Written by → Ritesh Gupta
यात्रा दिनांक 25जून2014
यात्रा दिनांक 25जून2014
गंगटोक, सिक्किम यात्रा का दूसरा दिन हमारे लिए बहुत ही खास और उत्साहजनक था, क्योकि इस दिन हम लोग सिक्किम के पूर्वी भाग की यात्रा पर थे । बड़े श्रद्धाभाव से बाबा हरभजनसिंह के मंदिर की यात्रा की और दर्शन कर हम लोग वापिस उस गंगटोक जाने वाले रास्ते पर आ गये और अपनी नई मंजिल छंगू झील (Tsomgo Lake) की यात्रा पर चल दिए । अब प्रस्तुत है, सिक्किम की इस सबसे खूबसूरत, बड़ी झील के यात्रा का वर्णन -
छंगु झील का एक द्रश्य प्राथर्ना चक्रो के बीच से (Changgu Lake - Tsomgo Lake, East Sikkim, Gangtok ) |
छंगू लेक जाने का भी वही रास्ता (गंगटोक-नाथुला पास रोड) था, जिस रास्ते से हम लोग गंगटोक से बाबा हरभजन सिंह जी के मंदिर तक आये । कुछ किलोमीटर बाद रास्ते में चलते समय एक सफेद रंग की ईमारत और एक यार्ड की तरफ इशारा करके ड्राइवर ने हमे बताया कि यहाँ पर चीन से जो माल आयात करके भारत में आता है, वो यहाँ से आगे भारत के अंतर्गत भारतीय ट्रको में जाता है। चीन के ट्रको को यहाँ से आगे नहीं जाने दिया जाता है, ऐसे ही भारत से निर्यात किया गया माल चीन (Chaina) के ट्रको में लाद कर नाथुला सीमा रेखा से चीन में पहुँचाया जाता है ।
अपनी मंजिल की तरफ अग्रसर होते हुए, मार्ग में पहाड़ो पर कही दूर "मेरा भारत महान" लिखा हुआ दिखाई दिया तो अपना मन देश-भक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गया । यहाँ पर देश की सीमा रेखा पर विषम परिस्थितियों में फौजियों को देश के लिए देख-रेख करते देख उनके सम्मान में सर नत-मस्तक हो गया । रास्ते में सड़क की किनारे बाएं तरफ दो छोटी झीले भी नजर आई जो की मेरे ख्याल से बरसाती झीले हो सकती है, पर पहाड़ो के सद्रश्य ये झीले भी सुन्दर और मनोरम द्रश्य प्रकट कर रही थी । बरसात का मौसम होने कारण पहाड़ो में घने बादलो की आवाजाही जारी थी । इन्ही बादलो और धूप-छाँव के कारण पहाड़ो के द्रश्य और भी नयनाभिराम हो गये थे । इसी प्रकार पहाड़ो का अवलोकन करते हुए कुछ देर बाद सड़क मार्ग से ही छंगू लेक दिखाई देना शुरू हो जाता है । लगभग एक घंटे के सफ़र के बाद (समय ढाई बजे के आसपास) हम लोग झील के दूसरे छोर (प्रारम्भिक जगह- बांध के पास) पर पहुँच जाते है ।
बाबा मंदिर से झील की दूरी करीब 19 किमी० और गंगटोक से करीब 39किमी० है । सिक्किम राज्य कि सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध ये झील पूर्वी सिक्किम की सबसे बड़ी और सबसे ठंडी झील है । स्थानीय लोग इसे छंगू लेक (Changgu Lake) और सोमगो लेक (Tsomgo Lake) दोनों नाम से पुकारते है । आकार में वृत्ताकार, ये झील करीब एक किलोमीटर लम्बी, आधा किलोमीटर चौड़ी और १५ मीटर गहरी है । समुद्रतल से इसकी ऊंचाई लगभग 3757 मीटर (11271 फीट) है । झील के चारो तरफ के ऊँचे पहाड़ इस झील की खूबसूरती में चार-चाँद लगा देते है । सर्दियों में पहाड़ो में बर्फबारी और अत्यधिक ठण्ड के कारण ये झील जम जाती है, और चारो तरफ बर्फ ही बर्फ नज़र आती है । जमे हुए ग्लेशियर और बरसाती पानी इस झील की पानी की कमी को पूरा करते रहते है । कहते है कि मौसम के हिसाब से झील अपना रंग बदल लेती है । छंगू झील पर आने के लिये भी देशी या विदेशी पर्यटकों को गंगटोक से ही परमिट बनवा कर लाना पड़ता है । ये परमिट सिक्किम पर्यटक कार्यालय से या फिर ट्रेवेल एजेंट कि साहयता से बनवा सकते है।
झील के पास ही लगे एक बोर्ड के अनुसार - Changgu Lake or Tsomgo as it is called by the local is one of the biggest lakes is East Sikkim which is located at a height of 3757 meter ; it literally means "Source of Lake" in Bhuita language. Located about 40km away from Gangtok; the state capital, the lake is about one km long, oval in shape, 15 meters deep and is considered sacred by the locals, The surrounding high mountains add to the beauty of the lake. Locals hold festivals around the lake which is a famouse tourist spot. Changgu is home to a large verity of fish. This sacred lake freezes from December to March and its water from rain and frozen glacier. On the lakeside is a small temple of Lord Shiva.
झील पर इस समय कोई अधिक भीड़भाड़ नहीं थी, इक्का-दुक्का लोग ही नज़र आ रहे थे । झील के पास कई सारे सुन्दर याक (Yak) नजर आये, याक मालिक भी झील के आसपास ग्राहकों को ढूढने में व्यस्त थे । पहाड़ो के सानिध्य झील का पानी बिल्कुल स्वच्छ था, झील के अंदर तैरती मछलियों को स्पष्ट देखा जा सकता था । सुरक्षा की द्रष्टि से झील के किनारे लोहे की रेलिंग और सीमेंट के मुडेर बनी हुयी थी । झील के दाई तरफ की पहाड़ी पर एक केफेटेरिया भी बना हुआ था । हम लोग जहाँ उतरे थे वही आस-पास ही घूमते रहे, कही अधिक दूर तक नही गये इसलिए झील के आसपास और क्या है, इसका हमे और अधिक नहीं पता ।
खैर हम लोग भी झील के आसपास भ्रमण पर लग गये, जहाँ अच्छी जगह मिली वही से फोटोग्राफी शुरू हो गयी । मेरा बेटा एक बड़े पत्थर को देखकर झट से उस पर ऊपर तक चढ़ गया और बोला पापा मेरी फोटो खीचो, मैंने कहा नीचे गिर जाओगे, फटाफट से उतरो पर वो नहीं माना तो बाल हट में आकार मुझे उसकी फोटो खीचनी ही पड़ी, तब जाकर वह नीचे आया । झील के बायीं तरफ एक राजपूत रेजिमेंट का शायद सैनिक कार्यालय ही होगा, उसे यहाँ के सैनिको को बहुत ही सुंदर रंगो से सजाया गया था, झील के आलावा काफी देर यहाँ पर भी विचरण और फोटोग्राफी की गयी । खैर इसी तरह झील के साथ-साथ प्रकृति के सौन्दर्य का रसपान करते हुए एक घंटा कब बीत गया पता ही नहीं चला, और गाड़ी का ड्राइवर देर होने आर्मी चेक पोस्ट को पार करने की दुहाई देते हुए हमे बुलाने लगा । कुछ देर बाद हम लोग इस स्थान को अलविदा कर हम लोग वापिस चल दिए ।
सोमगो लेक (छंगू झील) से कुछ किलोमीटर निकलने के बाद ही तेजी से बारिश शुरू हो गयी । चारो तरफ घनी धुंध और तेज बारिश से पता ही नहीं चल रहा था कि सड़क किधर है और खाई किधर । जगह-जगह पहाड़ों से झरने आकर सड़क पर बह रहे थे, उस पर भूस्खलन के कारण सड़क की अवस्था भी काफी टूटी-फूटी और दयनीय सी ही थी । काफी समय इसी तरह की उठापटक के साथ चलते हुए गंगटोक के नाथुला रोड आर्मी चेक पोस्ट पार किया तो सड़क भी अच्छी आ गयी और बारिश भी रुक गयी थी या फिर ये कह लो कि यहाँ पर बारिश नहीं हुई थी । दिन के समय गंगटोक शहर में बड़ी गाड़ी ले जाने कि पाबन्दी के कारण हमने ड्राइवर से कहा कि हमे "वाजरा टैक्सी स्टैंड" पर न छोड़कर बल्कि "एम.जी. मार्ग" के सबसे नजदीक वाली जगह पर छोड़ देना, वहां से हम पैदल ही निकल जायेंगे ।
करीब पांच बजे के आसपास उसने हमे एक कालेज के पास उतार दिया और रास्ता बताते हुए कहा कि इस रास्ते से सीधे निकल जाइए, एम.जी.मार्ग यहाँ से करीब एक किलोमीटर दूर है । हम वहां से पैदल चलते हुए करीब 10-15 मिनट में एम.जी. मार्ग पहुँच गये और वहां से सीढ़ियों के रास्ते अपने होटल आर्किड में । करीब दो-ढाई घंटे आराम करने के बाद शाम केसाढ़े सात बजे खाना-खाने और बाजार घूमने चल दिए । शुरुआत डेन्जोंन सिनेमा के पास स्थित एक सुपर मार्केट से की, यह यहाँ का एक लोकल मार्केट था जहाँ जरूरत का सामान, सब्जी व फल का बड़ा बाजार था । उसके बाद लाल बाजार पहुंचे, यह बाजार एम.जी. मार्ग की और जाती सीढ़ियों पर बना हुआ था । इस बाजार में तरह-तरह के लकड़ी व ऊन का सामान, कपड़े, चूड़ीया, लाकेट, स्थानीय कलाकारी का सजावट के सामान की दुकाने थी । लाल बाजार घूमते हुए, हम लोग एम.जी. मार्ग पहुँच गये, जो यहाँ का सबसे खूबसूरत साज-सज्जा युक्त बड़ा बाजार हैं ।
कल रात से सबक लेते हुए इस मार्ग के एक रेस्तरा में हमने खाना खाने के लिए अपनी सीटो का अग्रिम बुकिंग करा दी । कुछ आधा घंटे बाद नम्बर आने पर रेस्तरा में खाना खाकर अपनी भूंख को शांत किया । खाना खाकर बाहर निकले तो इस मार्ग कि अधिकतर दुकाने बंद हो चुकी थी और भीड़ न के बराबर थी । हम लोग भी कुछ देर यहाँ ठंडी आवोहवा में विचरण करने के बाद अपने होटल लौट आये । हमारे पास घूमने के लिए दिन कमी थी और हमे दार्जिलिंग भी जाना था सो गंगटोक टूर को यही पर स्थगित कर अगले दिन दार्जिलिंग जाने लिए होटल के काउंटर से टैक्सी बुक कर दी ।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
मंदिर से गंगटोक रास्ते में पहली झील (A Small Lake - on the way Nathula to Gangtok) |
बादलो से घिरा एक पहाड़ी द्रश्य |
दूर पहाड़ पर लिखा "मेरा भारत महान" ("Mera Bharat Mahan"on Sikkim Maountain) |
मंदिर से गंगटोक रास्ते में दूसरी झील (Second Small Lake - on the way Nathula to Gangtok) |
चीन और भारत में आयत निर्यात के बना भवन और यार्ड (Inport Export Building & Yrad on the way to Nathula) |
सड़क मार्ग से दिखाई देती छंगू झील (Changgu Lake "Tsomgo Lake" from The Road Side) |
बादलो में दुबे एक पहाड़ द्रश्य (A View on the Way to Tsomgo Lake) |
सड़क मार्ग से दिखाई देती छंगू झील (Changgu Lake from The Nathula-Gangtok Road) |
अक्षत एक बड़े पत्थर पर (My Son Akshat) |
झील के पास एक सैनिक कार्यालय ("Rajput Regiment" Army Office at Changgu Lake) |
My Child "Anshita & Akshat" at Changgu Lake |
झील के बारे में जानकारी देता बोर्ड (A Information Board about Lake) |
छंगू लेक , सिक्किम (Changgu Lake or Tsomgo Lake, Sikkim) |
छंगू लेक , सिक्किम (Changgu Lake or Tsomgo Lake, Sikkim) |
एक याक (A Yak a Tsomgo Lake) |
गंगटोक की हरियाली - एम.जी. मार्ग जाने का दाये तरफ का रास्ता ( Local Road Inside Gangtok ) |
रात के समय लाल बाज़ार का द्रश्य ( Lal Bazar near M.G. Marg, Gangtok) |
रात के समय एम.जी. मार्ग का द्रश्य (M.G. Marg at Night) |
छंगू झील का चलचित्र (A Video of The Tsomgo Lake)
छंगू झील (Changgu lake) और गंगटोक भ्रमण को यही समाप्त हुए, अगले लेख में आप लोगो को ले चलेंगे पश्चमी बंगाल के विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल 'दार्जिलिंग" की सैर पर। आशा करता हूँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा, यदि अच्छा लगे तो टिप्पणी के माध्यम से विवेचना जरुर करे। जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का धन्यवाद !
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
3. एक नजर, गंगटोक शहर, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
4. गंगटोक शहर के स्थानीय स्थलों का भ्रमण, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
5. बाबाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम-Baba HarbhajanSingh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)
6. छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)
7. गंगटोक से दार्जिलिंग का सफ़र (Travel to Darjeeling, West Bengal )
8. पर्वतीय नगर दार्जीलिंग की सैर (Sight Seen of Darjeeling Hill Station, West Bengal)
9. प्रकृति से मुलाकात - दार्जीलिंग नगर की सैर में (Sight Seen of Darjeeling, West Bengal)
10. दार्जीलिंग नगर की सैर - नये स्थलों के साथ (Siight Seen of Darjeeling 2, West Bengal)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
4. गंगटोक शहर के स्थानीय स्थलों का भ्रमण, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
5. बाबाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम-Baba HarbhajanSingh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)
6. छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)
7. गंगटोक से दार्जिलिंग का सफ़र (Travel to Darjeeling, West Bengal )
8. पर्वतीय नगर दार्जीलिंग की सैर (Sight Seen of Darjeeling Hill Station, West Bengal)
9. प्रकृति से मुलाकात - दार्जीलिंग नगर की सैर में (Sight Seen of Darjeeling, West Bengal)
10. दार्जीलिंग नगर की सैर - नये स्थलों के साथ (Siight Seen of Darjeeling 2, West Bengal)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
शानदार चित्र..हम जब वहाँ गए थे तो हरी दूब की जगह बर्फ की चादर थी.. मेरा भारत महान देख कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteधन्यवाद मनीष जी.....
Deleteबेहद खुश गवाँर माहौल और ग्रीनरी लगता है वही बस जाए।लेक की खूबसूरती को पहाड़ों पर फैले बादल और खूबसूरती दे रहे है । वीडियो से लेक की स्थिति एकदम सही और सुन्दर नजर आती है।कुल मिलाकर एक सुबसुरत शहर है गंगटोक ।
ReplyDeleteबुआ जी.... गंगटोक अपने आप में एक निराला और बहुत सुन्दर शहर है ...|
Deleteधन्यवाद
जबरदस्त लेख और चित्र तो बहुत अच्छे हैं... इस लेख को पढ़कर सिक्किम जाने की इच्छा और बलवती हो गयी
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी.... आपके इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए |
Deleteबहुत बढ़िया रितेश भाई ।
ReplyDeleteनार्थ ईस्ट जाने की इच्छा और बलवती हो गई और आपकी पोस्ट से मार्गदर्शन भी हो गया ।
फौजियों के लिए तो उनकी ड्यूटी देखकर सचमुच् सम्मान कई गुणा बढ़ जाता है ।
जय हिन्द
बहुत बढ़िया रितेश भाई ।
ReplyDeleteनार्थ ईस्ट जाने की इच्छा और बलवती हो गई और आपकी पोस्ट से मार्गदर्शन भी हो गया ।
फौजियों के लिए तो उनकी ड्यूटी देखकर सचमुच् सम्मान कई गुणा बढ़ जाता है ।
जय हिन्द
टिप्पणी के लिए धन्यवाद संजय जी....
Deleteनार्थ ईस्ट जरुर जाइये ..दिल प्रसन्न हो जायेगा आपका
पहाड़ी जगहों के फ़ोटो सच में बहुत अच्छे लगते है,चाहें कोई भी जगह क्यों न हो.गंगटोक के बारे में जानकारी देने के लिए
ReplyDeleteधन्यवाद
धन्यवाद हर्षिता जी.... आगे भी जानकारी देता रहूगा जब आप चाहो..
Deleteमनभावन चित्र सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार सुशील जी
Deleteछंगू झील के मनमोहक दृश्यों साथ अतिसुन्दर प्रस्तुति …………!
ReplyDeleteधन्यवाद शैलेन्द्र सिंह जी
Deletebadiya safar shandar photography ...
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी
Deleteबहुत सुंदर लेख तथा चित्ताकर्षक चित्र. चित्रों को देखकर लग रहा है की झील बहुत सुंदर है. याक का फोटो बहुत शानदार आया है.
ReplyDeleteमुकेश जी....
Deleteपोस्ट पर टिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद | हां ! झील वाकई में बहुत सुंदर थी |
ReplyDeleteमेरा भारत महान सच में गौरव प्रदान करता है ! ऐसा ही इंडियन आर्मी , बद्रीनाथ से माणा गाँव जाते हुए पहाड़ी पर लिखा है ! चीन का सामान उधर होकर आता है ? यात्रा वृतांत रोमांचित करता है रितेश जी
जी सच कहा आपने मेरा भारत महान गौरव प्रदान करता है |
Deleteजी चीन से सडक मार्ग से सामान यही से होकर आता है |
धन्यवाद
बहुत सुन्दर लेख और छाया चित्रण रितेश भाई। मन प्रसन्न हो गया।
ReplyDeleteधन्यवाद बीनू भाई | आप यहाँ तक आये बहुत अच्छा लगा |
Delete2007 में गंगतोक ,दार्जिलिंग, और मिरिक गया था पर ख़राब मौसम के कारण बाबा मंदिर, छांगू लेक और नाथुला नहीं जा पाया ।आपके लेख से काफी जानकारी मिली इस मई में 9 साल बाद फिर से गंगतोक जाकर सबसे पहले नाथुला, बाबा मंदिर और छांगू लेक ही जाना चाहूँगा
ReplyDelete