Written by Ritesh Gupta
नमस्कार दोस्तों ! आज चलते हैं मनाली की दर्शनीय स्थलों की सैर पर । हम लोगो ने कार से रात भर सफ़र करते हुए
दिल्ली से मनाली तक की अपनी यात्रा पूरी कर ली थी और यह वृतान्त पिछले लेख में वर्णित किया जा चुका हैं । व्यास नदी के किनारे-किनारे कुल्लू से मनाली तक रास्ता बहुत ही खूबसूरत और सुन्दर नजारों से भरा पड़ा हुआ हैं । जब हम कुल्लू से मनाली की ओर चले थे, तब रास्ते में एक जगह चाय-नाश्ते के लिए व्यास नदी के किनारे एक ढाबा कम रेस्तरा पर रुके थे, यही पर हमने चाय और आलू के गरम-गरम पराठे का नाश्ता कर अपनी भूख को शांत कर लिया था । नाश्ते के बाद अपना सफ़र जारी रखते हुए हम लोग मनाली से लगभग डेढ़ किमी० पहले के ग्रीन टैक्स बैरिअर (Green Tax Barrier) पर पहुँच गए थे, यहाँ से मनाली शहर के अंदर प्रवेश करने के लिए हमने शायद लगभग रू०300/-
ग्रीन टैक्स के रूप में चुकाए ।
टैक्स का भुगतान करने के बाद (23 जून 2010) सुबह के नौ बजे के आसपास हम लोग मनाली शहर के माल रोड नाम की जगह पर पहुँच गए । दिल्ली से मनाली पहुँचने में हमें लगभग 14 घंटे का समय लगा था ।
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Manalsu River in the Club House, Manali..... Kullu (बड़ा ठंडा पानी हैं इस मनाल्सू नदी का, मनाली) |
एक परिचय मनाली पर्वतीय नगर से । मनाली शब्द जुबान पर आते ही एक ठंडक अहसास हो आता हैं । जब हम किसी शहर के बारे में या फिर वहाँ जाने की सोचते हैं तो उसकी एक काल्पनिक रूपरेखा अपने मन में बैठा लेते हैं, ऐसा ही हमने कुछ मनाली के बारे भी सोचा था, पर हकीकत में मनाली तो उस काल्पनिक रूपरेखा से भी अधिक सुन्दर निकला । पर्वतीय नगर मनाली दुनिया की सबसे बड़ी पर्वतमाला हिमालय की गोद में बसा एक बेहद ही रमणीय और लोकप्रिय पर्वतीय स्थल (Hill Station) हैं , जो भारत के उत्तर दिशा मे हिमाचल प्रदेश प्रान्त में कुल्लू जिले के अंतर्गत आता हैं । समुंद्र तल से मनाली की ऊंचाई लगभग 1950 मीटर (6397 फीट) हैं । प्रकृति ने मनाली को अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य अपने खुले हाथो लुटाया हैं, सदियों से कुल्लू घाटी में व्यास नदी के किनारे बसा यह खूबसूरत शहर अपनी सुन्दर, हरीभरी घाटियाँ, मधुर संगीत के सुर में गिरते पानी के झरने, ऊँचे-ऊँचे और बर्फ से ढकी पहाड़िया, कल-कल करती तेज गति से बहती नदियाँ, नागिन के तरह बलखाते सुन्दर रास्ते, हवा में लहराते लंबे-लंबे और सुन्दर पेड़, शीतल और स्वच्छ जलवायु, घने जंगल, सर्दी के मौसम में बर्फ से घिरी घाटियाँ आदि से लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा हैं । मनाली कुल्लू से रोहतांग दर्रा से होते हुए लेह-लद्दाख की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 21* पर स्थित हैं । मनाली की देश के कुछ मुख्य शहर से दूरी जैसे कुल्लू से लगभग 40 किमी०, चंडीगढ़ से लगभग 310 किमी० और दिल्ली से लगभग 550 किमी० और आगरा से 750 किमी० हैं । प्रसिद्ध पर्वतीय नगर होने के कारण अन्य शहरो से यहाँ पर पहुचने के भरपूर साधन बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । वैसे तो मनाली में साल भर पर्यटकों और घुमक्कड़ो से आबाद रहता हैं फिर भी मनाली जाने का सबसे उत्तम समय गर्मियों में अप्रैल से जून और अगर बर्फ़बारी का मजा लेना हैं तो सर्दियों में जनवरी से मार्च तक का हैं ।
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Bird Eye View of Manali Town.... (ऊपर से कुछ ऐसा दिखता हैं मनाली) |
इतिहास में मनाली शब्द का अर्थ हैं “मनु का निवास”, यानि मनाली के नाम की उत्पत्ति प्रथम पुरुष मनु से हुई है। प्रथम पुरुष से हमारा आशय कालान्तर में जब इस संसार पर प्रलय आई थी तब पूरी दुनिया तहस-नहस हो गयी थी और उस समय केवल मनु ही जीवित बच पाए थे और यही से मनु जी ने संसार में मनुष्य की पुर्नरचना की थी । इसलिये मनु के नाम पर इस जगह का नाम मनाली पड़ गया ।
वर्तमान समय में देश-विदेश में मनाली की लोकप्रियता सबसें ऊपर और इसका नाम भारत के मुख्य पर्वतीय नगरों (Hill Station) में सबसे ऊपर आता हैं । मनाली तो मधुयामिनी मनाने वालो के लिए तो स्वर्ग हैं, अधिकतर नवयुगल दंपत्ति मधुयामिनी (Honeymoon) मनाने की जगह में यहाँ का नाम अपनी सूची सबसे ऊपर में रखते हैं । आजकल मनाली एक हनीमून पॉइंट के रूप में विकसित हो गया हैं और आपको मनाली की वादियों में अधिकतर नए जोड़े बाहों में बाहे डाले घूमते हुए और अपने प्यार का इजहार करते नज़र आ जायेंगे । कई शहरो से तो हनीमून पैकेज के रूप में यहाँ पर नए जोड़े के घूमने की पूर्ण व्यवस्था ट्रेवल एजेंट के द्वारा अच्छे स्तर पर की जाती हैं । गर्मी के मौसम में मनाली की छटा देखते ही बनती हैं चारों ओर हरियाली, सुगन्धित स्वच्छ वायु और सुहावना मौसम । गर्मियों के मौसम में हजारों की संख्या में सैलानी मैदानी इलाके की गर्मी से छुटकारा पाने के यहाँ आते हैं । सर्दियों में यहाँ का तापमान -2°C डिग्री से भी नीचे चला जाता हैं और यहाँ के वादियाँ बर्फ की सफ़ेद चादर से ढक जाती हैं । सर्दियों में जब यहाँ बर्फ गिरती तब यहाँ स्नो फाल का भरपूर लुफ्त लिया जा सकता हैं ।
हमारे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी भी अपने कार्यकाल के समय छुट्टिया मनाने यही पर आया करते थे, उन्होंने मनाली के बारे में एक अति सुन्दर कविता कुछ इस प्रकार की हैं →
मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में।
जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज़ में।
जइयो तो जइयो, सन्देसा न पइयो, टेलिफोन बिगड़े हैं, मिर्धा महाराज में।
जइयो तो जइयो, मशाल ले के जइयो, बिजुरी भइ बैरिन अंधेरिया रात में।
जइयो तो जइयो, त्रिशूल बांध जइयो, मिलेंगे ख़ालिस्तानी, राजीव के राज में।
मनाली तो जइहो । सुरग सुख पइहों । दुख नीको लागे, मोहे राजा के राज में ।……… श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ।
अब चलते हैं अपने यात्रा वृतांत कि ओर । मनाली का मौसम बहुत सुहावना था और मन सुकून देने वाली ठंडी हवा चल रही थी, चारो ओर के पहाड़ और हरियाली मन को आत्मिक सुख प्रदान कर रही थी । सुबह का वक्त था और यहाँ पर इस समय बाजारों और गलियों में शांति थी और भीड़-भाड़ नहीं थी, कुछ स्थानीय लोग अपने दैनिक कार्यों कलापों में व्यस्त थे । यहाँ की कुछ दुकाने खुल रही थी और कुछ खुलने की तैयारी में थी । किसी भी नई जगह का अपना अहसास अलग ही होता हैं ऐसा ही कुछ अनुभव हमें यहाँ पर भी हो रहा था । खैर हमने अपनी कार माल रोड के पास गली में एक खाली जगह देखकर खड़ी कर दी । अब हमारा सबसे पहला काम था किसी अच्छे होटल में अच्छा और किफायती कमरे की तलाश । मैंने और मेरे छोटे भाई ने माल रोड और उसके आस पास की गलियों में हमने कमरा ढूढना शुरू किया, कई बजट होटल में तो कमरे खाली नहीं मिले, पर हमें जो होटल और कमरा अच्छा लगा वो हमारे बजट से काफी बाहर था और मनाली की गलियों में जो सस्ते कमरे मिले भी रहे थे वो हमें पसंद नहीं आये ।
हमें लगभग आधा घंटा भटकते हुए हो गया था और हमारी अभी कमरे की तलाश पूरी नहीं हो पाई थी । तभी वहाँ का एक स्थानीय लड़का हमारे पास आकार बोला " सर जी ! आपको कमरा चाहिए, आप कहो तो पास में ही एक अच्छा होटल हैं वहाँ पर आपको एक अच्छा और आपके बजट में कमरा दिखाऊ, आपको जरुर पसंद आएगा "। हमने कहाँ " ठीक हैं भाई ! ले चलो कहाँ हैं वो होटल, उसके कमरे भी देख लेते हैं " । वह हमें माल रोड के पास में ही एक गली में स्थित एक अच्छे से होटल में ले गया, जहाँ से मनाली का बौद्ध मोनिस्ट्री सामने ही नजर आ रहा था ।
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Visiting Card of Hotel Tirupati Classic, Manali |
होटल के मैनजर से उस लड़के ने कुछ बात की और मैनेजर ने कुछ चाबी अपने बैरे को देकर हमें ऊपर बने कमरे दिखाने को कहाँ । उस बैरे ने हमें कुछ कमरे दिखाए और पहली मंजिल पर बना एक कमरा समझ में आ गया क्योकि यह कमरा साफ सुधरा, अच्छा और हवादार था । इस कमरे मे जगह भी काफी थी और उसका बाथरूम भी उसका साफ सुधरा था । नीचे काउंटर पर जाकर मैनेजर से कमरा बुक करने को कहा और थोड़ा सा मोलभाव करने पर सारे कर सहित रु०800/- प्रतिदिन पर वह कमरा देने को तैयार हो गया । यह होटल भी काफी साफ सुधरा था और सबसे अच्छी खासियत इसकी अपनी चार-पांच कार के लायक अंडरग्राउंड पार्किंग थी । हमें अपनी कार को यह पार्क करने की सुविधा यहाँ पर मिल गयी थी । हम लोगो ने कार को होटल की पार्किंग में खड़ा करके अपना सारा सामान अपने कमरे में बैरे कि सहायता से पंहुचा दिया ।
अब मैं आपको इस होटल का नाम भी बता देता हू, इस होटल का नाम हैं →" होटल तिरुपति क्लासिक " और यह माल रोड से कुछ कदम की ही दूरी पर हैं और हमें यहाँ के सभी कर्मचारी और मैनेजर व्यवहार कुशल लगे ।आप लोगो के सुविधा हेतु इस होटल के विजिटिंग कार्ड का फोटो के रूप में इस लेख में लगा दिया हैं, और यह कार्ड भविष्य में आप लोगो के यहाँ घूमने की योजना बनाने में कुछ काम आयेगा ।
रातभर जगे होने के कारण हम लोग काफी थके हुए थे, कुछ देर ऐसे ही उत्सुकतावश मनाली के गलियों और माल रोड के आसपास घूमे और फिर थक हार कर आराम करने के लिए वापिस कमरे में लौट आये, कमरे में बैठे-बैठे पता ही नहीं चला की कब नींद आ गयी । शाम के लगभग चार बजे नींद से जागे और नहा धोकर मनाली के आसपास के दर्शनीय स्थल घूमने के लिए तैयार हो गए । मनाली में घूमने के लिए क्या-क्या हैं और हमें कहाँ घूमना चाहिये इसकी जानकारी नीचे जाकर होटल के मैनेजर से ली तो उसने एक सादा कागज पर मनाली के आस-पास सब जगह के नाम लिख कर हमें दे दिए और हमारे कार चालक को रास्ता भी समझा दिया वैसे हमारा कार चालक पहले भी मनाली आ चुका था सो उसे मनाली के कुछ रास्ते का अनुभव भी था । मनाली में घूमने लायक दर्शनीय स्थल जो हमें बताये गए वो इस प्रकार हैं :-
पहले दिन का टूर कार्यक्रम →
(१.) हिडिम्बा देवी मंदिर (२.) सयाली भगत महादेव मंदिर (३.) क्लब हाउस (४.) वशिष्ट गर्म पानी के कुंड (५.) वन विहार (६.) तिब्बतियन मोनेस्ट्री (७.) माल रोड (८.)
दूसरे दिन का टूर कार्यक्रम →
(१.) नेहरु कुंड (२.) कोठी (३.) गुलाबा (४.) राहाला झरना (५.) मेहरी (६.) रानी नाला (७.) रोहतांग दर्रा (८) सोलांग घाटी & मंदिर आदि
हम पर इतना समय और दिन नहीं थे कि यह पूरा टूर कार्यक्रम के अनुसार चल सके । हमने अपनी सुविधानुसार कुछ अच्छी जगहों का चयन किया और सवा पांच बजे के आसपास कार पार्किंग से बाहर निकलवाई और सब लोगो के कार में बैठ जाने के बाद माल रोड के पीछे के घुमावदार रास्ते से होते हुए कुछ ही देर में मनाली का सबसे प्रसिद्ध मंदिर हिडिम्बा देवी मंदिर पहुँच गए ।
हिडिम्बा देवी मंदिर : मनाली का मुख्य आकर्षण हिडिम्बा देवी मंदिर की दूरी माल रोड लगभग दो किमी० हैं और यह मंदिर मनाली के ढुंगरी नाम की जगह पर पड़ता हैं । मंदिर परिसर के आसपास एक अच्छा खासा बाजार विकसित हैं कई तरह के स्थानीय सामान से निर्मित कपड़े,स्वेटर,खिलौने,खाने-पीने आदि की छोटी-बड़ी दुकाने यहाँ पर मिल जायेगी । मंदिर के सामने ही कार पार्किंग की अच्छी व्यवस्था हैं हमने अपनी कार को पर्ची कटाकर पार्किंग में खड़ी करवा दी और मंदिर की ओर चल दिये । मंदिर परिसर में मुख्य लोहे के द्वार से हम लोगो ने प्रवेश किया और एक सुन्दर रास्ते से होते हुए मुख्य मंदिर तक पहुँच गए । यह मंदिर परिसर चारों से ऊँचे-ऊँचे घने देवदार पेड़ो (ढुंगरी वन) घिरा हुआ और रास्ता खूबसूरत बगीचे से होता हुआ जाता हैं ।
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A small Track way to Hidimba Devi Temple...(हिडिम्बा मंदिर का वातावरण बड़ा ही मनोरम) |
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A small Track way to out Hidimba Devi Temple, Manali (हिडिम्बा मंदिर से बाहर की ओर जाता रास्ता ) |
यह मंदिर एक ऊचे चबूतरे पर बना हुआ हैं और ऊपर जाने के लिए चौड़ी सीढिया बनी हुई हैं । मंदिर में इस समय बहुत भीड़ थी और हिडिम्बा देवी के दर्शन हेतु एक लंबी लाइन नीचे सीढ़ियों से भी आगे तक लगी हुयी थी । हम लोग भी देवी के दर्शन के लिए लाइन में लग गए करीब आधा घंटे लाइन में प्रतीक्षा करने के बाद हम लोग मंदिर के गुफा में स्थित गर्भ गृह तक पहुँच गए । गर्भगृह में में रौशनी कम थी और भीड़ अधिक थी, बमुश्किल हिडिम्बा देवी जी के दर्शन किये, उनकी प्राथर्ना की, उनका आशीर्वाद लिया और अंदर की भीड़ से बचते-बचाते बाहर आ गए ।
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Now ! It is Famous Hidimba Devi Cave Temple of Manali (पैगोडा शैली में लकड़ी से बना हिडिम्बा देवी गुफा मंदिर) |
हिडिम्बा देवी मंदिर पेगोडा शैली में लकड़ी की काष्ठ कला से निर्मित सुन्दर प्राचीन मंदिर हैं । इस मंदिर निर्माण लगभग सन 1553 हुआ था । मंदिर की ऊंचाई लगभग 40 मीटर हैं । लकड़ी से निर्मित चौकर छत और सबसे ऊपर से शंकु जैसा आकार हैं जो पीतल से मढ़ा हुआ हैं । मंदिर बाहर और छत के नीचे जंगली जानवरों के कई सारे सींगो को टांग गया हैं जो मंदिर के वैभव को प्रदर्शित करते हुए प्रतीत होते हैं । गर्भ ग्रह के अंदर हिडिम्बा देवी जी की प्रतिमा एक बड़े शिला के रूप में विराजमान हैं जिसकी पूजा करने और उनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओ और प्रयटको की भीड़ हमेशा लगी रहती हैं । मनाली के लोग और कुल्लू के राजवंश हिडिम्बा देवी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं और सदियों से उन्ही की पूजा करते चले आ रहे हैं । मुख्य मंदिर के पीछे कुछ कदम की ही दूरी पर घटोत्कच का भी एक प्राचीन मंदिर हैं ।
इतिहास में हिडम्ब नाम का एक राक्षस था जो पांचो पांडवो में सबसे शक्तिशाली और विशालकाय भीम के हाथो से एक भीषण युद्ध में मारा गया था । हिडम्ब राक्षस की बहन हिडिम्बा यह जानकार बड़ी दुखी होती हैं और वह पांडवो पर अपने भाई के वध का बदला पांडवो से लेना चाहती । हिडिम्बा भीम के रूप को देखकर मोहित हो जाती हैं और माता कुंती के आज्ञा से भीम से विवाह कर लेती हैं और बाद में उन दोनों से एक संतान घटोत्कच पालन-पोषण करती हैं । समय आने पर महाभारत के युद्ध में अपनी पिता भीम की साहयता के लिए बड़े ही उदार मन से अपने पुत्र घटोत्कच को युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र में भेज देती हैं जहाँ पर वह वीरता से लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हो जाता हैं । इस प्रकार हिडिम्बा एक आदर्श नारी के सन्देश देती हैं और हिमाचल के लोग अगाध श्रद्धा भाव से उन्हें देवी के रूप में मानते और उनकी पूजा करते हैं ।
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In the Hidimba Temple Area, .Manali .मंदिर परिसर में ढूमरी वन के आगे एक बड़े से शिला पर "अक्षत और अंशिता | |
हिडिम्बा देवी जी के दर्शन के पश्चात थोड़ी देर मंदिर के आसपास प्रकृति आनंद लेते रहे और कुछ फोटो मंदिर और उसके आसपास के लिए भी लिए । मंदिर के पास ही घने वन क्षेत्र का आनंद लेने के ढूमरी वन विहार हैं, इसमें प्रवेश के लिए टिकिट लेनी पड़ती हैं और यह समय के अनुसार खुलता हैं, पर इस समय वन विहार प्रवेश हेतु बंद था और इस कारण से हम लोग वहाँ जाने से वंचित रह गए । मंदिर से कुछ कदम की दूरी पर एक घटोत्कच मंदिर हैं, वहाँ के दर्शन हमने जरुर किये । मंदिर का वातावरण हमें बड़ा सुरम्य लगा, जब हम मंदिर परिसर में टहल रहे थे और बच्चो के फोटो खींच रहे थे तभी दो महिला बड़े आकार के प्यारे सफ़ेद रंग के सुन्दर खरगोश हाथ में लिए हमारे पास आयी और बोली “खरगोश के साथ बच्चो का फोटो खीचा लो, एक खरगोश के साथ फोटो के लेने के दस रूपये दे दे देना जी ।” हमने कहा “जी नहीं ! हमें नहीं चाहिए ।” पर वो न मानी और बार बार खरगोश लेने के लिए आग्रह करती रही । अंत में हमने ने उनकी आग्रह मानकर दो खरगोश फोटो खिचाने हेतु दस रूपये में ले लिए और फोटो खिचाकर कर उन्हें वापिस भी कर दिये । मंदिर परिसर में ऐसे ही कई और भी महिलाये खरगोश हाथ में लिए ग्राहक ढूंढ रही थी ।
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Large Rabbits in the hands of children..Hiddimba Temple, Manali (इन सुन्दर खरगोशो का आकार तो देखो......) |
कुछ देर वहाँ बिताने के बाद मंदिर से बहार निकल आ गए तभी मंदिर चारदीवारी के पास एक आदमी याक को ले जाता दिखा । एक अलग तरह का जानवर सामने देखकर हमारे बच्चे बहुत खुश हुए क्योंकि उन्होंने केवल किताबो में ही अब तक “Y FOR YAK” पढ़ा था और उसका एक रेखाचित्र फोटो देखा था । याक ऊँचे और बर्फीले पहाड़ी इलाके में पाए जाना वाला गाय/भैंस प्रजाति का एक जानवर होता हैं जिसके सर्दी से बचाव के लिए लंबे-लंबे बाल होते हैं और यह पहाड़ी घास, फूस खाता हैं । पहाड़ी लोग तो मादा याक का दूध निकालकर कर उसका उपयोग भी करते हैं । हमने उस आदमी से याक पर बैठकर एक फोटो खिचाने का आग्रह किया तो उसने कही जल्दी पहुँचने के चक्कर में हमें मना कर दिया, फिर भी हमने उस याक का एक फोटो खींच लिया ।
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Yak near by Hidimba Temple.... Manali (याक केवल केवल ऊँचे पहाड़ी इलाके में ही मिलते हैं, मनाली ) |
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Parking at Hidimba Temple (हिडिम्बा मंदिर का बाहर पार्किंग के भी अच्छी व्यवस्था हैं ...) |
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A Picture from Car Parking , Manali (पार्किग से दिखते अप्पू घर के झूले और कृत्रिम झील) |
इसके बाद हम लोग अपनी पार्किंग में खड़ी कार पर वापिस आ गए । पार्किग के बिल्कुल बराबर में बच्चो के मनोरंजन हेतु एक अप्पू घर भी था जिसके झूले, छोटी सी कृत्रिम झील, कुछ रोमांचक खेल (रस्सी के पुल पर चलना आदि) पार्किंग से नजर आ रहे थे । हम लोगो का आप्पू घर जाने का कोई इरादा नहीं था सो गाड़ी में बैठे और अपने अगले मनोरंजक स्थल मनाली क्लब हाउस (Club House) की ओर प्रस्थान
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A view on the way of Club House, Manali (क्या शानदार नजारा मनाली नगर का...) |
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(क्लब हाउस का एक चित्र) |
मनाली क्लब हाउस (Club House): करीब दस मिनिट के समय अंतराल के बाद हम लोग क्लब हाउस पहुँच गए । मनाली क्लब हाउस मनाल्सू नदी के किनारे पुरानी मनाली शहर के पास बसा हुआ एक मनोरंजक प्रर्यटक स्थल हैं और मनाली बस स्टैंड लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर है । मनाल्सू नदी व्यास नदी की एक सहयक नदी हैं जो क्लब हाउस से होकर गुजरती हैं और आगे जाकर व्यास नदी में मिल जाती हैं । क्लब हाउस हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) द्वारा विकसित और संचालित किया जाता हैं । क्लब हाउस प्रयटकों के मनोरंजन हेतु बहुत ही आदर्श जगह हैं, और कई सारे इनडोर गेम (INDOOR GAME) और आउटडोर गेम (OUTDOOR GAME) सुविधा उपलब्ध हैं । क्लब हाउस में कई तरह के कार्यहेतु एक बड़ा हाल, स्केटिंग रूम, कैरम की मेज, टेबल टेनिस, बिलियर्ड रूम, एक बार, एक डिस्को (Only of Couples) , रेस्तरा और स्थानीय खाने-पीने छोटी छोटी दुकाने व्यवस्था हैं । प्रकृति के सानिध्य में मनाल्सू नदी के किनारे रोमांचक गेम जैसे रस्सी पर लटककर व रस्सी के पुल के जरिये नदी पार करना, कृत्रिम नहर में बोटिंग करना, जाली लगाकर क्रिकेट खेलना, बच्चो के मनोरंजन हेतु पार्क आदि कुछ क्लब हाउस में मिल जायेगा । मनाली क्लब हाउस पिकनिक मनाने के लिए बहुत ही बढ़िया उत्तम जगह हैं ।
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Adventure Game in the Manali Club House (क्लब हाउस में रस्सी और उसके पुल माध्यम से नदी पार करने का रोमांचक खेल का आयोजन ।) |
क्लब हाउस में कार पार्किंग की अच्छी व्यवस्था थी । क्लब हाउस में प्रवेश करने से पहले “प्रवेश टिकिट (Entry Ticket)” लेना होता हैं, जो प्रति व्यक्ति रु०10/-हिसाब से पड़ता हैं । हम लोगो ने प्रवेश टिकिट लिया और कार को पार्किंग में खड़ा करके अंदर क्लब हाउस की सैर पर चल दिये । क्लब हाउस में मनोरंजन के सभी साधन मौजूद हैं । टहलते-टहलते हम लोग क्लब हाउस स्थित मनाल्सू नदी के सुरक्षित किनारे पर पहुँच गए । नदी का पानी बहुत ही तेज गति से बह रहा था, जब पानी में हाथ डाला तो बिल्कुल बर्फ के जैसा ठंडा था । यही पर कुछ लोग यहाँ कुशल लोगो की देखरेख में रस्सी के सहारे (रस्सी का पुल और रस्सी पर लटककर) से नदी पार करने का मजा ले रहे थे । हमने नदी पार कराने वाले एक आदमी से इस रोमांचक खेल के पैसे पूछे तो उसने एक चक्कर के रु०100/- बताया । हमें तो यह बहुत ही महंगा लगा खैर हम लोग इस नदी के किनारे ही मजे लेते रहे और थोड़ी सी फोटोग्राफी भी की ।
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Manalsu River in the Club House .....Manali (बड़ा ठंडा पानी हैं इस मनाल्सू नदी का, मनाली) |
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River View from Club House Bridge Manali ( सुन्दर नजारा बहती हुई नदी का, मनाली ) |
पार्क से बाहर आते ही क्लब हाउस में तरह-तरह के खाने पीने की सामान की कुछ स्टालनुमा दुकाने नजर आई । यही पर थोड़ा बहुत खाने पीने का लुफ्त उठाया पर यहाँ पर खाने-पीने का सामान बहुत महंगा था । अब काफी समय इस क्लब हाउस में बिताने के बाद हम लोग यहाँ से वापिस चल दिये ।
माल रोड (Mall Road): आठ बजे के आसपास हम लोग कार से माल रोड पहुँच गए और कार चालक को होटल वापिस भेज दिया । हमारा होटल माल रोड से कुछ ही दूरी पर था । माल रोड पर शाम के पांच बजे के बाद कार या अन्य वाहन ले जाना पूर्णतया प्रतिबंधित हैं । दूसरी ओर कार से जाने के लिए एक अलग से रोड की व्यवस्था माल रोड के पीछे घूमकर हैं और हमारा होटल माल रोड के दूसरी तरफ (कुल्लू की तरफ वाली रोड) ही था ।
रात के समय मनाली के ह्रदय स्थल कहे जाने वाले माल रोड पर बहुत अधिक भीड़ थी । इस समय यहाँ की रौनक देखते ही बनते थी, ऐसा लग रहा था कि कोई बड़ा मेला लगा हो । अधिकतर लोग सड़क के बीच में बने डिवाइडर पर बैठकर अपनी दिनभर घूमने के कारण हुई थकान को मिटा रहे थे और माल रोड की रौनक का आनंद ले रहे थे । माल रोड पर मालिश करने वाले और बुड़िया के बाल बेचने वाले ग्राहक की तलाश में इधर उधर टहल रहे थे और लोगो से अपनी सेवा लेने के लिए आग्रह कर रहे थे । माल रोड मनाली का मुख्य बाजार हैं, यहाँ पर कई तरह के गर्म कपड़े, स्थानीय और ब्रांडेड सामान की दुकाने, बड़े होटल, छोटे-बड़े रेस्तरा और सड़क की दूसरी ओर एक माता का मंदिर, एक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का ATM भी था । हम लोगो ने भी यहाँ पर काफी देर तक घूमते रहे । माल रोड पर हमने एक गली के किनारे पर एक आदमी को बहुत छोटे-छोटे काले गुलाबजामुन (मिठाई) बेचते देखा, इतने छोटे गुलाबजामुन हमने पहले कभी नहीं देखे थे । उससे भाव पूछा तो पांच रूपये के चार गुलाबजामुन । चलो हमने उसका भी स्वाद चख ही लिया और साथ ही साथ बगल में खड़े एक खोमचे वाले से यहाँ की पानी-पूरी का भी मजा लिया ।
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Crowded Mall Road in the evening, Manali (माल रोड पर आनन्द लेते लोगो की भीड़ ) |
यहाँ माल रोड पर टहलते समय समय काफी बीत चुका था और नौ बजने वाले थे और अब समय था रात के खाने का । माल रोड पर एक अच्छा सा रेस्तरा ढूँढा पर उसमे बहुत भीड़ थी और जगह खाली नहीं कुछ देर में जगह मिलते ही एक टेबल घेरकर बैठ गए और मेन्यू देखकर अपनी पसंद का खाना मंगवा लिया । हमें इस रेस्तरा का खाना बहुत स्वादिष्ट लगा । खाना खाकर हम लोग माल रोड से टहलते हुए वापिस अपने होटल पहुँच गए । कल का हमारा कार्यक्रम सुबह जल्दी उठकर रोहतांग दर्रा जाने का था ।
अब मैं अपने इस मनाली के यात्रा लेख को यही विराम देता हूँ और अगले लेख में हिमाचल प्रदेश के सबसे ऊँचा स्थान और सड़कमार्ग “रोहतांग दर्रा और सोलांग वेली” के बारे में वर्णन करूँगा । आज मनाली के खूबसूरत स्थलों की यात्रा आपको कैसी लगी, आप अपनी प्रतिकिया देकर हमें अवगत करा सकते हैं । अगले लेख तक के लिए धन्यवाद !
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6.
मनिकरण → पवित्र स्थल का भ्रमण (एक सुहाना सफ़र मनाली का….6)
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बहुत बहुत आभार रितेश |
ReplyDeleteमनाली का आनंद कुछ कम ना आया |
अटल जी की कविता चार चाँद लगा रही है |
बधाई ||
लेख की प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद सर जी......!
Deleteबहुत खुबसूरत हैं मनाली ..मैने भी सन 1996 में यहाँ की यात्रा की थी ..हिद्म्बा मंदिर वेसा ही हैं और वो उसके सामने का बड़ा पत्थर जिस पर न जाने कितने लोगो ने फोटू खिचवाए होगे .. आज भी ज्यो का त्यों हैं बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteटिप्पणी करने के आपका बहुत आभार.....! सच कहा मनाली अब भी बहुत सुदंर हैं....|
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteलिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
लेख की प्रशंसा करने के लिए आपका धन्यवाद ...और लिक को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार...|
Deleteमनाली हिमाचल के दर्शनीय ही नहीं ऐतिहासिक स्थलों में से भी एक है .....आपने अच्छा भ्रमण किया है ...आते रहें और प्रकृति की गोद में खुद को महसूस करें ..सच में जीवन तो यही है ...!
ReplyDeleteधन्यवाद केवल राम जी.....| घूमना भी सुखद अनुभव हैं....|
Deleteमनोरम चित्रों ने सुंदर वृत्तांत को सजीव कर दिया, मजा आ गया.
ReplyDeleteधन्यवाद निगम जी......
DeleteBadiya hai Riteshji, waise family ke saath night travel car se karna mera khayal hai uchit nahi hai lekin aapka lekh shaandar hai agli post ka intzaar rahega.
ReplyDeleteधर्मेन्द्र जी......आपने सही कहा की रात को परिवार के साथ सफ़र करना उचित नहीं हैं....पर यह रोड सुरक्षा के
Deleteलिहाज से बहुत सेफ हैं और रात भर इस रोड पर आवागमन बना रहता हैं.......|
लेख को [पसंद करने के लिए धन्यवाद |
मनाली जाने की बहुत हसरत है ...जाने कब जाना होगा लेकिन आपने सुन्दर मार्गदर्शन किया ..बहुत अच्छा लगा ..कभी तो काम आएगा ...थोडा बहुत पहले से पता होता है बहुत सहूलियत होती है .... सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी......अपनी हसरत को दिल में न रखिये, जरुर जाइये ...|
Deleteबढिया प्रस्तुति रितेश जी
ReplyDeleteधन्यवाद मनु जी.....
Deleteये भाग भी काफी अच्छा था , कहीं से भी पहले भाग से कमतर नहीं था |
ReplyDelete(मुझे इसका पहला भाग कुमायूं यात्रा के पहले भाग से ज्यादा अच्छा लगा)
आप यहाँ आयें अपने लेख को सराह इसके लिए आपका धन्यवाद....!
Deletereetesh g mai feb me manali gayi thi so rohtang na ja saki..fir bhi aapne jo 'aankhin dekhee'varnana kiya so na jane ka affsos jata raha,aapne ghuma jo diya..:)
ReplyDeleteहद कर दी आपने ! अकेले अकेले मनाली घूम आये और हमसे ज़िक्र तक नहीं किया कि कहीं हम भी पीछे न लग लें! :D वैसे सच कहूं तो मैं आपसे बात करना चाह रहा था कि इस गर्मियों में मनाली चलें क्या? पर आप तो पहले ही मनाली हो आये हो, अब क्या कहूं !
ReplyDeleteसर जी...मैंने कोई हद नहीं की...आपसे सम्पर्क से पहले ही मैं मनाली जा चुका था | आप मनाली जरुर जाइए बहुत सुन्दर, शांतिप्रिय स्थल हैं....|
Deleteयह वास्तव में एक अच्छी पोस्ट है. विभिन्न चित्रों का प्रयोग अच्छा लगा. मैं यहाँ इस अद्भुत पोस्ट को खोजने के लिए खुश हूँ.
ReplyDeleteपोस्ट बहुत अच्छी और बहुत अच्छी तरह से लिखा
ReplyDeletewah manali bin jaye manali ki yatra ho gaye or photo ka collection bhi kafi accha tha thanks to ritesh bhai for see manali
ReplyDelete@Aprna ji
ReplyDelete@Manu ji
@Jamwal ji
@Anonymous
Thanks for Comments..!
मन खुश करने वाले चित्र,और बढ़िया यात्रा वृत्तांत ...........जल्दी ही देखते हैं मनाली शहर को खली आँखों से
ReplyDeleteधन्यवाद, हर्षिता जी... आपको आपकी मनाली यात्रा के लिए अग्रिम शुभकामनाएं
Deleteमनाली जैसे शहर या ये कहूँ की टूरिस्ट प्लेस की जितनी चाहें तस्वीर खींच सकते हैं ! हर एक तस्वीर अपने आप में एक अलग कहानी कहेगी , एक यादगार बन जायेगी ! आपके लिए ये तसवीरें सदैव याद रहेंगी और हमारे लिए एक बेहतरीन पोस्ट ! रितेश जी आपने होटल का कार्ड भी लगा दिया जिससे लोगों को संपर्क करने में आसानी होगी ! बहुत बढ़िया यात्रा वृतांत लिखा है आपने
ReplyDeleteधन्यवाद योगी सरावत जी.... जी आपने सही कहा .. इस शहर से कभी मन नही भरता....जितने चाहे फोटो खीचो ..हमेशा कम ही रहेगी.... खैर पोस्ट पर अपने सकारात्मक विचार रखने के लिए धन्यवाद.....
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद मदन जी
Deleteसुन्दर एवम् विस्तृत विवरण,पुरानी यादें ताज़ा हो गयी।
ReplyDeleteधन्यवाद रोमेश जी
Deleteविस्तृत वर्णन।।
ReplyDeleteधन्यवाद प्रजापति जी
Deleteसुन्दर एवम् विस्तृत विवरण,पुरानी यादें ताज़ा हो गयी।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़कर ऐसा लगा कि आपके साथ मैं भी घूम रहा हूँ . मजा आ गया ! :-)
ReplyDeleteI am also planning to go to Manali, I shall write feedback after coming back.
ReplyDeleteGood frnd... so support for by u some one
ReplyDeletefuture travelling ..
बहुत बहुत आभार रितेश ji
ReplyDeletethank for providing such lovely place. I really enjoy the tiger tours in India with best packages
ReplyDeleteSo good
ReplyDeleteFantastic owsm
ReplyDeleteManali is a worth watching place during holidays. From here you will get beautiful memories to remember lifelong. Or if you want to learn something new then you can go for chat with locals. It is a popular destination not only among domestic but in international tourists also. Thousands of tourists explore this place due to its enchanting beauty.
ReplyDeleteManali is very beautiful
ReplyDeleteNice BLog Post for kullu Manali Tourism
ReplyDeleteManali is always a wonderful and charming destination.
ReplyDeletethank you for sharing the info
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ReplyDeleteBudget Manali Tour Packages
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ReplyDeleteKeep posting like those amazing posts :)
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