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Thursday, May 9, 2013

नैनीताल (Nainital→ खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)

Written By→ Ritesh Gupta 
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13) में मैंने कुमाऊँ के जागेश्वर धाम की यात्रा का वर्णन आप सबके सम्मुख प्रस्तुत किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला इस अंतिम कड़ी में प्रस्तुत है, नैनीताल की खूबसूरत झील की चारों तरफ का पैदल यात्रा वृतांत और मेरी इस सम्पूर्ण कुमाऊं यात्रा श्रृंखला का सारांश।  


जागेश्वर की एक दुकान से एक लीटर पेट्रोल कार में डालकर हम लोग अपने वापिसी के सफ़र पर चल दिए । करीब तीस किलोमीटर पहाड़ी रास्ते का सफ़रतय कर हम लोग दो बजे के आसपास अल्मोड़ा पहुँच गए । वहाँ पर एक पेट्रोल पम्प से टैक्सी कार में पेट्रोल भरवा कर फिर चल दिए । पेट्रोल  पम्प से बाहर निकलते ही देखा का अल्मोड़ा की पहाड़ की खाई की तरफ की सड़क कटने काफी नीचे धंस गयी और कुछ दुकाने भी इसके लपेटे में आ गयी थी , हम लोग सड़क के सुरक्षित हिस्से होते हुए अपने आगे की यात्रा पर निकल गए । सुबह हम लोग केवल नाश्ता करके ही चले थे, सो काफी देर चलने के बाद हम लोगो को भूख सताने लगी तो रास्ते में पहाड़ी गाँव के पास एक अच्छे से ढाबे को देखकर कार को रुकवा दिया और उस ढाबे में स्वादिष्ट भोजन करने के बाद NH-37 से फिर नैनीताल की तरफ अग्रसर हो लिए । 

रास्ते में हमे कोसी नदी पर पड़ने वाला वही पुल मिला जहाँ से आते में हम लोग रानीखेत के लिए मुड़े थे, इसी तरह रास्ते की सुंदरता का अवलोकन करते हुए, कैंची धाम और भोवाली होते हुए शाम के साढ़े चार बजे के आसपास हम लोग नैनीताल पहुँच गए ।
Tallital Chowk of Nainital (यह नैनीताल का व्यस्तम  तल्लीताल चौराहा )


Friday, April 19, 2013

जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग) Jageshwar → भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12) में मैंने कुमाऊँ के पाताल भुवनेश्वर और वहाँ से जागेश्वर धाम तक की यात्रा का वर्णन किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला अग्रसर करते हुए आज चलते हैं चारों तरफ से देवदार के जगंलो से घिरे प्राचीन श्री जागेश्वर धाम के मंदिर और करते हैं भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो नागेश दारुकावने के नाम से जाने जाते हैं । 

गयारह बजे के आसपास हम लोग जागेश्वर धाम की एक छोटी नदी / नाले के किनारे मुख्य सड़क पर थे । मुख्य सड़क के किनारे कई सारी गाड़ियां खड़ी हुई थी हमारे कार चालक ने मंदिर के सबसे पास एक खाली जगह देखकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया हम लोग भी कार से निकलकर मंदिर के दर्शन करने चल दिए, सड़क से ही स्लेटी रंग के मंदिर के शिखर और उस मंदिर के ठीक पीछे देवदार के घने वृक्षों जंगल नजर आ रहे थे इस समय यहाँ के मौसम में सूरज की रौशनी सीधी पड़ने के कारण कुछ गर्माहट थी, पर साथ ही साथ चल रही ठंडी हवा तम और मन सुकून पहूँचाने के लिए काफी थी   

A View just before Jageshwar Temple (देवदार के वृक्षों के मध्य जागेश्वर के मुख्य मंदिर तक जाता रास्ता)

Monday, April 8, 2013

जागेश्वर धाम (Jageshwar Dham) → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11) में मैंने कुमाऊँ के प्रसिद्ध भगवान शिव की गुफा मंदिर पाताल भुवनेश्वर की यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर से उत्तराखंड के कुमाऊँ में अल्मोड़ा के नजदीक कैलाश-मानसरोवर जाने वाले पुराने मार्ग पर स्थित एक ऐसे स्थल पर जो भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में भी जाना हैं और वह स्थल हैं, प्रसिद्ध नागर शैली में  निर्मित भगवान शिव के अति-प्राचीन स्थल "जागेश्वर धाम " मंदिर 

पाताल भुवनेश्वर की गुफा के दर्शन करने के पश्चात हम लोगो ने काउंटर से अपने मोबाईल और कैमरे वापिस लिए कि तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी । वहाँ पर दर्शन हेतु आये अधिकतर लोग वापिस जा चुके थे पर हम लोग मूसलाधार बारिश के कारण वही फँस गए । बारिश से बचने के लिए हम लोग वही मंदिर के टिनशेड के नीचे बैठ गए । लगभग आधा घंटे से ऊपर हम लोग तेज बारिश के कारण वही बैठे रहे और मंदिर कमेटी के लोगो से वार्तालाप करते रहे । उनमे से एक व्यक्ति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुआ की हम लोग आगरा से आये हुए क्योंकि वह व्यक्ति आगरा में कई साल नौकरी कर चुका था । खैर शाम के पांच बजे के आसपास तेज बारिश आलम धीरे-धीरे थमा और हम लोग वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चल दिये । 

A Panoramic View from KMVN Guest House, Patal Bhuvneshwar
(यह गेस्ट हाउस से दिखने वाला पहाड़ों का दिलकश नजारा, शायद कही खो ना जाऊ इन नाजारो में  )
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