Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ की.... !
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले
लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12) में मैंने कुमाऊँ के पाताल भुवनेश्वर और वहाँ से जागेश्वर धाम तक की यात्रा का वर्णन किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला अग्रसर करते हुए आज चलते हैं चारों तरफ से देवदार के जगंलो से घिरे प्राचीन श्री जागेश्वर धाम के मंदिर और करते हैं भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो नागेश दारुकावने के नाम से जाने जाते हैं ।
गयारह बजे के आसपास हम लोग जागेश्वर धाम की एक छोटी नदी / नाले के किनारे मुख्य सड़क पर थे । मुख्य सड़क के किनारे कई सारी गाड़ियां खड़ी हुई थी हमारे कार चालक ने मंदिर के सबसे पास एक खाली जगह देखकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया । हम लोग भी कार से निकलकर मंदिर के दर्शन करने चल दिए, सड़क से ही स्लेटी रंग के मंदिर के शिखर और उस मंदिर के ठीक पीछे देवदार के घने वृक्षों जंगल नजर आ रहे थे । इस समय यहाँ के मौसम में सूरज की रौशनी सीधी पड़ने के कारण कुछ गर्माहट थी, पर साथ ही साथ चल रही ठंडी हवा तम और मन सुकून पहूँचाने के लिए काफी थी ।
जागेश्वर के इन मंदिरों का निर्माण पत्थर की बड़ी-बड़ी शिलाओं से किया
गया है । दरवाजों की चौखटें देवी देवताओं की प्रतिमाओं से अलंकृत हैं ।
मंदिरों के निर्माण में तांबे की चादरों और देवदार की लकडी का भी बखूबी प्रयोग
किया गया है । इन मंदिर समूह कुछ मंदिर के शिखर काफी ऊँचे तो कुछ काफी छोटे आकार के भी हैं । जागेश्वर मंदिर समूह के ये मंदिर पहाड़ों की स्थापत्य और शिला कला के बेजोड़ नमूने होने के साथ-साथ पुरातत्व के
नजरिये से भी बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं । जिसको देखते हुए भारतीय पुरात्तत्व
विभाग ( A.S.I.) ने मंदिर के पास ही एक संग्रहालय भी बनाया हुआ है । इसमें जागेश्वर के मंदिरो से निकली अमूल्य प्राचीन मूर्तियों और अनेको प्रकार के प्राचीन पत्थरों, सामग्री को रखा गया है । इन मंदिरों को के कत्यूरी
राजाओं ने आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच गुप्त साम्राज्य काल के दौरान बनवाया था ।
यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगो में एक है, जिसे जगद्गुरु शंकराचार्य ने अपने भ्रमण के दौरान इसकी मान्यता को पुनर्स्थापित किया था । इस मंदिर समुह के मध्य में मुख्य मंदिर में स्थापित शिव लिंग को श्री नागेश ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है । इसी नाम का एक और ज्योतिर्लिंग द्वारिका के पास भी स्थापित है, जिसे श्री नागेश ज्योतिर्लिंग के रूप में भी मान्यता प्राप्त है ।
वैसे हमारे शास्त्रों में भारतवर्ष में स्थापित सभी बारह ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ इस तरह से कहा गया है →
इसे दोहे में एक शब्द है "नागेश दारुकावने" इस शब्द की एक व्याख्या कुछ इस प्रकार हैं, दारुका के वन में स्थापित ज्योतिर्लिंग, दारुका देवदार के वृक्षों को कहा जाता हैं, तो देवदार के वृक्ष तो केवल जागेश्वर में ही है । इसी शब्द की दूसरी व्याख्या कुछ इस प्रकार है, द्वारिका धाम के पास स्थापित ज्योतिर्लिंग । अब इनमे से श्री नागेश ज्योतिर्लिंग कौन सा हैं, यह तो हमारी समझ से बाहर ही है । चलो हम तो दोनो को ही भगवान शिव की महिमा और ज्योतिर्लिंग मानकर हृदय से सत्-सत् नमन करते हैं ।
यह जानकारी रही जागेश्वर धाम के बारे में, अब चलते हैं अपनी यात्रा वृतांत पर । मंदिर के आसपास स्थानीय दुकानदारों की काफी दुकाने थी । मंदिर से कुछ कदम पहले ही हमने एक दुकान से प्रसाद लिया और हम लोगो ने मंदिर में प्रवेश द्वार पहुँच गए । प्रवेश से द्वार से मंदिर परिसर में कई छोटे-बड़े विभिन्न आकार के बेहद ही कलात्मक प्राचीन मंदिर नजर आ रहे थे । इन समुह में से दो मंदिर बड़े आकार के थे, जिनके शिखर काफी ऊँचे थे । इस समय मंदिर में कुछ खास भीड़भाड़ नहीं थी, भक्तगण बड़े आराम से अपने आराध्य देवो के दर्शन और फोटोग्राफी में व्यस्त थे । यहाँ पर मंदिर के अंदर हमे कोई भी फोटोग्राफी पर प्रतिबन्ध नजर नहीं आया पर चलचित्र ( Videography ) बनाने के लिए रुपये 25/- का भुगतान करना पड़ता है ।
मंदिर की कुछ सीढ़ियाँ उतरकर सबसे पहले हमने एक तरफ अपने पादुकाएं उतारी और मंदिर परिसर में स्थित बायें हाथ की तरफ के बड़े मंदिर में चल दिए । यह मंदिर भगवान आशुतोष शिव शंकर का प्राचीन महामृत्युंजय था, जिसमें स्थापित महामृत्युंजय शिवलिंग को भारत वर्ष में स्थापित सभी बारह ज्योतिर्लिंग का उद्गम माना जाता हैं । हम लोग भगवान को नत-मस्तक करते हुए मंदिर गर्भ-गृह में पहुँच गए । गर्भ-गृह में कुछ सामान्य आकार से बड़े शिवलिंग के पीछे ताम्बे के शेषनाग की प्रतिमा लगी हुयी और पुजारी लोग भक्तो को विधि-विधान से पूजा अर्चना करा रहे थे । यहाँ पर एक पुजारी ने बताया की कालसर्प के दोष के मुक्ति हेतु पूजा कराने के लिए यह मुख्य स्थान हैं, यहाँ पर कोई भी भक्तगण अपनी सुविधानुसार पूजा कराकर कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकता हैं । यहाँ पर हमने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर, अपने हिसाब से पूजा अर्चना कर प्रसाद लगाया और कुछ देर बाद मंदिर से बाहर आ गए ।
नीचे दिए गए चित्र में आप लोग भी कर लीजिए महामृत्युंजय पवित्र शिव लिंग के दर्शन, जो मैंने मंदिर के अंदर खीचा था ।
महामृत्युंजय मंदिर के दर्शन करने पश्चात हम चल दिए इस मंदिर समूह के दूसरे और मुख्य मंदिर श्री ज्योतिर्लिंग जागेश्वर मंदिर । ऊँचे शिखर वाला यह प्राचीन मंदिर परिसर के मध्य में विराजमान हैं, जो योगेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं । मंदिर के मुख्य द्वार पर दोनो तरह पत्थर के बड़े-बड़े द्वारपाल की मूर्तियां उकेरी गयी है । गर्भ गृह में पहुँचने मध्य में एक छोटा किन्तु प्राचीन शिवलिंग स्थापित जिसे पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता हैं । कहा जाता है की पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने व पूजा-अर्चना करने से भक्तो के दुःख दूर हो जाते हैं । यहाँ पर भी दो-तीन पुजारी जी बैठे हुए थे, जो भक्तो को विधि-विधान से पूजा अर्चना कराने में व्यस्त थे । मंदिर के अंदर जगह की कमी के कारण कुछ भीड़ अधिक हो गयी थी । इसी भीड़भाड़ के बीच हम लोगो ने भी पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये और मत्था टेक अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस किया ।
आप लोग भी कर लीजिए नीचे दिए गए चित्र में श्री बाबा नागेश दारूकावने के पवित्र जागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो मैंने मंदिर के अंदर ही खीचा था ।
कुछ देर हम लोग वही एकटक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के पश्चात मंदिर से बाहर आ गए ।
इस बाद हमने परिसर के कुछ और मंदिरों के दर्शन किये, इनमे कुछ इस प्रकार
है, श्री हनुमान जी, श्री नवदुर्गा जी , सूर्यदेव जी, श्री लक्ष्मीदेवी जी,
श्री केदारेश्वर जी, श्री नवग्रह, श्री बालेश्वर जी आदि । जागेश्वर मंदिर समूह में लगभग सवा सौ छोटे-बड़े मंदिर है, जितना संभव हो पाया हमने उतने मंदिरों के दर्शन श्रद्धापूर्वक किये । मंदिर समूह के छोटे मंदिरों के वाकायदा सुन्दर शिखर बने हुए थे, पर अधिकतर छोटे मंदिर देव विहीन ही थे, मतलब उनमे किसी भी भगवान की प्रतिमा नहीं थी । हो सकता है, समय के गाल में नष्ट हो गए हो या फिर उनके अवशेष पुरातत्व विभाग के संग्राहलय में रख दिए हो । काफी देर तक मंदिर परिसर का बारीकी से भ्रमण करने के बाद, मन से यहाँ के सभी देवी-देवताओं को प्रणाम और उन्हें धन्यवाद कर हम लोग मंदिर से वापिस चल दिए ।
सड़क किनारे की दुकानों से कुछ हल्की-फुल्की खरीददारी करते हुए, मंदिर कुछ दूर सड़क किनारे खड़ी अपनी टैक्सी कार की तरफ चल दिए । कार के पास ही हमारा कार चालक हमारी प्रतीक्षा कर रहा था । करीब 12:30 के आसपास हम लोग वापिस अल्मोड़ा होते नैनीताल जाने के लिए कार में बैठ गए । कार में बैठते जैसे ही कार चालक ने कार को स्टार्ट किया तो बोला की कार में ईधन (पेट्रोल) काफी कम मात्रा में है, कार का मीटर (Fuel Meter is Blinking due to reserve) न्यूनतम स्तर दिखा रहा है । हमने कहा कि तो क्या हुआ आगे जाकर भरवा लेना, तो उसने कहा कि जागेश्वर में तो कोई पेट्रोल पम्प नहीं है, अगला पेट्रोल पम्प अल्मोड़ा में मिलेगा हो सकता है, यह गाड़ी वहाँ तक नहीं जा पाए । अब हमने सोचा की अब क्या किया जाये ???, तभी हम लोग सामने की एक दुकान पर गए और उससे इस समस्या के बारे में पूंछा तो उसने बताया कि हम लोग जरूरतमंद के लोगो के लिए पेट्रोल रखते है, जैसे कि बाईक से यात्रा करने वालो को बेचते है । हमने उससे एक लीटर पेट्रोल लेकर कार में डाल दिया, कुछ महंगा जरुर मिला पर अल्मोड़ा तक समस्या का हल तो हो ही गया था । कार में बैठने के बाद हमने अपनी वापिसी की यात्रा शुरू कर दी ।
इस प्रकार हमारी जागेश्वर यात्रा यही समाप्त होती है । वैसे जागेश्वर से अल्मोड़ा होते हुए नैनीताल पर जाकर हमारी यह कुमाऊँ यात्रा समाप्त हो जाती हैं । फिर भी कोशिश करूँगा की एक लेख और लिखूं , जिसने जागेश्वर से नैनीताल यात्रा विवरण, नैनीताल की खूबसूरत नैनी झील के चारों तरफ के पैदल यात्रा का वर्णन और अपनी कुमाऊं यात्रा का सम्पूर्ण सार प्रस्तुत करू । चलिए जागेश्वर की इस यात्रा के साथ अब आप से विदा लेते हैं । धन्यवाद , राम राम ! वंदे मातरम .........
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Table of Contents → कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)
9. कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)
गयारह बजे के आसपास हम लोग जागेश्वर धाम की एक छोटी नदी / नाले के किनारे मुख्य सड़क पर थे । मुख्य सड़क के किनारे कई सारी गाड़ियां खड़ी हुई थी हमारे कार चालक ने मंदिर के सबसे पास एक खाली जगह देखकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया । हम लोग भी कार से निकलकर मंदिर के दर्शन करने चल दिए, सड़क से ही स्लेटी रंग के मंदिर के शिखर और उस मंदिर के ठीक पीछे देवदार के घने वृक्षों जंगल नजर आ रहे थे । इस समय यहाँ के मौसम में सूरज की रौशनी सीधी पड़ने के कारण कुछ गर्माहट थी, पर साथ ही साथ चल रही ठंडी हवा तम और मन सुकून पहूँचाने के लिए काफी थी ।
A View just before Jageshwar Temple (देवदार के वृक्षों के मध्य जागेश्वर के मुख्य मंदिर तक जाता रास्ता) |
जागेश्वर उत्तराखंड के कुमाऊं खंड में बसा एक छोटा सा पहाड़ी क़स्बा है । जो घने देवदार और चीड़ के जंगलो में मध्य बसा बड़ा ही खूबसूरत, शांत और आस्था से भरपूर स्थल है । यहाँ का मौसम अक्सर सुहाना रहता हैं ।
जागेश्वर धाम (Jageshwar Dham Temple Group) के मंदिर एक प्राचीन मंदिरों का एल समूह हैं, जहाँ पर एक स्थान पर छोटे और बड़े सभी प्रकार के मंदिर मिलाकर करीब सवा सौ (Approx 125 Temples) और पूरे धाम क्षेत्र के भी मंदिर मिला लिए जाए तो यह संख्या करीब देढ़ सौ (Above 150 temples) से अधिक बैठती है । समुंद्रतल से लगभग 1820 मीटर (5460 फिट) ऊँचाई पर स्थित जागेश्वर के यह मंदिर अल्मोड़ा से करीब 36 किमी०, पाताल भुवनेश्वर से 104 किमी० और काठगोदाम से करीब 110 किमी० दूरी पर हैं ।
जागेश्वर धाम (Jageshwar Dham Temple Group) के मंदिर एक प्राचीन मंदिरों का एल समूह हैं, जहाँ पर एक स्थान पर छोटे और बड़े सभी प्रकार के मंदिर मिलाकर करीब सवा सौ (Approx 125 Temples) और पूरे धाम क्षेत्र के भी मंदिर मिला लिए जाए तो यह संख्या करीब देढ़ सौ (Above 150 temples) से अधिक बैठती है । समुंद्रतल से लगभग 1820 मीटर (5460 फिट) ऊँचाई पर स्थित जागेश्वर के यह मंदिर अल्मोड़ा से करीब 36 किमी०, पाताल भुवनेश्वर से 104 किमी० और काठगोदाम से करीब 110 किमी० दूरी पर हैं ।
A Board at Jageshwar Temple (मंदिर के बाहर लगा एक जानकारी देता शिला लेख ) |
यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगो में एक है, जिसे जगद्गुरु शंकराचार्य ने अपने भ्रमण के दौरान इसकी मान्यता को पुनर्स्थापित किया था । इस मंदिर समुह के मध्य में मुख्य मंदिर में स्थापित शिव लिंग को श्री नागेश ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है । इसी नाम का एक और ज्योतिर्लिंग द्वारिका के पास भी स्थापित है, जिसे श्री नागेश ज्योतिर्लिंग के रूप में भी मान्यता प्राप्त है ।
वैसे हमारे शास्त्रों में भारतवर्ष में स्थापित सभी बारह ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ इस तरह से कहा गया है →
सोराष्ट्र सोमनाथ च श्री शेले मलिकार्जुनम ।
उज्जयिन्या महाकालमोकारे परमेश्वर ।
केदार हिमवत्प्रष्ठे डाकिन्या भीमशंकरम ।।
वाराणस्या च विश्वेश त्रम्ब्कम गोमती तटे।।
वेधनात चिताभुमो नागेश दारुकावने ।
उज्जयिन्या महाकालमोकारे परमेश्वर ।
केदार हिमवत्प्रष्ठे डाकिन्या भीमशंकरम ।।
वाराणस्या च विश्वेश त्रम्ब्कम गोमती तटे।।
वेधनात चिताभुमो नागेश दारुकावने ।
सेतुबंधेज रामेश घुश्मेश तु शिवालये ।।
द्वादशे तानि नामानि: प्रातरूत्थया य पवेत ।
सर्वपापै विनिमुर्कत : सर्वसिधिफल लभेत ।।
द्वादशे तानि नामानि: प्रातरूत्थया य पवेत ।
सर्वपापै विनिमुर्कत : सर्वसिधिफल लभेत ।।
इसे दोहे में एक शब्द है "नागेश दारुकावने" इस शब्द की एक व्याख्या कुछ इस प्रकार हैं, दारुका के वन में स्थापित ज्योतिर्लिंग, दारुका देवदार के वृक्षों को कहा जाता हैं, तो देवदार के वृक्ष तो केवल जागेश्वर में ही है । इसी शब्द की दूसरी व्याख्या कुछ इस प्रकार है, द्वारिका धाम के पास स्थापित ज्योतिर्लिंग । अब इनमे से श्री नागेश ज्योतिर्लिंग कौन सा हैं, यह तो हमारी समझ से बाहर ही है । चलो हम तो दोनो को ही भगवान शिव की महिमा और ज्योतिर्लिंग मानकर हृदय से सत्-सत् नमन करते हैं ।
Ancient holy Jageshwar Temple Group ( अति-प्राचीन जागेश्वर मंदिर समूह ) |
Mahamrtiyunjay Temple at Jageshwar Temple Group (जागेश्वर मंदिर समूह के अंतर्गत महामृत्युंजय मंदिर ) |
नीचे दिए गए चित्र में आप लोग भी कर लीजिए महामृत्युंजय पवित्र शिव लिंग के दर्शन, जो मैंने मंदिर के अंदर खीचा था ।
Holy Mahamrtinyunjay Shiv Ling (मंदिर के अंदर पवित्र श्री महामृत्युंजय शिवलिंग ) |
A Jageshwar Jyotirling Temple at Temple Group (मंदिर समूह में स्थित श्री जागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ) |
आप लोग भी कर लीजिए नीचे दिए गए चित्र में श्री बाबा नागेश दारूकावने के पवित्र जागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो मैंने मंदिर के अंदर ही खीचा था ।
A holy Shri Jageshwar Shivlingam at Temple (श्री नागेश दारुका वने जागेश्वर ज्योतिर्लिंग) |
A Campus of Jageshwar Temple Group (जागेश्वर मंदिर समूह के अन्य द्रश्य ) |
A small temple at Jageshwar Temple Group (जागेश्वर मंदिर समूह के अन्य द्रश्य ) |
A Small shop at Jagesrwar Temple (मंदिर के बाहर एक छोटी दुकान ) |
Almora City (दूर पहाड़ों पर दिखाई देता अल्मोड़ा शहर ) |
इस प्रकार हमारी जागेश्वर यात्रा यही समाप्त होती है । वैसे जागेश्वर से अल्मोड़ा होते हुए नैनीताल पर जाकर हमारी यह कुमाऊँ यात्रा समाप्त हो जाती हैं । फिर भी कोशिश करूँगा की एक लेख और लिखूं , जिसने जागेश्वर से नैनीताल यात्रा विवरण, नैनीताल की खूबसूरत नैनी झील के चारों तरफ के पैदल यात्रा का वर्णन और अपनी कुमाऊं यात्रा का सम्पूर्ण सार प्रस्तुत करू । चलिए जागेश्वर की इस यात्रा के साथ अब आप से विदा लेते हैं । धन्यवाद , राम राम ! वंदे मातरम .........
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Table of Contents → कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
1. नैनीताल → प्रसिद्ध पर्वतीय नगर की रेलयात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..........1)
2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
4. भीमताल → सुन्दर टापू वाली कुमायूं की सबसे बड़ी झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4) 2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)
9. कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)
14. नैनीताल → खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)
15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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Thanks,
ReplyDeleteI couldn't read the narration as fonts were not readable. Photos are very nice.
Thanks a lot...I think your system is not showing Hindi Fonts....
DeleteThanks
sundar paryatan sthalon ke aaspaas bikhare darshneey sthalon ke bakhoobi dardhan karva diye aapne ..in sthano ki sundarta isliye bhi bachi hai kyonki yaha thok band paryatak nahi pahunchte ...sundar yatra vivran .abhar
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद कविता जी....आपने सही कहा थोक पर्यटन न होने की वजह से यहाँ की सुंदरता अभी कायम हैं....मैं चाहता हूँ आगे भी ऐसी सुन्दरता बनी रहे ...
Deleteधन्यावाद...
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
charchamanch.blogspot.in/
आपका धन्यवाद जी....
Deletewah. aapke karan ek jyotirling ka darshan ho gaya..:)
ReplyDeleteआपका धन्यवाद मुकेश जी...
Deleteजागेश्वर धाम का सुन्दर चित्रण ...आपके साथ हमने भी दर्शन किये इसके लिए धन्यवाद ...
ReplyDeleteबहुत मन है दर्शन करने का ..देखें भोले नाथ कब बुलावा भेजते है ...
टिप्पणी के लिए धन्यवाद कविता जी ! आपको भी जल्द ही ही दर्शन हो ही जायेंगे....
Deleteचित्र सहित खूबसूरत यात्रा वर्णन
ReplyDeleteधन्यवाद अंजू जी....
Deleteचित्रों सहित बहुत बढ़िया,उम्दा प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
धन्यवाद धीरेन्द्र जी....
Deleteपूरा भारत आस्था का समुद्र है...और घुमक्कड़ प्रवृत्ति के लोगों के सौजन्य से हमें इसकी फर्स्ट हैण्ड रिपोर्ट मिल जाती है...इसके लिए आप लोगों का जितना भी धन्यवाद अदा किया जाये कम है...
ReplyDeleteलेख पर आने के लिए आपका भी धन्यवाद....!!!
Deleteबहुत ही खूबसूरत वर्णन किया है भाई!! :-)
ReplyDeleteaap ka dhanayvad aap na bhaut sunder varnan keya ha yatra ka man karta ha pata nahi kab Bholanath bulata ha.............vry nice
ReplyDeleteये वाले मंदिर और इनकी निर्माण विधि बहुत आकर्षित करती है ! वास्तव में ये ही मंदिर प्राचीन कहे जाने चाहिए अन्यथा तो हर किसी मंदिर को प्राचीन कह दिया जाता है ! जोगेश्वर मंदिर श्रंखला के फोटो और वर्णन बहुत प्रभावी लग रहा है मित्रवर रितेश जी !!
ReplyDeleteआपने सही कहा बिलकुल सही कहा..... धन्यवाद योगी जी |
DeleteBahut badhiya jaankari ritesh bhai, par kuch yaatra vraatunt khul nahin rahe, patal bhubneshwar aur is series ka yaatra saar...baaki sab bahut achche se bataya hai aapne...
ReplyDeleteधन्यवाद प्रदीप जी....
Deleteआपको आपकी उत्तराखंड की यात्रा के लिए शुभकामनाये ....
एरर सही कर दी गयी है ...धन्यवाद
बहुत बढ़िया सर जी, पर एक बात जाननी थी, अगर मैं आपसे ये पूछूँ कि आपको कुमाऊं की सबसे बेहतरीन जगह कौन सी लगी जो सबसे ज्यादा प्राकृतिक लगी आपको तो आपका क्या जवाब होगा?
ReplyDeleteपढ़ने बहुत अच्छा लगा। दोस्तों भुवनेश्वर मंदिर आप इस लेख का आनंद भी ले सकते है पाताल मंदिर
ReplyDeleteआपकी रचनात्मकता का मुझे गर्व है। मेरा यह लेख भी पढ़ें जागेश्वर मंदिर उत्तराखंड
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