1.आगरा से आबू रोड और वहा से माँ अम्बाजी (गुजरात ) की यात्रा .............1
2.माउन्ट आबू : अरावली पर्वत माला का एक खूबसूरत हिल स्टेशन ...........2
2.माउन्ट आबू : अरावली पर्वत माला का एक खूबसूरत हिल स्टेशन ...........2
पिछले भाग आगरा से आबू रोड और वहा से अम्बा जी (गुजरात )…..Part.1 और माउन्ट आबू:अरावली पर्वत माला का एक खूबसूरत हिल स्टेशन …..Part 2 से आगे । आज दिनांक २८ जून २०११ दिन मंगलवार था और हम लोग सुबह के सात बजे उठ गए थे । आज हम लोगो का कार्यक्रम माउन्ट आबू के दर्शनीय स्थलों की सैर पर जाना था तथा अगले दिन का कार्यक्रम बस द्वारा उदयपुर जाने का था और उस बस की अग्रिम टिकिट की बुकिंग आज एक ट्रेवल एजेंट से करना बहुत जरुरी था, क्योकि माउन्ट आबू से सुबह-सुबह केवल एक ही बस उदयपुर के लिए जाती हैं।
माउन्ट आबू समुन्द्र तल से १२२० मीटर की ऊचाई पर स्थित होने के कारण जायदातर यहाँ मौसम अक्सर सुहावना बना रहता हैं पर आज का मौसम कल से भी ज्यादा ठंडा और सुहावना था । हमारा कमरा गेस्ट हाउस में तीसरी मंजिल पर था और वहां से माउन्ट आबू शहर दूर -दूर तक नज़र आ रहा था और नीचे माउन्ट आबू भी चौक नज़र आ रहा था। जैसे ही हमने कमरे की खिड़की खोली और बाहर देखा कि काले घने बादलो ने पूरे माउन्ट आबू शहर अपने आगोश में ले रखा था, चारों ओर धुंध छाई हुई थी, तेज व ठंडी हवा के झोकें के साथ-साथ बादंल का कुहरा भी कमरे में दाखिल हो रहा था, और उन्होंने कमरे के वातावरण को और भी ठंडा कर दिया था।
सुबह के समय बादलो के आगोश में माउन्ट आबू शहर |
खैर, हम लोग जल्दी – जल्दी तैयार हुए, थोड़ा जलपान किया, गरम गरम चाय पी और घूमने जाने के लिए टैक्सी वाले का इंतजार करने लगे । ९:१५ बजे के लगभग हमारे टैक्सी वाले का फ़ोन हमें नीचे बुलाने के लिए आया । हम सभी लोग कमरा बंद करके जल्दी से नीचे पहुच गए और टैक्सी वाले से कहा कि “पहले हमें उस ट्रेवल एजेंट पर ले चलो, जहाँ से उदयपुर के लिए बस कि अग्रिम टिकिट बुक होती हैं।” टैक्सी वाला हमें उस ट्रेवल एजेंट पर ले गया, वहां पर हमें बस में पीछे की सीटे मिल रही थी, हमने एजेंट कहा कि ” भाई, हमें आगे कि सीट दे दो” तो वो बोला “आप लोग देर से आये हो, आगे की सीटे पहले ही बुक हो चुकी हैं।” खैर हमने उदयपुर के लिए टिकिट बुक कराई। एक टिकिट की कीमत रुपये १५० थी और बस के चलने का समय सुबह ८:५० बजे था ।
सुबह के समय माउन्ट आबू शहर का बाज़ार |
शंकर मठ मंदिर शहर से मुख्य बाज़ार के पास स्थित हैं, जो यहा का एक मुख्य मंदिर हैं। यह मंदिर मुख्य अराध्य देव भगवान् श्री शिव शंकर जी का मंदिर हैं। मंदिर के अन्दर लगभग ४ फीट ऊचा एक ही बड़े चिकने पत्थर से बना शिवलिंग, नंदी के साथ विराजमान हैं। पूरा मंदिर लाल पत्थर से और इस मंदिर का शिखर (ऊपर का भाग) एक शिवलिंग के रूप में बना हुआ हैं । ये मंदिर करीब पच्चीस साल पुराना हैं।
शंकर मठ |
शंकर मठ के प्रवेश द्वार पर |
शंकर मठ के अंदर |
शंकर मठ मंदिर परिसर बिलकुल साफ सुधरा एवं शांत था और मंदिर के अन्दर बहुत ही सुन्दर बगीचा बना हुआ हैं जिसमे तरह तरह के फूल खिले हुए थे तथा सीमेंट से बने छोटे से तालाब के पानी में कमल के फूल भी थे । हम सभी लोगो ने भगवान् शिव दर्शन किये और उनकी प्राथना की । मुख्य शिव लिंग का फोटो लेना मना था इसलिए हम लोग शिव लिंग का फोटो नहीं ले पाए। कुछ समय वहां बिताने के बाद हम लोग अपनी अगली मंजिल गुरु शिखर के लिए रवाना हो गए।
गुरु शिखर
गुरु शिखर पर जाने का रास्ता भी बड़ा रोमांचक, घुमावदार मोड़, छोटी छोटी झीले, हरे भरे पेड़, जंगली रास्ते या फिर ये कहो वो सब कुछ हैं जो हमारे मन को शांति पहुचा देते हैं । कुछ किलोमीटर चलने के बाद एक छोटी सी झील नज़र आई, ड्राईवर से पूछा तो उसने बताया की इसे छोटी नक्की झील कहते हैं । इस झील का पानी एक बांध बनाकर रोका गया था। एक तरह से यह एक चेक डेम हैं जो पानी को इकठ्ठा करने के लिए बनाया हुआ हैं। कुछ और आगे का चले तो गुरु शिखर व उसके रास्ते को बादलो ने चारो ओर से घेर रखा था। सड़क पर धुंध छाई होने के कारण रास्ता धुधला नज़र रहा था, ऐसा लगा की जैसे हम लोग बादलो की नगरी में आ गए हो। मौसम बहुत ही रूमानी हो गया था। गुरु शिखर के आसपास का पूरा इलाका जंगली हैं जो एक माउन्ट आबू सरकारी आरक्षित जंगली जीवन जंगल (Reserve Mount Abu Wildlife Century) हैं
गुरु शिखर के रास्ते में पड़ने वाली एक छोटी झील |
धुँआ धुँआ शमा... धुंध में डूबी सड़क |
खैर आधा घंटे में हम गुरु शिखर पहुच गए। टैक्सी वाले ने हमें पीछे की पार्किंग पर उतार दिया बाकी का थोडा सा रास्ता हमें सीढियों तय करके मंदिर पर पहुच गए।
गुरु शिखर के टैक्सी स्टैंड पर मेरा परिवार |
गुरु शिखर पर्वत माउन्ट आबू और अरावली पर्वतमाला का सबसे ऊँचा शिखर हैं। समुन्द्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग १७२२ मीटर (५६७६ फीट) हैं और ये माउन्ट आबू से लगभग १५ किलोमीटर दूर हैं । गुरु शिखर की चोटी से माउन्ट आबू और इसके आस पास का पूरा हरा-भरा इलाका बड़ा ही सुन्दर और मनभावन नज़र आता हैं। यहाँ पहुँचने बाद ऐसा लगता है की जैसे हम लोग बादलों के पास आसमान पहुँच गए हो ।
गुरु शिखर पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार गुरु दत्तात्रेय का मंदिर एक पत्थर की गुफा में हैं, जहा गुरु दत्तात्रेय पर वह अपनी साधना व तपस्या किया करते थे । उन्ही के नाम पर इस शिखर का नाम गुरु शिखर पड़ा। गुफा में यज्ञ वेदी के एक छोटे से स्थान से धुआं हमेशा उठता रहता हैं, वहां के पुजारी ने बताया की यह गुरु दत्तात्रेय के समय से यहाँ पर यह धुआं उठ रहा हैं । जो भी हमने गुरु दत्तात्रेय जी के दर्शन किये और गुफा से बहार आ गए । सीढियों से और ऊपर जाने पर हम लोग शिखर के सबसे ऊपर पहुच जाते हैं यहाँ शिखर पर एक पत्थर की छोटी सी गुफा में चरण चिन्ह मंदिर बना हुआ हैं ।
गुरु शिखर पहाड़ के एक हिस्सा मंदिर प्रांगण में |
गुरु शिखर के टॉप पर पीतल का घंटा |
पीस पार्क / शांति पार्क (Peace Park )
पीस पार्क प्रासिद्ध ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्वविद्यालय संस्था का मुख्य केंद्र, नक्की झील, माउन्ट आबू से ८ किलोमीटर दूर गुरु शिखर मार्ग पर हैं। पूरे आबू रोड व माउन्ट आबू में कई जगह ब्रह्मकुमारी संस्था के आश्रम, ध्यान केंद्र व शांति स्थल बने हुए हैं, उनमे से पीस पार्क एक हैं। यह पार्क ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा बनाया गया एक शांति स्थल हैं । ब्रह्मकुमारी संस्था के मुख्य उद्देश्य (जैसा कि हमें वहां के सदस्य के द्वारा बताया गया ) लोगो का अपनी ही अंतर आत्मा (दिव्य प्रकाश) से परिचय करना, बुरी आदतों को छोड़ना और उस निराकार शक्ति ज्ञान देना होता हैं। उनका कहना हैं की जिनकी हम लोग पूजा करते हैं जिसे हम God, भगवान, अल्लाह, ईशु आदि नाम से जानते हैं , उनसे ऊपर भी एक दिव्य सर्व शक्ति हैं, जो इस पूरे ब्रह्माण्ड को चला रही हैं और वह दिव्य शक्ति एक प्रकाश पुंज ( ॐ ) के रूप में विद्यमान हैं और ॐ और शिव एक दूसरे के पर्याय हैं।
पार्क में प्रवेश करने के बाद वहा सबसे पहले एक १५ मिनिट के कार्यक्रम में भाग लेना होता हैं, इस कार्यक्रम को एक शेड (छायादार जगह) में वहा पर घूमने आये प्रयटक एवं आगुन्तक को ३० से ३५ लोगो के ग्रुप में बैठाकर वहां के सदस्य के द्वारा अपने इस संस्था को चलाने का उद्देश्य, राजयोग कि शिक्षा के प्रति जानकारी देना, ध्यानयोग के द्वारा मन को शांति पहुचना एवं निराकार शक्ति के बारे में समझाया जाता हैं।
पार्क में लगे बच्चो के झूले |
कुछ देर बाद हम लोग शांति पार्क परिसर में घूमने पहुच जाते हैं। यह उद्यान प्राकर्तिक सौंदर्य से भरपूर हैं, उद्यान परिसर में कई किस्म व रंगों के गुलाबो का सुन्दर बगीचा, राँक गार्डन, बांस व घास से बनी झोपड़िया, पत्थर कि गुफा, एक बहुत बड़ा सीमेंट व पत्थर से बना ॐ आकृति, घास के पार्क और उनके किनारे बने कई किस्म के फूलो कि क्यारिया और बच्चो के लिए एक झूले का पार्क आदि हैं।
पीस पार्क में सीमेंट से बनी ओम आकृति |
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बहुत बढिया यात्रा।
ReplyDeleteभाई, ये बताओ कि गुरू शिखर जाने का पैदल रास्ता कितना लम्बा है? आपने जो 15 किलोमीटर बताये हैं वो तो सडक का रास्ता है। हम ठहरे हिमालयी जन्तु, पैदल ही चलना चाहते हैं। और जहां तक मेरा अन्दाजा है कि नक्की झील से गुरू शिखर तक कोई शेयर जीप या बस आदि नहीं मिलती होगी। लोगबाग अपनी गाडी या टैक्सी से ही आते-जाते होंगे। अगर एकमात्र सडक का ही रास्ता है तो भईया, अपन जब भी कभी उधर जायेंगे तो गुरू जी को दूर से ही प्रणाम कर लेंगे।
Gurusikhar Jane ke liye bus, taxi chalti hai... Paidal jayada se jayada 11 km hi. Yaha sharing base. Mount ghumane ki chalti hai 100rs aas-pas full day ka
DeleteGurusikhar Jane ke liye bus, taxi chalti hai... Paidal jayada se jayada 11 km hi. Yaha sharing base. Mount ghumane ki chalti hai 100rs aas-pas full day ka
Deleteअपना विचार नीरज से एकदम हटकर है, जब यहाँ पर जाना होगा तो कुछ नहीं बचेगा, वो चाहे गुरु शिखर हो या, नक्की झील, ये घन्टा, और ऊँ कुछ नहीं बच पायेगा।
ReplyDeleteWonderful coverage of the place.
ReplyDeleteNot much change in Mt Abu, have been to there around 12 years back.
ReplyDeleteThanks a lot Mahesh ji..
Deletebahut badhiya ritesh ji
ReplyDeletebahut hi acha vivran ritesh jee, purani chize padhkar maza aa raha hai
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