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Monday, August 22, 2016

कुछ सुनहरे पल पहलगाम से, कश्मीर (Local Travel to Pahalgam - Kashmir..4)

Written By Ritesh Gupta

इस श्रंखला को प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिये । सुबह से ही हम लोग पहलगाम की भ्रमण पर निकले हुए थे, सच पूछो तो यहाँ की चारो तरफ बिखरी खूबसूरती ने हम लोगो का मन मोह लिया था । हमारी आगरा से कश्मीर तक की इस यात्रा का ये तीसरा दिन था और इस तीसरे दिन में हम लोगो ने अभी तक बेताब वैली और चंदनवाड़ी ही घूम लिया था । चलिए चलते पहलगाम के, आगे भ्रमण पर मेरे साथ इस लेख में - कुछ सुनहरे पल पहलगाम से, कश्मीर ।

एक व्यू पॉइंट पर अरु नदी, पहलगाम, कश्मीर  (Aru View Point at Pahalgam)
यात्रा तीसरा दिन (25 जून )

कैमरे को रात में चार्ज नही किया था सो कैमरे की बैटरी ने चंदनवाड़ी पहुचंते ही आत्मसम्पर्ण कर दिया, अब आगे की यात्रा पर फोटो खीचने के लिए अपने मोबाइल फोन पर ही पूरी तरह निर्भर रहना था । सुबह से निकले हुए हम लोगो का काफी देर हो चुकी थी और दोपहर का एक बज रहा था । हमारी टैक्सी के ड्राइवर भी हल्ला कर रहे थे कि आप लोगो ने दो जगह पर ही काफी समय लगा दिया आप लोगो को तो पूरे दिन की गाड़ी करनी चाहिए थी । खैर हमने बाते बना कर, समझाबुझा कर कहा की अब हमे अपने अगले पड़ाव पर ले चलो । जिस रास्ते से आये थे उसी रास्ते वापिस चल दिए, साथ देने के लिए सड़क के किनारे लिद्दर नदी थी । लगभग 15-16 किमि० चलने के बाद पहलगाम पहुँच गये यहाँ पर अरु नदी और लिद्दर के संगम के पास से ही एक दाई तरफ के रास्ते पर मुड़ने के बाद अरु वैली रोड पर चल दिए अब बायीं तरफ अरु नदी साथ थी जो लिद्दर नदी की साहयक नदी है और ये अरु वैली से निकलकर आती है । पहलगाम से करीब पांच छह किमि० चलने के बाद एक लैंड पिकनिक स्पॉट (Land Picnic Spot, Pahalgam) के नाम की जगह पर गाड़ी रोक दी और कहा आप लोग घूम कर आईये, यही से अरु वैली शुरू हो जाती है ।

इस स्थल पर अरु घाटी से आने वाली अरु नदी के बीच एक टापू पर ये स्थल बना हुआ है । टापू तक जाने के लिए एक लकड़ी का पुल बना हुआ था, जगह बहुत खूबसूरत थी - टापू के चारो तरफ नदी का पानी तेजी से आवाज करता हुआ बह रहा  था । इस टापू पर हरी घास का एक छोटा मैदान और पेड़ भी लगे हुए थे । दूसरी तरफ एक दो झरने बहते हुए इस नदी में मिल रहे थे । हमारे साथ के कुछ लोग थके होने कारण इस स्थल को देखने के लिए उतरे भी नही थे । खैर हम लोगो ने भी कुछ देर फोटोग्राफी की और थोडा समय समय बिताने के बाद इस स्थल से वापिस चल दिए । अबकी बार वापिसी में गाड़ी के ड्राइवर में गाड़ी को "पहलगाम चिड़ियाघर" रोक दिया, सब लोग थके हुए थे सो कोई भी इस चिड़ियाघर में अंदर चलने को तैयार नही हुआ । चिड़ियाघर  के बाहर ही उसके अंदर मौजूद जानवरों की सूची बनी हुयी थी, जोकि हमारे हिसाब से साधारण जानवर थे । खैर हम लोग भी अपने लोगो का पक्ष लेते हुए इस स्थल से विदा लेते हुए दोपहर के पौने दो बजे तक वापिस अपने होटल पहुँच गये । टैक्सी वाले का हिसाब किताब करने के बाद कुछ घंटे आराम करने सभी लोग अपने-अपने कमरे में आराम करने चले गये । होटल आकर हमे पता चला की हमारे साथ धोखा हुआ है, हकीकत में टैक्सी वाला हम लोगो को अपनी जल्दी के कारण अरु वैली लेकर गया ही नही था, हम लोगो को ये स्थानीय व्यवहार बिल्कुल भी पसंद नहीं आया । हमारे पास अभी भी आधा दिन का समय बाकि बचा था, करीब एक घंटे का आराम करने के बाद सबसे बोल दिया की खाना खाने पहलगाम के मुख्य बाजार में चलना है ।

दोपहर के करीब तीन बजे सभी लोग आराम करने के बाद चलने की तैयार हो गये । तब तक मैंने भी अपना कैमरा कुछ चार्ज कर लिया था । अपनी किराए की गाड़ी जो हम लोग उधमपुर से लाये थे, टैम्पो ट्रेवेलर से पहलगाम मुख्य बाजार पहुँच गये । पहलगाम में एक शाकाहारी मशहूर रेस्तरा है "दाना पानी", जिस के बारे में हमे होटल के एक स्टाफ ने बताया था, ये रेस्तरा मुख्य बाजार में ही था, जब यहाँ पर पहुंचे तो अत्यधिक भीड़ के नम्बर लग रहे थे, करीब एक घंटे बाद हम लोगो का नम्बर आने वाला था सो हम लोग इस रेस्तरा को छोडकर उसके पास के ही एक और शाकाहारी रेस्तरा  "अग्रवाल फ़ूड पॉइंट" पहुँच गये । अपने मन मर्जी के खाने का आदेश देकर दोपहर का भोजन निपटाया गया, यहाँ का खाना भी हम लोगो को अच्छा और स्वादिष्ट लगा । खाना खाने के बाद कुछ देर स्थानीय बाजार में चहलकदमी की गयी और दुकानदारो से भाव-तौल किया गया, कुछ लोगो ने खरीददारी की और कुछ लोग युही बाजार और मौसम का लुत्फ़ लेते रहे ।

पहलगाम कश्मीर का सबसे सुंदर नगरो में से एक है और नगर के मध्य से बहती लिद्दर नदी इस नगर को और भी खूबसूरत बना देती है । पहलगाम प्रशासन ने इस लिद्दर नदी के किनारे नगर कई सारे बड़े खूबसूरत बगीचों और पार्को को बनबाया और उनका विकास किया है । पहलगाम के मुख्य बाजार घूमने के बाद हम लोग भी वापिस होटल के तरफ चलते हुए एक पार्क पर पहुँच गये । एक सडक के मध्य दोनों तरफ दो बड़े-बड़े पार्क थे, उनमे से एक L.V. Park नाम के पार्क चुनकर उसे देखने चल दिए । इस पार्क में प्रवेश शूल्क प्रति व्यक्ति दस रूपये का भुगतान करने के बाद हम लोगो ने पार्क के अंदर प्रवेश किया । ये पार्क लिद्दर नदी के किनारे ही बना हुआ था, घास के मैंदान के बीच सुन्दर रंग बिरंगे फूलो के पौधों और क्यारियों से,  इस पार्क को बड़ी खूबसूरती से व्यवस्थित किया गया था । पार्क से दिखने वाले पहाड़ो के द्रश्य भी बड़े लुभावने थे, दूर रंग बदलते आसमान के बीच बर्फ से ढकी पहाड़िया मनोहारी लग रही थी । कुल मिलाकर एक ठन्डे वातावरण में इस पार्क के मध्य अपने जीवन के भागदौड़ से विरक्त, कुछ समय बिताने के आदर्श स्थल लगा । पार्को के मध्य कई प्रकार के सुन्दर रंग-बिरंगे नाना प्रकार के पहाड़ी फूलो को देखना हमारेलिए एक सुखद अनुभव था, इस तरह के फुल हम लोगो को बहुत ही कम ही देखने को मिलते है । हम लोग भी पहलगाम के इस पार्क की अदभुत छटा में खो से गये, सब तरफ से फोटोग्राफी शुरू हो गयी । मैं भी फूलो और पार्क की फोटो लेने में व्यस्त हो गया और अपने कैमरे में यादे को संजो लिया । हमारे साथ के सभी लोग दिन भर घूमने के कारण थक चुके थे सो लगभग एक-ढेढ़ घंटा पार्क में बिताने के बाद हम लोग अपने होटल में वापिस आ गये ।

शाम होटल में आराम करने और आपस में बात करते हुए बीत गयी, अब समय आया रात के खाने का,  पर आज इसी होटल में खाने का मन नहीं था सो रात पहलगाम के मुख्य बाजार में खाना खाने का निर्णय लिया गया । रात के आठ बजे हम लोग पहलगाम के मुख्य बाजार में चल दिए पर मुकेश भालसे जी और उनका परिवार थका होने कारण हम लोग साथ नही गये । पहलगाम में दो मुख्य बाजार है जिनके बीच की दूरी लगभग एक किमि० होगी । रात के साढ़े आठ बजे के आस पास बाजार बंद होने लगा था सो मुश्किल से एक रेस्तरा अपनी मन मर्जी का मिला जहाँ पर दक्षिण भारतीय खाना उपलब्ध था । स्वादिश डोसा और उत्पम से रात के खाने काम पूरा किया गया, इस कम में हम लोगो को रात के दस बज गये थे पर अभी एक काम और बाकि था वो ये की कल 26 जून  को मुकेश जी की धर्मपत्नी श्री मति कविता जी का जन्मदिन था सो उनके लिए सरप्राइज केक की व्यवस्था भी करनी थी । सो बाजार में ढूंढते हुए एक बंद होती दुकान से केक की व्यस्व्स्था की गयी ।

केक की व्यवस्था कर हम लोग होटल पहुँच गये । आज का सारा दिन काफी भागदौड़ वाला रहा और मौसम ने बखूबी हम लोगो का साथ दिया । रात के ठीक बारह बजे सभी लोग एकत्रित होकर मुकेश जी के कमरे का दरवाजा खटखटाया  गया । मुकेश जी अब सो चुके थे सो कुछ देर में दरवाजा खुल गया, सभी लोगो ने कविता जी को जन्मदिन की बधाइयाँ देकर उनका पहलगाम में जन्मदिन मनाया गया । अगले दिन हम लोगो को सुबह जल्दी श्रीनगर के लिए यात्रा करनी थी सो कुछ देर बाद सभी लोग अपने कमरे में सोने चले गये । तो ये था आज के हमारे तीसरे दिन सफर और उसका वर्णन ।



इस यात्रा लेख सम्बन्धित चित्रों का संकलन आप लोगो के प्रस्तुत है →
लैंड पिकनिक स्पॉट (Land Picnic Spot, Pahalgam)

लैंड पिकनिक स्पॉट (Land Picnic Spot, Pahalgam)

लैंड पिकनिक स्पॉट, अरु वैली रोड के पास  (Land Picnic Spot, Pahalgam)

छोटे छोटे झरने , लैंड पिकनिक स्पॉट, पहलगाम (Land Picnic Spot, Pahalgam)
अरु नदी , लैंड पिकनिक स्पॉट (Land Picnic Spot, Pahalgam)
मिनी चिड़ियाघर , पहलगाम (Mini Zoo, Pahalgam)

पहलगाम मुख्य बाजार

पहलगाम मुख्य बाजार

पहलगाम बाजार से एक सुन्दर द्रश्य

शाकाहारी "दाना पानी" नाम का मशहूर रेस्तरा

अग्रवाल फ़ूड पॉइंट , पहलगाम


पहलगाम बाजार से एक सुन्दर द्रश्य

एल वी पार्क से एक सुन्दर द्रश्य

एल वी पार्क , पहलगाम

एल वी पार्क , पहलगाम

लिद्दर नदी - एल वी पार्क , पहलगाम
एल वी पार्क , पहलगाम

सुंदर फूलो के द्रश्य "एल वी पार्क " से , पहलगाम








एल वी पार्क , पहलगाम

एल वी पार्क , पहलगाम

एल वी पार्क , पहलगाम




कश्मीर यात्रा के तीसरे दिन पहलगाम के भ्रमण का लेखा जोखा, अब इस लेख को यही समाप्त करते है मिलते कश्मीर यात्रा के एक नये लेख साथ । आशा करता हूँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा, यदि अच्छा लगे तो टिप्पणी के माध्यम से विवेचना जरुर करे। जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का धन्यवाद  !
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कश्मीर यात्रा  श्रृंखला के लेखो की सूची : 

4. कुछ सुनहरे पल पहलगाम से, कश्मीर (Local Travel to Pahalgam - Kashmir..4)
5. पहलगाम से श्रीनगर, कश्मीर का यादगार सफर (Pahalgam to Srinagar - Kashmir..5) 
6. हिमालय की गोद में बसे श्रीनगर, कश्मीर की सैर(Local Sight Seen to Srinagar, Kashmir.6)  
7. गुलमर्ग - विश्वप्रसिद्ध पर्वतीय स्थल की सैर (Travel to Gulmarg, Kashmir...7)
8.
श्रीनगर की सैर - कश्मीर (Local Tour to Srinagar, Kashmir... 8)  
9. सोनमर्ग - जोजिला दर्रा से जीरो पॉइंट का सफर (Travel to Sonamarg, Zojila Pass, Kashmir....9) 
10.कश्मीर का अद्भुत मंदिर माँ खीर भवानी (Kheer Bhawani Temple Kashmir..10) 
11. कश्मीर का सुहाना सफर - अंतिम भाग ( Return from Kashmir via Road.. 11)  

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25 comments:

  1. रितेश भाई बहुत बढ़िया लिखा है ।तस्वीरें तो सारी बेहद खूबसूरत है....... बोले तो ओसम ।

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    1. धन्यवाद दिल से नरेश जी.....

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  2. टैक्सी वाले ने बहुत बुरा किया आपसे झूठ बोलकर की यही अरु वैली है। पर्यटक के साथ यह धोखा माना जाता है।
    फोटो बहुत सुंदर आये है।

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    1. अक्सर ऐसे धोखे ही तो लोगो को और अधिक चालाक बना देते है और अविस्वाशी भी |

      धन्यवाद जी

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  3. Replies
    1. धन्यवाद पाण्डेय जी...

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  4. Hi Ritesh ji
    आपकी पोस्ट का सबसे खूबसूरत पक्ष है कि आप ने अपने इस यात्रा संस्मरण को पूरी ईमानदारी से लिखा है। जो स्थान/व्यक्ति पसन्द आये तो उनकी तारीफ, जो नही आये उनकी आलोचना भी स्पष्ट कर दी। जिस जगह नही जा सके, उसे भी छिपाने का प्रयास नही किया।
    सहज, सरल और साफ़ सुथरा लिखा गया यह आलेख भी पिछले लेखों की तरह ही प्रभावशाली है।
    फोटोज ख़ूबसूरत हैं।

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    1. आपका तहे दिल से आभार अवतार जी....इस खूबसूरत टिप्पणी के लिए ...|

      कोशिश दिल से ही रहती है लिखने की....जो स्पष्ट है वोही लिख देता हूँ... सही तथ्य सभी के सामने होना चाहिए बस |

      धन्यवाद जी

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  5. फ़ोटो देखने से समझ आ रहा है ऐसे ही इसे धरती का स्वर्ग नहीं बोला जाता, लेकिन इस कमबख्त आतंकवाद की वजह से बहुत से लोग इस जन्नत के दर्शनों से वंचित हो रहे हैं

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    1. जी कश्मीर बहुत खूबसूरत है .. पर कुछ लोगो ने हाल बिगाड़ रखा है |

      धन्यवाद

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  6. बहुत बढ़िया चित्र हैं..

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    1. धन्यवाद तिवारी जी

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  7. काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती, श्रीनगर से ऐसी खबरें बहुतायत में आने लगी हैं कि टेक्सी वालों का व्यवहार सही नहीं है। फ़ोटो तो शानदार हैं ही।

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    1. धन्यवाद दिल से बीनू भाई जी |

      ऐसे व्यबहार ही सफर का मजा बिगाड़ देते है |

      धन्यवाद

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  8. वाह रितेश गुप्ता जी, वाह! मज़ा आ गया। हम भी अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान श्रीनगर से वापसी के समय पहलगाम गये थे परन्तु रात को वहां रुकने के बावजूद अधिक कुछ नहीं देख पाये थे। लिद्दर नदी में पत्थरों पर कुछ फोटोग्राफी की, एक प्राचीन मंदिर नदी के उस पार ऊपर मिला था, उस के दर्शन किये, रात को होटल में सो गये। आधी रात से तूफानी बारिश शुरु हो गयी। बारिश रुकने पर जब चले तो पूरे रास्ते पेड़ सड़क पर बिछे पड़े थे। आपका विवरण पढ़ते पढ़्ते पूरा दृश्य आंखों के आगे घूम गया है ! :-)

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    1. टिप्पणी के लिये धन्यवाद सर जी । हम लोग भी उधमपुर से पहलगाव जबरदस्त बारिश ने ही पहुँचे थे। एक बात है जब किसी का यात्रा वृतान्त पढ़ो तो अपना यात्रा हाल भी याद आ जाता है ।

      पर पहलगाम सुंदर बहुत है ।

      धन्यवाद ।

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  9. Bahut hi achi post h apki aur bahut hi sundar tasvire h. Kya ap bta skte h k mid june me agr yhan yatra krni ho to kaisa mousam hota h yhan ka aur kya garam kapdo ki jarurat padti h ?

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    1. सर्वप्रथम धन्यवाद जी आपको |

      मध्य जून में मौसम 10-20 डिग्री के आसपास होता है ... हमलोगों को वैसे हल्के गर्म कपड़ो की जरूरत महसूस हुई थी ...सो एतिहात के तौर पर हल्के गर्म कपड़े ले जाना हितकर ही रहेगा...क्योकि वहां पर मौसम का कोई भरोसा नहीं

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