Search This Blog

Friday, December 6, 2013

एत्मादुद्दौला, आगरा → Itmad-ud-Daulah (Baby Taj), Agra ( कुछ पल आगरा से....... 4 )

Written By→ Ritesh Gupta
"कुछ पल आगरा से" श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आपको आगरा के लाल किले के बारे बताया था और उस सुन्दर स्मारक की सैर भी की थी । अब इसी श्रृंखला के अग्रसर करते हुए इस लेख में आपको लिए चलते है, आगरा के एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल " Itmad-ud-Daulah (Baby Taj), Agra (एतमादुद्दौला, आगरा )" की सैर पर .......

एतिहासिक शहर होने के कारण वैसे तो आगरा में स्मारकों की भरमार है, उनमे से आगरा के कई बड़े स्मारको के बीच एक और खूबसूरत स्मारक एत्मादुद्दौला भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है । कुछ ताजमहल जैसी आकृति का नजर आने वाला और धवल संगमरीमरी स्मारक होने के कारण इसे "बेबी ताज" के नाम से भी पुकारा जाता है । यह स्मारक भी आगरा की अन्य स्मारकों की तरह मुगलकालीन निर्माण शैली का अतुलनीय उदाहरण है  यह स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित ईमारत है ताजमहल, लालकिले बाद आगरा में इस स्मारक पर भी काफी अच्छी मात्रा देशी-विदेशी अवलोकन करने हेतु यहाँ पर आते है । 


Etmad-ud-Daulah Tomb (एत्मदुदौला का मकबरा )

Thursday, August 22, 2013

लाल किला (Red Fort, Agra) → आगरा की एक और विश्व धरोहर (कुछ पल आगरा से ......3)

Written By→ Ritesh Gupta
कुछ पल आगरा से " श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आपको ताजमहल के बारे बताया था और उस सुन्दर स्मारक की सैर भी की थी । अब इसी श्रृंखला के अग्रसर करते हुए इस लेख में आपको लिए चलते है, विश्व धरोहर सूची में शामिल आगरा का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल " आगरा के लाल किला " की सैर पर .......

ताजमहल से केवल दो किलोमीटर दूरी पर बना आगरा का लाल किला दुनिया भर में सुन्दरतम किले के रूप में विख्यात आगरा में ताजमहल के बाद दूसरा सबसे प्रसिद्ध स्थल है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में सम्मान सहित शामिल है । मुगलों की पीड़ी दर पीड़ी इतिहास का गवाह रहा यह किला यमुना नदी के किनारे बना हुआ, बेहद मजबूत, सुन्दर और स्थापत्यकला की द्रष्टि से देश का महत्वपूर्ण किला है । प्रतिदिन हजारों के संख्या में पर्यटक और घुमक्कड़ इस किले को देखने आते हैं और मुगलकालिन शैली से अपना परिचय करते है 

Main Entrance Gate of Red Fort, Agra (लाल किले का मुख्य प्रवेश द्वार )

Tuesday, June 18, 2013

ताजमहल (TAJMAHAL) → विश्व की एक खास धरोहर (कुछ पल आगरा से ......2)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों ! " कुछ पल आगरा से " श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आगरा के बारे में कुछ जानकारियां प्रस्तुत की थी । अब इसी श्रृंखला के बढ़ाते हुए इस लेख में आपको लिए चलते है, विश्व प्रसिद्ध दुनिया के लिए एक आश्चर्य खूबसूरत स्मारक ताजमहल की सैर पर .......

ताजमहल एक ऐसा नाम जिसे लेते ही एक खूबसूरत ईमारत की आकृति आँखों के सामने उभर आती है और मुगल बादशाह शाहजहाँ के अपनी बेगम मुमताज महल के लिए अजीमो प्यार का एक खूबसूरत अहसास दिला देती है । ताजमहल केवल एक स्मारक नहीं बल्कि प्यार करने वालो के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है, किसी शायर ने ताजमहल के बारे में कुछ ऐसा कहा है " एक ताजमहल संगेमरमर का जैसे प्रेमी के गाल पे ढरका एक आँसू " । 

The Tajmahal, Agra ( पेड़ पौधे के बीच से ताज का सुहाना नजारा  )

Tuesday, May 28, 2013

आगरा (Agra) → कुछ जानकारी ताजनगरी के बारे में (कुछ पल आगरा से ......1)

Written By→ Ritesh Gupta
अब तक मैंने कुमाऊं श्रृंखला के माध्यम से कुमाऊं के विभिन्न स्थलों के यात्रा का वर्णन किया था । अब हम पहाड़ों निकल कर आपको ले चलते है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विश्व मानचित्र पर सबसे अधिक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल आगरा शहर की सैर पर । 

आगरा शहर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरो में एक है । मुगल बादशाह के असीम प्रेम का प्रतीक ताजमहल के  कारण आगरा मधुयामिनी मनाने (Honeymoon Desination) वालो के लिए आदर्श पर्यटक स्थल बन गया है, वैसे दुनिया भर के अधिकतर लोगो इच्छा होती है कि अपने जीवनकाल में इस खूबसूरत ताजमहल का एक दीदार अवश्य करे। भौगोलिक द्रष्टि से यह प्रदेश के पश्चिमी इलाके में यमुना नदी के किनारे बसा हुआ काफी बड़ा शहर है । आगरा शहर पश्चिम में  राजस्थान और दक्षिण पर मध्य प्रदेश सीमा से घिरा हुआ हैं ।  राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या  NH-2 ( Kolkata - Delhi), NH-3 (Agra-Mumbai), NH-11 (Agra - Jaipur - Bikaner,) और NH-93 (Agra - Aligarh- Moradabad) आगरा को भारत के अधिकतर छोटे और बड़े शहरो से बखूबी जोड़ते है । अभी कुछ साल पहले निर्मित भारत का आधुनिकतम एक्सप्रेसवे छह लाइन यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway Agra - Greater Noida 165km ) ने दिल्ली को और नजदीक ला दिया है । 

Beauty of the mortal love...THE TAJMAHAL (दुनिया का एक अजूबा - खूबसूरत ताजमहल )

Thursday, May 9, 2013

नैनीताल (Nainital→ खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)

Written By→ Ritesh Gupta 
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13) में मैंने कुमाऊँ के जागेश्वर धाम की यात्रा का वर्णन आप सबके सम्मुख प्रस्तुत किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला इस अंतिम कड़ी में प्रस्तुत है, नैनीताल की खूबसूरत झील की चारों तरफ का पैदल यात्रा वृतांत और मेरी इस सम्पूर्ण कुमाऊं यात्रा श्रृंखला का सारांश।  


जागेश्वर की एक दुकान से एक लीटर पेट्रोल कार में डालकर हम लोग अपने वापिसी के सफ़र पर चल दिए । करीब तीस किलोमीटर पहाड़ी रास्ते का सफ़रतय कर हम लोग दो बजे के आसपास अल्मोड़ा पहुँच गए । वहाँ पर एक पेट्रोल पम्प से टैक्सी कार में पेट्रोल भरवा कर फिर चल दिए । पेट्रोल  पम्प से बाहर निकलते ही देखा का अल्मोड़ा की पहाड़ की खाई की तरफ की सड़क कटने काफी नीचे धंस गयी और कुछ दुकाने भी इसके लपेटे में आ गयी थी , हम लोग सड़क के सुरक्षित हिस्से होते हुए अपने आगे की यात्रा पर निकल गए । सुबह हम लोग केवल नाश्ता करके ही चले थे, सो काफी देर चलने के बाद हम लोगो को भूख सताने लगी तो रास्ते में पहाड़ी गाँव के पास एक अच्छे से ढाबे को देखकर कार को रुकवा दिया और उस ढाबे में स्वादिष्ट भोजन करने के बाद NH-37 से फिर नैनीताल की तरफ अग्रसर हो लिए । 

रास्ते में हमे कोसी नदी पर पड़ने वाला वही पुल मिला जहाँ से आते में हम लोग रानीखेत के लिए मुड़े थे, इसी तरह रास्ते की सुंदरता का अवलोकन करते हुए, कैंची धाम और भोवाली होते हुए शाम के साढ़े चार बजे के आसपास हम लोग नैनीताल पहुँच गए ।
Tallital Chowk of Nainital (यह नैनीताल का व्यस्तम  तल्लीताल चौराहा )


Friday, April 19, 2013

जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग) Jageshwar → भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12) में मैंने कुमाऊँ के पाताल भुवनेश्वर और वहाँ से जागेश्वर धाम तक की यात्रा का वर्णन किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला अग्रसर करते हुए आज चलते हैं चारों तरफ से देवदार के जगंलो से घिरे प्राचीन श्री जागेश्वर धाम के मंदिर और करते हैं भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो नागेश दारुकावने के नाम से जाने जाते हैं । 

गयारह बजे के आसपास हम लोग जागेश्वर धाम की एक छोटी नदी / नाले के किनारे मुख्य सड़क पर थे । मुख्य सड़क के किनारे कई सारी गाड़ियां खड़ी हुई थी हमारे कार चालक ने मंदिर के सबसे पास एक खाली जगह देखकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया हम लोग भी कार से निकलकर मंदिर के दर्शन करने चल दिए, सड़क से ही स्लेटी रंग के मंदिर के शिखर और उस मंदिर के ठीक पीछे देवदार के घने वृक्षों जंगल नजर आ रहे थे इस समय यहाँ के मौसम में सूरज की रौशनी सीधी पड़ने के कारण कुछ गर्माहट थी, पर साथ ही साथ चल रही ठंडी हवा तम और मन सुकून पहूँचाने के लिए काफी थी   

A View just before Jageshwar Temple (देवदार के वृक्षों के मध्य जागेश्वर के मुख्य मंदिर तक जाता रास्ता)

Monday, April 8, 2013

जागेश्वर धाम (Jageshwar Dham) → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11) में मैंने कुमाऊँ के प्रसिद्ध भगवान शिव की गुफा मंदिर पाताल भुवनेश्वर की यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर से उत्तराखंड के कुमाऊँ में अल्मोड़ा के नजदीक कैलाश-मानसरोवर जाने वाले पुराने मार्ग पर स्थित एक ऐसे स्थल पर जो भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में भी जाना हैं और वह स्थल हैं, प्रसिद्ध नागर शैली में  निर्मित भगवान शिव के अति-प्राचीन स्थल "जागेश्वर धाम " मंदिर 

पाताल भुवनेश्वर की गुफा के दर्शन करने के पश्चात हम लोगो ने काउंटर से अपने मोबाईल और कैमरे वापिस लिए कि तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी । वहाँ पर दर्शन हेतु आये अधिकतर लोग वापिस जा चुके थे पर हम लोग मूसलाधार बारिश के कारण वही फँस गए । बारिश से बचने के लिए हम लोग वही मंदिर के टिनशेड के नीचे बैठ गए । लगभग आधा घंटे से ऊपर हम लोग तेज बारिश के कारण वही बैठे रहे और मंदिर कमेटी के लोगो से वार्तालाप करते रहे । उनमे से एक व्यक्ति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुआ की हम लोग आगरा से आये हुए क्योंकि वह व्यक्ति आगरा में कई साल नौकरी कर चुका था । खैर शाम के पांच बजे के आसपास तेज बारिश आलम धीरे-धीरे थमा और हम लोग वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चल दिये । 

A Panoramic View from KMVN Guest House, Patal Bhuvneshwar
(यह गेस्ट हाउस से दिखने वाला पहाड़ों का दिलकश नजारा, शायद कही खो ना जाऊ इन नाजारो में  )

Wednesday, March 13, 2013

पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvneshwar) → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)

Written By Ritesh Gupta

 "ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनं। 
उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।"

प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल कौसानी और बैजनाथ मंदिर यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं, कुमाऊँ का एक ऐसा स्थान पर जहाँ पर भगवान शिव अपने तैतीस करोड़ देवी-देवताओं के साथ पहाड़ के गर्भ में पाताल के अंदर एक गहरी गुफा में विराजमान हैं,  उस जगह का नाम हैं "पाताल भुवनेश्वर" आईये अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर की अचंभित कर देने वाली पवित्र और रहस्मयी गुफा की यात्रा पर ।

समय लगभग दिन के सवा ग्यारह बजे का होगा बागेश्वर के सर्विस सेंटर में टैक्सी कार को सही कराने के बाद हम लोग गाड़ी की खराब होने वाली समस्या से चिंता मुक्त होने के बाद अपने आगे की यात्रा पर चल दिए । यहाँ से हम लोगो का अगला कदम पाताल भुवनेश्वर जाकर पाताल में स्थित पवित्र गुफा के दर्शन करने का था । बागेश्वर के चौराहे पर आने के बाद थोड़ा आगे जाकर सरयू नदी पर बने पुल को पार करने बाद इसी रास्ते पर चलते रहे । यह सड़क मार्ग काफी अच्छा, सपाट, गड्डे रहित और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर था । रास्ते के दोनो तरफ पाइन के जंगल और उनके बीच से जाता घुमावदार रास्ता और मौसम के ठंडक मन को बड़ा ही सुकुन पंहुचा रही थी

Nice looking... Pine Forest on the way (चीड़ के जंगलो का मनमोहक साम्राज्य )

Friday, February 1, 2013

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath →भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)

Written By→ Ritesh Gupta

अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..9) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “कौसानी का सूर्योदय और प्राचीन बैजनाथ मंदिर” की यात्रा पर ।

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath Temple , भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर

Tuesday, January 22, 2013

कौसानी (Kausani) → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)

Written By→ Ritesh Gupta
अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, उत्तराखंड प्रदेश के अंतर्गत कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “ कौसानी " की यात्रा पर ।

लगभग समय 3:00 बजे के आसपास हम लोग रानीखेत के गोल्फ कोर्स वापिस चल दिए । कुछ किलोमीटर बाद रानीखेत शहर से काफी पहले कार चालाक ने कार को एक दाए तरफ के रास्ते “रानीखेत-द्वारहाट-कौसानी” मार्ग पर ले लिया । इस मोड़ से सोमेश्वर 43किमी० और कौसानी 55किमी० की दूरी पर था । कुछ देर चलने के बाद पहाड़ की चढ़ाई पर चढ़ते समय हमारी टैक्सी कार (मारुती अल्टो) में कुछ खराबी आ गयी । ढलान पर बिल्कुल सही चल रही थी, पर चढ़ाई पर पूरे एक्सीलेटर दबाने के बाद भी मुश्किल से धीरे-धीरे चल रही थी और झटके ले रही थी जैसे उसका करंट आ जा रहा हो । कार चालक ने एक स्थान पर रोककर भी देखा भी पर उसके लिए नए माडल का इंजन होने के कारण उसे कुछ समझ में न आया । आखिर क्या करते, आसपास कोई कार का गैराज भी नहीं था तो मज़बूरीवश हमारा कार चालक उसी अवस्था में गाड़ी को खींचता रहा जिससे कार का एवरेज भी कम हो रहा था । रास्ते में जब भी चढ़ाई आती तभी कार की में परेशानी शुरू जाती थी, बाकी ढलान और समतल रास्ते पर कार बराबर दौड़ रही थी ।

Ranikhet-Dwarhat-Kuasani Road (रानीखेत से कौसानी की दूरी लगभग 55किमी० हैं)
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts