दिनांक २७ जून २०११ दिन सोमवार था, इस समय हम लोग गब्बर (माँ अम्बा जी ) मैं थे । पौने दो बजे के आस पास हम लोग गब्बर से वापिस आबू रोड के लिए चल दिए ।
माँ अम्बा जी से आबू रोड दूरी लगभग २८ किलोमीटर हैं, रास्ता साफ़ सुधरा, कुछ समतल तथा कुछ हल्का फुल्का पहाड़ी हैं। आधा घंटा में हम लोग आबू रोड पहुँच गए । आबू रोड सिरोही डिस्ट्रिक्ट राजस्थान में माउन्ट आबू के तलहटी में बसा एक छोटा सा शहर हैं जो जयपुर - अहमदाबाद मेन रेल लाइन पर स्थित हैं और ज्यादातर ट्रेने इस स्टेशन पर रुकती हैं । आबू रोड से अहमदाबाद २०० किलोमीटर और उदयपुर १६८ किलोमीटर दूर हैं ।
आबू रोड से माउन्ट आबू की दूरी लगभग २९ - ३० किलोमीटर हैं और कुछ किलोमीटर निकलते ही पूरा रास्ता पहाड़ी और घुमावधार, हराभरा व जंगली हैं। माउन्ट आबू अरावली पर्वत माला (Aravali Mountain Range) में आता हैं, और ये अरावली पर्वतमाला और राजस्थान राज्य का एक मात्र हिल स्टेशन हैं और ये राजस्थान के दक्षिण दिशा में गुजरात की उत्तरी सीमा के पास स्थित हैं ।
जैसे जैसे आबू पहाड़ (जी हां वहां पर माउन्ट आबू को आबू पहाड़ कहते हैं और किलोमीटर पत्थर पर भी आबू पहाड़ ही लिखा हुआ हैं ) की तरफ बढते चले जा रहे, मौसम ठंडा और सुहावना होता जा रहा था । चार बजे के आस पास हम लोग माउन्ट आबू पहुँच गए। माउन्ट आबू चौक पर गोल्फ मैदान के पास एक गेस्ट हाउस में हमने एक कमरा किराये पर लिया. लगभग दो घंटे के बाद हम लोग सनसेट पॉइंट देखने चले गए।
गेस्ट हाउस से चौक का नज़ारा |
सनसेट पॉइंट
सनसेट पॉइंट चौक लगभग १.५ किलोमीटर दूर हैं। एक किलोमीटर गाड़ी से और आधा किलोमीटर पैदल रास्ता हैं और जो लोग आधा किलोमीटर पैदल नहीं चलना नहीं चाहते उनके लिए है, हाथ से धकलने वाली गाडी, जो वहां के स्थानीय लोग कुछ पैसे लेकर उन्हें सनसेट पॉइंट तक लेकर जाते हैं ।
हम लोगो ने आधा रास्ता गाडी से और बाकी रास्ता पैदल ही तय किया और पौने सात बजे के आसपास सनसेट पॉइंट पहुंच गए । सनसेट पॉइंट की पहाडियों पर कई सारे ऊपर नीचे सूर्यास्त देखने के लिए पॉइंट बने हुए थे. हम लोग भी एक ऊचें से पॉइंट पर चढ़ गए । सूर्यास्त होने वाला था पर आसमान में बादल होने के कारण सूरज नज़र नहीं आ रहा था, एक की धुंधली रोशनी बादंलो में से नज़र आ रही थी । यहाँ का मौसम काफी ठंडा और सुहावना था । पॉइंट से दूर तक का मैदानी इलाका नज़र आ रहा था जो दिल काफी सुकून दे रहा था. दूर मैदानी इलाको की नादिया, छोटे छोटे पहाड़, खेत और हरियाली नज़र आ रही थी । यहाँ पर अच्छी खासी चहल पहल थी, लोग-बाग काफी संख्या हर पॉइंट पर डेरा डाले हुए सूर्यास्त देखने लिए जमा थे और आपस में मौज-मस्ती कर रहे थे ।
सनसेट पॉइंट से सुन्दर द्रश्य |
सनसेट पॉइंट पर काफी रौनक थी. |
सनसेट पॉइंट का एक फोटो |
सनसेट पॉइंट का ऊपर से एक चित्र |
सवा सात बजे के आसपास हम लोग सनसेट पॉइंट से वापिस पैदल ही चल दिए और माउन्ट आबू चौक पर पहुँच गए और वहां से नक्की झील घूमने चले गए जो चौक से कुछ कदम की दूरी पर ही थी ।
नक्की झील
नक्की झील चौक से दो मिनिट की पैदल दूरी पर पास में ही हैं । नक्की झील माउन्ट आबू की सबसे सुन्दर और राजस्थान राज्य की सबसे ऊँची मीठे पानी की झील हैं, जाड़ो में यहाँ का तापमान जीरो डिग्री तक पहुँच जाता हैं । इसके चारो ओर सुन्दर हरी भरी पहाड़िया हैं जिससे इस झील का द्रश्य अत्यंत सुन्दर दिखता हैं । कहते हैं कि हिन्दू देवताओ ने इसे नाखुनो (नक्क) से खोदकर बनाया था, इसलिए इसे नक्की झील कहते हैं. झील बीच में कई टापू भी हैं। एक टापू से तो ७० - ८० फुट ऊचा एक पानी का फुब्बारा भी चलाया जाता हैं जो झील को रात में और भी सुन्दर बना देता हैं ।
शाम के समय नक्की झील |
झील पर पहुँचते-पहुँचते हम लोगो को पौने आठ बज गए । रात का अँधेरा छाने लगा था। मौसम ठंडा था। यहाँ पर झील के किनारे एक सुन्दर बगीचा बना हुआ हैं, जहाँ से हम लोग बगीचे से होते हुए झील के किनारे पहुच गए। यहाँ पर रौशनी की व्यवस्था अच्छी थी और काफी रौनक और भीड़-भाड़ थी. झील में नौका विहार की भी व्यवस्था थी और लोग-बाग़ झील में नौकायन भरपूर आनंद ले रहे थे ।
झील में तरह तरह की नौकाये |
हम लोग भी झील किनारे टहलते रहे और वहां के मौसम का लुफ्त लेते रहे। बगीचे में एक चौक हैं, जहाँ पर लोगो के बैठने के लिए झील के किनारे पत्थर की कुर्सिया बनी हुयी हैं और यहाँ पर भीड़ भी बहुत थी । इसी बीच कुछ फोटो अपने और अपने परिवार के लिए और झील के किनारे पानी बने हुए रेस्टोरेंट में कुछ हल्का फुल्का जलपान व् आइसक्रीम मज़ा लिया । काफी थके होने के कारण हम लोगो ने झील में बोटिंग नहीं की थी, लगभग दो घंटे यहाँ रुकने के बाद हम लोगों ने माउन्ट आबू चौक पर स्थित अर्बुदा रेस्टोरेंट में रात का खाना खाया और वापिस गेस्ट हाउस आ गए । कल हम लोगो को सुबह आठ बजे माउन्ट आबू के दर्शनीय स्थल घुमने जाना था, इसलिए जल्दी सो गए ।
इस तरह से इस यात्रा का हमारा पहला दिन समाप्त हुआ । अगले भाग - ३ में हम लोग माउन्ट आबू के आसपास के दर्शनीय स्थल की यात्रा करेंगे । इस यात्रा लेख के बारे में आप लोग अपनी राय जरूर दीजियेगा ।
रितेश भाई ये सही कर दिया कि गब्बर के साथ (माँ अम्बा जी ) का नाम बता दिया, नहीं तो,
ReplyDeleteये पेड खजूर के है या, नारियल के, सन सॆट का फ़ोटो नहीं दिखाया,
या ले नहीं पाये,
मजेदार रही आपकी यात्रा, हम अभी तक यहाँ नहीं गये है।
उगता हुआ और डूबता हुआ सूरज मनोहारी होता है। इसकी लालिमा की छटा आकाश में अद्बभुत नजारा दिखाती है। 1986 में मांउट आबू की सैर की थी।
ReplyDeleteमिलते हैं अगली पोस्ट में।
Great shots!
ReplyDeleteमैंने आज आबू की यात्रा पढ़ी ।
ReplyDeleteधन्यवाद
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ReplyDeleteaapye ye yata 2011 ki aur main padh raha hu aaj 6 year baad 2017 me, bahut acha aur sundar viran
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