Written By → Ritesh Gupta यात्रा दिंनाक 27 जून 2014
दार्जीलिंग (Darjeeling), भारत के एक ऐसा प्रसिद्द पर्वतीय नगर जिसका नाम सुनते ही दिल रोमांच से भर उठता है । यहाँ का प्राकृतिक वातावरण और जलवायु किसी को भी सहज अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए काफी है । वैसे ये शहर पश्चिम बंगाल राज्य में उत्तर दिशा में हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है पर वहां पर लम्बे समय से उत्तरी बंगाल को एक नये गोरखालैंड राज्य की मांग के चलते है यहाँ की हर दुकान पर राज्य में गोरखालैंड ही लिखा नजर आता है । पिछले पोस्ट में हम लोग टाइगर हिल से कंचनजंघा का विहंगम नजारा देख वहां से वापिस चल लिए, अब चलते दार्जीलिंग के और भी अन्य स्थलों की सैर पर ।
बताशिया लूप का मनमोहक अंदाज (Gimps of Batasia Loop & Kanchenjunga Mountain in Backdrop)
आज हमारी यात्रा का और दार्जलिंग में भ्रमण अंतिम दिन था, सो जितना हो सकता था उतना इस नगर को अच्छे से दर्शन करने की पूरी कोशिश थी । टाइगर हिल की पहाड़ी से उतरने के बाद हम लोग वापिस दार्जीलिंग की तरफ जाने वाले रास्ते पर आ गये । दार्जीलिंग रेलवे की नैरो गेज लाइन सड़क किनारे ही साथ-साथ थी, कुछ देर में घूम स्टेशन (Ghoom Railway Station) नजर आया, जो की भारत का सबसे ऊंचाई (2257 मीटर) पर स्थित रेलवे स्टेशन है । यहाँ से आगे निकलने के बाद कुछ ही देर में हम लोग समतेन चोलिंग मोनेस्ट्री, घूम (Samten Choling Monastery, Ghoom ) पहुँच गये ।
वैसे घूम में दो मोनेस्ट्री है एक तो समतेन चोलिंग मोनेस्ट्री और दूसरी यहाँ की मुख्य और बड़ी "घूम मोनेस्ट्री" (Ghoom Monastery) है, जिसे हम लोग समयाभाव के कारण न देख सके । समतेन चोलिंग मोनेस्ट्री दार्जीलिंग को जाने वाले सडक किनारे (हिल कोर्ट रोड Hill Court Road) ही रेल लाइन के बराबर में ही स्थित है और दार्जीलिंग स्टेशन से इसकी दूरी करीब साढ़े पांच किमी० है । कुछ सीढ़ियाँ उतरने के बाद मोनेस्ट्री के एक बड़े से प्रांगण में पहुँच जाते है, मोनेस्ट्री की मुख्य ईमारत सफेद रंग की और इसका टॉप सुनहरा रंग है । ईमारत के अंदर प्रवेश करने पर मुख्य प्रार्थना कक्ष में 20 फिट ऊँची बैठे हुई मुद्रा में भगवान बुद्ध की अदभुत और बड़ी प्रतिमा स्थित है । यहाँ पर हम लोगो भगवान बुद्ध के दर्शन किये और कुछ देर फोटो खीचने में समय व्यतीत किया । तभी बाहर बारिश की बूंदा-बांदी शुरू हो गयी, जल्दी से इसी बूंदा-बांदी के बीच मोनेस्ट्री से निकलकर गाड़ी तक पहुँच गये तभी बारिश बंद हो गयी ।
मोनेस्ट्री देखने के बाद हम लोग अपने अगले पड़ाव बताशिया लूप देखने चल दिए । घूम मोनेस्ट्री से बताशिया लूप के दूरी करीब दो किमी० ही है, जहाँ हम लोग वहां कुछ मिनिट में ही पहुँच गये । बताशिया लूप (Batasia Loop) को एक ट्रेन लूप, इको पार्क और युद्ध स्मारक में जाना जाता है । इस स्थल में प्रवेश से पहले 10/- रूपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकिट लेना होता है, जोकि एक सामान्य शुल्क है । इस स्थल के द्वार के आसपास एक छोटा सा बाजार विकसित है, जहाँ स्थानीय सामान, कपड़े, गर्म कपड़े, शाल दुकाने और कुछ खाने-पीने की दुकाने है । बताशिया लूप में जाने से पहले हम लोगो को भूंख लग रही थी सो एक सामने की दुकान से चाय और ब्रेड-मक्खन का नाश्ता किया गया । टिकिट लेकर स्मारक स्थल में प्रवेश किया तो यहाँ की सुंदरता ने हम लोगों मन्त्र-मुग्ध सा कर दिया । ये लगभग पचास हजार वर्ग फीट में बना हुआ, काफी बड़ा गोल पार्क है, जिसके अंदर के किनारे पर ट्रेन की पटरियां बनी हुई और उसी के साहरे ऊपर व् नीचे खाली जगह में खूबसूरत पेड़-पौधों से युक्त सुंदर पार्क विकसित किया गया है । इस स्थल के बिल्कुल मध्य में युद्ध स्मारक (War Memorial) बना हुआ है, जो दार्जीलिंग की पहाडियों में बाहरी और भीतरी दुश्मनों से हुई विभिन्न लड़ाईयो में शहीद हुए गोरखा सिपाहियों की याद में बनाया गया था । इस पार्क सबसे मुख्य आकर्षण है, पार्क के पीछे दूर हिमालय की वादियों में शान से सर उठाये कंचनजंघा पर्वत दिखना, जो मौसम और सूर्य के हिसाब से अपने रंग बदलता रहता है । आप भारतीय सौ रूपये का नोट को पीछे के तरफ से ध्यान से देखिये, उस कंचनजंघा पर्वत का फोटो ही छपा हुआ है और जिस रूप में ये उस नोट पर ये नजर आता है बिल्कुल उसी रूप में बताशिया लूप से दिखाई देता है ।
दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे, दार्जीलिंग स्टेशन से प्रतिदिन पर्यटकों के सैर के लिए एक खिलौना सवारी गाड़ी चलती है, जिसे जॉय राइड (Joy Ride) का नाम दिया गया है । ये जॉय राइड दार्जीलिंग स्टेशन शुरू होकर , बताशिया लूप के अंदर 360 डिग्री के लूप से घूमती हुई (जो कि दार्जीलिंग रेलवे इंजीनियरिंग का एक शानदार नमूना है ) दार्जीलिंग की पहाड़ियों और शहर के चारो तरफ के दर्शन कराती हुई एक गुफा पुल के नीचे होती हुई आगे घूम स्टेशन को निकल जाती है, और इसी प्रकार से पर्यटकों को दार्जीलिंग के पास के कुछ म्यूजियम दिखाती हुई वापिसी करती है । हमारे पास मुख्यत समय की कमी के कारण इस जॉय राइड को नहीं कर सकते थे खैर बताशिया लूप की खूबसूरत सैर और बारिश के मौसम में कंचनजंघा पर्वत का दिखना हमारे लिए भाग्य की ही बात थी । बताशिया लूप पर ट्रेक के सहारे कंचनजंघा पर्वत के तरफ बहुत से लोग दूरबीन
लिए बैठे रहते जो आपको को कंचनजंघा पर्वत और पहाड़ियों के दर्शन पास से
कराते है ।
बताशिया लूप देखने के बाद हम लोग वापिस टैक्सी अपने होटल चल दिए, रास्ते में दार्जीलिंग स्टेशन आय तो हमने ड्राइवर से कहा की हमे यही उतार दो । स्टेशन पर ड्राइवर का हिसाब किया और न्यू जलपाईगुड़ी जाने के लिए दो टैक्सी का प्रबंध उसी ड्राइवर से करवा लिया जिसमे दार्जीलिंग का चिड़ियाघर दिखाते हुए न्यू जलपाईगुड़ी पहुँचना शामिल था । काफी देर आराम से हम लोग दार्जीलिंग स्टेशन के एक कोने से दूसरे कोने तक को घूमे, वही पर एक खिलौना गाड़ी सफाई के लिए बीच लाइन पर खड़ी हुई थी उसी में बैठकर और आसपास खड़े होकर और फोटो खींच खिलौना गाड़ी में बैठने का शौक पूरा किया उस समय स्टेशन और आसपास के फोटो आपको यहाँ मिल जायेंगे → स्टेशन फोटो ।
यहाँ की सैर करने के बाद हम लोगो को आज वापिस होटल आ गये । जल्दी से नहा-धोकर तैयार हुए, नाश्ता पानी किया उसके बाद होटल का हिसाब चुकता करने के बाद साढ़े दस बजे के आस-पास अपना सारा सामान टैक्सी में लादकर चल दिए । शहर के नजारों का आनंद लेते हुए, कुछ किलोमीटर के सफर के बाद हम लोग यहाँ के चिड़ियाघर पहुँच गये । चिड़ियाघर पर उतराने के बाद टैक्सी चालक ने कहा की यहाँ पर टैक्सी खड़ा करने की जगह नहीं है, मैं टैक्सी को नीचे जाकर रोड पर खड़ा कर दूंगा, आप लोग जल्दी से चिड़ियाघर देखकर इस नीचे वाले रास्ते से उतरकर सड़क पर पहुँच जाना और मुझे फोन कर देना मैं आ जाऊँगा । इतना कहकर टैक्सी वाला चला गया पर एक चिंता मन में ये रह गयी की हमारा सारा सामान टैक्सी में था, खैर टैक्सी वाले के ईमानदारी पर विश्वास करते हुए हम लोग चिड़ियाघर देखने पहुँच गये ।
दार्जीलिंग चिड़ियाघर को सरकारी नाम Padmaja Naidu Himalayan Zoological Park के नाम से जाना जाता है । ये चिड़ियाघर शहर में जवाहर पर्वत नाम की जगह पर स्थित है जो की मॉल रोड करीब 2 किमी० दूरी पर स्थित है। यही पर एक हिमालयन इंस्टिट्यूट (HMI ) का संग्रहालय भी है, जो चिड़ियाघर परिसर के अंदर कुछ दूरी पर स्थित है । इस संग्राहलय में पर्वतारोहण सम्बन्धी पर्वतारोही जाबांजो की जानकारी, पर्वतारोहण में उपयुक्त होने वाले विभिन्न औजारो और कपड़ो को प्रदर्शित किया गया है । संग्रहालय परिसर में एक केंटिन और बाथरूम की भी सुविधा भी उपलब्ध है । ये चिड़ियाघर प्रतिदिन (गुरूवार को छोडकर) सुबह 8:30 से शाम 4:30 बजे तक खुलता है । चिड़ियाघर देखने के लिए प्रवेश शुल्क देना होता है, जो सयुक्त रूप से (चिड़ियाघर और HMI संग्रहालय का ) प्रति व्यक्ति रूपये 40/- है, कैमरे का शुल्क प्रति कैमरा दस रूपये है ।
समुद्र सतह से लगभग 7000 फिट की ऊंचाई पर और 67.5 एकड़ में फैला ये चिड़ियाघर सन 1958 में बनाया था, जिसे हिमालयन जुलोजिकल पार्क (Himalayan Zoological Park) के नाम से भी जाना जाता है। दार्जीलिंग के इस चिड़ियाघर को दुनिया में सबसे ऊँचाई पर बने सबसे सुन्दर चिड़ियाघर में से एक माना जाता है, यहाँ पर तरह-तरह के पहाड़ी और अत्यधिक ऊँचाई पर बसने वाले जानवरों के एक जगह देखा जा सकता है। ये चिड़ियाघर सैलानियों को खासकर छोटे सैलानियों के लिए विशेष रूप आकर्षित करता है । इस चिड़ियाघर में जानवरों को पहाड़ी परिवेश में बने बड़े-बड़े बाड़ो में और हिंसक जानवरों को बड़े-बड़े पिंजरों में रखा गया है ।
टिकिट लेने के बाद हम लोग चिड़ियाघर परिसर में प्रवेश कर जाते है । बादलो से आ रहे कोहरे जैसे माहौल में साफ-सुधरी सडक के किनारे बने बाड़ो और पिंजरों में विभिन्न प्रजातियों जानवरों को देखना एक सुखद अनुभव के साथ अपना ज्ञान बढ़ाने जैसा था । हमारे साथ आये बच्चे इन जानवरों को देखकर काफी उत्साहित है वे दौड़-दौड़ कर उछल कर इन्हें देखने का आनंद ले रहे थे । एक तरफ से चलते हुए हिमालयन इंस्टिट्यूट के संग्रहालय का अवलोकन भी किया । इस चिड़ियाघर में कुछ जानवर तो ऐसे भी जिन्हें हमने जिन्दगी में कभी नहीं देखा जैसे रेड पांडा (Red Panda), धीमी गति से चलने वाला पांडा (Slower Panda), भौकने वाला हिरन (Barking Dear), काला तेंदुआ (Black Panther) इत्यादि । दार्जीलिंग चिड़ियाघर के बारे में और भी अधिक जानने के लिए इसकी ओफिसियल साईट पर जाइए → Darjeeling Zoo
चिड़ियाघर देखने बाद टैक्सी वाले के बताये रास्ते से नीचे चल दिए । इसी रास्ते एक छोटा सा फुटपाथ बाजार भी है जहाँ पर स्थानीय सामान, चाट, पानी टिक्की आदि की छोटी-छोटी सी दुकाने है । इनका भी आनंद लेते हुए हम लोग नीचे वाली सड़क पर उतरकर आ गये । टैक्सी वाले को फोन लगाया तो उसने फोन नहीं उठाया, फिर लगाया, फिर भी नहीं उठाया, अब क्या ? तरह-तरह की बाते मन में आने लगी । कुछ देर बाद फिर कोशिश की, अबकी बार फोन उठा ही लिया । कुछ मिनट की प्रतीक्षा के बाद वो टैक्सी लेकर आ गया, करीब दोपहर के बारह बजे के आसपास टैक्सी में बैठ हम लोगो ने न्यू जलपाईगुड़ी की यात्रा प्रारम्भ कर दी ।
दार्जीलिंग से न्यू जलपाईगुड़ी की दूरी करीब 70 किमी० है और करीब तीन से चार घंटे स्टेशन पहुँचने तक लगते है । न्यू जलपाईगुड़ी से हमारी ट्रेन नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस (12505 North East Express) थी जिसका समय शाम के 5:10 बजे था और हमे इस समय तक स्टेशन भी पहुंचना था । टिकिट तो हमारी कोकराझाड़ से की हुई पर बोर्डिंग न्यू जलपाईगुड़ी से की हुई थी, क्योकि इस (न्यू जलपाईगुड़ी ) स्टेशन से कोटा कम होने के कारण टिकिट उपलब्ध न हो सकी थी । खैर दार्जीलिंग से निकलते ही जोरदार बारिश शुरू हो गयी, जिस कारण से पहाड़ी रास्ते पर ड्राइवर गाड़ी धीरे-धीरे ही चला रहा था । चलो कैसे न कैसे हम लोग सवा चार बजे तक स्टेशन पहुँच गये, गाड़ी में आने में अभी भी समय था । ठीक 5:20 बजे गाड़ी आ गयी और अपना वापिसी का सफर शुरू कर दिया । अगले दिन हम लोग टूंडला बजे 4:30 तक पहुँच और वहां से एक लोकल बस अपने आगरा पहुँच कर अपनी इस यात्रा को विराम दे दिया । हमारी नजर में ये सिक्किम और दार्जीलिंग की यात्रा बहुत शानदार और ज्ञानवर्धक रही ।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
भगवान बुद्ध की प्रतिमा , समतेन चोलिंग मोनेस्ट्री, घूम (A Statue of Buddha, Samten Choling Monastery, Ghoom )
Darjeeling Railway Line on the Road Side (दार्जीलिंग रेलवे की सड़क किनारे पटरिया )
Batasia Loop Entrance Gate (बताशिया लूप का प्रवेश द्वार )
Batasia Loop war Memorial (बताशिया लूप युद्ध स्मारक स्थल )
A Flower - Batasia Loop (बताशिया लूप स्मारक स्थल )
बताशिया लूप पर ट्रेन ट्रेक (Batasia Loop with Train Track )
कंचनजंघा पर्वत बताशिया लूप से (Mount Kanchenjunga from Batasia Loop)
कंचनजंघा पर्वत बताशिया लूप से (Mount Kanchenjunga from Batasia Loop)
कंचनजंघा पर्वत बताशिया लूप से (Mount Kanchenjunga from Batasia Loop)
बताशिया लूप पर बनाया गया एक चलचित्र (A Video at Batasia Loop, Darjeeling )
दार्जिलिंग चिड़ियाघर का प्रवेश द्वार (Darjeeling Zoo Entrance Gate)
A Wall Painting Just Darjeeling Zoo Gate (चिड़ियाघर के प्रवेश द्वार के पास दीवार पर उकेरी सुन्दर पेंटिंग )
Some Picture from Darjeeling Zoo (चिड़ियाघर में प्रवेश करते ही प्रथम झलकी )
Some Picture from Darjeeling Zoo (भालू का बाड़ा - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Mountain Goat → Some Picture from Darjeeling Zoo (पहाड़ी बकरी - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Black Yak - Some Picture from Darjeeling Zoo ( पहाड़ी काला याक - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Panther → Some Picture from Darjeeling Zoo (तेंदुआ - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Black Panther - Some Picture from Darjeeling Zoo (काला तेंदुआ - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Tibbatian Wolf → Some Picture from Darjeeling Zoo (तिब्बतियन भेड़िया - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Black Bear - Some Picture from Darjeeling Zoo (भालू - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Some Picture from Darjeeling Zoo (चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Red Panda Profile - Some Picture from Darjeeling Zoo (चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Red Panda - Some Picture from Darjeeling Zoo (लाल पांडा - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
Slow Panda - Some Picture from Darjeeling Zoo (धीरे से चलने वाला पांडा - चिड़ियाघर की कुछ झलकियाँ )
HMI Museum Gate in Zoo Campus (चिड़ियाघर परिसर हिमालयन इंस्टिट्यूट संग्रहालय का द्वार)
New Jalpaigudi Railway Station (आ गये वापिस स्टेशन )
New Jalpaigudi Railway Station (न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन)
New Jalpaigudi Railway Station (न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन का प्लेटफार्म न. 2- इन्तजार ट्रेन का )
चलिए अब इस लेख को यही समाप्त करते है, इसी लेख के साथ यह श्रंखला भी समाप्त होती है ।आशा करता हूँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा, यदि अच्छा लगे तो टिप्पणी के माध्यम से विवेचना जरुर करे। जल्द ही मिलते है, एक नई श्रृंखला लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का धन्यवाद !
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (31-01-2016) को "माँ का हृदय उदार" (चर्चा अंक-2238) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Beautifully written post. Pics of Batasia loop were amazing. I liked the pic of black panther specially. The Video was excellent. Happy ending of a great journey. Enjoyed the trip virtually with you and thanks for the same.
Namaskar....... aap ko bahut bahut badhai..... jo bahut sari jagah ke DARSHAN kiye.. or aap ka bahut bahut aabhar...... jo aap ne mere jese DARSHAN ke Jigayasuo ko sa-vistar... topice vise detail se yatra ka pura vivaran likha... sach kahu to sir mene bahut sare blog padhe.... yatra.. gummakado ke.... par jo aap ke blog se jankari mili vo kahi nahi mili.... ghumane jane me.. yatara pe jane ke liye sabse pahale jaruri hai vaha par pahunchane ki vayavstha.... (rail, bus, taxi), bad me rahane - tharane ki (gusthouse - hotel) or fir Sudhdh Sakahari KHANA... yah tino bate aap ke sare ke sare yatara varano me bahut hi achchi tarah se like hai is liye aap ko bahut bahut DHANYAWAD kARATA HU... ab aage aap kaha kaha ja rahe hai.. vo bhi batana.... inatzar rahega aap ki aagali post ka...THANKS>
बहुत बढ़िया यात्रा लेख, मेरी आगामी संदकफू ,दार्जिलिंग यात्रा में बहुत मदद करेगा । सभी तस्वीर बढ़िया है परंतु वीडियो में सिर्फ इक छोटी सी कमी रह गयी आपको वीडियो किसी ऐसे स्थान से बनाना चाहिए था जहाँ से शोर न हो और स्थान और चोटियों के बारे में नैरेट करते हुए शानदार वीडियो बनता अथवा आप कोई सॉफ्ट म्यूजिक डाल देते। बेहतरीन यात्रा लेख,इक छोटा सा लेख खर्च के बारे में भी लिख दिया कीजिये :) 💐💐💐💐
बहुत बढ़िया व ज्ञानवर्धक लेख , बस एक जिज्ञासा दूर करें कि वहां होटल बुकिंग के लिए आॅनलाईन बेहतर विकल्प है या आपका तरीका किफायती होगा, कृपया जानकारी दें ...... ksonu1119.sk.sk@gmail.com
धन्यवाद जी..... दोनों विकल्प ही बेहतर है .... वहां जाकर खुद देखकर होटल पसंद क्र सकते है .... यदि ऑनलाइन पर बेहतर विल्कप और बजट में मिल रहा हो तो रिव्यू पढकर उस होटल बुकिंग भी करवा सकते है .और समय की बचत भी होती है ... पर मैं अपनी कहूँ तो मैंने आजतक अपने लिए पहले से ही ऑनलाइन होटल बुक नही किया... भविष्य में एसा करने की जरुर सोचूंगा,,,,
Their wall thickness has a similar gauge to the thickness of steel sheets. There are many different metals that may be} made into sheet metal, similar precision machining to aluminium, brass, copper, steel, tin, nickel and titanium. For decorative makes use of, some essential sheet metals embody silver, gold, and platinum . “Electrolytic Galvanized Steel Sheet Market” report provides the detailed enterprise overview with size estimation, Upcoming tendencies, Latest growth strategies and market share. Report contains Top Key Manufacturers SWOT evaluation and their growing CAGR. It offers overall perception into the critical enterprise designs on this market.
ब्लॉग पोस्ट पर आपके सुझावों और टिप्पणियों का सदैव स्वागत है | आपकी टिप्पणी हमारे लिए उत्साहबर्धन का काम करती है | कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी से लेख की समीक्षा कीजिये |
बहुत बढ़िया रितेश भाई ....
ReplyDeleteदुनिया दार्जिलिंग की चाय पीती है.... आप दार्जिलिंग गए चाय नहीं पिए ;)
बहत बढ़िया जानकारी और सुंदर फोटोग्राफी....
धन्यवाद संजय जी..... हमने दार्जीलिंग की चाय चाय बगान की सैर करते हुए पी थी और साथ में चाय पत्ती खरीद कर भी लाये थे
Deleteसही में कंचनजंगा के फोटो तो ऐसे लगते है जैसे फिल्मों में स्वर्ग का द्रश्य दिखाया जाता है...
ReplyDeleteसच कहा आपने संजय जी
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " अविभाजित भारत की प्रसिद्ध चित्रकार - अमृता शेरगिल - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद जी..
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (31-01-2016) को "माँ का हृदय उदार" (चर्चा अंक-2238) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद जी |
Deleteरितेश जी आपकी यह पोस्ट पढ़कर बहुत मजा आया, चिड़िया घर के सभी फोटो बहुत अच्छे लगे।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद सचिन भाई जी
Deleteरीतेश जी, जिसे आपने भेड़िया लिखा है, वो कहीं हिमालयन रेड फॉक्स तो नहीं है??
ReplyDeleteनहीं नीरज भाई | ये तिब्बतियन भेड़िया है.... रेड फॉक्स का आकार छोटा होता है और मुहं कुछ जायदा पतला .... | रेड फॉक्स तो पूरे चिड़ियाघर में नहीं थी .
Deleteदार्जिलिंग की खूब सैर करा दी आपने ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
आपका बहुत बहुत आभार कविता जी |
Deleteआपके साथ हमने भी सिक्किम और दार्जिलिंग की सैर कर ली।बतशिया लूप से दिखने वाले चित्र अद्भुत है
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी.... बताशिया लूप अदभुत जगह है
Deleteफ़ोटो पर फ़्रेम लगाने पर फ़ोटो का विस्तार खत्म हो जाता है, फ़ोटो बंध जाती है। बाकी तो सब ठीक है।
ReplyDeleteजी धन्यवाद | आपकी सलाह के लिए.
DeleteBeautifully written.......Darjeeling is my birth place, that time my father was posted there.
ReplyDeleteThanks a Lot Mahesh Ji.
Deleteफिर तो आपका ये सब घूमा ही होगा...
Beautifully written post. Pics of Batasia loop were amazing. I liked the pic of black panther specially. The Video was excellent. Happy ending of a great journey. Enjoyed the trip virtually with you and thanks for the same.
ReplyDeleteRegards,
Thanks a Lot Mukesh Ji... for as always beautiful Comment.
DeleteThanks
एक और सुंदर यात्रा का सुंदर चित्रों के साथ समापन,बहुत बढ़िया यात्रा रही आपकी |
ReplyDeleteधन्यवाद रुपेश जी ...
Deleteअच्छी जानकारी और फोटो पर काफी मेहनत किया है आपने.
ReplyDeleteधन्यवाद प्रजापति जी ..... ध्यान से पोस्ट पढने और देखने के लिए
Deleteशानदार यात्रा का खूबसूरत समापन
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ जी ....
Deleteवाह शानदार लेख, शानदार फ़ोटो... आपकी खींची हुयी फ़ोटो का तो हमेशा से ही कायल हूँ रितेश भाई।
ReplyDeleteधन्यावाद भाई जी.... खूबसूरत टिप्पणी के लिए.....
Deleteप्यारी तसवीरें.
ReplyDeleteधन्यवाद मनीष जी
Deleteआपने फिर से दार्जीलिंग और गंगटोक यात्रा की याद दिला दी .. बहुत शानदार फोटोग्राफ्स और बहुत ही सजीव वर्णन .. बहुत अच्छा लगा पढ़ के
ReplyDeleteधन्यवाद नटवर भाई...... आपको ब्लॉग पर देखकर बहुत प्रशंसा हुई. धन्यवाद
DeleteNamaskar....... aap ko bahut bahut badhai..... jo bahut sari jagah ke DARSHAN kiye.. or aap ka bahut bahut aabhar...... jo aap ne mere jese DARSHAN ke Jigayasuo ko sa-vistar... topice vise detail se yatra ka pura vivaran likha... sach kahu to sir mene bahut sare blog padhe.... yatra.. gummakado ke.... par jo aap ke blog se jankari mili vo kahi nahi mili.... ghumane jane me.. yatara pe jane ke liye sabse pahale jaruri hai vaha par pahunchane ki vayavstha.... (rail, bus, taxi), bad me rahane - tharane ki (gusthouse - hotel) or fir Sudhdh Sakahari KHANA... yah tino bate aap ke sare ke sare yatara varano me bahut hi achchi tarah se like hai is liye aap ko bahut bahut DHANYAWAD kARATA HU... ab aage aap kaha kaha ja rahe hai.. vo bhi batana.... inatzar rahega aap ki aagali post ka...THANKS>
ReplyDeleteधन्यवाद किशोर जी....
Deleteबस दिल से और दिमाक से लिखता हूँ... जो समझ आता है वैसे ही लिखता है...
आपका धन्यवाद ब्लॉग को पढ़ने के लिए और टिप्पणी के लिए भी
बहुत बढ़िया यात्रा लेख, मेरी आगामी संदकफू ,दार्जिलिंग यात्रा में बहुत मदद करेगा । सभी तस्वीर बढ़िया है परंतु वीडियो में सिर्फ इक छोटी सी कमी रह गयी आपको वीडियो किसी ऐसे स्थान से बनाना चाहिए था जहाँ से शोर न हो और स्थान और चोटियों के बारे में नैरेट करते हुए शानदार वीडियो बनता अथवा आप कोई सॉफ्ट म्यूजिक डाल देते। बेहतरीन यात्रा लेख,इक छोटा सा लेख खर्च के बारे में भी लिख दिया कीजिये :) 💐💐💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद सूरज भाई जी .....
Deleteइस तरह की वीडियो के बारे में तो सोचा भी नहीं था.... धन्यवाद आपको सलाह के लिए...|
वैसे वीडियो जैसा था मैंने वैसे उतार दिया है ..... |
खर्च का क्या है वो तो समय के साथ बदलता रहता है...कोई जानकारी चाहिए तो मैं उपलब्ध हूँ.
धन्यवाद
रितेश जी खर्च का विवरण भी देते तो घूमने हने वालों के लिए अच्छा होता
ReplyDeleteभाई जी....समय के साथ यात्रा के खर्चे भी बदलते रहते है और इस पोस्ट को जानकरीपूर्ण बनाया है इसलिए खर्च का विवरण देना सही नही समझा ..
Deleteवहां के होटल और खाने के बारेमे तथा परिवहन आदि का खर्च क्या है।आपके उत्तर का इंतज़ार रहेगा
ReplyDeleteहोटल के खर्च के बारे में ये है की कमरे की स्थिति के अनुसार आप स्वयं मोलभाव करना होता है ...क्योकि वहां के अधिकतर होटल कांट्रेक्ट पर होते है...
Deleteबाकि जानकारी के लिए सम्पर्क करे ... riteshagraup@gmail.com
बहुत बढ़िया व ज्ञानवर्धक लेख , बस एक जिज्ञासा दूर करें कि वहां होटल बुकिंग के लिए आॅनलाईन बेहतर विकल्प है या आपका तरीका किफायती होगा, कृपया जानकारी दें ...... ksonu1119.sk.sk@gmail.com
ReplyDeleteधन्यवाद जी..... दोनों विकल्प ही बेहतर है .... वहां जाकर खुद देखकर होटल पसंद क्र सकते है .... यदि ऑनलाइन पर बेहतर विल्कप और बजट में मिल रहा हो तो रिव्यू पढकर उस होटल बुकिंग भी करवा सकते है .और समय की बचत भी होती है ... पर मैं अपनी कहूँ तो मैंने आजतक अपने लिए पहले से ही ऑनलाइन होटल बुक नही किया... भविष्य में एसा करने की जरुर सोचूंगा,,,,
Delete
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रितेश जी। शानदार यात्रा वृतांत लिखा आपने। दार्जिलिंग कौन नहीं जाना चाहेगा ? और जो जाना चाहेगा उसे आपकी पोस्ट से बहुत सहूलियत मिलेगी !!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद योगी जी ......
Deleteदार्जिलिंग सुन्दर जगह है हर प्रकृति प्रेमी जाना चाहेगा ....
धन्यवाद ...बस उसी सहूलियत को ध्यान में रख कर लिखा है
Their wall thickness has a similar gauge to the thickness of steel sheets. There are many different metals that may be} made into sheet metal, similar precision machining to aluminium, brass, copper, steel, tin, nickel and titanium. For decorative makes use of, some essential sheet metals embody silver, gold, and platinum . “Electrolytic Galvanized Steel Sheet Market” report provides the detailed enterprise overview with size estimation, Upcoming tendencies, Latest growth strategies and market share. Report contains Top Key Manufacturers SWOT evaluation and their growing CAGR. It offers overall perception into the critical enterprise designs on this market.
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