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Friday, July 22, 2011

आगरा से आबू रोड और वहा से माँ अम्बाजी (गुजरात ) की यात्रा .............1

मेरा नाम रीतेश गुप्ता हैं और मैं आगरा (जहा विश्व प्रसिद्ध ताजमहल हैं) उत्तर प्रदेश का रहने वाला हू । ब्लॉग जगत मैं आने का मेरा उद्देश्य आप लोगो मेरे द्वारा की गयी यात्रा के बारे में जानकारी देना है । अभी हाल ही मैं आबू रोड, माउन्ट आबू , अम्बा जी , उदयपुर एवं नाथद्वारा की यात्रा करके आया हू और इसी यात्रा के बारे में मैं आप सब को अपना अनुभव और वहाँ बिताए समय के बारे बताना चाहता हूँ  ।

इस यात्रा मैं और मेरा परिवार शामिल हैं । हमारी इस यात्रा का दिन सुनिश्चित हुआ २६ जून २०११ दिन रविवार और हमने अपना अग्रिम बुकिंग आगरा फोर्ट अहमदाबाद सुपर फास्ट ट्रेन से कराया । २६ जून २०११ को ठीक १० बजकर २५ मिनट पर हम लोग ट्रेन से आबू रोड के लिए रवाना हो गए । दूसरे दिन सुबह ट्रेन के आबू रोड पहुचने का समय ९ बजकर १५ मिनट हैं ट्रेन १० मिनट (०९:०५ ) पहले ही स्टेशन पर पहुच गयी ।

आबू रोड पहुचने के बाद सोचा की पहले कहा जाया जाये अम्बाजी या  फिर माउन्ट आबू , तभी हमारा पहले से बुक किया टेक्सी ड्राईवर आ गया और उसने सलाह दी की पहले  अम्बा जी चलते  हैं और फिर शाम को मैं आपको माउन्ट आबू पंहुचा दूंगा और कल आपको  मैं आपको सारा माउन्ट आबू घुमा दूंगा ।

आबू रोड से अम्बा जी दुरी लगभग २८ से ३० किलोमीटर  होगी । आबू रोड राजस्थान राज्य में और अम्बाजी गुजरात राज्य में हैं ।

माँ अम्बाजी माता परिसर का द्रश्य गेस्ट हाउस से


अम्बाजी जी एक सिद्ध शक्तिपीठ हैं और गुजरात का प्रमुख तीर्थ स्थल हैं साल भर यात्री यहाँ पर माता अम्बाजी के दर्शन के लिए आते रहते हैं. खैर घंटे बाद हम लोग अम्बा जी पहुच गए. ड्राईवर ने हमें फ्रेश होने के लिए एक गेस्ट हाउस घंटे के लिए किराये पर दिलवा दिया


.३० घंटे बाद फ्रेश हो जाने के बाद हम सभी माता के दर्शन के लिए चल दिए तभी हमारे टेक्सी के ड्राईवर ने बताया की मंदिर परिसर में केमरा, मोबाइल, खाने पीने का सामान एवं चमड़े की कोई भी वस्तु ले जाना मना हैं ! हमने अपना सारा सामान गेस्ट रूम में रख दिया ! उसके बाद वापिस आकर हमने एक दुकान से प्रसाद लिया और अपने जूते वही उतार दिए !.मंदिर में काफी भीड़ थी, धक्का मुक्की भी हो रही थी जेसे तेसे हम लोगो ने माता के दर्शन किये उन्हें प्रसाद लगाया तथा मंदिर परिसर बने प्रसाद काउंटर से माँ अम्बाजी का पहले से ही भोग लगाया प्रसाद (साल पैक किया हुआ) घर के लिए ख़रीदा और वापिस गेस्ट हाउस में गये कुछ देर बाद हमने अपना सारा सामान समेटा टेक्सी में डाला और अम्बाजी स्थित जैन मंदिर और पहाड़ो वाली देवी गब्बर (जहा माँ अम्बा जी ने अपने चरण रखे थे) के लिए रवाना हो गए


ये जैन मंदिर अम्बाजी और गब्बर के बीच में पड़ता हैं. यह जैन मंदिर काफी पुराना हैं और और साथ ही नया मंदिर भी पास में बना हुआ हैं. जैन मंदिर काफी भव्य, सुन्दर और बहुत शांत हैं, छत्तों पर बहुत ही बारीक़ और सुन्दर कारीगरी थी,

jain mandir
जैन मंदिर के छत्तों पर सुन्दर नक्काशी

हमने कुछ फोटो ले लिए वो भी पुराने मंदिर के, यहाँ नए  मंदिर मैं फोटो लेना मना था! जैन मंदिर से हमने विदा ली और आगे चल दिए ।

गब्बर पहाड़ अम्बा जी के मंदिर से लगभग ३-४ किलोमीटर दूर हैं । रास्ते में हमने गब्बर तक जाने के लिए उड़नखटोला के पांच टिकिट लिए, एक टिकिट की कीमत ८० रुपये थी । पहाड़ वाली देवी का मंदिर एक ऊँचे गब्बर नाम पहाड़ पर हैं तथा वहा तक जाने के लिए सीडियो व उड़नखटोला से जाया जा सकता हैं । उड़नखटोले से हम लोग ऊपर गब्बर पहाड़ पर गए ।


Ropeway
सड़क से गब्बर बाज़ार का द्रश्य

Ropeway
गब्बर उड़न खटोला

Ropeway
उड़न खटोले से नीचे का फोटो


Nature from Gabbar
गब्बर पहाड़ से दूर का प्रकति नज़ारा

ऊपर पहाड़ से प्रकृति का बड़ा ही शानदार नज़ारा था, चारो ओर हरियाली थी और तेज मगर ठंडी हवा चल रही थी मन अति प्रसन्न था यहाँ पर आकर

आसमान में बादलो अपना डेरा जमाया हुआ था , दूर माँ अम्बाजी नगर नजर रहा था ! थोड़ी देर प्रकृति आनंद लेने के बाद हम वापिस उड़न खटोले से नीचे गएनीचे उड़न खटोले के परिशर में बच्चो के झूले रेस्टोरेंट की व्यवस्था थी

कुछ देर बाद हमने आगे का सफ़र जारी रखा और माउन्ट आबू के लिए चल दिएरास्ते में हम लोगो ने एक रेस्टोरेंट खाना खाया और शाम बजे तक माउन्ट आबू पहुच गए..
आगे की यात्रा का अनुभव अगले भाग में.... 2
धन्यवाद

11 comments:

  1. रीतेश जी आपने गब्बर देवी के बारे में अच्छी जानकारी दी वंहा पर सभी कुछ गब्बर के नाम पर है जैसे गब्बर बाजार ,पहाड़, उड़नखटोला आदि अच्छा लगा ! बाकि आप अपनी पोस्ट में बाकि साथियों के फोटो भी लगाना और रास्ते के बारे में सही से जानकारी भी दे देना

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  2. नये ब्लॉग का स्वागत है, साथ ही नये घुमक्कड का भी स्वागत है। लगे रहिये और घुमक्कडी को नये आयाम तक पहुंचाने में योगदान दीजिये।

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  3. रितेश जी यात्रा के अगले भाग का इंतजार है बहुत दिन हो गए है

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  4. रितेश जी राम राम, धन्यवाद बहुत बहुत एक नए स्थान पर घुमाने के लिए...वन्देमातरम...

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  5. उम्दा और बेहतरीन यात्रा-विवरण.... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ

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  6. मैंने अम्बाजी मन्दिर नहीं देखा । क्योकि उस समय वहां मन्दिर निर्माण चल रहा था।

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  7. रितेश भाई, बढ़िया लेख, और जैन मंदिर की कारीगरी काफ़ी अच्छी लगी, ऊडनखटोले देखने में थोड़े ख़तरनाक लग रहे है ! क्या ये सुरक्षित थे ?

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  8. बहुत बढ़िया भाई रितेश...
    आनंद बहुत आया लेकिन भूखे भूखे रह गया . पोस्ट ख़तम हो गई पर मन नहीं भरा... :)

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  9. bahut hi badhiya vivran, aaj se aapki post padhne ka aarambh kiya aur 8 din me sari post padh legen

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  10. Aise hi udan khatole mere rajgir me hi hai bada maza aata hai isme baithkar

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