Written by Ritesh Gupta
आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल का प्रसिद्ध मंदिर माँ नैनादेवी और कुमाऊँ का ही एक और प्रसिद्ध मंदिर श्री कैंची की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा लगभग नैनीताल और उसके आसपास के स्थलों का भ्रमण हो चुका था । अब चलते हैं नैनीताल शहर से बाहर और अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को भी आगे की तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में कुँमाऊ के प्रसिद्ध पर्वतीय नगर " रानीखेत " की यात्रा पर ले चलता हूँ ।
कैंची धाम बाबा नीव करौरी आश्रम के दर्शन करने के बाद हम लोग टैक्सी में बैठकर उसी सड़क मार्ग NH-87 पर चलते रहे । कुछ देर पहाड़ों में चलने के बाद कोसी नदी और उसकी घाटी दिखाई देना शुरू हो गयी । हम लोग भी कोसी नदी के साथ-साथ के सड़कमार्ग चलते रहे, रास्ते में कोसी नदी कभी सड़क के सामंन्तर और कभी पहाड़ों गहराई में चली जाती थी । बस यूँही कुछ देर पहाड़ और नदी का अवलोकन करते हुए, कुछ किलोमीटर बाद एक स्थान ऐसा आया जहाँ पर कोसी नदी पर सड़क के बायीं तरफ एक पुल बना हुआ था । यह नदी पुल NH-87 का ही एक हिस्सा हैं और रानीखेत जाने का रास्ता भी, बिना मुड़े सीधा रास्ता अल्मोड़ा राज्ज्यीय मार्ग SH-37 हैं, जो कुमाऊँ के एक महत्वपूर्ण नगर अल्मोड़ा को जोड़ता हैं । खैर अपनी योजनानुसार हम लोगो को सर्वप्रथम रानीखेत जाना था, सो सड़क की बायीं तरफ के कोसी नदी के पुल को पार कर हम लोग इसी रास्ते पर चलते रहे ।
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Mountain View from NH-87 Toward Ranikhet (दिल को लुभाते यह सुन्दर नज़ारे…) |
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Pine Tree Forest at road side ( क्या कहना इन हसीन नजारों का …पाइन के वृक्ष )
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हेड़ाखान मंदिर,बाबा हेड़ाखान आश्रम, चिलियानौला, रानीखेत (Hedakhan Temple,Ranikhet,Uttrakhand)
इसी तरह से पहाड़ी सफ़र का आनंद लेते हुए और कुछ समय गुजरने के बाद एक मोड़ रानीखेत शहर की तरफ जाने का आता पर हम लोग इस रास्ते पर न जाकर सीधे चलते रहे । कुछ ही देर में हम लोग हिमालय की वादियों में स्थित चिलियानौला नाम की एक जगह पर पहुँच गए, यहाँ पर प्रसिद्ध संत बाबा हेड़ाखान जी का आश्रम हैं, जोकि हेड़ाखान मंदिर के नाम से जाना जाता हैं । यह मंदिर रानीखेत के अंतर्गत ही आता हैं और रानीखेत के सड़क मार्ग से कुछ हटकर NH-87 मार्ग के पास ही हैं । यह सफ़ेद संगमरमर से निर्मित भव्य मंदिर रानीखेत से करीब चार या पांच किलोमीटर दूर हिमालय की सुरम्य वादियों में एक रमणीक पहाड़ी पर स्थित हैं । इस मंदिर से हिमालय का बड़ा ही शानदार नजारा नजर आता हैं, यदि आकाश साफ़ हो और धुंध न हो तो सैकड़ों किलोमीटर दूर हिमालय की बर्फ से ढकी मुख्य चोटियाँ जैसे पंचचुली, नंदादेवी, चौखम्बा आदि नजर आती हैं । समुन्द्रतल से इस मंदिर की ऊँचाई लगभग 1835 मीटर हैं । इस मंदिर को कुमाऊ के प्रसिद्ध संत बाबा हेड़ाखान ने स्थापित किया था । उन्होंने कई वर्षों तक इस स्थान पर ध्यान और तप किया था और स्थानीय लोगो द्वारा पूजे जाते थे । अब बाबा की मृत्यू के पश्चात इस मंदिर में बाबा के मूर्ति रूप की पूजा की जाती हैं । यहाँ की निवासी और उनके असंख्य भक्त बाबा को भगवान शिव का अवतार मानते हैं और बाबा को श्री श्री १००८ बाबा हेड़ाखान महाराज के नाम से जाना जाता हैं । यह मंदिर भगवान शिव और बाबा हेड़ाखान जी महाराज को समर्पित हैं ।
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Haidakhan Baba Ashram Temple at Chiliyanaula Just 4km Away from Ranikhet (रानीखेत के सुन्दर वादियों में स्थित बाबा हेड़ाखान का आश्रम मंदिर ) |
Beautiful Temple of Baba Haidakhan, Chiliyanaula, Ranikhet (हैं न खूबसूरत मंदिर….हिमालय की वादियों में )
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Shri Hanuman ji Statue in Temple (जय श्री हनुमान जी की….हनुमान जी एक सुन्दर प्रतिमा ) |
हम लोग कार से उतरकर मंदिर की तरफ चल दिए । एक छोटे से लाल पत्थर के नक्काशीदार द्वार से मंदिर परिसर में प्रवेश किया । मंदिर परिसर में काफी सुन्दर फूलो बगीचा लगा हुआ था और उनके बीच पैदल चलने का रास्ता बना हुआ था । बगीचे के बगल से गुजरते हुए, मंदिर के सीढ़ियों पर अपने जूते-चप्पल उतारकर आगे बढ़ते रहे । कुछ सीढ़िया चढ़ने के बाद मुख्य मंदिर प्रांगण में पहुँच गए । यह मंदिर प्रांगण के ठीक बीच सफ़ेद संगमरमर से निर्मित एक अतिसुन्दर मंदिर स्थापित था, जिसकी छत लालरंग की लोहे टिन से निर्मित ढलवा आकृति में थी, संभवतः ऐसी आकृति बर्फ पड़ने के कारण दी गयी थी । मुख्य मंदिर के बिल्कुल सामने सफ़ेद रंग एक बैठे हुए नंदी जी और बाए तरफ हाथ जोड़े खड़ी अवस्था में श्री हनुमान जी की लाल रंग की अतिसुन्दर प्रतिमा स्थापित थी । हम लोगो ने मंदिर के अंदर जाकर बाबा के दर्शन किये, मंदिर के अंदर ठण्ड से बचाव व भजन कीर्तन करने वाले के बैठने हेतु कपड़े का फर्श बिछा हुआ था ।
मंदिर के अंदर दर्शन करने के पश्चात अब समय था मंदिर परिसर का अवलोवन करने और यहाँ से दिखाई देने वाले हिमालय के द्रश्य को द्रष्टिगोचर करने का । पर यह क्या ? दूर तक धुंध और कोहरा होने के कारण हमे हिमालय के दर्शन नहीं हुए, अपितु केवल बहुत दूर एक धुंधली पर मनोहारी सी पर्वतो परछाई सी जरुर नजर आ रही थी । मंदिर के इस स्थान पर जहाँ से हिमालय नजर आता हैं वहाँ से मंदिर के नीचे पहाड़ी पर एक सेब का सुन्दर बगीचा नजर आया । वैसे हिमालय नहीं दिखा तो क्या हुआ पर सामने का नजारा बड़ा ही शानदार और नयनाभिराम लगा, आप भी देखे सेब के बाग सहित एक चित्र नीचे लगाया हैं । मंदिर का वातावरण बहुत ही शांत, सुरम्य, मन को मोह लेने वाला था और मौसम भी ठंडा था । चारों ओर केवल बस शांति ही शांति, कोई भीड़भाड़ नहीं, कोई हलचल नहीं, केवल हवा चलने की आवाज और चिड़ियों की चहचाहट, बहुत ही मन को शांति पहुचाने वाला वातावरण था ।
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Himalaya Darshan From Hedakhan Temple (मंदिर से दिखाई देता हिमालय का धुंधला स्वरूप और सेब का बाग…) |
कुछ समय मंदिर परिसर में बिताने के पश्चात समय के मूल्य को समझते हुए हम लोगो ने इस मंदिर से विदा ली और मंदिर से बाहर आकार कार में बैठने के बाद अपनी अगली मंजिल रानीखेत के अंतर्गत अपने वाले और भी अन्य स्थलों की तरफ चल दिये । इस बार हमारे कार चालक ने रानीखेत जाने के लिए दूसरा रास्ता पकड़ा, कुछ किलोमीटर चलते ही सड़क के दोनो तरफ पाइन वृक्षों के घने जंगल दिखना शुरू हो गए, इन जंगलो की पहाड़ी ढलान पूरी तरह से पाइन के वृक्षों से गिरी पत्तियों से पट जाती हैं । प्राकृतिक परिवेश में आबादी से दूर पाइन के इन जंगलो को देखना और इन जंगलो के मध्य से गुजरती नागिन से बलखाती सड़क से गुजरना एक आलौकिक अहसास को जन्म दे देता हैं । वैसे पूरे रानीखेत में इन्ही पाइन के जंगलो की भरमार हैं । खैर इन पहाड़ी जंगलो और सड़क के सम्मोहित द्रश्यो के बीच हमारी कार ने जल्द ही रानीखेत शहर में प्रवेश कर लिया था ।
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Pine Forest toward the Ranikhet (रास्ते में पड़ने वाले पाइन वृक्षों के जंगल )
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रानीखेत कुमाऊँ के अल्मोड़ा जिला के अंतर्गत आने वाला एक छोटा पर एक सुन्दर पर्वतीय नगर हैं । रानीखेत में जिले की सबसे बड़ी सैना की छावनी स्थापित हैं, जहाँ सैनिको को प्रशिक्षित किया जाता हैं । रानीखेत की दूरी नैनीताल से 63 किमी०, अल्मोड़ा से 50 किमी०, कौसानी से 85 किमी० और काठगोदाम से 80 किमी० हैं । रानीखेत समुन्द्रतल से लगभग 1800 मीटर ऊँचाई पर स्थित हैं और निकटम रेलवे स्टेशन काठगोदाम हैं । रानीखेत उन पर्वतीय स्थलों में जहाँ अन्य पर्वतीय नगरों के मुकाबले भीड़भाड़ बहुत कम हैं और कुछ दिन यहाँ के आवोहवा में शांति से गुजारने के लिए एक आदर्श स्थल हैं । वैसे रानीखेत में घूमने के लिए काफी स्थल हैं पर कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्न प्रकार हैं ।
रानीखेत के प्रमुख दर्शनीय स्थल :
♥ माँ कलिका मंदिर
♥ गोल्फ कोर्स
♥ चौबटिया गार्डन
♥ बिनसर महादेव मंदिर
♥ कटारमल सूर्य मंदिर
♥ हेड़ाखान मंदिर
♥ शीतलाखेत
♥ झूला देवी मंदिर
♥ कुमाऊँ रेजिमेंट का संग्राहलय
♥ गोल्फ कोर्स
♥ चौबटिया गार्डन
♥ बिनसर महादेव मंदिर
♥ कटारमल सूर्य मंदिर
♥ हेड़ाखान मंदिर
♥ शीतलाखेत
♥ झूला देवी मंदिर
♥ कुमाऊँ रेजिमेंट का संग्राहलय
इनके अलावा रानीखेत में और भी घूमने लायक कई जगह हैं । हम लोग अपने समय की कमी के कारण इन सब जगह पर तो नहीं जा सके पर जिन जगहों पर गए उनका यात्रा विवरण मैंने इस लेख में लिखा हैं । हम लोगो के रानीखेत शहर में प्रवेश बाद उसी हाइवे से चलते-चलते रानीखेत का व्यस्तम बाज़ार शुरू हो जाता हैं, जिनके दोनो तरफ कई छोटे-बड़े होटल, घर, रेस्तरा और कई तरह की दुकानों थी । इस बाजार से गुजरते समय एक बड़ा रेस्तरा नजर आया, जहाँ अधिकतर घूमने वाले टैक्सी चालक अपने ग्राहकों को विश्राम देते हैं और यही पर एक छोटा सा बस स्टैंड भी हैं । अपनी इस जगह की पिछली यात्रा में इस स्थान पर रुक चुका हूँ और यहाँ पर खाने पीने का स्वाद भी ले चुका हूँ । इस रेस्तरा के नीचे एक सुन्दर बगीचा बना हुआ हैं, जहाँ कई तरह के छोटे झूले लगे हुए थे और आराम के लिए कुर्सिया लगी हुई हैं ।
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Ranikhet in the Map View (गूगल मेप की नजर में रानीखेत कि स्थिति ) |
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Ranikhet’s Main Sadar Bazar, Almora Hiway
(जरूरत के समान से अटा पड़ा रानीखेत का व्यस्तम सदर बाजार )
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हमारा इरादा यहाँ रानीखेत के बाजार में रुकने का नहीं था सो इस मार्ग पर अपनी यात्रा को जारी रखा और रानीखेत के व्यस्तम व भीड़भाड़ वाले शहर से बाहर आ गए । जिस रास्ते पर हम चल रहे थे, इसे रास्ते को अल्मोड़ा हाइवे कहा जाता हैं । इसी हाइवे पर कुछ किलोमीटर चलते के बाद यह रास्ता सेना के एक बड़े गोल्फ लिकं मैदान के बीच से गुजरता हैं, जो यहाँ के मुख्य पर्यटक स्थलो में एक हैं । इस गोल्फ लिंक पर हमे वापिसी में रुकना था, सो गोल्फ लिंक के बीच से गुजरते हुए हम लोग सबसे पहले माँ कालिका मंदिर पहुँच गए जो गोल्फ के मैदान को पार करने के बाद कुछ ही दूरी पर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित था ।
माँ कालिका मंदिर, रानीखेत (Maa Kalika Temple, Ranikhet, Uttrakhand)
Way to Maa Kailka Temple (एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित माँ कालिका मंदिर जाने का प्रवेश द्वार) |
माँ कालिका का मंदिर घने वृक्षों के मध्य एक छोटी से पहाड़ी की चोटी पर स्थित यहाँ का एक प्रसिद्ध मंदिर हैं । जहाँ हम कार से उतरे थे, उस स्थान पर मंदिर के लिए एक लाल रंग का प्रवेश द्वार था । प्रवेश द्वार पर ही कुछ दुकानदार अपनी अस्थाई दुकान लगाये हुए थे और यह दुकानदार स्थानीय फल आडू,नख आदि बेच रहे थे । इस द्वार से माँ कालिका का मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी हुयी थी । इन सीढ़ियों से घने वृक्षों के मध्य से होते हम लोग मंदिर पहुँच गए, नीचे से यह मंदिर ज्यादा दूर नहीं हैं । तेज हवा चलने के कारण सीढ़ियों के दोनो तरफ के पेड़-पौधे जोर-जोर से आवाज कर रहे थे और घने इतने थे कि मुश्किल से सूरज की रौशनी धरती पर आ रही थी ।
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Maa Kalika Temple at Small Hill To |
पहाड़ की चोटी पर सफ़ेद रंग का यह एक माँ काली का छोटा मंदिर हैं । हम लोगों ने बाहर सीढ़ियों पर ही अपने जूते-चप्पल उतारकर अपने हाथ धोकरकर मंदिर में प्रवेश किया । जब हमने इस मंदिर में प्रवेश कर रहे थे तभी बाहर हाथ धोने वाली एक सीमेंट की टंकी पर लिखा हुआ था कि, ” मंदिर में फोटो लेकर देवी का अपमान न करे और न ही अपने को कष्ट में डाले “। खैर हमारे मन में माँ का अपमान करने इरादा बिल्कुल नहीं था सो अपने कैमरे और मोबाइल अपने जेब में डाल लिए । इसी कारण से मंदिर के अंदर के चित्र खिचने से हम लोग वंचित रह गए । मंदिर परिसर बिल्कुल शांत था, इक्का दुक्का लोग ही वहाँ नजर आ रहे थे । मंदिर परिसर में हमने मुख्य मंदिर में माँ कालिका देवी जी माँ की छवि बड़ी ही निराली थी, हमने माँ दर्शन श्रद्धा पूर्वक किए, उनका आर्शीवाद लिया और एक परिकृमा लगाकर इस मंदिर के पीछे ही ऊपर बने एक और भव्य और सुन्दर मंदिर में माँ के दर्शन कर अपने आप को उनकी श्रद्धा से अभिभूत किया । एक बात और इस मंदिर की देखरेख के लिए कोई भी पुरुष सदस्य नहीं था । केवल महिला सदस्य ही यहाँ की देखरेख में लगी हुयी थी और वही पुजारी का काम भी कर रही थी ।
कुछ देर मंदिर में बिताने और मंदिर के बाहर ही कुछ फोटो खींचने के बाद हम लोगो उसी रास्ते से वापिस हो लिए । बीच रास्ते में एक और छोटा मंदिर था जहाँ पुजारी जी बैठे हुए और लोगो को पूजा करवा रहे थे । मेरा छोटा बेटा अक्षत को अपने माथे पर तिलक लगवाने का बड़ा शौक हैं तो वह दौड़ता हुआ उस मंदिर पर तिलक लगवाने जा पहुँचा । हम लोग उसके पीछे-पीछे उस मंदिर पर जा पहुंचे और पूजा करने के बाद वापिस चल दिए । नीचे आने पर सीढ़ियो के किनारे एक फल वाला आडू बेच रहा था । वो हमसे आडू खरीदने के लिए बार-बार आग्रह कर रहा था, हमने एक आडू चखकर देखा तो वो हमें बहुत खट्टा लगा, उसने कहा कि यह घर ले जाने के लिए हैं, बाद में मीठे हो जायेगे । हमने कहा कि नहीं चाहिये और कुछ देर इधर-उधर टहलने के बाद कार में बैठकर वापिस उसी रास्ते से गोल्फ कोर्स के मैदान की तरफ चल दिए ।
गोल्फ कोर्स, रानीखेत (Golf Course, Ranikhet, Uttrakhand)
रानीखेत का गोल्फ कोर्स का मैदान एशिया के सबसे ऊँचे गोल्फ कोर्स में एक एक हैं । नौ छेदों वाला यह गोल्फ कोर्स रानीखेत के प्रमुख, आकर्षक और लोगो द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाना वाला पर्यटक स्थल हैं । इस गोल्फ कोर्स का पहाड़ की अधिकतम ऊँचाई पर यहाँ के ठंडे वातावरण में हरी-भरी घास का बड़ा मैंदान एक सम्मोहित सा कर देने वाला आभास देता हैं । दूर तक फैला साफ़-सुधरा मैदान, बीच में इक्का-दुक्का पेड़, रंगीन झंडे, छोटे लकड़ी के पुल, बैठने के लिए शेड और मैदान की दूसरी तरफ पाइन वृक्षों के घने वन आदि कुछ यहाँ की सुंदरता में चारचांद लगा देते हैं ।
View of Golf Link, Rankhet (गोल्फ लिंक का मैदान और एक तरफ पाइन का जंगल ) |
हमारे कार चालक ने हमें गोल्फ लिंक मैदान के बीच में सड़क पर उतार दिया और कहा कि,”मैं आप लोगो का इंतजार इसी सड़क पर आधा किलोमीटर आगे करूँगा, आप लोग यहाँ जल्दी से घूम कर आगे आ जाना क्योकि यहाँ पर फौजी लोग गाड़ी खड़ी नही करने देते ।” हमने कहा,”ठीक हैं ! हम लोग जल्द ही आगे मिलेंगे ।” ऐसा कहकर वो चला गया और हम लोग यहाँ की सुंदरता को अभिभूत हो गए ।
पहाड़ की ऊँचाई पर दूर तक फैला हरी घास का मैदान और मैदान के पार खड़े पाइन के वृक्ष इस स्थान को सम्मोहित करने के लिए काफी थे । हम लोग भी इधर से उधर कभी दौड़ लगाते, कभी तरह-तरह के पोज बना कर फोटो खीचते तो कभी घास पर लेटकर अपनी थकान मिटाते हुए आकाश में बादलों के देखते रहे । इस स्थान पर हवा का बहाव काफी तेज था जिस कारण से यहाँ पर लगाए गए रंग बिरंगे झंडे बड़े तेजी से लहरा रहे थे । हम लोग मैदान के दूसरे छोर पर स्थित पाइन के जंगल में भी गए, यहाँ पर पाइन के वृक्ष काफी बड़े और मोटे तने वाले थे । यहाँ पर तेजी से झींगुर और हवा चलने से सांय सांय की आवाज आ रही थी । हम लोग जंगल में ज्यादा अंदर नहीं गए केवल कुछ फोटो खींच कर वापिस मैदान में आ गए । अब आप भी इस गोल्फ लिंक के मैदान के खींचे गए फोटोओ का मजा लीजिए ।
Anshita at Golf Link’s Flag (गोल्फ लिंक में इस तरह के कई हवा से लहराते सुन्दर झंडे हैं ) |
Anshita & Akshat under a big Pine Tree near Golf Link
(गोल्फ लिंक के एक छोर पर घना पाइन वृक्षों का जंगल )
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Almora Road between Golf Link Field
(गोल्फ लिंक के बीच में सड़क का नजारा, यही अल्मोड़ा -रानीखेत का हाइवे हैं )
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Magical and Awesome View of Golf Link, Ranikhet
( मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ता गोल्फ लिंक का अदभुत नजारा, मेरी नजर में यहाँ का सबसे सुन्दर फोटो )
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काफी देर तक हम लोग यहाँ पर विचरण करते रहे और प्रकृति के इस अद्भुत नजारे का आनंद लेते रहे । काफी समय यहाँ के खुशनुमा माहौल में व्यतीत करने के बाद हमें ख्याल आया कि हमारा कार चालक हमारा इन्तजार मैदान के उस पार कर रहा था और अब हमारे चलने का समय हो गया हैं । यहाँ से जाने का हमारा मन बिल्कुल भी नहीं था, पर क्या करे समय के आगे विवश थे और हमे समय रहते कौसानी भी पहुँचाना था सो रानीखेत के इस गोल्फ लिंक के मैदान से अलविदा कर कार की तरफ चल दिए । कुछ देर चलते के बाद हमारी कार सड़क के किनारे खड़ी दिख गयी, जल्द से वहाँ पहुँचकर कार में सवार होकर अपनी अगली मंजिल कौसानी की तरफ चल दिए ।
क्रमशः ………..
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Table of Contents → कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
1. नैनीताल → प्रसिद्ध पर्वतीय नगर की रेलयात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..........1)
2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
4. भीमताल → सुन्दर टापू वाली कुमायूं की सबसे बड़ी झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4) 2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)
9. कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)
14. नैनीताल → खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)
15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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क्या नज़ारे, क्या शमा, बहुत ही खूबसूरत ये जन्हा, वाकई आपने तो रानी खेत की खूबसूरती को उकेर के रख दिया हैं, धन्यवाद, वन्देमातरम...
ReplyDeleteप्रवीण जी....
Deleteसही कहा आपने बड़ा ही खूबसूरत जहाँ हैं ....
धन्यवाद.....वन्देमातरम
Golf Course ne man moh liya.
ReplyDeleteमनीष जी....गोल्फ कोर्स ने तो हमारे भी मन मोह लिया था....
Deleteकोई एक फोटू को अच्छा नहीं कह सकते है ..सारे फोटू ही लाजबाब है ...और रानीखेत न देख पाना मेरे जीवन की सबसे पड़ी कमी रही ..खेर फिर कभी जायेगे ..
ReplyDeleteसही कहा आपने ...मुझे भी सारे फोटो ही अच्छे लगे....| जरुर जाइये बहुत ही खूबसूरत जगह हैं.....
Deleteधन्यवाद
पहाड़ों की बात ही अलग है और आपका लेख यात्रा का और सुन्दर बना देता है |
ReplyDeleteसादर
सही कहा आपने पहाड़ों की बात अलग हैं....सब कुछ शानदार....|टिप्पणी के लिए धन्यवाद
Deleteजीवन के बेहतरीन वर्ष गुजारे हैं इस शहर में ...नोस्टालजिक ..
ReplyDeleteशुभकामनायें !सुन्दर लेख
ReplyDeleteवाह !
ReplyDelete28 साल बाद दोबारा यह जगह देखकर आनंद आ गया।
कुछ भी नहीं बदला है।
गोल्फ कोर्स मन को भा गया
ReplyDelete@Shika Varhney ji :
ReplyDelete@Madan Mohan saxena ji :
@Dr. D.T.S. Daral Ji :
@Neeraj Jaat Ji :
आप सभी की बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धनयवाद...
प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
आपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
शानदार स्थल
ReplyDelete@रजनीश के झा जी
ReplyDelete@दिलबाग विर्क जी
@संदीप जी...
आप सभी की बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद...
Sunder Jankari Aur Chitra.....
ReplyDeletemera ranikhet
Deleteहिन्दी लेखन/अनुवाद, अपनी रुचि के विषय में विषय-आधारित उद्यान-स्थापना हेतु संपर्क: कुमार ०९४२५६०५४३२ मार्गदर्शक
ReplyDeletewhoah this blog is magnificent i really like reading your articles.
ReplyDeleteStay up the great work! You understand, a lot of persons are hunting
round for this information, you could aid them greatly.
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ReplyDeleteStay up the great work! You understand, a lot of persons are hunting
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वाह ! सुन्दर और रोचक...
ReplyDeleteधन्यवाद जी
DeleteA peaceful place to visit.
ReplyDelete