Written by → Ritesh Gupta
यात्रा दिनांक 23जून2014
यात्रा दिनांक 23जून2014
पिछले लेख में अब तक आपने पढ़ा कि सिलीगुड़ी के स्टेशन न्यू-जलपाईगुड़ी से एक टैक्सी के माध्यम से हम लोग गंगटोक शहर पहुँच गये थे । अब इससे आगे का यात्रा वर्णन -
कंचनजंघा पर्वत श्रेणी के साए बसा गंगटोक शहर (स्थानीय नाम - गांतोक) सिक्किम राज्य की राजधानी होने साथ-साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों का एक मुख्य पर्यटक स्थल भी है। यह सिक्किम का सबसे बड़ा शहर और मुख्यालय है, यहाँ पर कई मंजिला ईमारतो और नगर व्यवस्था को देखकर सहज विश्वास नहीं होता की यह एक पहाड़ी नगर है। शहर में पैदल चलने वालो के लिए सड़क किनारे लोहे की जाली लगा एक पैदलमार्ग का निर्माण किया गया है। शहर की पुलिस व्यवस्था, सड़क यातायात दुरुस्त है और यहाँ के नियम-कानून सख्ती से पालन किये जाते है । हिमालय श्रंखला में गंगटोक समुन्द्रतल से 1650 मीटर (5410 फीट) की ऊंचाई पर बसा होने का कारण यहाँ का मौसम हमेशा सुहावना बना रहता है । मुख्य पर्यटक स्थल होने के कारण यहाँ पर छोटे-बड़े होटलों की भरमार है, वैसे शहर के मध्य एम.जी. मार्ग (M.G. Marg) या लाल बाजार के पास काफी अच्छे होटल मिल जाते है ।
गंगटोक का मुख्य पर्यटक मौसम अक्तूबर-नबम्बर और मार्च-मई है । बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मानसूनी हवाओ से यहाँ पर मानसून जल्द ही आ जाता है । जून के महीने में बारिश का मौसम शुरू हो जाने के कारण सैलानियों की कम आवाजाही के कारण पर्यटक मौसम नहीं होता है, पहाड़ो पर बादलो और कोहरे का राज हो जाता है और इस कारण से दूर के वादियों के द्रश्य बिल्कुल साफ नजर नहीं आते । मानसून के मौसम में बारिश के कारण यहाँ की हरियाली अपने चरम पर होती है, जगह-जगह छोटे-बड़े झरने देखने को मिल जाते है । शहर में कोहरे और ठंडी हवाओ बीच यहाँ का भ्रमण काफी सुकूनदायक हो जाता है।
यह बाते हुयी गंगटोक के बारे में अब चलते अपने यात्रा के बारे। भोर वेला में सिलीगुड़ी से चलने के बाद गंगटोक पहुँचने पर गाड़ी के ड्राइवर ने हमे शहर के बाहर के एक टैक्सी स्टैंड पर उतार दिया, पर हम लोगो को यहाँ से आगे शहर के अन्दर लाल बाजार (Near M.G. Road) नाम के जगह पर जाना था । ड्राइवर से शहर के अन्दर चलने को कहा तो उसने जबाब दिया कि "शहर में दिन के समय बड़ी गाड़ियो को शहर के अंदर जाने के आज्ञा नहीं है, केवल पेट्रोल की छोटी गाड़ियाँ ही अन्दर जा सकती है । सो आप लोग यही से किराए पर छोटी गाड़ियों से वहां चलो जाओ "। हम लोगो ने टैक्सी स्टैंड के बाहर से छोटी-छोटी ( वेन, आल्टो आदि ) तीन गाड़ियाँ सौ रूपये प्रति गाड़ी के हिसाब से ले ली, तीन इसलिए क्योकि यहाँ के नियम के हिसाब एक गाड़ी में केवल चार बड़े लोगो को बैठाया जाता है।
अपने फेसबुक और ब्लॉग मित्र के.बी. रस्तोगी जी पहले गंगटोक की यात्रा कर चुके थे सो ईमेल पर उनसे यहाँ के बारे में काफी बाते जानकारी प्राप्त हुई थी । कार से हम लोग उनके सुझाये पर होटल पहुँच गये, जो लाल बाजार के डेन्जोंग सिनेमा का पास स्थित होटल डेन्जोंग है। होटल देखा, अच्छा लगा पर कमरे किराये के सम्बन्ध में जानकारी की तो थोडा हमारे बजट से बाहर लगा, साथ-साथ हमारे जरूरत के हिसाब से कमरे की उपलब्धता भी कम थी । खैर अब आवश्यकता थी अपने सहूलियत के हिसाब से होटल ढूढने की, तो उसी रास्ते पर लाल बाजार से मुख्य सड़क से चौक की तरफ उतरते हुए कुछ और होटल भी छान मारे तब जाकर मुख्य चौक के पास एक होटल जिसका नाम "होटल आर्किड" (Hotel Orchid, Near Lal Bazar, NH-31A, Gangtok) पसंद आया। यह एक बजट होटल है, यहाँ पर बजट के अनुसार कम दाम में बहुत अच्छे और साफ़ सुधरे कमरे उपलब्ध हो जाते है। यहाँ स्टाफ भी बहुत अच्छा है और हर समय आगुन्तको हर संभव साहयता के लिए तत्पर रहता है । इस होटल के अन्दर से ही एम.जी. मार्ग (M.G. Road) पर जाने का भी एक रास्ता है । कमरे बालकनी से सड़क (NH-31A) से गुजरते हुए वाहन और सामने खूबसूरत वादियों के नज़ारे भी दिखाई देते है, यदि मौसम साफ़ रहे तो कंचनजंघा चोटी के भी मनोहारी दर्शन हो जाते है।
होटल आर्किड में अग्रिम रकम देकर हमने पांच कमरो (प्रथम तल पर तीन और द्रितीय तल पर दो ) का आरक्षण करवाकर होटल के कमरों को अपने अधिकार में लिया गया । रात की थकान उतारने व नहाने-धोने के बाद तरोताजा होते-होते हमारा लगभग आधा दिन गुजर गया था और बाकि के बचे आधे दिन का समुचित लाभ उठाने के लिए गंगटोक के स्थानीय स्थलों के भ्रमण योजना बनाई गयी, इस वावत होटल के एक स्टाफ से बातचीत करके का कार्यक्रम तय किया गया और होटल स्टाफ में किफायती दाम में (रूपये 900/- प्रति गाड़ी) भ्रमण के लिए तीन छोटी गाड़ियो का प्रबन्ध कर दिया। हमे किफायती इसलिए लगा की हम लोगों ने पहले ही लाल बाजार के टैक्सी स्टैंड पर जाकर इस बारे में जानकारी ले ली थी ।
दोपहर के दो बजे के आसपास सभी लोग तैयार होकर गंगटोक भ्रमण पर निकल पड़े । हम लोग सबसे पहले गंगटोक के नमग्याल तिब्बतोलोजी संस्थान (Namgyal Institute of Tibetology) देखने पहुंचे। टैक्सी का ड्राइवर हम लोगो यहाँ पर छोड़कर आगे के रास्ते के तरफ कुछ दूर नीचे बने टैक्सी स्टैंड पर चले गये और हमसे कह भी गये की यहाँ घूमने के बाद पैदल ही जाना, क्योंकि अगला स्थल (Next Point) वही है। खूबसूरत हरे-भरे पेड़-पौधे लगे प्रांगण और बगीचों के मध्य यह संस्थान तीन भागो में विभाजित है। पहला प्रथम तल पर संग्रहालय है, जिसमें तिब्बती, गौतम बुद्ध और बौध धर्म सम्बन्धी प्रथा और उनके अवशेष, जीवाश्म, तिब्बती कला, साज-सज्जा, आभूषण, बर्तन, मूर्तियों, लकड़ी के बर्तन-औजार का अनूठा संग्रहालय है । दूसरे भाग (द्रितीय तल) में तिब्बती और बौद्ध धर्म सम्बन्धी प्रार्थना और अन्य पुस्तकों का पुस्तकालय है और तीसरे भाग में तिब्बती चित्रों का संग्रहण है । यह संस्थान गंगटोक के देवराली नानक स्थान पर स्थित है, यह सोमवार से शनिवार तक सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक खुलता है । यह संस्थान प्रत्येक रविवार, महीने के द्रितीय शनिवार और सरकारी अवकाशों पर बंद रहता है। इस संस्थान में प्रवेश शुल्क रुपये 10/- लगता हैं और म्यूजियम के अन्दर फोटोग्राफी पर प्रतिबन्ध है । यहाँ पर बौद्ध धर्म, तीब्बती सभ्यता और भाषा पर शोध होता हैं ।
म्यूजियम में पुराने अवशेष और पुरातात्विक कृतिया देखने बाद हम लोग वहां से दूसरे स्थल बौद्ध स्तूप देखने चल दिए । सड़क से गुजरते हुए पेड़ो के सहारे बौद्ध धर्म की प्रार्थना लिखित रंग-बिरंगी झंडिया काफी सुदंर आभा दे रही थी । कुछ दूर चलने के टैक्सी स्टैंड पर पहुँच गये वहां से स्तूप तक जाने के लिए खड़ी चढ़ाई वाला रास्ता नजर आने लगा । इसी रास्ते पर थोड़ा चलने के बाद सफ़ेद रंग कर स्तूप नजर आने लगा । यह एक बौद्ध स्तूप है और इस स्तूप का नाम दो-द्रुल-चोर्टेन स्तूप (Do-Drul-Chorten Stupa) है। हमें यह नाम कुछ अजीब सा लगा, पर यह सिक्किम के सबसे बड़े स्तुपो में से एक है। यह स्तूप सफ़ेद रंग का तथा आकर में यह चोकोर है और इसका शिखर स्वर्ण निर्मित और विभिन्न रंगों से अलंकृत है । इस स्तूप के चारो तरफ कुल मिलाकर बड़े आकार के 108 प्रार्थना चक्र सुनहरे रंग है। यह स्तूप रिनपोचे-तिब्बती बौद्ध धर्म के न्यिन्गमा समाज के मुखिया द्वारा सन 1945 में निर्मित करवाया गया था । स्तूप परिसर के अंदर बौद्ध लामा अपनी पारम्परिक वेशभूषा में अपने पाठ-पूजा के परिक्रम में व्यस्त थे। स्तूप के अंदर एक जगह पर काफी बड़ी संख्या में पीतल के दिए जलाने की तैयारी चल रही थी। हम लोगो ने भी प्रार्थना चक्र को हाथ से घुमाते हुए एक चक्कर स्तूप का लगाया फिर बड़े आराम से पूरे स्तूप अवलोकन किया। स्तूप परिसर में दो बिल्लियाँ भी पर्यटकों के साथ खेल रही थी शायद यह स्तूप की ही पालतू बिल्लियाँ थी। स्तूप के दर्शन करने के पश्चात हम लोग वहां से वापिस चल दिए।
इस टैक्सी वाला हम लोगो के गंगटोक के ही एक सेल्स एम्पोरियम (Sales Emporium, Gantok Handicraft Center) ले गया। यह सेल्स एम्पोरियम गंगटोक के ह्रदयस्थली एम.जी. मार्ग से करीब एक किलोमीटर दूर है। इसको सिक्किम के हथकरघा उत्पादको, गलीचे, खिलौंने, रसोई का सामान, फर्नीचर आदि के उधोगो की उत्पादन और बिक्री में बढोत्तरी करने के लिए सिक्किम डाइरेक्टरट हेंडीक्राफ्ट एंड हेंडलूम (DHH) ने सन 1957 में स्थापित किया था। इस एम्पोरियम के ईमारत में हेंडीक्राफ्ट एवं हेंडलूम के सामन के ट्रेनिंग दी जाती है और ट्रेनिंग के दौरान बनाये सामान बिक्री के लिए उपलब्ध रहते है। हम लोगो ने एम्पोरियम में पहुँचकर वहां के हेंडीक्राफ्ट के सामानों का अवलोकन किया। कुछ सामानों का मूल्य भी पूछा जो हमे काफी अधिक लगा, खरीदना तो हमे कुछ नहीं था सो यहाँ की कला और हेंडीक्राफ्ट को निहारने पश्चात अपनी टैक्सी पर आ गये और टैक्सी ड्राइवर से अगले अपने स्थल की ओर चलने के लिए आदेश दिया।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
कंचनजंघा पर्वत श्रेणी के साए बसा गंगटोक शहर (स्थानीय नाम - गांतोक) सिक्किम राज्य की राजधानी होने साथ-साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों का एक मुख्य पर्यटक स्थल भी है। यह सिक्किम का सबसे बड़ा शहर और मुख्यालय है, यहाँ पर कई मंजिला ईमारतो और नगर व्यवस्था को देखकर सहज विश्वास नहीं होता की यह एक पहाड़ी नगर है। शहर में पैदल चलने वालो के लिए सड़क किनारे लोहे की जाली लगा एक पैदलमार्ग का निर्माण किया गया है। शहर की पुलिस व्यवस्था, सड़क यातायात दुरुस्त है और यहाँ के नियम-कानून सख्ती से पालन किये जाते है । हिमालय श्रंखला में गंगटोक समुन्द्रतल से 1650 मीटर (5410 फीट) की ऊंचाई पर बसा होने का कारण यहाँ का मौसम हमेशा सुहावना बना रहता है । मुख्य पर्यटक स्थल होने के कारण यहाँ पर छोटे-बड़े होटलों की भरमार है, वैसे शहर के मध्य एम.जी. मार्ग (M.G. Marg) या लाल बाजार के पास काफी अच्छे होटल मिल जाते है ।
होटल के कमरे से नजर आता घाटी का द्रश्य , गंगटोक (View from Hotel Room, Gangtok) |
यह बाते हुयी गंगटोक के बारे में अब चलते अपने यात्रा के बारे। भोर वेला में सिलीगुड़ी से चलने के बाद गंगटोक पहुँचने पर गाड़ी के ड्राइवर ने हमे शहर के बाहर के एक टैक्सी स्टैंड पर उतार दिया, पर हम लोगो को यहाँ से आगे शहर के अन्दर लाल बाजार (Near M.G. Road) नाम के जगह पर जाना था । ड्राइवर से शहर के अन्दर चलने को कहा तो उसने जबाब दिया कि "शहर में दिन के समय बड़ी गाड़ियो को शहर के अंदर जाने के आज्ञा नहीं है, केवल पेट्रोल की छोटी गाड़ियाँ ही अन्दर जा सकती है । सो आप लोग यही से किराए पर छोटी गाड़ियों से वहां चलो जाओ "। हम लोगो ने टैक्सी स्टैंड के बाहर से छोटी-छोटी ( वेन, आल्टो आदि ) तीन गाड़ियाँ सौ रूपये प्रति गाड़ी के हिसाब से ले ली, तीन इसलिए क्योकि यहाँ के नियम के हिसाब एक गाड़ी में केवल चार बड़े लोगो को बैठाया जाता है।
अपने फेसबुक और ब्लॉग मित्र के.बी. रस्तोगी जी पहले गंगटोक की यात्रा कर चुके थे सो ईमेल पर उनसे यहाँ के बारे में काफी बाते जानकारी प्राप्त हुई थी । कार से हम लोग उनके सुझाये पर होटल पहुँच गये, जो लाल बाजार के डेन्जोंग सिनेमा का पास स्थित होटल डेन्जोंग है। होटल देखा, अच्छा लगा पर कमरे किराये के सम्बन्ध में जानकारी की तो थोडा हमारे बजट से बाहर लगा, साथ-साथ हमारे जरूरत के हिसाब से कमरे की उपलब्धता भी कम थी । खैर अब आवश्यकता थी अपने सहूलियत के हिसाब से होटल ढूढने की, तो उसी रास्ते पर लाल बाजार से मुख्य सड़क से चौक की तरफ उतरते हुए कुछ और होटल भी छान मारे तब जाकर मुख्य चौक के पास एक होटल जिसका नाम "होटल आर्किड" (Hotel Orchid, Near Lal Bazar, NH-31A, Gangtok) पसंद आया। यह एक बजट होटल है, यहाँ पर बजट के अनुसार कम दाम में बहुत अच्छे और साफ़ सुधरे कमरे उपलब्ध हो जाते है। यहाँ स्टाफ भी बहुत अच्छा है और हर समय आगुन्तको हर संभव साहयता के लिए तत्पर रहता है । इस होटल के अन्दर से ही एम.जी. मार्ग (M.G. Road) पर जाने का भी एक रास्ता है । कमरे बालकनी से सड़क (NH-31A) से गुजरते हुए वाहन और सामने खूबसूरत वादियों के नज़ारे भी दिखाई देते है, यदि मौसम साफ़ रहे तो कंचनजंघा चोटी के भी मनोहारी दर्शन हो जाते है।
Hotel Orchid Visiting Card for Help |
दोपहर के दो बजे के आसपास सभी लोग तैयार होकर गंगटोक भ्रमण पर निकल पड़े । हम लोग सबसे पहले गंगटोक के नमग्याल तिब्बतोलोजी संस्थान (Namgyal Institute of Tibetology) देखने पहुंचे। टैक्सी का ड्राइवर हम लोगो यहाँ पर छोड़कर आगे के रास्ते के तरफ कुछ दूर नीचे बने टैक्सी स्टैंड पर चले गये और हमसे कह भी गये की यहाँ घूमने के बाद पैदल ही जाना, क्योंकि अगला स्थल (Next Point) वही है। खूबसूरत हरे-भरे पेड़-पौधे लगे प्रांगण और बगीचों के मध्य यह संस्थान तीन भागो में विभाजित है। पहला प्रथम तल पर संग्रहालय है, जिसमें तिब्बती, गौतम बुद्ध और बौध धर्म सम्बन्धी प्रथा और उनके अवशेष, जीवाश्म, तिब्बती कला, साज-सज्जा, आभूषण, बर्तन, मूर्तियों, लकड़ी के बर्तन-औजार का अनूठा संग्रहालय है । दूसरे भाग (द्रितीय तल) में तिब्बती और बौद्ध धर्म सम्बन्धी प्रार्थना और अन्य पुस्तकों का पुस्तकालय है और तीसरे भाग में तिब्बती चित्रों का संग्रहण है । यह संस्थान गंगटोक के देवराली नानक स्थान पर स्थित है, यह सोमवार से शनिवार तक सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक खुलता है । यह संस्थान प्रत्येक रविवार, महीने के द्रितीय शनिवार और सरकारी अवकाशों पर बंद रहता है। इस संस्थान में प्रवेश शुल्क रुपये 10/- लगता हैं और म्यूजियम के अन्दर फोटोग्राफी पर प्रतिबन्ध है । यहाँ पर बौद्ध धर्म, तीब्बती सभ्यता और भाषा पर शोध होता हैं ।
म्यूजियम में पुराने अवशेष और पुरातात्विक कृतिया देखने बाद हम लोग वहां से दूसरे स्थल बौद्ध स्तूप देखने चल दिए । सड़क से गुजरते हुए पेड़ो के सहारे बौद्ध धर्म की प्रार्थना लिखित रंग-बिरंगी झंडिया काफी सुदंर आभा दे रही थी । कुछ दूर चलने के टैक्सी स्टैंड पर पहुँच गये वहां से स्तूप तक जाने के लिए खड़ी चढ़ाई वाला रास्ता नजर आने लगा । इसी रास्ते पर थोड़ा चलने के बाद सफ़ेद रंग कर स्तूप नजर आने लगा । यह एक बौद्ध स्तूप है और इस स्तूप का नाम दो-द्रुल-चोर्टेन स्तूप (Do-Drul-Chorten Stupa) है। हमें यह नाम कुछ अजीब सा लगा, पर यह सिक्किम के सबसे बड़े स्तुपो में से एक है। यह स्तूप सफ़ेद रंग का तथा आकर में यह चोकोर है और इसका शिखर स्वर्ण निर्मित और विभिन्न रंगों से अलंकृत है । इस स्तूप के चारो तरफ कुल मिलाकर बड़े आकार के 108 प्रार्थना चक्र सुनहरे रंग है। यह स्तूप रिनपोचे-तिब्बती बौद्ध धर्म के न्यिन्गमा समाज के मुखिया द्वारा सन 1945 में निर्मित करवाया गया था । स्तूप परिसर के अंदर बौद्ध लामा अपनी पारम्परिक वेशभूषा में अपने पाठ-पूजा के परिक्रम में व्यस्त थे। स्तूप के अंदर एक जगह पर काफी बड़ी संख्या में पीतल के दिए जलाने की तैयारी चल रही थी। हम लोगो ने भी प्रार्थना चक्र को हाथ से घुमाते हुए एक चक्कर स्तूप का लगाया फिर बड़े आराम से पूरे स्तूप अवलोकन किया। स्तूप परिसर में दो बिल्लियाँ भी पर्यटकों के साथ खेल रही थी शायद यह स्तूप की ही पालतू बिल्लियाँ थी। स्तूप के दर्शन करने के पश्चात हम लोग वहां से वापिस चल दिए।
इस टैक्सी वाला हम लोगो के गंगटोक के ही एक सेल्स एम्पोरियम (Sales Emporium, Gantok Handicraft Center) ले गया। यह सेल्स एम्पोरियम गंगटोक के ह्रदयस्थली एम.जी. मार्ग से करीब एक किलोमीटर दूर है। इसको सिक्किम के हथकरघा उत्पादको, गलीचे, खिलौंने, रसोई का सामान, फर्नीचर आदि के उधोगो की उत्पादन और बिक्री में बढोत्तरी करने के लिए सिक्किम डाइरेक्टरट हेंडीक्राफ्ट एंड हेंडलूम (DHH) ने सन 1957 में स्थापित किया था। इस एम्पोरियम के ईमारत में हेंडीक्राफ्ट एवं हेंडलूम के सामन के ट्रेनिंग दी जाती है और ट्रेनिंग के दौरान बनाये सामान बिक्री के लिए उपलब्ध रहते है। हम लोगो ने एम्पोरियम में पहुँचकर वहां के हेंडीक्राफ्ट के सामानों का अवलोकन किया। कुछ सामानों का मूल्य भी पूछा जो हमे काफी अधिक लगा, खरीदना तो हमे कुछ नहीं था सो यहाँ की कला और हेंडीक्राफ्ट को निहारने पश्चात अपनी टैक्सी पर आ गये और टैक्सी ड्राइवर से अगले अपने स्थल की ओर चलने के लिए आदेश दिया।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
We stayed this place, Hotel Orchid, NH31A (होटल आर्किड, लाल बाजार मोड़, गंगटोक ) |
लाल बाज़ार का स्थानीय टैक्सी स्टैंड (Local Taxi Stand at Lal Bazar, Gangtok) |
लाल बाज़ार का स्थानीय टैक्सी स्टैंड के पीछे का द्रश्य (Just Behind Local Taxi Stand at Lal Bazar, Gangtok) |
नमग्याल म्यूजियम के बाहर का द्रश्य ( Namgyal Institute of Tibetology Museum, Gangtok) |
संस्थान परिसर में पौधे पर लगा एक नीले रंग फूल (A blue coloured Flower at Musium Ground) |
नमग्याल म्यूजियम के बाहर कांच के बॉक्स में एक प्रतिमा ( Namgyal Institute of Tibetology Museum, Gangtok) |
म्यूजियम से स्तूप के तरफ जाते हुए रास्ते लगी रंग-बिरंगी प्रार्थना झंडिया (Prayer Flag on the way to Stupa) |
Golden top dome of Do-Drul Chorten Stupa, Gangtok, Sikkim ( दो-द्रुल चोर्टन स्तूप का स्वर्णमंडित शिखर , सिक्किम ) |
A Dom of Do-Drul Chorten Stupa, Gangtok, Sikkim (सुन्दर नक्काशी दो-द्रुल-चोर्टन स्तूप के स्वर्णमंडित शिखर पर, सिक्किम ) |
Colorful 108 Prayer Wheel at Stupa, Gangtok, Sikkim (स्तूप में 108 प्रार्थना चक्र की सुन्दर द्र्श्यावली, सिक्किम ) |
स्तूप में आराम फरमाती स्तूप के पालतू बिल्ली (A pet Cat at Stupa, Gangtok ) |
गंगटोक का एक हथकरघा वस्तु का सेल्स एम्पोरियम (Handicraft Sales Emporium, Gangtok, Sikkim) |
सेल्स एम्पोरियम का एक अन्य द्रश्य (Another view of Sales Emporium, Gangtok, Sikkim) |
यह बाते हुई गंगटोक और उसके कुछ आसपास के स्थलों की अगले लेख में आप लोगो के ले चलेंगे गंगटोक के कुछ और स्थानीय स्थलों की सैर पर। आशा करता हूँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा, इस सम्बन्ध में आप सभी से टिप्पणी की अपेक्षा रहेगी । जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का धन्यवाद !
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गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
3. एक नजर, गंगटोक शहर, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
4. गंगटोक शहर के स्थानीय स्थलों का भ्रमण, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
5. बाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम-Baba HarbhajanSingh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)
6. छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)
7. गंगटोक से दार्जिलिंग का सफ़र (Travel to Darjeeling, West Bengal )
8. पर्वतीय नगर दार्जीलिंग की सैर (Sight Seen of Darjeeling Hill Station, West Bengal)
9. प्रकृति से मुलाकात - दार्जीलिंग नगर की सैर में (Sight Seen of Darjeeling, West Bengal)
10. दार्जीलिंग नगर की सैर - नये स्थलों के साथ (Siight Seen of Darjeeling 2, West Bengal)
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4. गंगटोक शहर के स्थानीय स्थलों का भ्रमण, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
5. बाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम-Baba HarbhajanSingh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)
6. छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)
7. गंगटोक से दार्जिलिंग का सफ़र (Travel to Darjeeling, West Bengal )
8. पर्वतीय नगर दार्जीलिंग की सैर (Sight Seen of Darjeeling Hill Station, West Bengal)
9. प्रकृति से मुलाकात - दार्जीलिंग नगर की सैर में (Sight Seen of Darjeeling, West Bengal)
10. दार्जीलिंग नगर की सैर - नये स्थलों के साथ (Siight Seen of Darjeeling 2, West Bengal)
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मजेदार पोस्ट और फोटोग्राफ्स। फोटोस थोड़ी कम हैं लेकिन शानदार हैं। आगे की पोस्ट थोड़ी जल्दी डालिएगा
ReplyDeleteइंतज़ार रहेगा।
पोस्ट को पसंद करने के लिए धन्यवाद योगेश जी.....
Deleteफोटो पोस्ट की गति के हिसाब से ही है..... आगे जल्दी ही लिखने की कोशिश करूंगा....
यात्रा का आगाज़ अब जाके हुआ है आगे और भी रंग देखने को मिलेंगे. आपकी यात्रा वृतांत पढकर मुझे अपनी सिक्किम यात्रा की याद आ गयी हम लोग अगस्त २०१३ में गए थे. जब खूब बारिश हो रही थी. फोटो अच्छे हैं. बाकि आप लिखते बहुत विस्तृत हैं. लगे रहिये अगले भाग का इंतज़ार रहेगा.........
ReplyDeleteलेख पर टिप्पणी के लिए शुक्रिया चंद्रेश जी.....वैसे बारिश में घूमने का एक अपना ही मजा होता है ....
Deleteशानदार स्थल और मजेदार वर्णन --- बहुत सूंदर द्रश्य और स्तूप क्या बात है । अगले अंक का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteउत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए धन्यवाद दर्शन जी....
Deleteचन्द्रेश , विस्तार से लिखने में ही आनन्द है तभी लगता है हम खुद भी यात्रा कर रहे है।
ReplyDeleteठीक कहा आपने दर्शन जी...
DeleteGood narrative and excellent photos. North East India is one place that I really want to visit but haven't yet managed to. Will look forward to more so that I could draw an itinerary for myself :-)
ReplyDeleteThanks a Lot Nikhil ji.... for Beautiful comment.
DeleteBhai waah...aanand aaya is yatra men...aage ka vivran padhne ko betaab hain
ReplyDeleteBhai waah...aanand aaya is yatra men...aage ka vivran padhne ko betaab hain
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी पढकर हमे भी आनंद आ गया.... धन्यवाद नीरज जी
Deleteगंगटोक शहर का बहुत सुन्दर मनोरम चित्रण ....
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा मन को ... ..
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार कविता जी..
Deleteकिसी पहाड़ी स्थल पर पहली बार पैदल यात्रिओं के लिए अलग मार्ग देखकर आश्चर्य हुआ,यहाँ के दृश्यों को देखने से आसानी से ज्ञात हो रहा है कि सिक्किम-गंगटोक कितना साफ सुथरा बसा हुआ राज्य है
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी.... हमे भी यह देखकर आश्चर्य हुआ था.... सिक्किम वाकई में सुन्दर शहर है
Deleteगंगटोक बहुत सुन्दर शहर है. आपकी नज़रों से एक बार फिर देखा. बहुत रोचक चित्रमय प्रस्तुति...
ReplyDeleteटिप्पणी के आपका बहुत बहुत शुक्रिया कैलाश जी
Deleteगंगटोक और सिलीगुड़ी के बीच में ही क़ायदे कानून को बनता बिगड़ता देखा है। इस पोस्ट को पढ़कर सिक्किम यात्रा याद आ गई।
ReplyDeleteमनीष जी ... हमने भी इन्ही रास्तो में यह सब महसूस भी किया था...
Deleteआपकी सिक्किम यात्रा की पोस्ट पढ़ चुका हूँ... बहुत अच्छा लिखा है आपने...
धन्यवाद
ऋषभ शुक्ला जी....
ReplyDeleteब्लॉग पर आने और अपने कमेंट के द्वारा प्रोत्साहन करने के लिए आपका आभार.... जानकर अच्छा लगा कि आप भी हिंदी के ब्लोगर हो... आपके ब्लॉग देखा.. अच्छा लगा ....कुछ आपकी कविताएं भी देखी.... समय उपलब्ध होने पर आपके ब्लॉग पर दुबारा से जाऊँगा...
धन्यवाद
बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद सूबेदार जी....
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ReplyDeleteमजेदार पोस्ट और फोटोग्राफ्स।
ReplyDeleteआपके सफर का वृतांत काम आएगा
ReplyDeleteNc stori
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ReplyDeleteThanks for the valuable information and insights you have so provided here...sohpet odalari
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