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Thursday, May 18, 2023

नैनीताल - जानकारी लेख (Nainital - Information guide about hill station)

नैनीताल जाना है तो सुन लो मेरी बात, ये जानकारी रख लो अपने साथ । बाद में न कहना कि बताया नही 😊

झीलों की नगरी - तालों में ताल है नैनिताल ..🍁

गर्मी आने को है और अधिकतर लोग छुट्टियों में पहाड़ों पर जाने को है आतुर .. चलिये मैं बताता हूँ एक प्रसिद्ब हिलस्टेशन नैनीताल के बारे में .... यू तो मैं कई बार नैनीताल गया हूँ एक अजीब सा रिश्ता नजर आता  नैनीताल से। उत्तराखंड के दो भाग गढ़वाल और हराभरा खूबसूरत कुमायूं .. और नैनिताल कुमायूं की शान है .... चलते है नैनीताल की ओर ...

1. दिल्ली से रात की कोई भी ट्रेन या रानीखेत एक्सप्रेस पकड़ लीजिये या आनन्द विहार से बस में टिकिट बुक करके निकल जाये । सुबह की पहली फुर्सत में ट्रेन से काठगोदाम उतरिये ..., नैनीताल ले जाने के लिए टैक्सी वाले आप लोगो को खुद पकड़ लेंगे ... शेयरिंग या फुल टैक्सी करके 35 किमी के खूबसूरत सड़कमार्ग होते हुए पहुँच जाइये । यहाँ पर बस स्टैंड पर तल्लीताल पर उतार दिए जाओगे । खूबसूरत नैनी झील  बांहे फैलाकर आपका स्वागत करेगी । 

2. झील की तरफ मुँह करके निहारिये और सीधा हाथ सामने कीजिये और और दाएं तरफ घुमाते हुए पीछे तक ले आये ...झील के किनारे रास्ते पर (मल्लीताल, मॉल रोड, तल्लीताल और जू रोड) ये सब जगह पर आप लोग आलीशान से लेकर बजट होटल बुक (पैसा बचाना है तो खूब मोलभाव जरूर कीजिये) कर सकते है । बजट होटल आपको जू रोड मिल जाएंगे जहां ऊंचाई से झील का खूबसूरत नजारा भी देखने को मिलेगा । होटल ऑनलाइन भी बुक कर सकते है । 

●होटल पाकर निकल जाइये स्थानीय नैनीताल की सैर पर 

1. इको केव पार्क
2. लवर्स पॉइन्ट
3. डोरथी शीट (टिफिन टॉप)
4. बारा पत्थर
5. खुरपा ताल व्यू पॉइंट
6. साडियाताल
7. साडियाताल जल प्रपात
8. खुरापाताल
9. नैनीझील व्यू पोइन्ट, किलबरी
10. हिमालय दर्शन व्यू पोइन्ट
11. स्नो व्यू (केवल कार के द्वारा) 
12. नैनीताल चिड़ियाघर
13. राजभवन गवर्नर हाउस
14. हनुमानगढ़ी
15. वेधशाला
16. नैना पीक व्यू पोइंट ( वाया जंगल ट्रेक )
17. नैनादेवी मन्दिर
18. तिब्बती बाजार
19. ठंडी सड़क
20. मॉल रोड 
21. नैनी झील 
22. नैनीझील में बोटिंग

◆जितना एक दिन में कर सके कर लीजिये  बाकी छोड़ दीजिये जब समय बचे तब कर लीजिये ।

3.अगले दिन निकल लीजिये लेक टूर पर

1. भीमताल
2. नौकुचिया ताल
3. हनुमानगढ़  मंदिर
4. सात ताल (१)पन्ना या गरुण ताल (२) नल-दमयंती ताल (३) पूर्ण ताल (४) सीताताल (५) रामताल (६) लक्ष्मणताल (७) सूखा ताल ।
5. नल दमयंती ताल
6. भोवाली
7. कैंची धाम (बाबा नीव करौरी मन्दिर)

4. अगले दिन बचे लोकल नैनीताल को कीजिये या फिर निकल जाइये किलबरी रोड होते हुए 12किमी दूर खूबसूरत "पंगोट" को । जंगल मे घूमिये, जंगल की खामोशी को समझिये, पहाड़ो का नजारा लीजिये, ठंडी हवाओं का आनन्द लीजिये, पक्षियों की चहचहाट सुनिए ।

नैनीताल एक बड़ी जगह है तो रुकने और खाने के ऑप्शन बहुत मिल जाते है, भरे सीजन में होटल मिलना मुश्किल होता है तो पहले से बुक करके जाए । खाने के लिये आप नैनिदेवी मंदिर के पास,माल रोड पर ढेर सारे हर तरह के ऑप्शन मिल जाते है ।
 
नैनीताल में डिजायनर मोमबत्ती का उधोग व्यापक रूप से होता है . तरह तरह डिजाइन, आकृति, मूर्ति रूप की मोमबत्ती और लकड़ी की सामान व  कलाकृति खरीद सकते ।

काफी कुछ नैनीताल के बारे में बता दिया, आशा है अधिकतर जानकारी आप लोगो को मिल गयी होगी ।

घूमक्कड़ी दिल ♥️ से 
धन्यवाद दिल से ।

#Safarhaisuhana #nainital #nainilake #nainitalinfo #bhimtal #nainilake #khurpatal #uttrakhand #kumayun #naukichiyatal #gds #nainitalguide 

1. नैनी झील मल्लिताल की तरफ से
2. स्नोव्यू केविल कार
3. खुरपा ताल 
4. भीमताल
5. नौकुचिया ताल

चित्र तो बहुत है पर 5 ही लगा सकते है ।

नोट : ये जो पोस्ट है वो केवल नैनीताल के बारे में है । अभी मुक्तेश्वर, रानीखेत, शीतलाखेत, कौसानी, अल्मोड़ा, जागेश्वर धाम, बैजनाथ, बागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर, बिनसर, ताड़केश्वर महादेव, लैंस डाउन, कॉर्बेट नेशनल पार्क ये सब जगह बाकी है ।

राधे राधे🙏🍁





Tuesday, April 23, 2019

सफ़र देहरादून का (गढ़वाल संस्मरण)→ Traveling to Dehradun (Garwal Glory) ..1

 Written by → Ritesh Gupta
 
हमारे देश भारत का एक बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी राज्य है देवभूमि उत्तराखंड । देवभूमि इसलिये कहते है क्योकि इस राज्य के कण-कण में देवताओं का वास है । इस राज्य में प्रसिद्ध चार धाम तीर्थ स्थल है तो पवित्र गंगा और यमुना नदी का उद्गम भी यही से होता है । इस राज्य में देश के प्रमुख धार्मिक स्थल है और साथ ही साथ विश्व विख्यात पर्यटक स्थल भी है ।  इस खूबसूरत राज्य को मंडल के आधार पर दो भागो में विभक्त किया गया हैं, पहला गढ़वाल और दूसरा कुमाऊँ । गढ़वाल मंडल में सात और कुमाऊँ मंडल में छह  जिले आते हैं । उत्तराखंड के दूसरे भाग "कुमाऊँ" की काफी स्थलों की यात्रा कर चुका हूँ  और यहाँ की यात्रा के बारे में अपने ब्लॉग पर सचित्र वर्णन भी कर चुका हूँ । अब बात आती है गढ़वाल भाग की और इस बार हमने अपना यात्रा कार्यक्रम भी सपरिवार गढ़वाल की काफी जगहों को घूमने के लिए बनाया । आगे ये श्रंखला मेरी गढ़वाल यात्रा से ही प्रेरित है और आप लोगो अपनी इस यात्रा के बारे में काफी कुछ जानने को मिलेगा । चलिये आज आप लोगो को ले चलते देहरादून की यात्रा पर -

गुड़गाँव में दिल्ली के रास्ते एयरपोर्ट के पास सूर्योदय ( Sunrise on the way near Delhi Airport)

Monday, April 3, 2017

शीतकाल में गंगोत्री धाम की यात्रा (Travel to Gangotri in winter by Anil Dixit)

Guest Post Written by Anil Dixit
गंगोत्री : हमारा एक फेसबुक ग्रुप है, "घुमक्कड़ी दिल से" इसी नाम से व्हाट्सअप पर भी ग्रुप है । इस ग्रुप में हमारे एक बहुत घुमक्कड़ मित्र है श्री अनिल दीक्षित जी । अनिल जी करावल नगर, दिल्ली के रहने वाले है और इन्हें पहाड़ो पर घूमना और ट्रेकिंग करना बहुत पसंद है । इन्हें जब भी मौका मिलता है तभी ये तूफान की रफ़्तार से घूमने निकल पड़ते है, उत्तराखंड घूमना इन्हें बहुत पसंद है । आज के इस लेख में अनिल जी अपनी लेखनी से हाल ही के दिनों में शीतकाल में भ्रमण की गयी गंगोत्री यात्रा वर्णन कर रहे है । चलिए चलते है गंगोत्री की यात्रा पर अनिल जी की जुबानी : -
 
गंगोत्री मंदिर ( Gangotri Temple at Winter Time)

Tuesday, December 16, 2014

श्री अहिक्षेत्र अतिशय तीर्थ क्षेत्र दिगम्बर जैन मंदिर, रामनगर गाँव, आमला, बरेली (Parshvnath Jain Temple)

Written by → Ritesh Gupta 
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा नैनीताल शहर के यात्रा के बारे में । अब इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आप लोगो के चलते है, रामनगर गाँव, आमला, बरेली में स्थित श्री अहिक्षेत्र पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ क्षेत्र दिगम्बर जैन मंदिर (श्री अहिच्छत्र ) के यात्रा वृतांत पर ।

नैनीताल से वापिसी के बाद शाम के साढ़े सात बजे के आसपास भीमताल स्थित होटल ताल पैराडाईज पहुँचने  के बाद कमरे में आराम किया । साढ़े आठ बजे के आसपास होटल के रेस्टोरेंट से रात के खाने के बुलावा आ गया । खाना कल की तरह बुफे तरीके से होटल के पूर्व नियोजित मेन्यू के हिसाब से रेस्तरा में लगाया गया था, खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चल दिए । अगले दिन सुबह नींद जल्दी ही खुल गयी, कमरे की बालकनी से भीमताल और उसके पीछे के पहाड़ी से सूर्योदय का शानदार नजारा सम्मोहित कर रहा था, और प्रात काल के वेला में झील का नजारा बड़ा ही सुन्दर लग रहा था ।  सामने के पहाड़ों के मध्य से आती मंत्रो की ध्वनि मन को पुलकित कर रही थी, शायद यह आवाज यहाँ पर बसे ओशो के आश्रम से आ रही थी । खैर आज हमारी यहाँ से वापिसी थी, सो अपनी दैनिक कार्य-कलापों से निपट कर होटल के रेस्तरा से नाश्ता करके वापिस जाने के लिए तैयार हो गए ।

श्री अहिक्षेत्र पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ क्षेत्र दिगम्बर जैन मंदिर, रामनगर गाँव, आमला, बरेली (Parshvnath Jain Temple, Amla)

Wednesday, October 22, 2014

नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)


Written by → Ritesh Gupta 
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा नौकुचियाताल के बारे में । अब इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए चलते है आगे के यात्रा वृतांत पर ।

ऊँचाई पर स्थित होने के कारण भीमताल का तापमान मैदानी इलाको की तुलना काफी ठंडा था, जिस कारण से रात को काफी सुकुन भरी नींद आई । सुबह उठ कर जल्दी से अपनी दिनचर्या से निर्वत होकर, हम लोग होटल की तीसरी मंजिल पर स्थित रेस्तरा में सुबह के नाश्ते के पहुँच गए । आज के नाश्ते में पोहे, सेंडविच, पकोड़े, चाय, काँफी और जूस था । जल्दी से नाश्ता-पानी करके अपनी कार से आज की नैनीताल यात्रा का शुभारंभ कर दिया ।

Beautiful Naini Lake from Mallital Side, Nainital (नैनीताल के मल्लीताल के तरफ वाले किनारे नैनीझील का द्रश्य )

Wednesday, September 3, 2014

नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )

Written by → Ritesh Gupta 
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा भीमताल के बारे में । अब इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए चलते है आगे के यात्रा वृतांत पर ।

हालांकि बारिश के कारण मौसम सुहाना हो गया था, पर बादलों के लुका-छिपी के बीच तेज और ठंडी हवाओं का चलना लगातार जारी था । भीमताल के रेस्तरा (जहाँ हमने खाना खाया था ) वाली पार्किंग के सामने से ही नौकुचियाताल के लिए रास्ता जा रहा था । कार में सवार हो हम लोग उसी रास्ते से नौकुचियाताल के लिए प्रस्थान कर गए । 

Naukuchiatal, Distt. Nainital ( कुमाऊं की खूबसूरत झील नौकुचियाताल )

Friday, August 15, 2014

प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)

Written by → Ritesh Gupta 
नमस्कार मित्रों ! पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि हम लोग कार से एक लंबी दूरी (करीब 388किमी०) आगरा से तय करके भीमताल पहुँच गए थे । अब इस श्रृंखला को विस्तार देते हुए अब चलते है आगे के यात्रा वृतांत पर ।

पहाड़ों  के बीच चलते हुए अचानक एक बड़ी झील दाई तरफ नजर आनी लगी थी, यह झील भीमताल ही थी । अब सबसे पहले हमारा काम था, उस होटल को ढूढना जो झील के इसी तरफ पहाड़ की कुछ मीटर ऊँचाई पर स्थित था । झील के इसी तरफ सड़क किनारे चलते से लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद झील के दूसरे कौने पर पहुँच गए वहाँ पर सरकारी सेवा में खड़े एक सिपाही से होटल का अता-पता लेकर वापिस उसी रास्ते पर आ गए । थोड़ी देर चलने के बाद पहाड़ के ऊंचाई पर जाता हुआ एक रास्ता नजर आ गया, उसी रास्ते पर होते हुए हम लोग "होटल ताल पैराडाईज" पहुँच गए । यह होटल पहाड़ की थोड़ी ऊँचाई पर था सो यहाँ से भीमताल का और उसके पीछे पहाड़ का सद्रश्य बड़ा ही मनभावन था ।

सूर्यदेव की रौशनी से प्रष्ठभूमि नहाये पहाड़ के सद्रश्य भीमताल झील (Beautiful Bhimtal Lake, Nainital)

Saturday, July 12, 2014

आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )

Written by → Ritesh Gupta 
नैनीताल का सफ़र मैं पहले भी कर चुका हूँ और इसके बारे सम्पूर्ण यात्रा वृतांत "सफ़र कुमाऊँ का" नाम की श्रृंखला के माध्यम से इसी ब्लॉग पर लिख चुका हूँ । विगत दिनों सौभाग्य से मुझे, फिर से अपने ऑफिस के मित्रों के नैनीताल क्षेत्र की यात्रा मौका मिला । इस पोस्ट के यात्रा वृतांत के माध्यम से आप भी चलिए मेरे साथ इस यात्रा पर, पर संभल कर कही खो न जाना इस सफ़र पर ।
Amazing Bhimtal Lake with its Island (खूबसूरत भीमताल अपने एक छोटे से टापू के साथ )

Thursday, May 9, 2013

नैनीताल (Nainital→ खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)

Written By→ Ritesh Gupta 
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13) में मैंने कुमाऊँ के जागेश्वर धाम की यात्रा का वर्णन आप सबके सम्मुख प्रस्तुत किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला इस अंतिम कड़ी में प्रस्तुत है, नैनीताल की खूबसूरत झील की चारों तरफ का पैदल यात्रा वृतांत और मेरी इस सम्पूर्ण कुमाऊं यात्रा श्रृंखला का सारांश।  


जागेश्वर की एक दुकान से एक लीटर पेट्रोल कार में डालकर हम लोग अपने वापिसी के सफ़र पर चल दिए । करीब तीस किलोमीटर पहाड़ी रास्ते का सफ़रतय कर हम लोग दो बजे के आसपास अल्मोड़ा पहुँच गए । वहाँ पर एक पेट्रोल पम्प से टैक्सी कार में पेट्रोल भरवा कर फिर चल दिए । पेट्रोल  पम्प से बाहर निकलते ही देखा का अल्मोड़ा की पहाड़ की खाई की तरफ की सड़क कटने काफी नीचे धंस गयी और कुछ दुकाने भी इसके लपेटे में आ गयी थी , हम लोग सड़क के सुरक्षित हिस्से होते हुए अपने आगे की यात्रा पर निकल गए । सुबह हम लोग केवल नाश्ता करके ही चले थे, सो काफी देर चलने के बाद हम लोगो को भूख सताने लगी तो रास्ते में पहाड़ी गाँव के पास एक अच्छे से ढाबे को देखकर कार को रुकवा दिया और उस ढाबे में स्वादिष्ट भोजन करने के बाद NH-37 से फिर नैनीताल की तरफ अग्रसर हो लिए । 

रास्ते में हमे कोसी नदी पर पड़ने वाला वही पुल मिला जहाँ से आते में हम लोग रानीखेत के लिए मुड़े थे, इसी तरह रास्ते की सुंदरता का अवलोकन करते हुए, कैंची धाम और भोवाली होते हुए शाम के साढ़े चार बजे के आसपास हम लोग नैनीताल पहुँच गए ।
Tallital Chowk of Nainital (यह नैनीताल का व्यस्तम  तल्लीताल चौराहा )


Friday, April 19, 2013

जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग) Jageshwar → भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12) में मैंने कुमाऊँ के पाताल भुवनेश्वर और वहाँ से जागेश्वर धाम तक की यात्रा का वर्णन किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला अग्रसर करते हुए आज चलते हैं चारों तरफ से देवदार के जगंलो से घिरे प्राचीन श्री जागेश्वर धाम के मंदिर और करते हैं भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो नागेश दारुकावने के नाम से जाने जाते हैं । 

गयारह बजे के आसपास हम लोग जागेश्वर धाम की एक छोटी नदी / नाले के किनारे मुख्य सड़क पर थे । मुख्य सड़क के किनारे कई सारी गाड़ियां खड़ी हुई थी हमारे कार चालक ने मंदिर के सबसे पास एक खाली जगह देखकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया हम लोग भी कार से निकलकर मंदिर के दर्शन करने चल दिए, सड़क से ही स्लेटी रंग के मंदिर के शिखर और उस मंदिर के ठीक पीछे देवदार के घने वृक्षों जंगल नजर आ रहे थे इस समय यहाँ के मौसम में सूरज की रौशनी सीधी पड़ने के कारण कुछ गर्माहट थी, पर साथ ही साथ चल रही ठंडी हवा तम और मन सुकून पहूँचाने के लिए काफी थी   

A View just before Jageshwar Temple (देवदार के वृक्षों के मध्य जागेश्वर के मुख्य मंदिर तक जाता रास्ता)

Monday, April 8, 2013

जागेश्वर धाम (Jageshwar Dham) → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11) में मैंने कुमाऊँ के प्रसिद्ध भगवान शिव की गुफा मंदिर पाताल भुवनेश्वर की यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर से उत्तराखंड के कुमाऊँ में अल्मोड़ा के नजदीक कैलाश-मानसरोवर जाने वाले पुराने मार्ग पर स्थित एक ऐसे स्थल पर जो भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में भी जाना हैं और वह स्थल हैं, प्रसिद्ध नागर शैली में  निर्मित भगवान शिव के अति-प्राचीन स्थल "जागेश्वर धाम " मंदिर 

पाताल भुवनेश्वर की गुफा के दर्शन करने के पश्चात हम लोगो ने काउंटर से अपने मोबाईल और कैमरे वापिस लिए कि तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी । वहाँ पर दर्शन हेतु आये अधिकतर लोग वापिस जा चुके थे पर हम लोग मूसलाधार बारिश के कारण वही फँस गए । बारिश से बचने के लिए हम लोग वही मंदिर के टिनशेड के नीचे बैठ गए । लगभग आधा घंटे से ऊपर हम लोग तेज बारिश के कारण वही बैठे रहे और मंदिर कमेटी के लोगो से वार्तालाप करते रहे । उनमे से एक व्यक्ति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुआ की हम लोग आगरा से आये हुए क्योंकि वह व्यक्ति आगरा में कई साल नौकरी कर चुका था । खैर शाम के पांच बजे के आसपास तेज बारिश आलम धीरे-धीरे थमा और हम लोग वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चल दिये । 

A Panoramic View from KMVN Guest House, Patal Bhuvneshwar
(यह गेस्ट हाउस से दिखने वाला पहाड़ों का दिलकश नजारा, शायद कही खो ना जाऊ इन नाजारो में  )

Wednesday, March 13, 2013

पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvneshwar) → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)

Written By Ritesh Gupta

 "ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनं। 
उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।"

प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल कौसानी और बैजनाथ मंदिर यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं, कुमाऊँ का एक ऐसा स्थान पर जहाँ पर भगवान शिव अपने तैतीस करोड़ देवी-देवताओं के साथ पहाड़ के गर्भ में पाताल के अंदर एक गहरी गुफा में विराजमान हैं,  उस जगह का नाम हैं "पाताल भुवनेश्वर" आईये अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर की अचंभित कर देने वाली पवित्र और रहस्मयी गुफा की यात्रा पर ।

समय लगभग दिन के सवा ग्यारह बजे का होगा बागेश्वर के सर्विस सेंटर में टैक्सी कार को सही कराने के बाद हम लोग गाड़ी की खराब होने वाली समस्या से चिंता मुक्त होने के बाद अपने आगे की यात्रा पर चल दिए । यहाँ से हम लोगो का अगला कदम पाताल भुवनेश्वर जाकर पाताल में स्थित पवित्र गुफा के दर्शन करने का था । बागेश्वर के चौराहे पर आने के बाद थोड़ा आगे जाकर सरयू नदी पर बने पुल को पार करने बाद इसी रास्ते पर चलते रहे । यह सड़क मार्ग काफी अच्छा, सपाट, गड्डे रहित और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर था । रास्ते के दोनो तरफ पाइन के जंगल और उनके बीच से जाता घुमावदार रास्ता और मौसम के ठंडक मन को बड़ा ही सुकुन पंहुचा रही थी

Nice looking... Pine Forest on the way (चीड़ के जंगलो का मनमोहक साम्राज्य )

Friday, February 1, 2013

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath →भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)

Written By→ Ritesh Gupta

अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..9) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “कौसानी का सूर्योदय और प्राचीन बैजनाथ मंदिर” की यात्रा पर ।

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath Temple , भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर

Tuesday, January 22, 2013

कौसानी (Kausani) → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)

Written By→ Ritesh Gupta
अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, उत्तराखंड प्रदेश के अंतर्गत कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “ कौसानी " की यात्रा पर ।

लगभग समय 3:00 बजे के आसपास हम लोग रानीखेत के गोल्फ कोर्स वापिस चल दिए । कुछ किलोमीटर बाद रानीखेत शहर से काफी पहले कार चालाक ने कार को एक दाए तरफ के रास्ते “रानीखेत-द्वारहाट-कौसानी” मार्ग पर ले लिया । इस मोड़ से सोमेश्वर 43किमी० और कौसानी 55किमी० की दूरी पर था । कुछ देर चलने के बाद पहाड़ की चढ़ाई पर चढ़ते समय हमारी टैक्सी कार (मारुती अल्टो) में कुछ खराबी आ गयी । ढलान पर बिल्कुल सही चल रही थी, पर चढ़ाई पर पूरे एक्सीलेटर दबाने के बाद भी मुश्किल से धीरे-धीरे चल रही थी और झटके ले रही थी जैसे उसका करंट आ जा रहा हो । कार चालक ने एक स्थान पर रोककर भी देखा भी पर उसके लिए नए माडल का इंजन होने के कारण उसे कुछ समझ में न आया । आखिर क्या करते, आसपास कोई कार का गैराज भी नहीं था तो मज़बूरीवश हमारा कार चालक उसी अवस्था में गाड़ी को खींचता रहा जिससे कार का एवरेज भी कम हो रहा था । रास्ते में जब भी चढ़ाई आती तभी कार की में परेशानी शुरू जाती थी, बाकी ढलान और समतल रास्ते पर कार बराबर दौड़ रही थी ।

Ranikhet-Dwarhat-Kuasani Road (रानीखेत से कौसानी की दूरी लगभग 55किमी० हैं)

Monday, December 31, 2012

रानीखेत ( Ranikhet ) → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)

Written by Ritesh Gupta

आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल का प्रसिद्ध मंदिर माँ नैनादेवी और कुमाऊँ का ही एक और प्रसिद्ध मंदिर श्री कैंची की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा लगभग नैनीताल और उसके आसपास के स्थलों का भ्रमण हो चुका था । अब चलते हैं नैनीताल शहर से बाहर और अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को भी आगे की तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में कुँमाऊ के प्रसिद्ध पर्वतीय नगर " रानीखेत " की यात्रा पर ले चलता हूँ ।

कैंची धाम बाबा नीव करौरी आश्रम के दर्शन करने के बाद हम लोग टैक्सी में बैठकर उसी सड़क मार्ग NH-87 पर चलते रहे । कुछ देर पहाड़ों में चलने के बाद कोसी नदी और उसकी घाटी दिखाई देना शुरू हो गयी । हम लोग भी कोसी नदी के साथ-साथ के सड़कमार्ग चलते रहे, रास्ते में कोसी नदी कभी सड़क के सामंन्तर और कभी पहाड़ों गहराई में चली जाती थी । बस यूँही कुछ देर पहाड़ और नदी का अवलोकन करते हुए, कुछ किलोमीटर बाद एक स्थान ऐसा आया जहाँ पर कोसी नदी पर सड़क के बायीं तरफ एक पुल बना हुआ था । यह नदी पुल NH-87 का ही एक हिस्सा हैं और रानीखेत जाने का रास्ता भी, बिना मुड़े सीधा रास्ता अल्मोड़ा राज्ज्यीय मार्ग SH-37 हैं, जो कुमाऊँ के एक महत्वपूर्ण नगर अल्मोड़ा को जोड़ता हैं । खैर अपनी योजनानुसार हम लोगो को सर्वप्रथम रानीखेत जाना था, सो सड़क की बायीं तरफ के कोसी नदी के पुल को पार कर हम लोग इसी रास्ते पर चलते रहे ।
Mountain View from NH-87 Toward Ranikhet (दिल को लुभाते यह सुन्दर नज़ारे…)

Monday, December 17, 2012

नैनीताल ( Nainital )→ माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)

प्रिय मित्रों और पाठकगणों को नमस्कार !


आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने भीमताल के पास के हनुमानगढ मंदिर और सातताल की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा नैनीताल के मुख्य स्थल, नैनीताल के आसपास की स्थल और झीलो का भ्रमण हो चुका था, अब हमने अपना विचार कुमाऊँ के अन्य प्रसिद्ध स्थलो को देखना का बनाया । अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में सबसे पहले नैनीताल के मुख्य स्थल शक्तिपीठ माँ नैनीदेवी के मंदिर और उसके बाद आपको कुमाऊँ यात्रा के अन्य स्थलों पर ले चलता हूँ ।

Magnetic Look of Naini Lake from Mall Road Side (मन को प्रफुल्लित करता यह नैनी झील का सलोना रूप )

Friday, November 23, 2012

सातताल ( Sattal) → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)


प्रिय मित्रों और पाठकगणों को नमस्कार !

आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल क्षेत्र की दो प्रमुख झील, भीमताल और नौकुचियाताल की सैर का वर्णन किया था । अब अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में आपको ले चलता हूँ, भीमताल के पास स्थित “हनुमानगढ़ मंदिर” और प्रकृति की गोद में शांत वातावण में स्थित सरोवर नगरी नैनीताल की सबसे सुन्दर झील “सातताल झील”
नौकुचिया झील पर काफी समय व्यतीत हो जाने के बाद समय को महत्व को समझते हुए अब हमारा यहाँ से चलने को समय हो गया था । हमारा टैक्सी चालक भी हमे ढूंढते हुए हमे बुलाने आ पंहुचा था । नौकुचिया झील की स्मृतियों को ह्रदय में कैद कर हम लोग अपनी टैक्सी में बैठ जिस रास्ते से आये तो उसी रास्ते से वापिस चल दिए । लगभग पांच किलीमीटर सफ़र करने के बाद हम लोग भीमताल के उसी स्थान पर पहुँच गए जहाँ से हम भीमताल से चले थे । भीमताल पर रुकने का हमारा कोई मतलब नहीं था, सो हम लोग झील के किनारे-किनारे झील का अवलोकन करते हुए और फिर उसके बाद भीमताल के बायपास वाले रास्ते से न होकर पुराने वाले रास्ते पर चलते रहे । कुछ देर चलने के बाद दूर से ही एक श्री हनुमान जी आदमकद मूर्ति नजर आने लगी । धीरे-धीरे हम लोग उस मूर्ति के पास तक पहुँच गए, यह आदमकद मूर्ति एक मंदिर के प्रांगण स्थापित थी । हमारे कार चालक ने कार को सड़क के किनारे लगा दिया और कहा कि आप लोग जल्दी से दर्शन करके आ जाओ, इस समय छह बज रहे और हम लोगो को अभी सातताल भी जाना हैं ।

हनुमानगढ़  मंदिर (Hanumangarh Temple) के दर्शन :→

A large statue of Sri Hanuman jI at Hanumangarh Temple Near Bhimtal (भीमताल के पास हनुमानगढ़ मंदिर में स्थापित श्री हनुमानजी की मूर्ति)

Saturday, October 20, 2012

नौकुचियाताल (Naukuchiya Taal) → नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)


आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल के पास स्थित कुमाऊं की सबसे बड़ी झील भीमताल  झील का वर्णन किया था ।  अब अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे अग्रसर करते हुए आज की इस लेख में आपको ले चलता हूँ, नैनीताल के पहाड़ियों में प्रकृति के  गोद में बसे  → नौकुचियाताल झील की सैर पर ।

भीमताल झील के अच्छे से दर्शन करने के पश्चात समय के मूल्य को समझते हुए, हम लोग जल्द ही टैक्सी में बैठकर पार्किग के पास से ही बाये वाले रास्ते से होते हुए अपने अगले गंतव्य स्थल नौकुचियाताल की तरफ कूच कर गए ।


Road Map From Bhimtal to NaukuchiaTal → 5KM 
(भीमताल से नौकुचिया ताल का एक सड़क नक्शा )
नौकुचियाताल झील (NaukuchiaTal Lake) की सैर 

पहाड़ों के हरे-भरे सीढ़ीदार खेत और हरियाली से घिरे बलखाती पक्की सड़क मार्ग से होते हुए, हम लोगो को कुछ मिनिटो के सफ़र के बाद शांत वातावरण में चारों से हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे नौकुचियाताल के दर्शन हो ही जाते हैं । भीमताल से नौकुचिया ताल करीब पांच किलोमीटर और नैनीताल से करीब 26 किमी० दूर स्थित हैं । भीमताल से नौकुचियाताल के बीच रास्ते में एक दो गाँव भी पड़ते हैं, जहाँ पर हरे-भरे खेतों के द्रश्य ही नजर आते हैं ।

Monday, October 8, 2012

भीमताल ( Bheemtal )→ सुन्दर टापू वाली कुमायूं की सबसे बड़ी झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4)


आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..3) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल के मुख्य स्थलों की सैर का वर्णन किया था । महान हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित नैनीताल को प्रकृति ने हरी-भरी, नयनाभिराम वादियों के अलावा नैनीताल में और उसके आसपास के कई जगह पर और भी मीठे पानी की सुन्दर झीले प्रदान की हैं, इन्ही झीलों के अधिकता के कारण नैनीताल को “झीलों की नगरी” या “सरोवर नगरी” भी कहा जाता हैं । नैनीताल परिक्षेत्र में पहाड़ों के बीच सुन्दर वादियों में स्थित झीलों का भ्रमण किये बिना नैनीताल की यात्रा लगभग अधूरी ही रहती हैं । अब अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे अग्रसर करते हुए आज की इस लेख में आपको ले चलता हूँ, नैनीताल के आसपास के इलाके में स्थित अदभुत और मन को आत्मविभोर करने वाली प्रकृति की गोद में बसी → झीलों की सैर पर ।

हिमालय दर्शन के बाद हमारा अगला गंतव्य स्थल भीमताल झील था । दोपहर के साढ़े तीन का समय हो रहा था, और इस समय हम लोग तल्लीताल के चौराहे पर पहुँच गए थे । यहाँ से भीमताल जाने के लिए टैक्सी चालक ने कार को बांयी तरफ के भोवाली वाले रास्ते पर ले लिया । यह रास्ता भी काफी साफ़-सुधरा, गड्डे रहित सपाट सड़क,  सड़क के किनारे परिवहन संबंधी चिन्हो का उपयोग और साथ में वादियों के खूबसूरत नजारो से भरा पड़ा था ।

Wednesday, September 19, 2012

नैनीताल ( Nainital ) → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…3)

आप लोगो ने मेरा पिछला लेख   (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..2) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ आपके सम्मुख रखी थी और इको केव पार्क की सैर का वर्णन किया था । अब अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज की इस लेख में आपको ले चलता हूँ, नैनीताल के पहाड़ों में बसे और भी विभिन्न → ” खूबसूरत स्थलों की सैर ” पर ।

इको केव पार्क का अवलोकन करने बाद हम लोग उसी कालाढूंगी वाले मार्ग से होते हुए लवर्स पॉइंट की तरफ चल दिए । नैनीताल का यह लहराता और घुमावदार रास्ता बड़ा ही सुहाना और मन को प्रसन्नचित्त करने वाला था । सड़क किनारे की पहाड़िया घने हरे-भरे पहाड़ी पेड़-पौधे लदे पड़े थे, ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रकृति ने अपना सारा हरा रंग यही उढ़ेल दिया हो और उस हरियाली के बीच बने घर-स्कूल बड़े ही आकर्षक लग रहे थे । जब ठंडी हवा इन पहाड़ी पेड़-पौधे बीच से तेज आवाज के साथ गुजरती तब प्रकृति के एक मधुर संगीत का आभास हो जाता था ।
Amazing view of greenery nature of hills 
(हरियाली युक्त पहाड़ों के बीच बसे इन घरों में कौन नहीं बसना चाहेगा….)
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