आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..3) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल के मुख्य स्थलों की सैर का वर्णन किया था । महान हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित नैनीताल को प्रकृति ने हरी-भरी, नयनाभिराम वादियों के अलावा नैनीताल में और उसके आसपास के कई जगह पर और भी मीठे पानी की सुन्दर झीले प्रदान की हैं, इन्ही झीलों के अधिकता के कारण नैनीताल को “झीलों की नगरी” या “सरोवर नगरी” भी कहा जाता हैं । नैनीताल परिक्षेत्र में पहाड़ों के बीच सुन्दर वादियों में स्थित झीलों का भ्रमण किये बिना नैनीताल की यात्रा लगभग अधूरी ही रहती हैं । अब अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे अग्रसर करते हुए आज की इस लेख में आपको ले चलता हूँ, नैनीताल के आसपास के इलाके में स्थित अदभुत और मन को आत्मविभोर करने वाली प्रकृति की गोद में बसी → “ झीलों की सैर ” पर ।
हिमालय दर्शन के बाद हमारा अगला गंतव्य स्थल भीमताल झील था । दोपहर के साढ़े तीन का समय हो रहा था, और इस समय हम लोग तल्लीताल के चौराहे पर पहुँच गए थे । यहाँ से भीमताल जाने के लिए टैक्सी चालक ने कार को बांयी तरफ के भोवाली वाले रास्ते पर ले लिया । यह रास्ता भी काफी साफ़-सुधरा, गड्डे रहित सपाट सड़क, सड़क के किनारे परिवहन संबंधी चिन्हो का उपयोग और साथ में वादियों के खूबसूरत नजारो से भरा पड़ा था ।
हम लोग करीब आधा घंटा में भोवाली पहुँच गए । भोवाली क़स्बा, नैनीताल से भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर और भी अन्य स्थल जाते समय एक जगह सड़क संधि (As a Road Junction) के रूप में रास्ते में पड़ता हैं । नैनीताल से इसकी दूरी लगभग 11 किमी० हैं और यह एक नैनीताल जिले के अंतर्गत एक पहाड़ी क़स्बा हैं । भोवाली मुख्तय अपने फलो के बाग, फलो की मंडी और टी.बी. के अस्पताल के लिए प्रसिद्ध हैं । भोवाली से परिवहन के अधिकता (वाहनों के आवागमन) के कारण यहाँ पर खाने-पीने का काफी बड़ा अच्छा-खासा बाजार व्यवस्थित हैं । भोवाली में स्थानीय मिठाई जैसे बाल मिठाई, उत्तराखंडी ताजा फल, स्वादिष्ट आचार आदि कुछ यहाँ के बाजारों में उपलब्ध हैं ।
कुछ मिनिट भोवाली में रुकने के बाद अपनी यात्रा को जारी रखते हुए, भीमताल वाले रास्ते पर चलते रहे । भीमताल पहुँचने से कुछ किलोमीटर पहले ही एक बेरियर पर पुलिस ने हमारी गाड़ी रोकी और कहा, “आप लोग इस दाई तरफ के बाईपास वाले रास्ते से जाइए, यहाँ पर एकमार्गीय (One-Way Traffic) व्यवस्था लागू हैं “। भीमताल के बाईपास वाले रास्ते से चलते हुए कुछ समय बाद झील दिखना शुरू हो गयी । इसी झील के किनारे बनी सड़क से चलते और झील देखने का आनन्द लेते हुए होते हुए, भीमताल झील के मुख्य स्थल भीमताल बांध और भीमेश्वर मंदिर के रास्ते के पास डाट नाम के स्थान पर पहुँच गए । इसी स्थान से आगे एक बाए तरफ का एक रास्ता नौकुचिया ताल को जाता हैं ।
भीमताल झील (Bhimtal Lake) की सैर
नैनीताल परिक्षेत्र में भीमताल झील एक प्रसिद्ध जगह हैं, जिसके बारे में पहले भी कई बार लिखा जा चुका हैं । फिर भी मैं आपको अपनी भीमताल यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में यहाँ पर कर रहा हूँ ।
टैक्सी चालक ने टैक्सी को कार पार्किंग में लगाने के लिए बीस रूपये पार्किंग शुल्क का भुगतान करके कार को झील की तरफ रोक दिया । कार से उतरने के बाद सबसे पहले झील का दर्शन किये गए । हरे-भरे सुन्दर और प्राचीन पहाड़ी घाटियों के बीच स्थित भीमताल झील नैनीताल और कुमाऊँ क्षेत्र के सबसे बड़ी झील हैं । यह नैनीताल से करीब 21 किलोमीटर और काठगोदाम से 20 किलोमीटर दूर हैं, जो एक सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ हैं । भीमताल झील एक त्रिभुजाकार की झील हैं, जो समुंद्रतल करीब 1370 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं । नैनीताल झील की तरह भीमताल के एक तरफ के कोने को तल्लीताल और दूसरे कोने को मल्लीताल कहते हैं, जो झील के चारों तरफ किनारे-किनारे सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं, जिसे गाड़ी से या पैदल चलकर झील का पूरा चक्कर लगाया जा सकता हैं । यदि लम्बाई चौड़ाई की बात करे तो यह झील अधिकतम 1674 मीटर लंबी, 447 मीटर चौड़ी और 40 मीटर तक गहरी हैं । झील की आसपास भीमताल नगर काफी विकसित और जरुरी सुविधाये से परिपूर्ण हैं या फिर यह कह सकते है कि किसी छोटे शहर जैसी सभी सुविधाये यहाँ पर उपलब्ध हैं ।
टैक्सी चालक ने टैक्सी को कार पार्किंग में लगाने के लिए बीस रूपये पार्किंग शुल्क का भुगतान करके कार को झील की तरफ रोक दिया । कार से उतरने के बाद सबसे पहले झील का दर्शन किये गए । हरे-भरे सुन्दर और प्राचीन पहाड़ी घाटियों के बीच स्थित भीमताल झील नैनीताल और कुमाऊँ क्षेत्र के सबसे बड़ी झील हैं । यह नैनीताल से करीब 21 किलोमीटर और काठगोदाम से 20 किलोमीटर दूर हैं, जो एक सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ हैं । भीमताल झील एक त्रिभुजाकार की झील हैं, जो समुंद्रतल करीब 1370 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं । नैनीताल झील की तरह भीमताल के एक तरफ के कोने को तल्लीताल और दूसरे कोने को मल्लीताल कहते हैं, जो झील के चारों तरफ किनारे-किनारे सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं, जिसे गाड़ी से या पैदल चलकर झील का पूरा चक्कर लगाया जा सकता हैं । यदि लम्बाई चौड़ाई की बात करे तो यह झील अधिकतम 1674 मीटर लंबी, 447 मीटर चौड़ी और 40 मीटर तक गहरी हैं । झील की आसपास भीमताल नगर काफी विकसित और जरुरी सुविधाये से परिपूर्ण हैं या फिर यह कह सकते है कि किसी छोटे शहर जैसी सभी सुविधाये यहाँ पर उपलब्ध हैं ।
यहाँ से झील का नजारा बड़ा ही खूबसूरत नजर आ रहा था और उस पर बीच में बना टापू (Bhimtal Island)
तो सोने पे सुहागा जैसा काम कर रहा था । जो चारों ओर से झील के पानी से घिरा हुआ हैं । इस टापू पर कुछ बड़े-बड़े पेड़ लगे होने के कारण यह दूर से और भी सुन्दर नजर आता हैं । इस टापू पर नाव से किराये (आने और जाने) का भुगतान करके जाया जा सकता हैं, टापू पर जाने से पहले नाव के किराये का मोलभाव जरुर कर लेना चाहिये । पहले इस टापू पर पेड़ो की छाँव में एक रेस्तरा हुआ करता था, इस टापू पर मैं अपनी सबसे पहले की यात्रा में जा चुका हूँ और यहाँ के रेस्तरा में मशहूर कड़ी-चावल का स्वाद में ले चुका हूँ । पर झील में रेस्तरा के द्वारा गंदगी फैलाए जाने के कारण इस टापू पर रेस्तरा की जगह एक मछलीघर (Aquarium) बना दिया गया । इस मछलीघर में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को देखने के लिए प्रति व्यक्ति शुल्क अदा करना होता हैं । समय की कमी के कारण हम लोग झील के बीच बने टापू पर नहीं गए थे तो हम लोगो को मछलीघर और नाव के किराए का कोई अनुमान नहीं हैं ।
झील का पानी चारों तरफ की पहाड़ों की हरियाली के कारण हरे रंग का और कही-कही आकाश के प्रतिबिम्ब के कारण नीले रंग का प्रतीत हो रहा था । इस समय झील में पानी की मात्रा थोड़ी कम नजर आ रही थी, जिससे झील के किनारे सूख गए थे और यहाँ के स्थानीय बच्चो ने इसे अपना खेल का मैदान बना रखा था । पार्किंग के पास कई खाने-पीने और अन्य सामान की दुकाने और झील की तरफ चाट-भल्ले, पानी-पूरी, नीबू पानी और जग प्रसिद्ध मैगी आदि के कई सारी ढेले लगी हुयी थी । बच्चो को थोड़ी भूंख लग रही थी सो उनकी सुविधानुसार उनको वहाँ से खिलाया-पिलाया गया, साथ में हम लोगो ने भी कुछ चाट का स्वाद ले ही लिया ।
इस झील के किनारे भीमेश्वर मंदिर के पास एक बांध बना हुआ हैं । अल्पाहार करने के पश्चात झील को निहारते हुए हम लोग भीमताल बांध के ठीक ऊपर आ गए । इस बांध से निकलने वाले पानी से एक छोटी सी “गोला ” नाम की नदी की शुरुआत होती हैं और यह नदी आगे जाकर काठगोदाम से होकर जाने वाली “गार्गी नदी” में जाकर मिल जाती हैं । इस समय बांध का दरवाजा खुला हुआ था और तेजी से दुधिया रंग सा प्रतीत होना पानी बड़ी तेजी से नीचे गिरता चला जा रहा था, जो हमे काफी अच्छा लगा । यह जानकार और भी अच्छा लगा की यह गोला नदी का उद्गम भी हैं । बाँध के ऊपर पुल से झील की तरफ झाँकने पर पानी में तैर रही मछलियाँ बड़ी ही प्यारी लग रही थी, झील के बीच में उभरा टापू और झील के दूसरे छोर पर घर, होटल, पहाड़ आदि कुछ मन को प्रसन्नचित्त कर रहे थे । बांध के ऊपर पुल (काफी कम चौड़ाई का) से होते हुए कुछ कदम चलने के बाद हम लोग भीमताल के किनारे यहाँ के प्रसिद्ध प्राचीन भीमेश्वर मंदिर में पहुँच गए ।
यह मंदिर मुख्यतः भगवान शिव का मंदिर हैं । कहाँ जाता हैं कि इस मंदिर का निर्माण काल महाभारत काल के समय का हैं । इस मंदिर और झील के पीछे एक कथा प्रचलित हैं, जो इस प्रकार हैं । अपने वनवास काल में पांडव विचरण करते हुए इस स्थान पर आये थे, जब उन्हें प्यास लगी तो कही भी उन्हें पानी नहीं मिला । पांडवो में भीम सबसे बलशाली और विशाल आकार के थे, पानी प्राप्ति के ले लिए भीम ने इस स्थान पर अपनी गदा से जमीन पर जोर से प्रहार किया तो जमीन से एक जलधारा फूट पड़ी । तभी से यहाँ पर एक विशाल झील का निर्माण हुआ । इस झील का नाम या तो इसके बड़े आकार के कारण या फिर पांडव भीम के द्वारा निर्माण किया जाने के कारण ” भीमताल ” कहा जाता हैं । पांडवो ने अपने वनवास काल का कुछ वक्त इस स्थान पर रहकर बिताया था और पूजा पाठ के लिए यहाँ पर झील के किनारे भगवान शिवजी का एक मंदिर का निर्माण भी किया, जिसे आजकल भीमेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं । इस मंदिर में भगवान शिवजी एक शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं ।
अपने जूते-चप्पल स्टैंड पर रखने के बाद और कुछ सीड़िया नीचे उतरने के बाद मंदिर के प्रांगण में पहुँच जाते हैं । मंदिर में इस समय सफाई कार्य चल रहा था और कुछ लोग ही मंदिर में दर्शन हेतु आये हुए थे । मंदिर में प्राचीन दिव्य शिवलिंग और अन्य देवी-देवताओ के हमने दर्शन किये और उनकी प्रार्थना की । मंदिर के आँगन में एक प्राचीन पीपल का वृक्ष लगा हुआ था । पुजारी जी बता रहे थे की यह एक प्राचीन और चमत्कारिक वृक्ष हैं । इसमें पीपल के पत्तों के साथ-साथ और भी अन्य पेड़ के पत्ते भी उगे हुए हैं । हमने ध्यान से पेड़ का निरीक्षण किया और हमने एक दो फोटो उस पेड़ के ले लिए ।
कुछ समय मंदिर में बिताने के बाद उसी रास्ते से वापिस हो लिए । हम लोगो ने कुछ फोटो भीमताल बांध के ऊपर बने सुन्दर प्लेटफार्म पर लिए और आगे चलते रहे । जब पुल से गुजर रहे तब झील के सूखे स्थल पर कुछ सफ़ेद रंग की सुन्दर बत्तखो का झुण्ड टहलता हुया चला जा रहा था । बत्तखे जोर-जोर से अपनी आवाज में शोर मचा रही थी । बत्तखो को देखना और उनका चिल्लाना यह हमारे बच्चो के लिए बड़े ही कौतहूल का विषय था, सो वह उन बत्तखो के झुण्ड को बड़े ही उत्साहपूर्वक देख खुश हो रहे थे । हमने भी ऊपर से ही कैमरे को नजदीक करके उनका बत्तखो का फोटो लिया और फिर हम लोग अपने रास्ते आगे बढ़ गए ।
भीमताल झील के अच्छे से दर्शन करने के पश्चात समय के मूल्य को समझते हुए, हम लोग जल्द ही टैक्सी में बैठकर पार्किग के पास से ही बाये वाले रास्ते से होते हुए अपने अगले गंतव्य स्थल नौकुचियाताल की तरफ कूच कर गए ।
अब इस लेख को अब यही विराम देते हैं । जल्द ही अपनी इस ” कुमाऊँ श्रृंखला ” के अगले यात्रा लेख के नई कड़ी में अपने अनुभव के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा । अगले लेख में आप लोगो को नौकुचियाताल झील के सफ़र पर ले चलूँगा । अगले लेख तक के लिए आप सभी पाठकों को धन्यवाद और राम -राम !
अब इस लेख को अब यही विराम देते हैं । जल्द ही अपनी इस ” कुमाऊँ श्रृंखला ” के अगले यात्रा लेख के नई कड़ी में अपने अनुभव के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा । अगले लेख में आप लोगो को नौकुचियाताल झील के सफ़र पर ले चलूँगा । अगले लेख तक के लिए आप सभी पाठकों को धन्यवाद और राम -राम !
क्रमशः ………..
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
Table of Contents → कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)
9. कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13) 14. नैनीताल → खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)
15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
Table of Contents → कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
1. नैनीताल → प्रसिद्ध पर्वतीय नगर की रेलयात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..........1)
2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
4. भीमताल → सुन्दर टापू वाली कुमायूं की सबसे बड़ी झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4) 2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)
9. कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13) 14. नैनीताल → खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)
15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
अच्छा लेख है यादें ताज़ा हो रही हैं अपनी.
ReplyDeleteधन्यवाद शिखा वार्ष्णेय जी....आपका हमारे ब्लॉग पर स्वागत हैं....आते रहिये....|
Deleteअति सुन्दर रितेश जी ,
ReplyDeleteभीमताल की जील बहुत सुन्दर है . पोस्ट लाजवाब एक बार फिर .
लगे रहो .
धन्यवाद विशाल जी.....
Deleteबहुत सुन्दर वर्णन और मनमोहक तस्वीरें
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद....लेख को पसंद करने के लिए
Deleteसुंदर वर्णन, सुंदर नजारे..वाह!
ReplyDeleteधन्यवाद देवेन्द्र जी....आते रहिये इस ब्लॉग पर
Deleteरितेश जी देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ |
ReplyDeleteमुझे आपका ये वाला संस्मरण बहुत अच्छा लगा |
सादर
आकाश
कोई बात नहीं....आप आये लेख पढ़ा और प्रशंसा उसके लिए आपका धन्यवाद !
Deleteरीतेश
अति उत्तम
ReplyDeleteधन्यवाद अभिषेक जी...
Deleteभीमताल की कथा जानना अच्छा लगा।
ReplyDeleteधन्यवाद मनीष जी....
Deletebahut sunder warnn ...
ReplyDeleteधन्यवाद दर्शन जी....
DeleteI am extremely impressed with your writing skills and
ReplyDeletealso with the layout on your weblog. Is this a paid theme or did
you customize it yourself? Either way keep up the excellent
quality writing, it's rare to see a nice blog like this one these days.
Look into my site ... webpage