितना हो सकता था, उतना एक दिन में स्थानीय स्थलों में अपने यात्रा में शामिल कर उन स्थलों का भ्रमण किया । अब प्रस्तुत है, पूर्व दिशा के सिक्किम की यात्रा का वर्णन -
एम.जी.बाजार से खाना खाने के बाद अपने होटल के कमरे में लौटे ही थे कि तभी होटल का एक कर्मचारी हमारे पास आया और बोला कल आपका कहाँ जाने का कार्यक्रम है ? हमने कहा कि इंडो-चाइना बॉर्डर- नाथुला पास, बाबा हरभजनसिंह मंदिर और छंगू झील जाना है। उसने कहा की कल तो नाथुला पास जाना आप लोगो के लिए संभव नहीं है, क्योकि सोमवार और मंगलवार नाथुला पास आम लोगो के लिए बंद रहता है और कल का दिन मंगलवार हैं ।
सिक्किम में आस्था-विश्वास का मंदिर - बाबा हरभजन सिंह जी का मंदिर (Baba Harbhajan Singh Temple Campus)
वैसे भी वहां पर जाने के लिए एक दिन पहले पास बनवाना पड़ता है पास बनबाने के फोटो आई. डी. और पते का प्रूफ देना होता है जिसमे पेन कार्ड मान्य नही होता है और नाथुला जाने के लिए पास (Permit) का दौ सो रूपये प्रति व्यक्ति का खर्च आता है । नाथुला पास बहुत अधिक ऊँचाई पर है, इसलिए वहां पर हमेशा आक्सीजन कमी रहती है साँस की बीमारी वालो को वहां पर दिक्कत आ सकती है । फिर वह बोला की आपके साथ छोटे-छोटे बच्चे है और नाथुला पास पर चार साल से छोटे बच्चे को लाने पर प्रतिबन्ध है । अब तो हमारा नाथुला जाने का कार्यक्रम तो लगभग खत्म ही हो चुका था सो हमने कहा की कल हमारे ले लिए बाबा हरभजन सिंह मंदिर और छंगू झील के लिए हम लोगो के प्रति सवारी के हिसाब से शेयर टैक्सी में सीटे बुक कर दो । हम लोगो ने 350/- प्रति व्यक्ति के हिसाब भुगतान करके पूर्वी सिक्किम के यात्रा के लिए सीटे बुक कर दी। पूर्वी सिक्किम चाइना बॉर्डर के नजदीक होने के कारण एक कैंट एरिया है, सो यहाँ पर भी जाने के लिए भी परमिट बनवाना पड़ता है, जो यात्रा के समय ड्राइवर फ़ौजी चेक-पोस्ट से बनवा लेता है । इसके लिए हमने सभी जाने वाले बड़े यात्रियों की दो-दो पासपोर्ट फोटो और फोटो पहचान पत्र (पैन कार्ड मान्य नहीं) जमा करा दिए।
अगले दिन अल सुबह उठ कर पूर्वी सिक्किम की यात्रा पर जाने के लिए तैयार हुए । हल्का फुल्का नाश्ता-पानी अपने होटल के कमरे ही कर लिया था । सब लोग तैयार होकर होटल की नीचे वाली सड़क पर आ गये । होटल के कर्मचारी से पता चला की हमारी टैक्सी छंगू लेक स्टैंड (Vajra Taxi Stand) से मिलने वाली है। अब यहाँ से टैक्सी स्टैंड जाने के लिए छोटी-छोटी गाड़ियों का प्रबन्ध कर वाजरा टैक्सी स्टैंड पहुंचे । वाजरा टैक्सी स्टैंड काफी बड़ा था और अन्दर अनेक संख्या में बड़ी गाड़ियाँ पूर्वी सिक्किम जाने के लिए तैयार खड़ी थी । इस भीड़ में टैक्सी नंबर से गाड़ी ढूढना बड़ा ही मुश्किल काम था, सो ड्राइवर को फोन लगाकर गाड़ी की स्थिति का जायजा लिया। दोनों गाड़ियाँ तैयार खड़ी थी । तय समय से गाड़ी में बैठ अपनी यात्रा का सुभारंभ किया ।
गंगटोक से छंगू लेक की दूरी लगभग 39किमी० और बाबा हरभजनसिंह मंदिर की दूरी लगभग 55किमी० है । चूँकि इस समय सिक्किम में बारिश का मौसम चल रहा था सो आसमान में भी घने बादलो की मेहरबानी कुछ ज्यादा थी, सूरज महाराज का कोई पता नहीं था । मौसम बहुत शानदार था, पहाड़ो पर बहते सफेद बादलो का झुण्ड और ठंडी हवा मन को लुभा रही थी । कुछ देर चले ही थे की टिप-टिप बारिश भी शुरू हो गयी । गंगटोक शहर से कुछ किलोमीटर चलने के बाद हम लोग गंगटोक-नाथुला हाइवे पर स्थित पर्यटक सुविधा केंद्र (Tourist Facilitation Center) आर्मी चेक पोस्ट पहुँच गये । यहाँ से बिना पर्यटक पास के गाड़ी को आगे नहीं जाने दिया जाता सो हमारा गाड़ी का ड्राइवर चेक पोस्ट से हमारे के पास बनवाने चला गया । मद्धम-मद्धम बारिश हो रही थी सो हम लोग गाड़ी में बैठे रहे । कुछ स्थानीय महिलाए हर गाड़ी के पास जाकर अपने हाथ पर स्थित वस्तुओ के बेचने की कोशिश कर रही थी, हमारे पास भी आई तो हमने कुछ च्युंगम खरीद ली । कुछ देर बाद ड्राइवर पास (Restricted Protected Area Permit) बनवा कर वापिस आ गया तो फिर से अपनी यात्रा समय 9 बजे के आसपास आरंभ की ।
बारिश के मौसम के कारण सिक्किम इस समय अपनी एक अनूठी ही खूबसूरती से सरोबार था । दूर के नज़ारे तो साफ़ नजर नहीं आते पर हरियाली, कोहरे-धुंध में डूबी सड़के, ठंडा मौसम, जहाँ देखो जगह-जगह से पहाड़ो में बहते छोटे-बड़े झरने यहाँ की एक अलग ही खूबसूरती दर्शा रहे थे । बाबा के मंदिर का यह सफ़र बड़ा परेशानी वाला रहा क्योकि जगह पहाड़ टूटने के कारण सड़क गायब सी हो गयी, ऊँचे-नीचे गड्डे, उबड़-खाबड़ रास्ता, फिसलन, कही-कही पानी भरा हुआ था, और हाँ बादलो के कारण सड़क के एक तरफ खाई तक नजर नहीं आ रही थी, केवल एक सफेद रंग की चादर से नजर आ रही थी। लगभग दो घंटे की उछलती-कूदती यात्रा के बाद कुछ देर विश्राम के लिए ड्राइवर ने गाड़ी को क्योंग्न्सोला नाम (Kyongnosla Water Fall) के झरने के पास रोक ली, यहाँ पर पहले से ही काफी भीड़ थी । झरने के पास ही खाने-पीने का सामान एक छोटी सी दुकान में स्थानीय लोगो के द्वारा बेचा जा रहा था, पर कीमत लगभग तीन गुनी महंगी थी ।
मुझे स्थान बेहद पसंद आया, जब हम यहाँ पहुंचे थे तब झरना धुंध के आगोश में समां कर हमारी नजरो से ओझल था । कुछ देर बाद जब धुंध साफ़ हुई तो इस काफी उंचाई से गिरते इस खूबसूरत झरने के दर्शन हुए । हम लोगो ने झरने नीचे काफी करीब से जाकर यहाँ के माहौल का आनंद उठाया । काफी समय यहाँ पर व्यतीत करने के पश्चात् हमने फिर से अपनी यात्रा को जारी रखा । लगभग 39 किमीo चलने के बाद हम लोग छंगू झील पर पहुँच । यहाँ से आगे जाने के लिए छंगू लेक का टिकिट लेना पड़ा जो प्रति व्यस्क व्यक्ति केवल रूपये 10/- था । चूँकि हमे सबसे पहले सीधे बाबा मंदिर पर जाना था सो बिना रुके झील के सहारे बनी सड़क से होते हुए अपनी मंजिल के तरफ बढ़ गये । कुछ किमीo के बाद नाथुला दर्रे के तरफ जाने वाला बाये तरफ सागर द्वार नाम की जगह से अलग हो गया और अब हम बाबा हरभजन सिंह मंदिर के रास्ते पर थे ।
छंगू लेक से 19 कीमीo दूर, दोपहर के साढ़े बारह बजे के आसपास हम लोग बाबा हरभजनसिंह के मंदिर पहुँच गये । ड्राइवर ने गाड़ी को मंदिर के पास की ही एक पार्किंग लगा दी और पार्किंग शुल्क 160/- हमे ही देना पड़ा । गाड़ी से उतरने के साथ हमारे साथ कुछ लोगो को साँस फूलती नजर आई तो पार्किग तरफ की दीवार पर कुछ देर के लिए बैठ गये । अत्यधिक उंचाई के कारण यहाँ पर हवा का दबाब कम था, सो विरल हवा होने के कारण यहाँ की हवा में आक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है । इस कारण सर चकराने और उबकाई की शिकायत हो जाती है । कुछ देर बैठने और यहाँ के आवोहवा में अभ्यस्त हो जाने के बाद कुछ लोग फ्रेश होने के लिए और कुछ लोग यहाँ की कैंटीन में चले गये ।
समुन्द्रतल से करीब 12651 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर पूर्णत भारतीय फ़ौज के द्वारा संचालित और उनकी पूर्णत उनकी देखरेख में है । यहाँ पर सेना ने पर्यटकों की सुविधा हेतु काफी अच्छी व्यवस्था की हुयी है । यहाँ मंदिर परिसर में एक प्रशाधन कक्ष और एक कैंटीन भी जिसे यहाँ के फौजी भाइयो द्वारा चलाया जाता है । मुख्य बाबा का मंदिर एक फौजी कैम्प जैसा ही नजर आता है । यहाँ मंदिर भारतीय फ़ौज में कार्यरत बाबा हरभजन सिंह जी को समर्पित है ।
" मंदिर परिसर में लगे एक बोर्ड के अनुसार इस मंदिर के बनने के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है- बाबा हरभजन का जन्म 30 अगस्त 1946 को जिला गुजरावाला (पाकिस्तान) के सदराना गाँव में हुआ था । फरवरी 1966 को बाबाजी भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के रूप में भर्ती हुए । सन 1968 में 23 पंजाब के साथ पूर्वी सिक्किम में सेवारत बाबाजी का देहांत 04 अक्टूबर 1968 को उस समय हुआ जब वे घोड़ो के एक काफिले को तुकु ला से डोंगचुई ला ले जा रहे थे। यह घटना उस समय हुई जब वे फिसलकर एक नाले में गिर गये । पानी की तेज धार में उनका शरीर घटना स्थल से 2 कीमीo दूर जा पहुंचा । ऐसी मान्यता है कि सिपाही हरभजन सिंह अपने साथी के सपने में आये और अपने समाधी के निर्माण के लिए अनुरोध किया। यूनिट ने इस बात को मानते हुए वर्तमान स्थान से लगभग 9 किमीo की दूरी पर उनकी समाधी का निर्माण किया । पर्यटकों के सुविधा को ध्यान में रखते हुए 11 सितम्बर 1982 को, नये बाबा मंदिर का निर्माण इस स्थान पर किया गया । ऐसी मान्यता है, कि बाबा हरभजन सिंह के मंदिर में पानी चढ़ाने और बाद में उस पानी को पीने से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है । बाबा हरभजनसिंह जी का पुराना मंदिर अब भी एक बंकर के रूप से नये मंदिर से नौ कीमीo दूर स्थित है। यदि कोई उस पुराने बाबाजी के मंदिर और इसी रास्ते पर स्थित एलिफेंट झील पर जाना चाहे तो टैक्सी वाले को कुछ रूपये अतरिक्त देकर जा सकते है । "
हम लोग जब गंगटोक से बाबाजी के मंदिर आ रहे थे, तब ड्राइवर ने रास्ते में बताया था कि बिना बाबाजी के इच्छा के बिना यहाँ पर कोई काम नहीं हो सकता हैं । वर्तमान में बाकायदा बाबाजी अभी भी अपनी ड्यूटी पर तैनात है, यहाँ के सीमा रेखा की रक्षा बाबाजी स्वयं करते है । कुछ सालो पहले तक बाबाजी को बाकायदा आर्मी से एक महीने के छुट्टी दी जाती थी, ट्रेन में उनके नाम से एक सीट भी बुक की जाती थी, साथ में चार सिपाही उनका सामान लेकर उनके गाँव तक जाते थे । उस दौरान यहाँ पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाता था, सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी जाती थी । सीमा रेखा के उस पार चीन में भी बाबाजी का बहुत सम्मान किया जाता है,उनकी ड्यूटी के दौरान चाहे भारत में हो या चीन में जब भी कोई मीटिंग की जाती है तो एक कुर्सी उनके लिए खाली छोड़ दी जाती है ।
हम लोग भी तरोताजा होने के बाद मंदिर में बाबाजी के दर्शन के लिए चले गये । मंदिर अन्दर से मुख्यतः पांच कमरों में विभाजित है। मंदिर में प्रवेश करते ही बाये तरफ का पहला कमरा बाबाजी का कार्यालय (office) हैं ।जहाँ पर बाबाजी इस समय अपने ऑफिस में विराजमान है, प्रतीकात्मक स्वरुप उनका एक चित्र कुर्सी पर रखा हुआ था । दूसरे कमरे में श्रद्धालुओ की मान्यता वाली पानी के बोतले रखी हुई है । तीसरा बाबाजी का पूजा का कमरा है, जहाँ पर बाबाजी की कई सारी फोटो और पूजा का सामान रखा हुआ था ।चौथा बाबाजी के विश्राम हेतु कमरा और पांचवा उनका भोजन का कमरा है । हमारे सामने ही एक बजे के समय भोजनावकाश हो जाने पर बाबाजी के चित्र को उनके ऑफिस से बड़े सम्मान के साथ उनके भोजन के कमरे में स्थान्तरित कर दी गयी । इस प्रकार हम लोगो ने मंदिर में बड़े श्रद्धाभाव से बाबा हरभजनसिंह जी के दर्शन का लाभ उठाया और उनके प्रसाद (किशमिश) को ग्रहण कर कृतज्ञ हुए ।
दर्शन लाभ उठाने के पश्चात अब समय कुछ हल्की पेटपूजा का था सो मंदिर के ठीक सामने फौजियों की कैंटीन में चले गये । यह कैंटीन फौजियों के द्वारा ही संचालित की जा रही थी ।खाने-पीने के सामान की कीमत की बात करे तो इतनी ऊँचाई पर उचित मूल्य पर खाने-पीने का सामान दिया जा रहा था ।हम लोगो ने अपने साथ लाये नाश्ते के साथ-साथ कैंटीन से चाय, कोफ़ी, स्वीट बन और मैगी (अब शायद इसका नाम लेना ही बुरा है ) का सेवन कर अपनी भूंख को शांत किया ।नाश्ते के बाद मंदिर के आस-पास के नजारो को अपने चक्षु और कैमरे की नजरो से रस्वादन करने और शांत वातावरण में कुछ समय बिताने के बाद अब हमारा वापिस चलने का समय हो गया था, हमारे टैक्सी ड्राइवर भी हमसे बार-बार वापिस चलने को कह रहा था । पौने दो बजे के आसपास हम सभी लोग टैक्सी बैठ कर इस स्थल लो अलविदा कर अपने अगले गंतव्य के लिए वापिस चल दिए।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
गंगटोक-नाथुला सड़क मार्ग पर आर्मी के अंतर्गत पर्यटक भवन (Check Post and Tourist Centre at Gangtok-Nathula Highway)
रास्ते में एक झरना - यही है सिक्किम की खूबसूरती (A Waterfall on the way to Baba Mandir)
रास्ते में एक और झरना - सिक्किम की खूबसूरती का राज (A Waterfall on the way to Baba Mandir)
खुबसूरत क्योंग्न्सोला झरना (Kyongnosla Water Fall, on the way to Changgu Lake, Sikkim)
क्योंग्न्सोला झरना के समीप पहाड़ो की खाई का नज़ारा (A View Near Kyongnosla WaterFall, Sikkim)
सफ़र के साथी - पहाड़ और बादल (A beautiful View on the Way Changgu Lake)
रास्ते में एक पड़ाव पर पहाड़ी कुत्ता ( A Mountain Dog, Found on the Way)
नाथूला दर्रा के रास्ते पर बना सागर द्वार (Sagar Dwar - Way to Nathula Pass )
सफ़र के साथी - पहाड़, झरने और बादल (A beautiful View on the way Baba Mandir, Sikkim)
सफ़र के साथी - पहाड़, झरने और बादल (A beautiful View on the way Baba Mandir, Sikkim)
बाबा हरभजनसिंह मंदिर का द्वार - समुन्द्रतल से ऊंचाई 12651फीट ( Gate of Baba HarbhajanSingh Shrine)
श्रध्दा और अटूट विश्वास का मंदिर - श्री बाबा हरभजन सिंह जी का मुख्य मंदिर (Baba Harbhajan Singh Temple, Sikkim)
बाबा मंदिर के बारे में कुछ जानकारी ( A Brief information on the Board at Temple Campus)
बाबाजी कार्यालय में अपनी ड्यूटी के समय कुर्सी पर विराजमान (On Duty Baba Ji in his Office at Temple)
बाबा मंदिर के दूसरे कमरे में रखी मान्यता की पानी के बोतले (Holy Water Bottle inside the Room of Temple)
बाबा मंदिर के दूसरे कमरे (पूजा कक्ष) का द्रश्य (Prayer Room of Babaji Temple, Sikkim)
बाबा के विश्राम के लिए बना कक्ष (A rest room of Babaji inside the Temple)
बाबा के भोजन / प्रसाद कक्ष (An another room of the Babaji Temple)
मंदिर परिसर में लोगो के हित में जानकारी देता एक बोर्ड ( A board at Temple Campus)
मंदिर के पास एक सुन्दर घाटी का द्रश्य (A beautiful valley view near Baba Temple)
बाबा मंदिर से दूर पहाड़ी पर नजर आता एक झरना (A view from Baba Mandir, Sikkim)
बाबा हरभजनसिंह के मंदिर का एक चलचित्र (Video)
उपरोक्त बाते हुई सिक्किम के आस्था और विश्वास के प्रतीक बाबा हरभजनसिंह के मंदिर की यात्रा के बारे में। इस यात्रा के बाद अब आपको अगले लेख में ले चलूँगा, पूर्वी सिक्किम के सबसे झील छंगू झील (Tsomgo Lake or Changgu lake) की यात्रा पर । मुझे पूर्ण विश्वास है की ये लेख आपको बहुत पसंद आया होगा ।लेख पर टिप्पणी के माध्यम से आपके सुविचारो और सलाह का स्वागत है। जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अन्य लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का आभार ।
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▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
बढ़िया विवरण है... जब कभी वहां गये तो इसे पढ़ कर जायेगे... पर 160 रू पार्किग के बहुत ज्यादा है... लूट है.. .इतनी पार्किग चार्ज तो मंहगे शहर में भी नही होता
सिक्किम सदैव एक उत्सुकता जगाता है। आपने विस्तृत रूप से इस यात्रा को लिखा है रितेश जी , इसमें बहुत सी जानकारियां भी छुपी हुई हैं जैसे नाथुला कब कब बंद रहता है , बच्चो को अनुमति नही है। एक शानदार ब्लॉग की ये पहिचान है कि उसमें आपको काम की जानकारी भी मिल जाती है ! चित्र भी बहुत बढ़िया हैं !
योगी जी, सिक्किम है ऐसा ...दूसरे जगह से शानदार , साफ़ सुधरा | जहाँ तक संभव मैं कोशिश करता हूँ की अपने पाठको को पूरी पूरी जानकारी दे सकूँ.... यही मेरा प्रयास है और आगे भी रहेगा...| होसला बढ़ाने और ब्लॉग को मान देने के लिए हृदय से शुक्रिया...
ब्लॉग पोस्ट पर आपके सुझावों और टिप्पणियों का सदैव स्वागत है | आपकी टिप्पणी हमारे लिए उत्साहबर्धन का काम करती है | कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी से लेख की समीक्षा कीजिये |
सुन्दर दृश्यावली,बेहतरीन पोस्ट,सिक्किम के जैसे कई झरने मनाली में भी देखने को मिले थे
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद हर्षिता जी...
Deleteरितेश जी राम राम, आपके द्वारा सिक्किम की खूबसूरती देख रहे है, फोटो बहुत ही सुन्दर हैं. धन्यवाद...वन्देमातरम...
ReplyDeleteराम राम प्रवीण जी |
Deleteटिप्पणी के लिए आपका शुक्रिया
वाह !
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteबढ़िया विवरण है... जब कभी वहां गये तो इसे पढ़ कर जायेगे... पर 160 रू पार्किग के बहुत ज्यादा है... लूट है.. .इतनी पार्किग चार्ज तो मंहगे शहर में भी नही होता
ReplyDeleteजी धन्यवाद तिवारी जी | जरुर पढ़ क्र जाइएगा | इससे ज्यादा पार्किंग शुल्क तो नैनीताल का है २०० रु |
Deleteझरनों और हरे-भरे पहाड़ों पर छाई बादलों की धुंध से युक्त छायाचित्रों से परिपूर्ण यात्रा की अतिसुन्दर प्रस्तुति ............!
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार शैलेन्द्र जी....
Deleteबहुत सुंदर एवं मनमोहक वर्णन । आपके विवरण में सिक्किम की खूबसूरती देखकर हमारा मन भी वहां जाने का हो रहा है।
ReplyDeleteसिक्किम वाकई में बहुत खुबसूरत जगह है आप जरुर जाइए.... पोस्ट पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद
Deleteसिक्किम सदैव एक उत्सुकता जगाता है। आपने विस्तृत रूप से इस यात्रा को लिखा है रितेश जी , इसमें बहुत सी जानकारियां भी छुपी हुई हैं जैसे नाथुला कब कब बंद रहता है , बच्चो को अनुमति नही है। एक शानदार ब्लॉग की ये पहिचान है कि उसमें आपको काम की जानकारी भी मिल जाती है ! चित्र भी बहुत बढ़िया हैं !
ReplyDeleteयोगी जी, सिक्किम है ऐसा ...दूसरे जगह से शानदार , साफ़ सुधरा | जहाँ तक संभव मैं कोशिश करता हूँ की अपने पाठको को पूरी पूरी जानकारी दे सकूँ.... यही मेरा प्रयास है और आगे भी रहेगा...| होसला बढ़ाने और ब्लॉग को मान देने के लिए हृदय से शुक्रिया...
Deleteसिक्किम की खूबसूरती वाह बादलों की धुंध वाला फोटो बहुत ही पसंद आया बढ़िया विवरण है..रितेश जी
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी | समूचा सिक्किम ही बहुत शानदार है
Deleteबहुत सुंदर एवं मनमोहक वणंन। आपके विवरण मैं सिकम कि खुबसूरती देखकर हमारा भी मन वहां जाने का हो रहा है।
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