Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ की.... !
पाताल भुवनेश्वर की गुफा के दर्शन करने के पश्चात हम लोगो ने काउंटर से अपने मोबाईल और कैमरे वापिस लिए कि तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी । वहाँ पर दर्शन हेतु आये अधिकतर लोग वापिस जा चुके थे पर हम लोग मूसलाधार बारिश के कारण वही फँस गए । बारिश से बचने के लिए हम लोग वही मंदिर के टिनशेड के नीचे बैठ गए । लगभग आधा घंटे से ऊपर हम लोग तेज बारिश के कारण वही बैठे रहे और मंदिर कमेटी के लोगो से वार्तालाप करते रहे । उनमे से एक व्यक्ति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुआ की हम लोग आगरा से आये हुए क्योंकि वह व्यक्ति आगरा में कई साल नौकरी कर चुका था । खैर शाम के पांच बजे के आसपास तेज बारिश आलम धीरे-धीरे थमा और हम लोग वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चल दिये ।
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले
लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11) में मैंने कुमाऊँ के प्रसिद्ध भगवान शिव की गुफा मंदिर पाताल भुवनेश्वर की यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे
बढ़ाते हुए अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर से उत्तराखंड के कुमाऊँ में अल्मोड़ा के नजदीक कैलाश-मानसरोवर जाने वाले पुराने मार्ग पर स्थित एक ऐसे स्थल पर जो भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में भी जाना हैं और वह स्थल हैं, प्रसिद्ध नागर शैली में निर्मित भगवान शिव के अति-प्राचीन स्थल "जागेश्वर धाम " मंदिर ।
पाताल भुवनेश्वर की गुफा के दर्शन करने के पश्चात हम लोगो ने काउंटर से अपने मोबाईल और कैमरे वापिस लिए कि तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी । वहाँ पर दर्शन हेतु आये अधिकतर लोग वापिस जा चुके थे पर हम लोग मूसलाधार बारिश के कारण वही फँस गए । बारिश से बचने के लिए हम लोग वही मंदिर के टिनशेड के नीचे बैठ गए । लगभग आधा घंटे से ऊपर हम लोग तेज बारिश के कारण वही बैठे रहे और मंदिर कमेटी के लोगो से वार्तालाप करते रहे । उनमे से एक व्यक्ति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुआ की हम लोग आगरा से आये हुए क्योंकि वह व्यक्ति आगरा में कई साल नौकरी कर चुका था । खैर शाम के पांच बजे के आसपास तेज बारिश आलम धीरे-धीरे थमा और हम लोग वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चल दिये ।
A Panoramic View from KMVN Guest House, Patal Bhuvneshwar
(यह गेस्ट हाउस से दिखने वाला पहाड़ों का दिलकश नजारा, शायद कही खो ना जाऊ इन नाजारो में ) |
गेस्ट हाउस के सामने एक खाने-पीने की छोटी सी दुकान थी, हम लोग वही कुछ खाने पीने के लिए रुक गए । सस्ते दाम में एक प्लेट मैगी और दो प्लेट दाल-चावल से अपनी भूख को कुछ हद तक शांत किया । बारिश के कारण यहाँ का मौसम बहुत ही रूमानी और दूर तक के पहाडो के नजारे बहुत शानदार नजर आ रहे थे । कुछ चित्र गेस्ट हॉउस के आसपास से पहाड़ी नजारों के लिए और अपने कमरे में वापिस चले गए । अपने कमरे से जाने से पहले गेस्ट हाउस के मैनेजर ने रात के खाने के लिए हमारी पसंद के हिसाब अग्रिम आर्डर बुक कर लिया और उसने कहा कि हम लोग रात का खाना अग्रिम आर्डर पर बनाते है क्योंकि रात के समय दुकाने छह बजे बाद बंद हो जाती है और समान मिलना असंभव होता है ।
अभी भी रात होने में समय काफी बाकी था तो कुछ देर कमरे में विश्राम करने के बाद हम लोग चौक (जहाँ हमारी टैक्सी कार खड़ी हुयी थी ) पर पहुँच गए । चौक के आसपास एक छोटा सा यहाँ का बाजार है, उनमे से कुछ दुकाने खुली हुई और कुछ दुकाने बंद थी । अभी भी काफी लोग गुफा के दर्शन हेतु अपने निजी वाहन और बस आये हुए थे । हम लोग कुछ समय वही टहलते रहे और दूर तक दिखने वाली सुन्दर घाटी नजारा लेते रहे उसके बाद चाय पीने के लिए एक दुकान पर बैठ गए । तभी गुफा के दर्शन करके के बहुत से लोग वापिस आ गए और उस चौक पर काफी भीड़भाड़ और हलचल हो गयी । ज्यादातर यात्री लोग बुजर्ग लोग थे, जो एक बड़ी बस में तीर्थ यात्रा पर निकले हुए थे । कुछ देर बाद उस बस में बैठकर सभी यात्री चले और फिर से एक गहन शांति वातावरण में छा गयी । हम लोगो ने वही ठंडे मौसम में एक-एक चाय पी और कुछ देर बाद वापिस अपने गेस्ट हाउस में पहुँच गए ।
अभी भी रात होने में समय काफी बाकी था तो कुछ देर कमरे में विश्राम करने के बाद हम लोग चौक (जहाँ हमारी टैक्सी कार खड़ी हुयी थी ) पर पहुँच गए । चौक के आसपास एक छोटा सा यहाँ का बाजार है, उनमे से कुछ दुकाने खुली हुई और कुछ दुकाने बंद थी । अभी भी काफी लोग गुफा के दर्शन हेतु अपने निजी वाहन और बस आये हुए थे । हम लोग कुछ समय वही टहलते रहे और दूर तक दिखने वाली सुन्दर घाटी नजारा लेते रहे उसके बाद चाय पीने के लिए एक दुकान पर बैठ गए । तभी गुफा के दर्शन करके के बहुत से लोग वापिस आ गए और उस चौक पर काफी भीड़भाड़ और हलचल हो गयी । ज्यादातर यात्री लोग बुजर्ग लोग थे, जो एक बड़ी बस में तीर्थ यात्रा पर निकले हुए थे । कुछ देर बाद उस बस में बैठकर सभी यात्री चले और फिर से एक गहन शांति वातावरण में छा गयी । हम लोगो ने वही ठंडे मौसम में एक-एक चाय पी और कुछ देर बाद वापिस अपने गेस्ट हाउस में पहुँच गए ।
A Beautiful Mountain from Market near Parking, Patal Bhuvneshwar
(ऐसे नज़ारे हो तो किस का दिल नहीं रमता यहाँ पर, अपना तो दिल यही बसता ) |
गेस्ट हाउस के पीछे एक छोटा सा बगीचा बना हुआ था, जो ऊपर से बहुत अच्छा लग रहा । मैनेजर से कहकर पीछे का दरवाजा खुलवा कर बगीचे में पहुँच गए । यहाँ का बगीचा छोटा था, कुछ फूलो के और सब्जियों के पौधे लगे हुए थे । रात का अँधेरा घिरने लगा था और आकाश में अब चाँद भी नजर आने लगे था । बगीचे से निकलने के बाद हम लोग अपने कमरे में पहुँच गए ।
गेस्ट हाउस के बगीचे में मुस्कराता एक सुन्दर गुलाब ...का यही सन्देश की आप और हम भी जीवन में इसी तरह से मुस्कराते रहे ।
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रात के साढ़े आठ बजे के आसपास रात के खाने के बुलावा आ गया । हम लोग ऊपर काउंटर के पास बने एक कमरे में पहुँच गए, जिसे एक छोटे से रेस्तरा का रूप दी दिया गया था, जहाँ पर दो खाने के मेजे, कुर्सियाँ (Dining Table) लगी हुई । कुछ ही देर में वहाँ के स्टाफ ने हमारे लिये गर्मा-गरम खाना लगा दिया । यहाँ का खाना बिल्कुल साफ़ सुधरा और बहुत स्वादिष्ट था । हमें खाना खिलाने के बाद यहाँ का स्टाफ सोने चला गया और हम भी खाने के बाद कुछ देर वही बैठ कर वार्तालाप करते रहे, इस समय बाहर का वातावरण बिल्कुल शांत और रहस्यमयी हो गया था । कुछ देर बाद हम लोग भी सोने के लिए कमरे में वापिस लौट गए ।
अगले दिन (28जून) को हम लोग जल्दी उठ गए । आज हमारे इस सफ़र का अंतिम दिन था और हमारा कार्यक्रम जागेश्वर धाम पहुंचकर भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने थे और उसके बाद अल्मोड़ा होते हुए सीधे नैनीताल पहुंचना था । अपने दैनिक नित्यकर्म से निवृत होने के बाद कमरे यहाँ-तहां फैला अपना सारा सामान एकत्रित कर अपने बैगो भरा , अपने पास स्थित कुछ नमकीन और बिस्किट से नाश्ता किया और कमरा खाली कर चल दिए । काउंटर पर जाकर आवास गृह के मैनेजर अपने एक दिन ठहरने और खाने का हिसाब बनवाया ।
आवास गृह का बिल लेकर वहाँ पूरा हिसाब किया और अपना सारा सामान लेकर अपनी टैक्सी कार की तरफ चल दिए । कार की डिक्की में ठीक से अपना सारा समान लगाने के बाद अपनी अगली मंजिल जागेश्वर धाम की तरफ करीब सुबह के आठ बजे रवाना हो गए । इस समय हम लोग जिस रास्ते आये थे उसी रास्ते से वापिस जा रहे थे । आगे का रास्ता पूरा जंगली ही था, हमारे कार चालक ने बताया की इन जंगलो में तरह-तरह के हिंसक जानवर रहते हैं जो कभी-कभार सड़क पार करते हुए नजर आ ही जाते हैं । एक पुराना किस्सा हमारे कार चालक ने अपनी पुरानी यात्रा को याद करते हुए बताया की एक बार हम लोग इसी तरह से कुछ लोगो पाताल भुवनेश्वर से लेकर वापिस इसी रास्ते जा रहे थे तभी कुछ दूरी पर हमने एक बाघ को रास्ता पार करते नजर पाया, मैंने कार को करीब दो सौ मीटर दूर ही रोक दिया था , मैंने कार में बैठे लोगो से उसका फोटो लेने के लिए कहा वो लोग इतना घबरा गए थे की फोटो लेने की उनकी हिम्मत न हुयी , कुछ देर बाद बाघ अपने रास्ते चला गया तब हम लोग वहाँ से आगे बढ़े ।
आवास गृह का बिल लेकर वहाँ पूरा हिसाब किया और अपना सारा सामान लेकर अपनी टैक्सी कार की तरफ चल दिए । कार की डिक्की में ठीक से अपना सारा समान लगाने के बाद अपनी अगली मंजिल जागेश्वर धाम की तरफ करीब सुबह के आठ बजे रवाना हो गए । इस समय हम लोग जिस रास्ते आये थे उसी रास्ते से वापिस जा रहे थे । आगे का रास्ता पूरा जंगली ही था, हमारे कार चालक ने बताया की इन जंगलो में तरह-तरह के हिंसक जानवर रहते हैं जो कभी-कभार सड़क पार करते हुए नजर आ ही जाते हैं । एक पुराना किस्सा हमारे कार चालक ने अपनी पुरानी यात्रा को याद करते हुए बताया की एक बार हम लोग इसी तरह से कुछ लोगो पाताल भुवनेश्वर से लेकर वापिस इसी रास्ते जा रहे थे तभी कुछ दूरी पर हमने एक बाघ को रास्ता पार करते नजर पाया, मैंने कार को करीब दो सौ मीटर दूर ही रोक दिया था , मैंने कार में बैठे लोगो से उसका फोटो लेने के लिए कहा वो लोग इतना घबरा गए थे की फोटो लेने की उनकी हिम्मत न हुयी , कुछ देर बाद बाघ अपने रास्ते चला गया तब हम लोग वहाँ से आगे बढ़े ।
इसी तरह बातों ही बातो में हम लोग गुप्तादी बस स्टैंड मोड़ पर पहुँच गए, वहाँ से हम लोग गंगोलीहाट जाने वाले रास्ते पर न मुड़कर अपने वोही पुराने वाले राईआगरकी तरफ जाने वाले रास्ते चल दिए । यहाँ से राईआगर का रास्ता बहुत उबड़खाबड़ और काफी टूटा-फूटा हुआ था । किसी तरह इस रास्ते को पारकर हम लोग राईआगर पहुँच गए, पाताल भुवनेश्वर से राईआगर की दूरी लगभग 19 किमी० हैं । राईआगर पहुँचने के बाद रास्ता दो भागो में बंट जाता हैं सीधा रास्ता बेरीनाग की तरफ जहाँ से हम लोग कल आये थे और बायीं तरफ का रास्ता अल्मोड़ा-जागेश्वर की तरफ, हम लोग जागेश्वर जाने के लिए बायीं तरफ के रास्ते पर मुड़ गए । इसी तरह रास्ते के प्राकृतिक द्रश्यो का आनंद लेते हुए, कुछ जगहों पर रुकते रुकाते और चित्र खीचते हुए, हम लोग अल्मोड़ा मार्ग पर चलते रहे । अल्मोड़ा मार्ग पर करीब 70 किमी० चलने के बाद एक पहाड़ी क़स्बा आया जिसका नाम था "बड़ेछिना", यही से हमने अल्मोड़ा मार्ग छोड़कर कर बायीं तरफ के जागेश्वर धाम की तरफ जाने वाले रास्ते पर मुड़ गए । यहाँ से जागेश्वर धाम की दूरी लगभग 15 किमी० थी । कुछ किलोमीटर चलने के बाद घने देवदार के वृक्ष पहाड़ों के दोनो तरफ नजर आने लगे । इस तरह सुबह के सवा ग्यारह बजे के आसपास, पाताल भुवनेश्वर से करीब 104 किमी० की दूरी सवा तीन घंटे में तय कर हम लोग जागेश्वर धाम पहुँच गए ।
Patal Bhuvneshwar to Jageshwar Road Map |
क्रमशः ...........
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Table of Contents → कुमाऊँ यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
1. नैनीताल → प्रसिद्ध पर्वतीय नगर की रेलयात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..........1)
2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
4. भीमताल → सुन्दर टापू वाली कुमायूं की सबसे बड़ी झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..4) 2. नैनीताल → हिमालय पर्वत का एक शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का..2)
3. नैनीताल → शहर के देखने योग्य सुन्दर स्थल (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का....3)
5. नौकुचियाताल→ नौ कोने वाली सुन्दर झील ( (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..5)
6. सातताल → कुमाऊँ की सबसे सुन्दर झील (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..6)
7. नैनीताल → माँ नैनादेवी मंदिर और श्री कैंची धाम (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7)
8. रानीखेत → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)
9. कौसानी → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)
10. बैजनाथ (उत्तराखंड)→भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)
11. पाताल भुवनेश्वर → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)
12. जागेश्वर धाम → पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर धाम यात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12)
13. जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग)→कुमाऊं स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)
14. नैनीताल → खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)
15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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15.आगरा से भीमताल वाया बरेली (Agra to Bhimtal Via Bareilly → Road Review )
16. प्रकृति से एक मुलाक़ात → भीमताल भ्रमण (Bhimtal Lake in Nainital Region)
17. नौकुचियाताल → प्रकृति का स्पर्श (NaukuchiyaTal Lake in Nainital Region )
18. नैनीताल दर्शन → (A Quick Tour to Lake City, Nainital)
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यात्रा काफी अच्छी है आपकी और पिक्चर भी उतने ही अच्छी है कहा जाये तो यात्रा की तारिफ करना बेमानी होगी
ReplyDeleteऔर जब बारिस हो रही थी तो टीनसेड में क्यों रुक गए थे उस समय अगर में आपके साथ होता तो बारिस का आनंद लेता भीग कर
टिप्पणी और प्रशंसा के लिए आपका धन्यवाद.... आपकी बात सही हैं जब हम वापिस लौटे थे तब भी बारिश हो ही रही थी....टीनशेड रुकने का कारण बारिश बहुत तेज थी, नदी,नाले से बह रह थे उस समय, और हम लोग अपने साथ के लोगो के साथ अपने बच्चो के साथ कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे....
Deleteधन्यवाद
रितेश भाई अपुन भी जल्द ही यहाँ जाने वाले है फ़िर सब कुछ लपेट कर साथ लायेंगे, जो आपने छोड़ है उसे भी देखकर आयेंगे
ReplyDeleteजल्दी जाओ संदीप भाई...हम भी आपके लेख का इंतजार करेंगे....की हमने क्या-क्या देखने से छोड़ दिया हैं.....
Deleteritesh ji bahut sundar yatra vivran ..agli kadi ka intajar rahega..
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए धन्यवाद कविता जी.....अगली कड़ी जल्द ही लिखूंगा....
Deleteबहुत शानदार यात्रा वर्णन लगा वहीँ पर है
ReplyDeleteसुंदर चित्र संयोजन
सुंदर प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
टिप्पणी के लिए आपका आभार...ज्योति खरे जी...
Deleteरितेश जी, आपने फोटो और लेखन के द्वारा कुमाऊ की सुंदरता का बखूबी वर्णन किया हैं..वन्देमातरम...
ReplyDeleteबहुत अच्छा यात्रा का वर्णन और मनोरम चित्र ....
ReplyDelete@ प्रवीण जी : लेख को पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद.....
ReplyDelete@उपासना जी...: आपका ब्लॉग पर स्वागत हैं....टिप्पणी के लिए धन्यवाद....
बहुत खूबसूरत यात्रा विवरण.. और तस्वीरें तो कमाल की हैं..
ReplyDelete@Robbie : Thanks Lot for Liking my post..
ReplyDelete@दिलबाग विर्क जी.. : धन्यवाद....
@प्रशांत : पोस्ट को पसंद करने के लिए धन्यवाद...
बहुत ही सुंदर यात्रा वर्णन है ..में जा न सकी इसका दुःख है ..पर दूसरी यात्रा के लिए कुछ तो छोड़ना ही पड़ता है
ReplyDeletebeautiful scenic. I would love to be there.
ReplyDeleteVery fine description. I am also going Patal Bhuvneshwar with family on 12 seater tempo traveller. Are the roads so good for a tempo traveller, or we should go on small vehicle as qualis or tavera
ReplyDeleteThanks. Almora to Patal Bhuvneshwar road are average good. Raiagar to Guptadi Bus stand road was in bad condition, Now Don't know what is the condition for that road. You can go by Tempo traveller.
DeleteThanks
पाताल भुवनेश्वर और जोगेश्वर , 140 किलोमीटर दूर हैं ? पहाड़ों में दूरी का पता नही चल पाता ! मजेदार यात्रा वर्णन लिखा है आपने मित्रवर रितेश जी ! फोटो सुन्दर और विशिष्ट हैं ! जाने का मन है इधर एक बार
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी..... बात सही है की नजारों का आनंद लेते हुए पहाड़ो में दूर्री का पता नहीं चलता है पर आपकी एक गलती सुधारना चाहूँगा की ...पाताल भुवनेश्वर से जागेश्वर करीब 104 किमी० की दूरी पर है । जरुर जाइए एक बार
DeleteBahut hi sunderta se vivren diya gaya hai yatra ka padker anand aaya aur gyan bhi mila rasto ka aur mandiro ka.aapka bahut shukriya.
ReplyDeleteपाताल भुवनेश्वर मंदिर लेख पढ़ के हमें बहुत अच्छा लगा। पाताल भुवनेश्वर
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