Written By Ritesh Gupta
सभी घुमक्कड़ साथियों को मेरा नमस्कार ! आज मैं अपनी पिछ्ली श्रृंखला माँअम्बाजी, माउन्टआबू और उदयपुर के बाद एक और नए यात्रा लेख की नई कड़ी शुरू करने जा रहा हूँ । यह नई श्रृंखला हैं → भारत के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश के मनाली, रोहतांग और मणिकरण के सफ़र की । यह यात्रा अपने परिवार सहित जून, 2010 में आगरा से दिल्ली तक बस से तथा दिल्ली से मनाली, रोहतांग और मणिकरण होते हुए और वापिस दिल्ली तक कार के माध्यम से की थी । अब हम चलते हैं,अपने मनाली की यात्रा वृतांत की ओर ।
गर्मी का मौसम था और जून का महीना चल रहा था, इस समय मैदानी इलाके में गर्मीया अपने पूरे चरम होती हैं । उस समय आगरा शहर का तापमान लगभग 40 से 44 के बीच झूल रहा था । दिन में तेज धूप की वजह सड़कों पर लगभग सन्नाटा ही पसरा रहता था और आकाश में किसी भी प्रकार बादलों का कोई भी आवागमन भी नहीं हो रहा था । इधर हमारी रोज की वही एक सी व्यस्त दिनचर्या से मन उब रहा था और ह्रदय में एक अजीब कुलबुलाहट उठ रही थी, कि सारे काम काज छोड़कर किसी ठन्डे जगह (पर्वतीय स्थल) में कुछ दिनों के लिए घूमने चला जाऊ । मन में ये बात आते ही, मैंने किसी पर्वतीय स्थल पर चलने का मन बनाया और नोयडा में रहने वाले अपने छोटे भाई को फोन किया और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा, तो मेरी यह बात सुनकर वह तुरंत चलने को तैयार हो गया । अब समस्या उठी कि “ कौन सी जगह जाया जाये ?” क्योकि अधिकतर उत्तर भारत की मुख्य पहाड़ी स्थल (Hill Station) हमारे घूमे हुए थे, अकेले “कुल्लू - मनाली ” को छोड़कर । हम लोगो कि सहमति “कुल्लू - मनाली” चलने के लिए हो गयी । चूँकि इस सफ़र की शुरुआत नोयडा से होनी थी तो इसके लिए मुझे सबसे पहले अपने परिवार सहित नोयडा पहुचना था, उससे से आगे की यात्रा दिल्ली या नोयडा से शुरू करनी थी । हमारे जाने का स्थान पक्का हो जाने के बाद अब हमारे सामने एक सवाल था कि यहाँ से मनाली कैसे या किस प्रकार जाया जाये ? उसके लिए भी हमारे सामने जाने के कुछ निम्न तरीके/उपाय थे ।
Wah Taj ! अब हमने अपनी यात्रा आगरा से शुरू की हैं, तो भारत की शान आगरा के "ताजमहल " का एक फोटो तो होना चाहिये | |
पहला:→ दिल्ली से रेल के माध्यम से पहले पठानकोट (484KM) पंहुचा जाये, फिर वहाँ से कांगड़ा छोटी लाइन कि रेल से जोगिन्दर नगर (164KM) पंहुचा जाये । जोगिन्दर नगर से मनाली कि दूरी मंडी और कुल्लू होते हुए लगभग 145 किलोमीटर हैं, जिसे टैक्सी या बस से पूरी कि जाये । मनाली जाने का यह उपाय हमें सुविधाजनक नहीं लगा, इसलिए इस तरीके को हमने नकार दिया ।
दूसरा :→ दिल्ली से रेल के माध्यम से पहले चंडीगढ़ (265KM) पंहुचा जाये, फिर किसी टैक्सी या बस से कुल्लू (245KM) होते हुए मनाली (285KM) का सफ़र पूरा किया जाये । यह उपाय तो अच्छा था पर उस समय ट्रेन में आरक्षण उपलब्ध नहीं था और हमें यह भी थोडा असुविधाजनक लगा तो इसे भी अस्वीकार कर दिया ।
तीसरा :→दिल्ली से वाल्वो बस या फिर अपनी कार के माध्यम से मनाली (550 KM) का सफ़र पूरा किया जाये । वातानुकूलित वाल्वो बस का किराया मालूम किया तो वो प्रति सवारी 1000/- से लेकर 1200/- तक का था । हमारे साथ के कुछ लोगो बस से सफ़र करने में परेशानी होती हैं और बस का किराया हमे काफी अधिक लगा, क्योंकि मनाली पहुँचकर वहाँ घूमने के लिए भी टैक्सी करनी पड़ती, इससे से हमारे सफ़र का खर्चा और अधिक बढ़ जाता । इस कारण से बस से जाने का विचार छोड़ दिया ।
चौथा :→ अब बात आती हैं अपने निजी कार से जाने की । दिल्ली से चंडीगढ़ तक मैदानी और चंडीगढ़ से मनाली तक लंबा पहाड़ी रास्ता हैं जिसे हम लोगो की स्वंय कार चलाकर जाने की कोई भी इच्छा नहीं थी और पहाड़ी रास्ते पर कार चलाने का कोई पुराना अनुभव भी हमारे पास नहीं था, इसलिए इस तरीके पर हमारी सहमति नहीं बनी ।
पाचवां :→ रूपये प्रति किलोमीटर किराये के हिसाब से कोई छोटी कार (टैक्सी) को आरक्षित किया जाये और उसके माध्यम से मनाली का यह सफ़र पूरा किया जाये । टैक्सी के माध्यम से मनाली का सफ़र करने यह प्रस्ताव हमें बहुत अच्छा लगा और हम लोगो ने इसे प्रस्ताव मान लिया क्योंकि टैक्सी के माध्यम से सफ़र करने पर हम लोगो को कुछ सुविधा थी, जैसे जहा चाहे अपनी मर्जी से इच्छानुसार रुक सकते थे, जहाँ चाहे घूम सकते थे और खा सकते थे, साथ–साथ हमें मनाली और उसके आसपास के स्थानों को देखने के लिए बार-बार टैक्सी करने के झंझट से भी छुटकारा मिलने वाला था ।
दूसरा :→ दिल्ली से रेल के माध्यम से पहले चंडीगढ़ (265KM) पंहुचा जाये, फिर किसी टैक्सी या बस से कुल्लू (245KM) होते हुए मनाली (285KM) का सफ़र पूरा किया जाये । यह उपाय तो अच्छा था पर उस समय ट्रेन में आरक्षण उपलब्ध नहीं था और हमें यह भी थोडा असुविधाजनक लगा तो इसे भी अस्वीकार कर दिया ।
तीसरा :→दिल्ली से वाल्वो बस या फिर अपनी कार के माध्यम से मनाली (550 KM) का सफ़र पूरा किया जाये । वातानुकूलित वाल्वो बस का किराया मालूम किया तो वो प्रति सवारी 1000/- से लेकर 1200/- तक का था । हमारे साथ के कुछ लोगो बस से सफ़र करने में परेशानी होती हैं और बस का किराया हमे काफी अधिक लगा, क्योंकि मनाली पहुँचकर वहाँ घूमने के लिए भी टैक्सी करनी पड़ती, इससे से हमारे सफ़र का खर्चा और अधिक बढ़ जाता । इस कारण से बस से जाने का विचार छोड़ दिया ।
चौथा :→ अब बात आती हैं अपने निजी कार से जाने की । दिल्ली से चंडीगढ़ तक मैदानी और चंडीगढ़ से मनाली तक लंबा पहाड़ी रास्ता हैं जिसे हम लोगो की स्वंय कार चलाकर जाने की कोई भी इच्छा नहीं थी और पहाड़ी रास्ते पर कार चलाने का कोई पुराना अनुभव भी हमारे पास नहीं था, इसलिए इस तरीके पर हमारी सहमति नहीं बनी ।
पाचवां :→ रूपये प्रति किलोमीटर किराये के हिसाब से कोई छोटी कार (टैक्सी) को आरक्षित किया जाये और उसके माध्यम से मनाली का यह सफ़र पूरा किया जाये । टैक्सी के माध्यम से मनाली का सफ़र करने यह प्रस्ताव हमें बहुत अच्छा लगा और हम लोगो ने इसे प्रस्ताव मान लिया क्योंकि टैक्सी के माध्यम से सफ़र करने पर हम लोगो को कुछ सुविधा थी, जैसे जहा चाहे अपनी मर्जी से इच्छानुसार रुक सकते थे, जहाँ चाहे घूम सकते थे और खा सकते थे, साथ–साथ हमें मनाली और उसके आसपास के स्थानों को देखने के लिए बार-बार टैक्सी करने के झंझट से भी छुटकारा मिलने वाला था ।
यात्रा की जगह और वहाँ कैसे जाना हैं, यह सब तय होने के बाद हम लोगो ने 22 जून को जाने का निश्चित किया । नोयडा से मनाली जाने के लिए एक टाटा इंडिका को आरक्षित कर दिया गया और उसे शाम के 6 बजे नोयडा से मनाली के लिए निकलने का समय भी दे दिया गया । हम लोगो को कार का खर्चा ६ रूपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय हुआ और इसके अतिरिक्त कार चालक का सुबह व शाम के खाने के 200/- रूपये प्रतिदिन, प्रति रात के लिए 100/- व रास्ते के खर्चे (टोल टैक्स, टैक्सी स्टैंड इत्यादि) अलग देने थे । यह सारा कार्यक्रम हमने यात्रा के तिथि से लगभग एक हफ्ते पहले ही तैयार कर लिया था । जाने से एक दिन पहले ही पहले हमारी श्रीमती जी ने अपना सारा जरुरी (जैसे-फोटो पहचान पत्र, जरुरी दवाइयां, कैमरा, कोस्मेटिक, कुछ गर्म कपड़े, एक चादर, खाने-पीने का सामान,एक ताला, साबुन इत्यादि) और छोटा-मोटा सामान (जैसे-पेपर सोप,पेन-डायरी,कुछ पुराने अखबार, माचिस, मोमबत्ती, टोर्च, कागज की प्लेट, ग्लास इत्यादि) याद करके पैक कर लिए । हमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि सफ़र में बच्चो के साथ पता नहीं कब किसी छोटे-मोटे सामान की कब जरूरत पड़ जाये । और हां ! आगरा का पेठा और दालमोठ, इन्हें हम अपने साथ कभी ले जाना नहीं भूलते, हमेशा अपने साथ सफ़र में ले जाते हैं ।
Agra to Delhi Road Map..Total Distance 200KM |
आगरा ─200KM→ दिल्ली
निश्चित दिन 22 जून 2010 को हम लोग (मैं स्वयं, मेरी पत्नी, बेटी-अंशिता और बेटा-अक्षत) सुबह सात बजे तैयार होकर नोयडा के लिए अपने घर से रवाना हुआ । थोड़ी देर में हम लोग ऑटो से NH-2* पर एक फ्लाईओवर के नीचे स्थित भगवान टाकीज चौराहा पर पहुच गए, क्योंकि यहाँ पर सुबह के समय दिल्ली के लिए अधिकतर बसे आसानी से मिल जाती हैं । आजकल दिल्ली जाने के लिए दिन में भगवान टाकीज चौराहे पर बस जाम लग जाने के कारण नहीं मिलती हैं, अगर दिल्ली जाना हो तो अंतराज्जीय बस अड्डे (ISBT) पर जाना होता हैं, जो कि इस चौराहे से ढाई किलोमीटर दूर हाइवे (NH-2*) के बाये हाथ पर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में हैं । इस मुख्य बस अड्डे से लगभग सभी जगह के लिए बसे आसानी से मिल जाती हैं । हम लोगो के चौराहे पर पहुचते ही एक उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बस खड़ी मिल गयी, जो दिल्ली जाने के लिए तैयार खड़ी थी । हम लोग फटाफट से बस में सवार हुए और बस चालक की पीछे की सीट पर जाकर बैठ गए । लगभग १५ मिनिट के इन्तजार के बाद बस हाइवे NH-2* होते हुए अपने गंतव्य दिल्ली की ओर चल पड़ी । उस समय बस में हमने रूपये 350/-(ढाई टिकिट) बस किराया दिल्ली पहुचने तक के दिए थे, अब दिल्ली तक का किराया (150/- Per Ticket) कुछ बढ़ गया हैं । आगरा से दिल्ली की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 200 किलोमीटर हैं और यह राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2*) सीधा जुड़ा हुआ हैं । यह सड़क मार्ग चार लाईन का काफी चौड़ा, साफ़ सुधरा, सुन्दर और सुरक्षित सड़क मार्ग हैं । इस सड़क मार्ग के किनारे थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अच्छे छोटे व बड़े ढाबे, मोटल आदि की अच्छी व्यवस्था भी हैं । अक्सर फरीदाबाद से आगे दिल्ली के रास्ते यहाँ पर वाहनों की अधिकता के कारण जाम का सामना भी करना पड़ जाता हैं । आगरा से दिल्ली के इस राजमार्ग पर उत्तरप्रदेश में कीठम(23)→ फरह(33)→ मथुरा रिफाइनरी(40)→ मथुरा(55)→ कोसी(100)→ हरियाणा में होडल(110)→ पलवल(143)→ फरीदाबाद(171) जगह आती हैं, दो टोल टैक्स (एक मथुरा और दूसरा पलवल में) और एक मैकडोनाल्ड मथुरा रिफाइनरी के सामने पड़ता हैं।
निश्चित दिन 22 जून 2010 को हम लोग (मैं स्वयं, मेरी पत्नी, बेटी-अंशिता और बेटा-अक्षत) सुबह सात बजे तैयार होकर नोयडा के लिए अपने घर से रवाना हुआ । थोड़ी देर में हम लोग ऑटो से NH-2* पर एक फ्लाईओवर के नीचे स्थित भगवान टाकीज चौराहा पर पहुच गए, क्योंकि यहाँ पर सुबह के समय दिल्ली के लिए अधिकतर बसे आसानी से मिल जाती हैं । आजकल दिल्ली जाने के लिए दिन में भगवान टाकीज चौराहे पर बस जाम लग जाने के कारण नहीं मिलती हैं, अगर दिल्ली जाना हो तो अंतराज्जीय बस अड्डे (ISBT) पर जाना होता हैं, जो कि इस चौराहे से ढाई किलोमीटर दूर हाइवे (NH-2*) के बाये हाथ पर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में हैं । इस मुख्य बस अड्डे से लगभग सभी जगह के लिए बसे आसानी से मिल जाती हैं । हम लोगो के चौराहे पर पहुचते ही एक उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बस खड़ी मिल गयी, जो दिल्ली जाने के लिए तैयार खड़ी थी । हम लोग फटाफट से बस में सवार हुए और बस चालक की पीछे की सीट पर जाकर बैठ गए । लगभग १५ मिनिट के इन्तजार के बाद बस हाइवे NH-2* होते हुए अपने गंतव्य दिल्ली की ओर चल पड़ी । उस समय बस में हमने रूपये 350/-(ढाई टिकिट) बस किराया दिल्ली पहुचने तक के दिए थे, अब दिल्ली तक का किराया (150/- Per Ticket) कुछ बढ़ गया हैं । आगरा से दिल्ली की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 200 किलोमीटर हैं और यह राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2*) सीधा जुड़ा हुआ हैं । यह सड़क मार्ग चार लाईन का काफी चौड़ा, साफ़ सुधरा, सुन्दर और सुरक्षित सड़क मार्ग हैं । इस सड़क मार्ग के किनारे थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अच्छे छोटे व बड़े ढाबे, मोटल आदि की अच्छी व्यवस्था भी हैं । अक्सर फरीदाबाद से आगे दिल्ली के रास्ते यहाँ पर वाहनों की अधिकता के कारण जाम का सामना भी करना पड़ जाता हैं । आगरा से दिल्ली के इस राजमार्ग पर उत्तरप्रदेश में कीठम(23)→ फरह(33)→ मथुरा रिफाइनरी(40)→ मथुरा(55)→ कोसी(100)→ हरियाणा में होडल(110)→ पलवल(143)→ फरीदाबाद(171) जगह आती हैं, दो टोल टैक्स (एक मथुरा और दूसरा पलवल में) और एक मैकडोनाल्ड मथुरा रिफाइनरी के सामने पड़ता हैं।
लगभग सवा घंटे में मथुरा से थोड़ा आगे निकलने पर पर राजमार्ग के दाहिने और एक बड़ा सा सफ़ेद रंग का भव्य और बहुत ही सुन्दर मंदिर नज़र आया, यह जय गुरुदेव जी का मंदिर हैं, जो कि सफ़ेद रंग के संगमरमर से निर्मित किया गया हैं । मैं एक बार मथुरा के यात्रा के समय यह मंदिर घूम चुका हूँ, उस समय यह मंदिर बन रहा था । यह एक विशाल मंदिर हैं और इसमें मुख्य हाल परिसर में एक साथ दस हज़ार लोग एक साथ बैठने की व्यवस्था हैं । जय गुरुदेव मंदिर में हमेशा जय गुरुदेव के अनुयाइयों और उनके भक्तो का हमेशा जमघट लगा रहता हैं साथ ही साथ यहाँ साल में जय गुरुदेव का मेला भी लगता हैं । इससे ज्यादा इस मंदिर के बारे में मुझे और अधिक जानकारी नहीं मालूम हैं ।
Jai Gurudev Tample Near by Mathura (U.P.)...जय बाबा गुरुदेव जी का मंदिर,मथुरा... |
ज्यों-ज्यों समय बीतता जा रहा था, त्यों-त्यों वातावरण में गर्मी का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा था, और इस गर्मी के कारण हमारे छोटे बच्चे थोड़ा व्याकुल हो रहे थे । बस होडल में डबचिक नाम के स्थान के सामने परिवहन निगम के रेस्ट हाउस पर करीब पन्द्रह मिनिट के विश्राम के लिए रुकी । पन्द्रह मिनिट के विश्राम के बाद बस अपने गति से चल रही थी कि तभी 10:30 बजे के आसपास बस चालक ने बस को फरीदाबाद के पास राजमार्ग के किनारे गाड़ी में अचानक आई कुछ खराबी को सही कराने के लिए रोक दी, बस को ठीक होने में करीब आधा घंटा का समय लग गया । 12:00 बजे के आसपास बस दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन नजदीक स्थित बस अड्डा सराय-काले-खां पहुँच गए । बस से नीचे उतरते ही हमे थोड़ा इन्तजार करने की बाद नॉएडा के लिए एक लोकल बस मिल गयी और 12:30 बजे हम अपने नॉएडा स्थित घर पर पहुँच गए ।
We are ready to go by this car.....जल्दी चलो कार तैयार हैं.... |
मनाली जाने का के लिए टैक्सी आने का समय शाम 6 बजे का था, इसलिए हमारे अभी काफी समय बचा हुआ था । हमने गर्मी भरी दोपहर का समय आराम करते हुए और आपस में गपशप करते हुए बिता दिया । छोटा भाई अनुज भी अपने ऑफिस से आ चुका था और उसने भी जाने के लिए अपना सामान पैक कर लिया था और साथ ले जाने के खाना भी बनवा लिया थे । शाम को छह बजे के आसपास पास टैक्सी वाले को फोन किया तो व फरीदाबाद से नोयडा के लिए निकल गया था और हमारे घर का रास्ता भटक गया था, इस कारण उसे यहाँ आने में आधा घंटे की देर हो गयी थी । साढ़े छह बजे के आसपास टैक्सी (टाटा इंडिका) आ गयी, सारा सामान डिक्की में रखा और सात बजे के आस पास हम लोग मनाली के चल दिए ।
नोयडा ─18KM→ दिल्ली ─209KM→ अम्बाला सिटी (खरर मोड़ तक):(कुल दूरी→227KM)
हम लोग नोयडा लिंक रोड से दिल्ली के महात्मा गाँधी रोड होते हुए 18 किलोमीटर दूर कश्मीरी गेट आधा घंटे में पहुँच गए पर यहाँ पर दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या जाम से हमारा सामना हो गया, उस समय यहाँ पर भयंकर जाम लगा हुआ था, चारों तरफ छोटे बड़े वाहनं जाम में फँसे हुए थे । जैसे-तैसे हम लोग धीमे-धीमे चलते हुए कश्मीरी गेट के इस जाम पार किया और चलते रहे । आगे दिल्ली के और भी जामो को झेलते हुए हम लोग राष्ट्रीय राजमार्ग-1 (NH-1*) पर पहुँच गए । यह राष्ट्रीय राजमार्ग चार लाइन का काफी चौड़ा, सुन्दर राजमार्ग हैं । हमारी कार इस राजमार्ग पर बिना किसी परेशानी के अपने गंतव्य की ओर चली जा रही थी ।
हम लोग नोयडा लिंक रोड से दिल्ली के महात्मा गाँधी रोड होते हुए 18 किलोमीटर दूर कश्मीरी गेट आधा घंटे में पहुँच गए पर यहाँ पर दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या जाम से हमारा सामना हो गया, उस समय यहाँ पर भयंकर जाम लगा हुआ था, चारों तरफ छोटे बड़े वाहनं जाम में फँसे हुए थे । जैसे-तैसे हम लोग धीमे-धीमे चलते हुए कश्मीरी गेट के इस जाम पार किया और चलते रहे । आगे दिल्ली के और भी जामो को झेलते हुए हम लोग राष्ट्रीय राजमार्ग-1 (NH-1*) पर पहुँच गए । यह राष्ट्रीय राजमार्ग चार लाइन का काफी चौड़ा, सुन्दर राजमार्ग हैं । हमारी कार इस राजमार्ग पर बिना किसी परेशानी के अपने गंतव्य की ओर चली जा रही थी ।
Road Map view Noida to Ambala City →Distance 227Km |
हमारे कार चालक ने 8:30 बजे के आसपास दिल्ली से 45 किमी० दूर मुरथल जिला सोनीपत में हाइवे के किनारे एक सुन्दर से ढाबे पर गाड़ी रोक दी । पूछा तो उसने बताया की “अब सारा सफ़र रात का ही हैं और देर रात में ढाबे पर सही खाना मिले या न मिले ! तो यही से खाना खाकर चलते हैं और मुझे भी भूख लग रही हैं ।” हमने उससे कहाँ ” ठीक हैं खाना खा लेते हैं पर ढाबे पर नहीं, आज का खाना हम लोग तो घर से ही बनवा के लाए हैं यदि आप चाहो तो हमारे साथ यह खाना ले सकते हो क्योंकि बाकी दिन तो हमें बाहर का ही खाना खाना हैं ।” हम लोगो ने वही ढाबे के बाहर ही कार में बैठकर उस रात का खाना खाया और खाना खाकर अपने आगे की सफर पर चल दिए ।
Me & My naughty son Akshat near Murthal, Sonipat....कार अंदर का भी तो एक फोटो होना चाहिये । |
रात में सफर करते हुए अब हमारी कार अब पानीपत शहर के फ्लाईओवर दौड़ रही थी, यह फ्लाईओवर काफी लंबा था या यह कहो कई किलोमीटरो में था, पता ही नहीं चला की कब पानीपत (80KM From Delhi) शहर निकल गया । इस फ्लाईओवर पार करने के बाद हम लोग दिल्ली से लगभग 90 किमी० दूर पानीपत के टोलटैक्स प्लाज़ा पर रात के 9:00 बजे के आसपास पहुच गए थे, हमने यहाँ पर कार को टोलटैक्स प्लाज़ा से निकलने के लिए 20 रूपये का भुगतान किया । पानीपत से निकलते ही हम लोगो ने रा.रा.1* पर अपना सफर जारी रखा । इस हाईवे चलते हुए कही-कही निर्माण कार्य चलने के कारण सड़क बदलने के दिशा निर्देश भी मिल रहे थे और कही कही सड़क थोड़ी बहुत खराब हालत में भी थी । रास्ते में हमने एक पेट्रोल पम्प से अपनी कार में डीजल भरवाया और लगभग आधा घंटे के बाद हम लोग करनाल (120KM From Delhi) चौड़े और सुन्दर फ्लाईओवर पर पहुच गए । करनाल शहर में प्रवेश किये बिना ही हम लोग इस फ्लाईओवर से अपनी मंजिल अम्बाला सिटी की और चलते रहे । कुछ देर हाइवे पर चलने के बाद अब हम लोग करनाल के नीलखोरी स्थित टोलप्लाज़ा पर पहुच गए, यहाँ से अपनी आगे की सफर जारी रखने के लिए 80 या 81 रूपये टोल टैक्स के रूप में चुकाए । रात 11:30 बजे के आसपास हम लोगो ने अम्बाला सिटी (205KM From Delhi) पहुँच गए । अम्बाला शहर राष्ट्रीय राजमार्ग-1* पर ही स्थित हैं और यहाँ से से दो रास्ते निकलते हैं, दाई ओर का रास्ता चंडीगढ़ और शिमला की तरफ और बायीं ओर का रास्ता अमृतसर, जम्मू की तरफ जाता हैं ।
अम्बाला सिटी (खरर मोड़ से) ─95KM→ नालागढ़ ─72KM→ विलासपुर ─66KM→ मंडी ─60KM→ कुल्लू ─40KM→ मनाली:(कुल दूरी→333KM)
हम लोगो ने मनाली जाने के लिए बायीं ओर का रास्ता चुना और अम्बाला शहर के फ्लाईओवर को पार किया और अमृतसर जाने वाली राजमार्ग (NH-1*) पर चलते रहे । कुछ किलोमीटर चलने और एक नदी के ऊपर बने पुल पार करने के बाद एक “टोल प्लाज़ा” से ठीक पहले इस हाइवे को छोड़कर दाहिने मोड़ पर मुड़कर “खरर-बनूर” नाम के हाइवे (SH-4) पर आ गए । इस हाइवे पर चलते हुए रात के समय इक्का दुक्का ही वाहन नज़र आ रहे थे । इस सुनसान हाइवे पर रात के 12 बजे के आस पास एक ढाबे पर चाय-पानी के लिए कुछ देर रुके और अपना आगे सफर जारी रखा । काफी देर तक हम लोग इस हाइवे पर सीधे चलते रहे, खरर के बाद का रास्ता (NH-205) काफी चौड़ा, अच्छा था । रूपनगर को पार करने के बाद हम लोग एक्सप्रेसवे हाइवे NH-21* पहुँच गए, कुछ देर चलने के बाद एक घनौली नाम के कसबे के पास हाइवे पर बड़ा जाम लगा हुआ था, बहुत सारी गाड़ीया जहाँ कि तहां खड़ी हुयी थी । जाम का कारण किसी मालूम किया तो पता चला कि आगे एक हादसा हो गया हैं, एक ट्रक सड़क पर पलट गया हैं और जाम खुलने में समय लगेगा । हमारा कार चालक पहले भी कई बार मनाली जा चुका था और उसे यहाँ से एक दूसरा पता था । उसने कार को करीब एक किलोमीटर तक उसी हाइवे पर वापिस लिया और नालागढ़ की ओर जाने वाले नालागढ़ रोड SH16 पर डाल दिया । जब हम नालागढ़ के पहुँच रहे तब हमें यहाँ के वातावरण में बहुत सारी फेक्ट्रिया की अधिकता के अजीब सी गंध महसूस हो रही थी । करीब बारह तेरह किलोमीटर चलने के बाद रात के डेढ़ बजे के आसपास नालागढ़ जिला०सोलन,हिमाचल प्रदेश में पहुँच गए ।
हम लोगो ने मनाली जाने के लिए बायीं ओर का रास्ता चुना और अम्बाला शहर के फ्लाईओवर को पार किया और अमृतसर जाने वाली राजमार्ग (NH-1*) पर चलते रहे । कुछ किलोमीटर चलने और एक नदी के ऊपर बने पुल पार करने के बाद एक “टोल प्लाज़ा” से ठीक पहले इस हाइवे को छोड़कर दाहिने मोड़ पर मुड़कर “खरर-बनूर” नाम के हाइवे (SH-4) पर आ गए । इस हाइवे पर चलते हुए रात के समय इक्का दुक्का ही वाहन नज़र आ रहे थे । इस सुनसान हाइवे पर रात के 12 बजे के आस पास एक ढाबे पर चाय-पानी के लिए कुछ देर रुके और अपना आगे सफर जारी रखा । काफी देर तक हम लोग इस हाइवे पर सीधे चलते रहे, खरर के बाद का रास्ता (NH-205) काफी चौड़ा, अच्छा था । रूपनगर को पार करने के बाद हम लोग एक्सप्रेसवे हाइवे NH-21* पहुँच गए, कुछ देर चलने के बाद एक घनौली नाम के कसबे के पास हाइवे पर बड़ा जाम लगा हुआ था, बहुत सारी गाड़ीया जहाँ कि तहां खड़ी हुयी थी । जाम का कारण किसी मालूम किया तो पता चला कि आगे एक हादसा हो गया हैं, एक ट्रक सड़क पर पलट गया हैं और जाम खुलने में समय लगेगा । हमारा कार चालक पहले भी कई बार मनाली जा चुका था और उसे यहाँ से एक दूसरा पता था । उसने कार को करीब एक किलोमीटर तक उसी हाइवे पर वापिस लिया और नालागढ़ की ओर जाने वाले नालागढ़ रोड SH16 पर डाल दिया । जब हम नालागढ़ के पहुँच रहे तब हमें यहाँ के वातावरण में बहुत सारी फेक्ट्रिया की अधिकता के अजीब सी गंध महसूस हो रही थी । करीब बारह तेरह किलोमीटर चलने के बाद रात के डेढ़ बजे के आसपास नालागढ़ जिला०सोलन,हिमाचल प्रदेश में पहुँच गए ।
Road Map view Ambala City to Manali via Nalagarh →Distence 333Km |
नालागढ़ के एक चौराहे पर हम लोग आगे का रास्ता जानने के लिए रुके और एक पुलिस वाले से पूछा तो पहले उसने कार चालक के ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी के कागज चेक किये । कागज चेक करने के बाद उसने कुछ पूछाताछी की और उसके बाद उसने NH-21A के रास्ते विलासपुर(हिमाचलप्रदेश) का रास्ता हमें बता दिया था । अपने मोबाईल के GPS में चेक करने पर भी यही रास्ता दर्शा रहा था और आगे जाकर यह रास्ता हाइवे NH-21* में स्वारघाट पर जाकर मिल रहा था । हम लोगो ने इसी रास्ते से अपने सफ़र को जारी रखा । एक नदी पर बने पुल का टोल चुकाने के और कुछ किलोमीटर चलने के बाद पहाड़ी रास्ता शुरू हो गाया था । इसी पहाड़ी रास्ते पर कुछ दूर चलने के बाद आगे विलासपुर को जाती हुई एक सरकारी बस हमें दिख गयी । हमारे कार चालक ने अंजान अँधेरे रास्ते में कही भटक न जाये इस डर से उस बस का पीछा करते हुए अपनी गाड़ी चलाता रहा । आगे जाकर पहाड़ी रास्ता बिल्कुल सुनसान और कुछ ज्यादा ही घुमावदार और तीखे मोड़ो वाला हो गया था । हमारा कार चालक बड़ी ही सावधानी से रात के अँधेरे में उस बस के पीछे करते हुए अपनी कार चला रहा था, पर बस वाला तो उस टेड़े-मेड़े रास्ते पर भी बड़ी तेजी से गाड़ी चला रहा था और पता ही चला कि कब वो हमारी नजरों ओझल होक्रर गायब हो गया था । अब हम लोग अकेले ही उस रास्ते पर चल रहे थे, कोई वाहन या आदमी उस रास्ते पर नजर नहीं आ रहा था जैसे तैसे स्वारघाट के पास जाकर यह रास्ता खत्म हो गया और हाइवे NH-21* में जाकर मिल गया । यहाँ पर हमारे कार चालक ने एक गलती कर दी वो यह कि हाइवे पर तीखा दाहिने रास्ते की ओर मुड़ने की वजाय वो बाएँ तरफ मुड़ गया ओर करीब एक किलोमीटर तक हम लोग विपरीत दिशा में चलते रहे । जब हमें कुछ गड़बड़ लगी तो छोटे भाई ने मोबाइल के जी.पी.एस.(GPS) पर चेक किया तो पता चला कि हम लोग गलत दिशा कि ओर जा रहे हैं तुरंत गाड़ी वापिस ली और सही दिशा में चल पड़े ।
कार चलाते समय लगभग रात तीन बजे के आसपास कार चालक ने नींद आने की वजह स्वारघाट पहाड़ियों में स्थित एक ढाबे पर चाय-पानी के लिए विश्राम लिया, कार चालक तो वहाँ पड़ी एक बेंच पर ही सो गया था । पन्द्रह-बीस मिनिट बाद वह उठा, हाथ-मुह धोए और चाय पीकर चलने के लिए तैयार हो गया । अब कार चालक अपने आपको तारो ताजा महसूस कर रहा था और हम लोग कार में बैठे और वह चल दिया । विलासपुर से आगे सुंदरनगर का इलाका अन्य पहाड़ी नगर के मुकाबले समतल था और हाइवे भी काफी शानदार, अच्छी हालत में था । कुछ समतल रास्ता होने के कारण हमारी गाड़ी भी इस रास्ते पर तेजी से दौड़ रही थी, हाँ ! एक बात और, पूरे रास्ते भर हमारे कार चालक ने कार को 40 से 60 के मध्य सामान गति चलाता रहा था और कही भी उसने जल्दी पहुंचने की चक्कर में हड़बड़ी नहीं की थी । 23 जून की सुबह साढ़े पांच बजे हम लोग विलासपुर, सुन्दर नगर होते हुए मंडी जिले से आगे पहुँच गए थे । रात का अंधकार अब मिटने लगा था और सुबह की हल्की रौशनी में पहाड़ और रास्ते के साथ चल रही व्यास नदी भी दिखने लगी थी । मन को लुभाने वाली ठंडी हवा चल रही थी और मौसम पहले की अपेक्षाकृत काफी ठंडा हो गया था, ऐसा लग रहा था कि जैसे सर्दी का मौसम आ गया हो । ऐसे में मुझे पहाड़ों के बारे में एक हिंदी फ़िल्म का लता मंगेशकर जी का गाया एक गीत याद आ गया वो कुछ ऐसे था : “हुस्न पहाड़ों का ओ साहिबा हुस्न पहाड़ों का, क्या कहना कि बारहों महीने यहाँ मौसम जाड़ों का ।”
First Road Side Mountain View in the morning on the midway of Mandi Kullu Road....सुबह का ये मस्त शमा....... |
अब हम मंडी से आगे के रास्ते पर थे और कुछ देर चलने बाद रास्ते में व्यास नदी पर बना खूबसूरत पंडोह डेम भी नजर आया, डेम में उस समय काफी पानी था और यह एक खूबसूरत नजारा था । पंडोह डेम से कुछ किमी० आगे चलने पर मंडी से कुल्लू को जोड़ने वाली एक लंबी सुरंग ( Head Start Tunnel) पड़ी, जो कि एक बड़े से पहाड़ को काटकर बनायीं गयी थी । इस लंबी सुरंग के अंदर से अंधरे में गुजरते हुए एक अलग ही रोमांच आ रहा था । सुरंग के पार होते ही व्यास नदी फिर से दिखने लगी और थोड़ा आगे चलने पर व्यास नदी के किनारे बसे एक छोटी से ओट नाम की जगह पड़ी ।
ओट नाम की जगह से आगे चलने पर आठ बजे के आसपास हम लोग भुंतर पहुँच गए । भुंतर की दूरी कुल्लू शहर लगभग दस किमी० हैं और यह कुल्लू जिला के अंतर्गत ही आता हैं । भुंतर में एक राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी हैं और यहाँ के लिए दिल्ली से नियमित उड़ाने उपलब्ध हैं । हवाई जहाज के माध्यम से कुल्लू-मनाली आने वाले लोग यहाँ उतरते हैं, और अपना आगे का रास्ता टैक्सी व अन्य साधनों से तय करते है ।
Entering in the Kullu City at Morning....रास्ते में विश्राम भी जरुरी हैं । |
भुंतर से आगे चलने पर व्यास नदी के किनारे बसा सुन्दर कुल्लू शहर अब नज़र आने लगा था । हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में बसा यह कुल्लू शहर बहुत ही खूबसूरत और प्रसिद्ध पर्यटक शहर हैं । यहाँ की घाटियाँ, व्यास नदी और पार्वती नदी का संगम, ऊँचे पहाड़, हरियाली, नदी किनारे और पहाड़ों पर बने सुन्दर मकान आदि कुछ बरबस ही हमारा ध्यान अपने और खींच लेते हैं । वैसे किसी भी पहाड़ी नगर का अपना अलग ही नज़ारा और उसकी अपनी खूबसूरती ही होती हैं । हम लोग भी कुल्लू शहर को देखते हुए अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे थे क्योंकि हमें कुल्लू में नहीं रुकना था, हमारी मंजील थी यहाँ से चालीस किमी० दूर बसे मनाली की ।
कुल्लू से आगें का रास्ता व्यास नदी के किनारे-किनारे अधिकतर ही समतल था, थोड़े बहुत पहाड़ी उतार-चढ़ाव को छोड़कर । कुल्लू से मनाली के पूरे रास्ते में हमने व्यास नदी में वाटर राफ्टिंग और उनसे सम्बंधित कई दुकाने देखी जो यहाँ पर इस नदी में राफ्टिंग कराते हैं । व्यास नदी के साथ चलते हुए हमें नदी के उस पार हमें दूसरा एक रास्ता नजर आ रहा था जो हमारे साथ-साथ ही चल रहा था, अपने कार चालक से पूछा तो उसने बताया यह मनाली जाने का दूसरा रास्ता हैं, जो भुंतर पर व्यास नदी पर बने पुल को पार करने के बाद जहाँ से मणिकरण के रास्ता जाता हैं, वहा से शुरू होता हैं और यह व्यास नदी के उस पार बसे नए मनाली शहर तक जाता हैं । नए और पुराने मनाली शहर वहाँ पर आपस में पुल के द्वारा आपस में जुड़े हुए हैं । मनाली की खूबसूरत वादियों का आनन्द लेते हुए सुबह के लगभग नौ बजे के आसपास हम लोगो का यह लंबा सफ़र समाप्त हो गया था और हम लोग अपनी मंजिल मनाली शहर पहुँच गए थे ।
अब हमारा आज का यह “Agra to Manali Via Noida/Delhi by Car (एक सुहाना सफ़र मनाली का)” लेख यही समाप्त होता हैं और अगले लेख में आपको मनाली और उसके आसपास के घूमने लायक स्थलों के बारे में वर्णन करूँगा । आगरा से मनाली तक का यह सफ़र आप लोगो को कैसा लगा, आप अपनी प्रतिकिया जरुर दे । अगले लेख तक के लिए धन्यवाद !
* नोट:उपरोक्त लेख में पुराने राष्ट्रीय राजमार्गो के नाम से ही उल्लेख किया हैं अब भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग राजपत्र मार्च 2010 के अनुसार देश के राजमार्गो के नाम दिशाओ के आधार पर बदल दिए गए ।
आगरा से दिल्ली तक का NH-2 अब सम्मलित रूप से NH-44 और NH-19 हो गया हैं । NH-1 अब NH-44 हो गया हैं । NH-21A अब NH-105 और NH-21 अब पंजाब के रूपनगर (रोपड़) से नौनी तक NH-205, नौनी से मंडी तक NH-154 और मंडी से मनाली तक NH-3 हैं ।
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1. Agra to Manali Via Noida/Delhi by Car (एक सुहाना सफ़र मनाली का....1)
2. मनाली→हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्वतीय नगर (एक सुहाना सफ़र मनाली का....2)
3. रोहतांग पास → बर्फीली घाटी की रोमांचक यात्रा (एक सुहाना सफ़र मनाली का....3)
6. मनिकरण → पवित्र स्थल का भ्रमण (एक सुहाना सफ़र मनाली का….6) 2. मनाली→हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्वतीय नगर (एक सुहाना सफ़र मनाली का....2)
3. रोहतांग पास → बर्फीली घाटी की रोमांचक यात्रा (एक सुहाना सफ़र मनाली का....3)
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रितेश भाई क्या आपका मनाली से पहले भी टोल टैक्स लगा था, क्योंकि लेह जाते समय हमारी बाइक से भी टोल टैक्स लिया गया था।
ReplyDeleteसंदीप भाई ... अब इतना तो याद नहीं आ रहा हैं पर हमने शायद ही कोई टोल टैक्स दिया हो | आप मनाली कौन से रास्ते से गए थे | कही भुंतर से पुल करके नए मनाली रास्ते से तो नहीं गए...यहाँ पर तो एक टोल पलाज़ा हैं जहाँ पर सभी प्रकार की आने जाने वाली गाड़ियों पर टेक्स लगता हैं .....|
Deleteआनंददायक वर्णन।
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी |
Deleteमज़ा आ रितेश भाई शानदार पोस्ट के लिए धन्यवाद. काफी विस्तार से लिखा गया है जिससे जानकारी में वृद्धि हुई. सुन्दर फोटो... अगले भाग का इंतज़ार रहेगा...
ReplyDeleteधन्यवाद चंद्रेश जी.....
Deleteदो-तीन दिनों तक नेट से बाहर रहा! एक मित्र के घर जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन मंगलवार को फिर देहरादून जाना है। इसलिए अभी सभी के यहाँ जाकर कमेंट करना सम्भव नहीं होगा। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
आपका बहुत धन्यवाद जी !
Deleteउम्दा चित्रमय श्रृंखलाबद्ध वर्णन...आनन्द आ गया, आगे भी जारी रहें.
ReplyDeleteलेख पढ़ने और प्रशंसा करने के लिए आपका बहुत आभार ......|
Deleteबहुत रोचक यात्रा वृतांत, सुन्दर फोटो सहित....
ReplyDeleteलेख पढ़ने और प्रशंसा करने के लिए आपका धन्यवाद शर्मा जी !
Deleteबढती गर्मी में बहुत सुन्दर द्रश्य के साथ सुन्दर प्रस्तुति पढना गर्मी से बहुत राहत दिला रही है.. काश .. जाना होता इतनी सुन्दर मनमोहक जगह पर .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति हेतु धन्यवाद..
लेख पढ़ने और प्रशंसा करने के लिए आपका धन्यवाद कविता जी ......
DeleteRitesh Bahi,
ReplyDeleteAnnaand aa gaya . ek dam sajeev vritant....waiting for the next one.
अलोक जी .....
Deleteलेख की प्रशंशा करने के लिए आपका धन्यवाद | अगला लेख जल्दी ही प्रस्तुत होगा |
चलिए रितेश आप भी हमारी टोली( नीरज, संदीप और मैं ) में शामिल हो गए ...आपका स्वागत हैं ...कुलु -मनाली- रोहतांग और मणिकर्ण मैं ९५ में गई थी ..काफी यादें ताज़ा हैं ....उन यादों को दुबारा ताज़ा करने के लिए धन्यवाद ...
ReplyDeleteआपके लिखने का अंदाज कुछ हटकर हैं इसलिए और पसद आया ..कुछ तस्वीरे बीच -बीच में और लगाओ तो पढने का मज़ा दुगना हो जाता हैं और सामने वाला बोर भी नहीं होता ...आशा हैं मेरी जानकारी पसंद आएगी ...
और यह वेरीफिकेशन हटा दे ..क्योकि इससे परेशानी होती हैं और टाइम भी खराब होता हैं ..लोग आपका ब्लॉग तो पढेगे पर टिप्पड़ी देने में आना कानी करेगे ..आशा हैं आपको कोई परेशानी नहीं होगी ..शुक्रियां !
नमस्कार दर्शी जी......
Deleteआप ने हमें अपनी टोली में शामिल किया उसके लिए आपका बहुत धन्यवाद | आपका भी हमारे ब्लॉग पर हमेशा स्वागत हैं | आपने मेरे इस लेख पसंद किया और उसे पसंद किया उसके लिए आपका ह्रदय से बहुत धन्यवाद | भविष्य में आपकी सलाह को हमेशा याद रखुगा और उस पर अमल भी करूँगा |
हमारे पास इस लेख के हिसाब से लगाने लायक इतने फोटो नहीं थे, मेरे फोटो लगाने का अंदाज कुछ अलग हैं मैं फोटो लेख के गति और उसमे जानकारी के आधार पर लगता हू | हां ! पर आपको अगले लेख में ढेर सारे फोटो नज़र आयेगें |
रितेश भाई आपने बहुत ही खुबसूरत यात्रा वर्णन
ReplyDeleteकिया है ,और साथ में जानकारी भी बढ़िया
दी है |
धन्यवाद सुरेश कुमार जी.....
DeleteNice Ritesh Bhai, first time I visited to your blog and your writing skills are very much different and interesting, waiting for your next post.
ReplyDeleteThank you Dharmendra ji for linking my Post and Welcome to you on my Blog.
DeleteMy next post will publish soon........
Dear Ritesh Your blog is very interesting and it seems that you had enjoyed a lot in kullu manali tour. Manali is such an interesting place even i also had been there through http://www.manalihotels.net
ReplyDeleteThanks dear Ravi...!
DeleteYour Most Welcome on my Blog. Yes! We had enjoyed very much. Read my next post about Manali.
ऐसा लग रहा था की बगल वाली सीट पर हम भी बैठे हैं ....मजा आ गया , सूचनाओं के साथ घूमने का भी मजा !!
ReplyDeleteधन्यवाद विधान जी......|
Deleteकल 25/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत बढ़िया लिखा है |
ReplyDelete-आकाश
धन्यवाद आकाश !
Deletevery detailed and interesting information..
ReplyDeletethanks
धन्यवाद पलाश जी......आते रहिये मेरे लेख
DeleteBest Information Thanks for sharing
ReplyDeleteDelhi Agra Jaipur Tour Package
बेहद रोमांचक और ज्ञानवर्धक जानकारी।
ReplyDeleteBahut accha post hai aapka June 2017 ko mai bhi ja raha Hu
ReplyDeleteरितेश जी आगरा से ही टैक्सी द्वारा जाया जाय तो कैसा रहेगा? और कुछ जानकारी वहाँ ठहरने/होटल के विषय में भी बताने का कष्ट करें।
ReplyDeleteसॉरी कॉमेंट में अपना नाम लिखना भूल गया था।...राजा ताजगंज आगरा।
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए धन्यवाद जी आपका... जानकार अच्छा लगा की आप आगरा है क्योकि मैं भी आगरा से ही हूँ.... मेरी इमेल आई डी पर आपना व्हाट्स अप नंबर दीजिये...आपसे से वही सम्पर्क करता हूँ
Deleteरीतेश .... riteshagraup@gmail.com
Namskaar ritesh ji
ReplyDeletePlese ye batyey ki manali me kitne din rahkar ghooma ja sakta h
मनाली लोकल और रोहतांग तीन दिन और एक दिन मनिकरण के लिए भी रखिये ।
Deleteशुभकामनाये यात्रा के लिये
“हुस्न पहाड़ों का ओ साहिबा हुस्न पहाड़ों का, क्या कहना कि बारहों महीने यहाँ मौसम जाड़ों का ।” wah maza aa gaya padhkar, ek bhag padh liya dusra bhag aaj hi kisi samay padhege, aur kal sham tak pura padh lege
ReplyDeleteधन्यवाद अभय जी .....
Deleteइतनी डिटेल में जानकारी पढ़कर तो अब मनाली के लिए किसी को कोई सवाल नही बचेगा.... incredible इन्फॉर्मेशन.... ग़ज़ब जानकारी
ReplyDeleteTaj Mahal is the very beautiful place to visit in India And also it is the wonder of world as it all we know just because it marvelous structure. same day Agra tour by train take you all the famous places of Agra City.
ReplyDeletesame day taj mahal tour
Amazing photos. I really agree with the message on the photo that started the article! Thank you so much for sharing a great post and experiences.
ReplyDeletesame day Agra tour by car
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ReplyDeleteTaxi Services in India .
Great post very helpfull information thanks for sharing such a nice information
ReplyDeleteGreat.
ReplyDeleteAll that matters in a Manali couple tour is how you make emany moment beautiful. Instead of spending a lot of money on expensive tours, you can go to any beautiful and loving destination that suits your budget, and create unforgettable moments.
ReplyDeleteGreat article
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ReplyDeleteआपके लेख की सराहना करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आप वाकई कमाल कर दिया हैं! मेरा यह लेख भी पढ़ें मथुरा में घूमने की जगह
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