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Monday, December 17, 2012

नैनीताल ( Nainital )→ माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)

प्रिय मित्रों और पाठकगणों को नमस्कार !


आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने भीमताल के पास के हनुमानगढ मंदिर और सातताल की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा नैनीताल के मुख्य स्थल, नैनीताल के आसपास की स्थल और झीलो का भ्रमण हो चुका था, अब हमने अपना विचार कुमाऊँ के अन्य प्रसिद्ध स्थलो को देखना का बनाया । अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में सबसे पहले नैनीताल के मुख्य स्थल शक्तिपीठ माँ नैनीदेवी के मंदिर और उसके बाद आपको कुमाऊँ यात्रा के अन्य स्थलों पर ले चलता हूँ ।

Magnetic Look of Naini Lake from Mall Road Side (मन को प्रफुल्लित करता यह नैनी झील का सलोना रूप )

यह हमारे कुमाऊँ यात्रा का दूसरा दिन था और तारीख थी 26 जून 2012 । सुबह के सात बजे के आसपास हम लोग जाग गए, कमरे से बाहर की बालकनी में जाकर धूप की रौशनी में नहाये झील और पहाड़ का दिलकश नजारा लिया, इस समय ठंडी हवा तेज गति चल रही थी । अभी तक हमारे आगे की यात्रा के लिए टैक्सी का प्रबन्ध नहीं हो सका था, इसलिए थोड़ी चिंता जरुर थी । कुछ देर बाद कमरे में वापिस आकार अपने नित्यकर्म से निपटने में लग गए । तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई, दरवाजा खोलकर देखा तो डेल्हा जी (टैक्सी मालिक → Mr. D.S. Dhela Mobile No.09690252676 ) दरवाजे पर खड़े हुए थे और हमसे टैक्सी बुकिंग के बारे में पूछ रहे थे । मैं और छोटा भाई अनुज हम दोनो वही बालकनी में रखी कुर्सियों पर बैठकर डेल्हा जी को अपने तीन दिन के कुँमाऊ यात्रा की पूरी योजना बताई, अपनी पूरी योजना बताने के बाद हमने उनसे इस यात्रा का टैक्सी किराया पूछा सभी टोल टैक्स, टैक्सी स्टैंड, चालक के खाने और रात के खर्चे सहित । उन्होंने हमें इसका यात्रा का टैक्सी खर्च कुल रू.8200 बताया जो हमें ज्यादा लगा । अब हमने उनसे दूसरे ट्रेवेल एजेंसी का हवाला देते मोलभाव शुरू किया तो अंत में टैक्सी (मारुती अल्टो) किराया रू.6400 सभी खर्च सहित पर हम दोनो कि सहमति बन गयी । हमने देल्हा जी एक हजार रूपये देकर उनकी टैक्सी (मारुती अल्टो) बुक कर ली और कहा की हम लोग सबसे पहले नैना देवी मंदिर जायेगे उसके बाद आगे की यात्रा पर चलेंगे । उन्होंने हमें एक घंटे का समय तैयार होने और होटल से चेक आउट करने का दे दिया ।

टैक्सी बुक हो जाने के बाद हम लोग अब जल्दी-जल्दी तैयार होने लगे । नाश्ते के लिए हमने होटल के सामने एक परचूनी की दुकान से एक बड़ा पैकट ब्रेड का और एक पैकेट मक्खन ले आये जो होटल के ब्रेड-मक्खन से काफी सस्ता पड़ता हैं । चाय हमे होटल के रेस्तरा से ही फोन करके मंगवा ली । चाय-नाश्ता करने के बाद अब हम लोग चलने के लिए तैयार हो चुके थे । हम लोगो में कमरे में इधर-उधर बिखरा सारा सामान बैगो में पैक कर लिया और होटल के काउंटर पर जाकर एक दिन के कमरे का होटल (होटल पर्यटक) का और रेस्तरा का बिल बनाकर उनका हिसाब चुकता कर दिया । पौने नौ बजे के आसपास डेल्हा जी एक बार फिर से हमारे पास होटल के कमरे पर आये, अबकी बार उनके हाथ में एक मिठाई का डिब्बा था । मिठाई का डिब्बा हमारे सामने खोल कर कहा,”लीजिए मिठाई खाईये ।” हमने पूछा,”यह मिठाई किस खुशी में खिलाई जा रही हैं ।” उन्होंने कहा,”जिस अल्टो में आप लोग जा रहे हैं वो मैने एक महीने पहले ही शोरूम खरीदी हैं और आज उसका लाइसेंस टैक्सी में पास हो गया हैं । आप इस टैक्सी से हमारे ग्राहक के रूप में यात्रा करने वाले पहले हो ग्राहक हो ।” हमने उन्हें बधाई दी और कहा,”यह तो बहुत अच्छी बात हैं । हमें भी नई गाड़ी की सवारी का लुफ्त मिलेगा ।” इसके बाद उन्होंने बताया की गाड़ी चलाने के लिए एक कुशल और अनुभवी चालक का भी प्रबन्ध उन्होंने कर दिया हैं ।


नौ बजे के आसपास हम लोगो ने अपना सारा सामान लेकर होटल की पार्किग में पहुँच गए । पार्किंग में अधेड़ उम्र के एक सज्जन (कार चालक) एक सफ़ेद रंग कि नई मारुती अल्टो कार के साथ हमारी ही प्रतीक्षा कर रहे थे । कार की डिक्की में सारा सामान व्यवस्थित किया और कार में बैठने के बाद हमने उनसे श्री नैना देवी मंदिर जाने के लिए कहा । कुछ देर में ही हम लोग माल रोड के बाए तरफ के रास्ते (झील की तरफ) पहुँच गए, सुबह के समय माल रोड बिल्कुल खाली था और माल रोड से चलते हुए झील का नजारा बड़ा शानदार था । कुछ ही देर में हम लोग मल्लीताल पहुँच गए,मंदिर जाने के लिए हमारे में कार चालक में कार को टैक्सी स्टैंड पर न खड़ा करके कार को कुछ दूर चलने के बाद झील के ठंडी सड़क के पास के पहाड़ के किनारे पर पार्क कर दिया और हमे नैना देवी मंदिर रास्ते का मार्ग दर्शन करने के बाद जल्दी ही वापिस आने को कहा ।


शक्तिपीठ श्री माँ नयना देवी मंदिर (Shri NainaDevi Mandir, Mallital, Nainital)

Holy NainaDevi Temple Entrance Gate (श्री माँ नयना देवी मंदिर का प्रवेश द्वार )


पहाड़ी संकरी गलियों और दुकानों के बीच से होते हुए हम लोग श्री माँ नयना देवी मंदिर पहुँच गए । मंदिर के मुख्य द्वार के पास ही एक दो प्रसाद की दुकाने हैं और मंदिर के आसपास खाने-पीने, कपड़े, खिलौने आदि का काफी बड़ा बाजार विकसित हैं, साथ-साथ पास की एक गली में काफी लंबा भूटिया बाजार भी हैं जो टैक्सी स्टैंड के पास जाकर खत्म होता हैं । इस समय बाजार की कुछ दुकाने खुली थी और कुछ खुलने जा रही थी । हम लोग एक बड़े से दरवाजे से श्री माँ नयना देवी मंदिर में प्रवेश किया । मंदिर परिसर का वातावरण बिल्कुल शान्त और साफ़ सुधरा था । मंदिर प्रागण का फर्श सफ़ेद पत्थर का बना हुआ और शक्तिरूपी माँ नयना देवी का मुख्य मंदिर बीच में बना हुआ है । मंदिर का निर्माण काफी सुन्दर और वास्तुकला युक्त हैं और मंदिर का मुख झील की तरफ ही हैं । श्री माँ नयना देवी मंदिर नैनीताल का मुख्य पवित्र स्थल हैं और यह मंदिर नैनी झील के उत्तरी दिशा मल्लीताल में टैक्सी स्टैंड और वहाँ के सबसे बड़े मैदान के पास स्थित हैं । इस मंदिर का और नैनी झील का अपना एक पौराणिक महत्व है जिसके बारे में मैं आपको अपने पिछले लेख सफ़र कुमाऊँ का …2 )  बता चुका हूँ ।
A Holy & Beautiful Temple of Maa Naina Devi bank of NainiLake  (पवित्र माँ शक्तिरूपी नैनीदेवी जी का मनभावन मंदिर )


 हम लोगो ने अपने जूते,चप्पल उतारकर, अपने हाथ धोकर श्री माँ नयना देवी जी के दर्शन लाभ लिया और उनकी प्राथर्ना की । मंदिर में माँ नयना देवीजी के एक मूर्ति स्थापित जिनके नयन काफी बड़े आकार के हैं । मंदिर के अंदर गर्भग्रह में देवीजी की प्रतिमा का फोटो खींचना मना था, इसलिए प्रतिमा के फोटो नहीं लिए,पर के बाहर प्रांगण में फोटो लेने पर कोई मनाही नहीं थी । मंदिर प्रांगण में मुख्य देवीजी के मंदिर के पास ही और भी कई भगवान अपने छोटे-छोटे मंदिरों विराजमान हैं और माँ नयनादेवी जी के मंदिर के ठीक सामने खुले में झील की तरफ एक भगवान शिवजी का पवित्र शिवलिंग स्थापित हैं । देवीजी के दाहिने तरफ मनोकामना की चुंदरी बांधने का एक स्टैंड हैं, जहाँ पर हमने कई सारी चुंदरी बंधी देखी जो काफी सुन्दर लग रही थी । इन्हें देखकर सोचा की इन चुंदरियो में न जाने कितने लोगो की श्रद्धा और मनोकामना छुपी हुई हैं ।

Color of devotion and desire 
(इन चुंदरियो कितने ही लोगो की आस्था और मनोकामना छुपी हुई हैं )

खैर हम लोगो ने मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद कुछ पल उसी मंदिर के शांत वातावरण में बिताया, मंदिर और झील की काफी सारी चित्र खीचे । मंदिर से नैनी झील का नजारा बहुत नयनाभिराम था और झील के पानी में मछलियों को स्वछंद रूप से विचरण करते हुए देख कर मन प्रफुल्लित हो रहा था और अनायास ही मुँह से निकलता कि “देखो! कितनी बड़ी मछली पानी में तैर रही हैं “। खैर कुछ समय यहाँ व्यतीत करने के बाद हम लोग मंदिर से बाहर निकलकर झील के ठंडी सड़क की तरफ चल दिए । कुछ ठंडी सड़क से झील के द्रश्य का आनन्द लेने के बाद हम लोग मंदिर के पास के बाजार से होते हुए वापिस चल दिये । बाजार की दुकाने खुल लगभग चुकी थी, हमने भी एक दुकान से मोलभाव कर कुछ छाते और खिलौने ख़रीदे, तभी हमारे टैक्सी को चलाने वाले अंकल हमे तलाशते हुए वहाँ पहुँच गए और उन्होंने हमसे जल्दी चलने को कहा । हम लोग भी उनके साथ-साथ कार तक पहुचँ गए । कार में सवार होने के बाद मॉल रोड का आनन्द लेते हुए सुबह साढ़े दस बजे के आसपास तल्लीताल के बसअड्डे पहुँच गए । यहाँ से अब हमारे कुमाऊँ के विभिन्न स्थलों के तीन दिन के सफ़र की शुरुआत होती हैं ।
 


Me With New Taxi Alto (कार के साथ भी एक फोटो हो जाए )

श्री कैंची धाम मंदिर (Shri Kainchi Dham Temple,Dist. Nainital) 


श्री माँ नयना देवी मंदिर के दर्शन के बाद हमारा अगला पड़ाव श्री कैंची धाम मंदिर था । तल्लीताल से आगे बढ़ते हुए अब हम लोग भोवाली वाले रास्ते (NH-87) पर चल दिए । करीब साढ़े आठ किमी० इस सड़क मार्ग पर चलने के भोवाली के पहले चौराहे से बायीं तरफ की अल्मोड़ा शहर को जाने वाले इसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलते रहे । यहाँ से करीब नौ किमी० चलने के बाद हम लोग यहाँ के प्रसिद्ध श्री कैंची धाम मंदिर पहुँच जाते हैं । 
Road Map Nainital To Kanchi Dham Temple Distance 17.50KM 
(नैनीताल से भोवाली होते हुए श्री कैंची धाम मंदिर का सड़क मार्ग नक्शा )
पहाड़ों के बीच एक छोटी सी नदी के किनारे बसा यह कैंची धाम मंदिर बड़ा ही सुन्दर और भव्य नजर आता हैं । जिस स्थान पर यह मंदिर व्यवस्थित हैं, उसकी खासियत यह कि वहाँ पर दो कैंची (Scissors) जैसे पहाड़ी मोड़ पड़ते हैं, जिस कारण से इसे मोड़ को कैंची मोड़, इसके आसपास के बसे इलाके को कैंची ग्राम और इस मोड़ के पास स्थित होने के इस मंदिर को “श्री कैंची धाम मंदिर” कहा जाता है । यह मंदिर “बाबा श्री नीव करौरी का आश्रम” के नाम से जाना जाता हैं, जो “बाबा श्री नीम करौली आश्रम” के नाम से भी प्रसिद्ध हैं । श्री कैंची धाम की दूरी नैनीताल से लगभग साढ़े सत्रह किमी० है और समुंद्रतल से करीब 1400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं । 


Beautiful Shri Kainchi Dham Temple from Road (बाबा नीम करोली आश्रम, कैंची धाम, नैनीताल)
 इस मंदिर और आश्रम की स्थापना उत्तर भारत के प्रसिद्ध संत बाबा श्री नीव करौरी जी द्वारा किया गया था । बाबा श्री नीव करौरी से श्री हनुमान जी परम भक्त थे । उन्होंने इस स्थान की खूबसूरती और पवित्रता को देखते हुए सबसे पहले यहाँ पर श्री हनुमान का मंदिर बनवाया था और अपना आश्रम बनाकर इन्होने अपने जीवन के कुछ समय इसी आश्रम में भगवान की भक्ति करते हुए बिताया था । बाबाजी ने अपने जीवन काल में कई चमत्कार किये और लोगो भगवान की भक्ति के साथ उनके ज्ञान अवगत कराया था । कुछ सालो बाद वृन्दावन में बाबा नीव करौरी जी के स्वर्गारोहण के बाद उनके अनुयाईयों और सेवको ने कैंची के इस आश्रम का विस्तार किया । आश्रम में कई छोटे-छोटे बेहद सुन्दर और साफ़-सुधरे मंदिर बनवाया गए और मंदिर प्रांगण के बीच में बाबा श्री नीव करौरी जी का भव्य धवल संगमरमर मंदिर बनवाया । प्रति वर्ष पन्द्रह जून को यहाँ पर विशाल भंडारा और मेला लगता हैं क्योकि इसी दिन आश्रम में एक मंदिर ने श्री हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी । आजकल यह आश्रम श्री कैंची धाम के नाम से विख्यात हैं और नैनीताल के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक होने के कारण हजारों की संख्या लोग यहाँ आते हैं ।


Kanchi Temple in the Lap of green Mountain 
(पहाड़ों के गोद में स्थित कैंची धाम मंदिर का द्रश्य)
मंदिर से थोड़ा आगे जाकर एक जगह कार रुकने के बाद हम लोग मंदिर चल दिए । हमने देखा की यहाँ पर रुकने के लिए गेस्ट हॉउस और खाने-पीने की काफी अच्छी व्यवस्था थी साथ-ही साथ कई तरह की दुकाने मंदिर के आसपास व्यस्थित थी । सड़क मार्ग और मंदिर के बीच एक छोटी नदी पड़ती है और मंदिर तक जाने के लिए सड़क मार्ग के बड़े से प्रवेश द्वार से कुछ सीढ़िया उतरने बाद एक छोटा साफ-सुधरा पुल मंदिर को जोड़ता हैं । पुल से पहाड़ों के परिपेक्ष में मंदिर का द्रश्य बड़ा अच्छा लगता हैं । हमने अपने कैमरे से कुछ फोटो पुल के ऊपर और मंदिर के खींचे क्योकि यहाँ पर मंदिर के अंदर फोटो लेना मना था । 


पुल के नीचे बह रही नदी में इस समय पानी काफी कम था खैर आसपास के नाजारे लेते हुए हम लोगो ने वही एक जूता स्टैंड पर अपनी पादुकाये उतराने के बाद मंदिर में प्रवेश किया । अंदर से यह मंदिर और अन्य मंदिरों के मुकाबले बिल्कुल साफ़-सुधरा और सुव्यवस्थित था । मंदिर में अंदर चलते हुए हमने अपने कई आराध्य देवी और देवो के दर्शन किये । मंदिर के बीच में बाबा नीव करौरी जी का मंदिर सबसे बड़ा और सुन्दर था । मंदिर के शांत वातावरण में कुछ समय गुजारने और चने का प्रसाद ग्रहण करने के बाद हम लोग वहाँ से वापिस चल दिए । 


इस समय यहाँ का मौसम कुछ गर्म था, सीधी और तेज धूप पड़ रही थी और चलने के कारण प्यास भी सताने लगी थी । आसपास देखा तो रेस्तरा जैसी एक दुकान नजर आई, उस दुकान से एक गिलास निम्बू-सोड़ा बनवाया और चखकर देखा, स्वादिष्ट लगा तो सबके लिए बनवाया दिया । निम्बू-सोड़ा से प्यास बुझाने पश्चात हम लोग के कार में बैठकर अपनी अगली मंजिल की तरफ उसी सड़क मार्ग (अल्मोड़ा मार्ग) से आगे चल दिए । श्री कैंची धाम से आगे निकलने के बाद तय कार्यक्रमानुसार हमारी अगली पड़ाव उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्वतीय नगर रानीखेत था । 

A Road View outside of the temple (मंदिर से बाहर सड़क का द्रश्य )
A Beautiful View on the way to Ranikhet 
(रानीखेत रास्ते में पड़ने वाले पहाड़ों का एक दिलकश नजारा और कोसी नदी घाटी का द्रश्य)
 चलिए कुमाऊँ श्रृंखला के इस लेख और सफ़र यही विश्राम दे देते है । जल्द ही अपनी इस “कुमाऊँ श्रृंखला” के अगले यात्रा लेख के नई कड़ी में ” रानीखेत ” यात्रा की बारे अपने अनुभव आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा । अगले लेख तक के लिए आप सभी पाठकों को धन्यवाद और राम -राम ! वन्देमातरम 

क्रमशः ……….............................
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Table of Contents  कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
4. भीमताल → सुन्दर टापू वाली कुमायूं की सबसे बड़ी झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4)  
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)   
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील  (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)   
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8) 
9.  कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10) 
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11) 
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12) 
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)   
 14.  नैनीताल → खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)
15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण  (Bhimtal Lake in Nainital Region) 
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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22 comments:

  1. बहुत ही सुंदर नजारा है ...यादगार सफ़र याद दिलाने के लिए शुक्रिया ...ब्रेड और मक्खन का आइडिया मुझे भी काफी पसंद आया ...हमको भी आल्टो वाला 6 हजार में 3 दिवसीय यात्रा को दिखने को तैयार हो गया था ....आगे सफ़र में हम आपके साथ है....

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    1. धन्यवाद दर्शन जी.....अच्छा लगा जानकर की आपने फिर से अपने सफ़र को याद किया...

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  2. रुप कुन्ड जाते समय कैंची धाम के आगे से होकर गया था।

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    1. अब रूपकुंड के बारे में कब लिख रहे हो संदीप भाई....

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  3. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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    1. मदन मोहन जी....
      ब्लॉग पर आने और लेख की प्रशंसा में टिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद.....

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  4. कैंची धाम के बगल से नैनीताल यात्रा से अल्मौड़ा जाते हुए गुजरा था। आज आपकी वज़ह से इस मंदिर के दर्शन हो गए। धन्यवाद !

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    1. कैंची धाम के आपको दर्शन हुए, चलो लेख कुछ सार्थक तो हुआ....टिप्पणी के लिए धन्यवाद...!

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  5. bahut hi khubsurat yatra varnan Gupta ji jaari rakhiye...

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    1. टिप्पणी के लिए धन्यवाद सुरेश जी...| ब्लॉग पर काफी दिनों बाद दर्शन हुए ?

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  6. जैसा कि मैंने पहले भी आपसे कहा है कि मैं कभी उस तरफ गया तो नहीं हूँ लेकिन हर बार आपका ब्लॉग अपने साथ मुझे सैर कराने ले ही जाता है |
    बहुत बधाई |

    सादर

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    1. आकाश जी जब भी मौका लगे इस तरफ जरुर जाना....| टिप्पणी के लिए धन्यवाद

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  7. एक और बढ़िया यात्रा विवरण और सुन्दर पोस्ट रितेश जी आपके द्वारा .नैना मंदिर और कैची धाम मंदिर के दर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मैंने यह पहली बार किसी फोटो में यह दोनों मंदिर देखे है.

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    1. विशाल जी....
      लेख कि प्रशंसा करने के लिए धन्यावाद....| हिमालय के वादियों में स्थित ये दोनो मंदिर वाकई बहुत सुन्दर हैं....|

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  13. नैनादेवी नैनीताल मा जगदंंबाका अवतार जब माता पार्वती अपने मायके यज्ञ समारोहमे पिताके अपमानसे यज्ञकुंंडमे कुदपडी । तुरंंत शिवजी माता
    पार्वतीके शरीरको कंंधेपर ऊठाकर घुमने लगे। भगवान विष्णु सूदर्शनचक्र ऊस शरीरपर छोडके ऊस शरीरके टुकडे टुकडे चारो दिशाओमे बिखर
    गये । वही एक एक टूकडेपर माता पार्वती देविके
    शक्ती पिठ मे रूपांंतर हो चुका है ऊन्न्ही मेसे एक
    माॅॅ नैना राणी आज नैनिताल स्स्थित है।

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  14. नैनादेवी नैनीताल मा जगदंंबाका अवतार जब माता पार्वती अपने मायके यज्ञ समारोहमे पिताके अपमानसे यज्ञकुंंडमे कुदपडी । तुरंंत शिवजी माता
    पार्वतीके शरीरको कंंधेपर ऊठाकर घुमने लगे। भगवान विष्णु सूदर्शनचक्र ऊस शरीरपर छोडके ऊस शरीरके टुकडे टुकडे चारो दिशाओमे बिखर
    गये । वही एक एक टूकडेपर माता पार्वती देविके
    शक्ती पिठ मे रूपांंतर हो चुका है ऊन्न्ही मेसे एक
    माॅॅ नैना राणी आज नैनिताल स्स्थित है।

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    1. सरजी, आपकी कथा में थोड़ा संशोधन करना चाहूंगा। यह पार्वती नहीं थीं बल्कि माता सती थीं, शिवजी की पहली पत्नी, जिन्होंने यज्ञकुंड में कूदकर आत्मदाह किया था। बाद में सती ने ही हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया था। पार्वती ने शिवजी को कठिन तपस्या के बाद पति के रूप में प्राप्त किया था।

      - Shalabh Saxena (Dehradun)

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