Written by → Ritesh Gupta
यात्रा दिनांक 26जून2014
यात्रा दिनांक 26जून2014
पिछले दिन हम लोगो बाबा हरभजन सिंह जी के मंदिर और सोमगो लेक यात्रा पर गये थे, जिसे आपने मेरे ब्लॉग के पिछले लेख में पढ़ा होगा । इस यात्रा से लौट के आने के बाद हमारे पास शाम का समय बचा हुआ था सो हमने अपनी उसी टैक्सी के ड्राइवर से पूछा था कि आज केविल कार (उड़नखटोले ) की सैर कर सकते है क्या ? उसने कहा कि आज नहीं कर सकते क्योकि आज राज्य की विधान सभा लगी हुई है और केविल कार से विधान सभा भवन के पास ही जाती है सो सुरक्षा कि द्रष्टि से आज केविल कार बंद है । केविल कार में सफर का यह हमारा मौका हाथ से गया अब सोचा की अगली बार कर लेगे । चलिए अब आप लिए प्रस्तुत है, सिक्किम से पश्चिम बंगाल के महत्वपूर्ण स्थल दार्जिलिंग कि यात्रा का वर्णन -
गंगटोक शहर के अधिकतर दर्शनीय स्थलों की सैर हम कर चुके थे, फिर भी काफी जगह हमारे घूमने रह गयी थी, जैसे :- रूमटेक मोनेस्ट्री (Rumtek Monastery), वनझाकडी झरना (BanJhakri Water Fall), सोलोफ़ोक चारधाम (Solophok Chardham,Namchi), गंगटोक चिड़ियाघर (Himalayan Zoological Park), ताशी व्यू पॉइंट (Tashi View Point), सेवन सिस्टर फाल (Seven Sister Fall) आदि ।
अगले दिन सुबह सवेरे जल्दी आँख खुल गयी । रात को बारिश होने के कारण इस समय मौसम खुला हुआ था, और वैसे भी पहाड़ो पर दिन जल्दी हो जाता है । सुबह के पांच बजे के आसपास खिड़की से बाहर झांककर देखा तो शहर अभी सोया हुआ था पर सूरज की लालिमा चहुँ ओर बिखरने के लिए तैयार थी । तभी खिड़की के दायें तरफ एक शानदार द्रश्य देख मन आश्चर्य से पुलकित हो उठा । दूर हिमालय के पहाड़ो के पीछे शान से गर्दन उठाये पर्वतराज कंचनजंघा के शानदार दर्शन हो रहे थे। वैसे बारिश के मौसम में ऐसे द्रश्य मिलना नामुमकिन ही होता है पर शायद आज हमारा दिन अच्छा था जो यहाँ से जाते जाते कंचनजंघा पर्वत के दर्शन हो गये । हमने तो दर्शन किये ही और जो सो रहे थे उन्हें भी उठाकर इस सुन्दर द्रश्य से अवगत कराया । धीरे -धीरे बादलो के आवाजाही से ये सुन्दर द्रश्य कुछ देर के बाद नजरो से ओझल हो गया ।
अब समय था गंगटोक से विदा लेने का, जल्दी जल्दी तैयार हुए । समय 6:30 बजे के आसपास पहले से आरक्षित की हुई दोनों टैक्सी होटल के नीचे आ गयी । होटल वालो का हिसाब रात में ही कर दिया था सो और देर न करते हुए जल्दी से सामान टैक्सी में व्यवस्थित कर पौने सात बजे के आसपास होटल छोड़कर राज्जीय सड़क मार्ग 31A से दार्जीलिंग के लिए रवाना हो गये । सुबह की वेला में शहर का बाजार बंद ही था सो वाहनों के कम आवागमन के कारण वाहनों की रेलमपेल भी कम ही थी । कुछ किलोमीटर चलने के बाद शहर छोड़ हमलोग घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर आ जाते है । गंगटोक शहर से लगभग 28 किमी. चलने बाद सिंगतम नाम के जगह से इठलाती -बलखाती तीस्ता नदी भी हमारे रास्ते के साथ-साथ चलना शुरू कर देती है । हमारी इस टैक्सी का ड्राइवर काफी अच्छे स्वभाव वाला था । उसने हमसे कहा की आपने सिक्किम में क्या-क्या घूमा ? तो जो हम घूमे थे सो हमने बता दिया । फिर उसने कहा की आपने काफी कम जगह देखी है, यदि आप कहे तो आपको सिक्किम के चार धाम घुमा दूँगा । हमने कहा की हम पर समय कम है और हमे दार्जीलिंग भी घूमना है सो हम नहीं जा सकते । खैर फिर वो हमसे अपने सिक्किम के बारे में अच्छी अच्छी बाते करने लगा । उसने कहा की देखिये अभी हमारे सिक्किम सड़क किनारे के दुकाने और मकान बहुत साफ-सुधरे और तरीके से साज-सज्जायुक्त है और कुछ देर बाद रंगपो कस्बे के बाद सीमा से बाहर पश्चिम बंगाल की तरफ कीबसावट ही बेढंगी है । खैर हम लोग भी उसके बातो को सुनते हुए और पहाड़ो के नज़ारे लेते हुए रंगपो के बाद सिक्किम की सीमा को छोड़ पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर जाते है । अब मौसम पहले अपेक्षा थोडा गर्म हो गया था और गाड़ी की खिड़की खोलने पर ही ठंडी हवा का स्पर्श हो रहा था ।
हमारी गाड़ी सड़क मार्ग पर तेजी से दौड़ती चली जा रही थी साथ-साथ तीस्ता नदी का साथ और नदी घाटी में दिखते द्रश्य इस यात्रा में न भूलने वाली अमिट छाप जेहन पर छोड़ते जा रहे थे । कुछ देर सिलीगुड़ी जाने वाले इस सड़क मार्ग ( 31A ) स्थित तीस्ता बाज़ार नामक जगह से दार्जीलिंग वाले मोड़ पर मुड़ने के साथ ही तीस्ता नदी का साथ ख़त्म हो गया और पहाड़ो की खतरनाक घुमावदार चढ़ाई शुरू हो गयी । वाकई में यह रास्ता बहुत ही खड़ी चढ़ाई वाला और रास्ता ऐसा की गाड़ी का दम ही फूल जाए । मार्ग में हरे-भरे पेड़-पौधों प्रचूरता से उत्पन्न होती सुन्दर द्रश्यावली मनमोह लेने वाली थी । पहाड़ की उंचाई पहुँचने के बाद सड़क के दोनों तरफ की द्रश्यावली और भी खूबसूरत हो गयी क्योकि अब दोनों तरफ चाय के बगान, फलो के बाग-बगीचे नजर आने लगे थे ।
सुबह १० बजे के करीब तीन घंटे के सफर के बाद ड्राइवर ने पहली बार अल्पविश्राम के लिए टैक्सी को एक दुकान/ रेस्तरा पर रोक दिया । यह दुकान महिलाओ द्वारा संचालित थी और संभवतः ड्राइवर के जान पहचान की दुकान थी । खैर हम लोगो ने सफर की थकावट को उतारने के लिए वही एक पाइप से तेजी चल रहे पानी से हाथ मुंह धोकर अपने आपको तरोताजा किया । रेस्तरा में अन्दर जाकर सभी ने अपने हिसाब से चाय, कोफ़ी, मैगी और आलू के पराठो का आर्डर दे दिया । यहाँ का नाश्ता बहुत ही स्वादिष्ट लगा, चाय और आलू के परांठो का नाश्ता कर मन और पेट को तृप्त किया । करीब आधा घंटा यहाँ पर व्यतीत करने के बाद अपनी यात्रा को जारी रखा । कुछ देर बाद तेज बारिश शुरू हो गयी, जिससे गाड़ी के गति में कमी आ गयी । खैर कुछ देर बाद बारिश भी बंद हो गयी और घूम नाम के जगह से दार्जीलिंग शहर की सीमा में प्रवेश किया । अब सड़क किनारे दार्जीलिंग रेलवे के पटरियों दिखाई देने लगी, घूम नाम का स्टेशन भी दिखाई दिया जो कभी दुनिया का सबसे ऊँचा स्टेशन था, पर अब यह ख़िताब तिब्बत के एक स्टेशन के नाम हो गया है । दार्जिलिंग के तरफ बढ़ते हुए यहाँ का प्रमुख आकर्षण दार्जीलिंग हिमालयन की एक लोकल टॉय ट्रेन नजर आई । जो छुक-छुक करते और तेज सिटी की आवाज के साथ निकल गयी ।
दोपहर के बारह बजे के आसपास ड्राइवर ने हमे दार्जीलिंग रेलवे स्टेशन (Darjeeling Railway Station) पर उतार दिया । इस प्रकार गंगटोक से दार्जीलिंग का 97 किमी. का हमारा यह सफ़र करीब पांच घंटो में पूरा हो गया । स्टेशन पर अंदर अपना सारा सामान रखने के बाद ड्राइवर का हिसाब किया और आज लोकल दार्जीलिंग घुमाने के लिए उससे बातचीत भी की । आज बचे समय में क्या-क्या घूम सकते है, ये सारी बात तय हो जाने के उसका मोबाइल नम्बर भी ले लिया और कहा की होटल मिल जाने के बाद आप को फ़ोन कर देगे और करीब दो बजे के आसपास घूमने निकल जायेगे ।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
दार्जीलिंग का रेलवे स्टेशन (Darjeeling Railway Station, Darjeeling, W.B. ) |
अगले दिन सुबह सवेरे जल्दी आँख खुल गयी । रात को बारिश होने के कारण इस समय मौसम खुला हुआ था, और वैसे भी पहाड़ो पर दिन जल्दी हो जाता है । सुबह के पांच बजे के आसपास खिड़की से बाहर झांककर देखा तो शहर अभी सोया हुआ था पर सूरज की लालिमा चहुँ ओर बिखरने के लिए तैयार थी । तभी खिड़की के दायें तरफ एक शानदार द्रश्य देख मन आश्चर्य से पुलकित हो उठा । दूर हिमालय के पहाड़ो के पीछे शान से गर्दन उठाये पर्वतराज कंचनजंघा के शानदार दर्शन हो रहे थे। वैसे बारिश के मौसम में ऐसे द्रश्य मिलना नामुमकिन ही होता है पर शायद आज हमारा दिन अच्छा था जो यहाँ से जाते जाते कंचनजंघा पर्वत के दर्शन हो गये । हमने तो दर्शन किये ही और जो सो रहे थे उन्हें भी उठाकर इस सुन्दर द्रश्य से अवगत कराया । धीरे -धीरे बादलो के आवाजाही से ये सुन्दर द्रश्य कुछ देर के बाद नजरो से ओझल हो गया ।
अब समय था गंगटोक से विदा लेने का, जल्दी जल्दी तैयार हुए । समय 6:30 बजे के आसपास पहले से आरक्षित की हुई दोनों टैक्सी होटल के नीचे आ गयी । होटल वालो का हिसाब रात में ही कर दिया था सो और देर न करते हुए जल्दी से सामान टैक्सी में व्यवस्थित कर पौने सात बजे के आसपास होटल छोड़कर राज्जीय सड़क मार्ग 31A से दार्जीलिंग के लिए रवाना हो गये । सुबह की वेला में शहर का बाजार बंद ही था सो वाहनों के कम आवागमन के कारण वाहनों की रेलमपेल भी कम ही थी । कुछ किलोमीटर चलने के बाद शहर छोड़ हमलोग घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर आ जाते है । गंगटोक शहर से लगभग 28 किमी. चलने बाद सिंगतम नाम के जगह से इठलाती -बलखाती तीस्ता नदी भी हमारे रास्ते के साथ-साथ चलना शुरू कर देती है । हमारी इस टैक्सी का ड्राइवर काफी अच्छे स्वभाव वाला था । उसने हमसे कहा की आपने सिक्किम में क्या-क्या घूमा ? तो जो हम घूमे थे सो हमने बता दिया । फिर उसने कहा की आपने काफी कम जगह देखी है, यदि आप कहे तो आपको सिक्किम के चार धाम घुमा दूँगा । हमने कहा की हम पर समय कम है और हमे दार्जीलिंग भी घूमना है सो हम नहीं जा सकते । खैर फिर वो हमसे अपने सिक्किम के बारे में अच्छी अच्छी बाते करने लगा । उसने कहा की देखिये अभी हमारे सिक्किम सड़क किनारे के दुकाने और मकान बहुत साफ-सुधरे और तरीके से साज-सज्जायुक्त है और कुछ देर बाद रंगपो कस्बे के बाद सीमा से बाहर पश्चिम बंगाल की तरफ कीबसावट ही बेढंगी है । खैर हम लोग भी उसके बातो को सुनते हुए और पहाड़ो के नज़ारे लेते हुए रंगपो के बाद सिक्किम की सीमा को छोड़ पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर जाते है । अब मौसम पहले अपेक्षा थोडा गर्म हो गया था और गाड़ी की खिड़की खोलने पर ही ठंडी हवा का स्पर्श हो रहा था ।
हमारी गाड़ी सड़क मार्ग पर तेजी से दौड़ती चली जा रही थी साथ-साथ तीस्ता नदी का साथ और नदी घाटी में दिखते द्रश्य इस यात्रा में न भूलने वाली अमिट छाप जेहन पर छोड़ते जा रहे थे । कुछ देर सिलीगुड़ी जाने वाले इस सड़क मार्ग ( 31A ) स्थित तीस्ता बाज़ार नामक जगह से दार्जीलिंग वाले मोड़ पर मुड़ने के साथ ही तीस्ता नदी का साथ ख़त्म हो गया और पहाड़ो की खतरनाक घुमावदार चढ़ाई शुरू हो गयी । वाकई में यह रास्ता बहुत ही खड़ी चढ़ाई वाला और रास्ता ऐसा की गाड़ी का दम ही फूल जाए । मार्ग में हरे-भरे पेड़-पौधों प्रचूरता से उत्पन्न होती सुन्दर द्रश्यावली मनमोह लेने वाली थी । पहाड़ की उंचाई पहुँचने के बाद सड़क के दोनों तरफ की द्रश्यावली और भी खूबसूरत हो गयी क्योकि अब दोनों तरफ चाय के बगान, फलो के बाग-बगीचे नजर आने लगे थे ।
सुबह १० बजे के करीब तीन घंटे के सफर के बाद ड्राइवर ने पहली बार अल्पविश्राम के लिए टैक्सी को एक दुकान/ रेस्तरा पर रोक दिया । यह दुकान महिलाओ द्वारा संचालित थी और संभवतः ड्राइवर के जान पहचान की दुकान थी । खैर हम लोगो ने सफर की थकावट को उतारने के लिए वही एक पाइप से तेजी चल रहे पानी से हाथ मुंह धोकर अपने आपको तरोताजा किया । रेस्तरा में अन्दर जाकर सभी ने अपने हिसाब से चाय, कोफ़ी, मैगी और आलू के पराठो का आर्डर दे दिया । यहाँ का नाश्ता बहुत ही स्वादिष्ट लगा, चाय और आलू के परांठो का नाश्ता कर मन और पेट को तृप्त किया । करीब आधा घंटा यहाँ पर व्यतीत करने के बाद अपनी यात्रा को जारी रखा । कुछ देर बाद तेज बारिश शुरू हो गयी, जिससे गाड़ी के गति में कमी आ गयी । खैर कुछ देर बाद बारिश भी बंद हो गयी और घूम नाम के जगह से दार्जीलिंग शहर की सीमा में प्रवेश किया । अब सड़क किनारे दार्जीलिंग रेलवे के पटरियों दिखाई देने लगी, घूम नाम का स्टेशन भी दिखाई दिया जो कभी दुनिया का सबसे ऊँचा स्टेशन था, पर अब यह ख़िताब तिब्बत के एक स्टेशन के नाम हो गया है । दार्जिलिंग के तरफ बढ़ते हुए यहाँ का प्रमुख आकर्षण दार्जीलिंग हिमालयन की एक लोकल टॉय ट्रेन नजर आई । जो छुक-छुक करते और तेज सिटी की आवाज के साथ निकल गयी ।
दोपहर के बारह बजे के आसपास ड्राइवर ने हमे दार्जीलिंग रेलवे स्टेशन (Darjeeling Railway Station) पर उतार दिया । इस प्रकार गंगटोक से दार्जीलिंग का 97 किमी. का हमारा यह सफ़र करीब पांच घंटो में पूरा हो गया । स्टेशन पर अंदर अपना सारा सामान रखने के बाद ड्राइवर का हिसाब किया और आज लोकल दार्जीलिंग घुमाने के लिए उससे बातचीत भी की । आज बचे समय में क्या-क्या घूम सकते है, ये सारी बात तय हो जाने के उसका मोबाइल नम्बर भी ले लिया और कहा की होटल मिल जाने के बाद आप को फ़ोन कर देगे और करीब दो बजे के आसपास घूमने निकल जायेगे ।
अब आपके लिए प्रस्तुत है, इस यात्रा के दौरान खींचे गए कुछ चित्रों और चलचित्र का संकलन →
लाल चौक बाजार के एक होटल से पर्वतराज कंचनजंघा का खूबसूरत नजारा (Mount Kanchenjungha from Hotel Room) |
कंचनजंघा पर्वत कर बाया हिस्सा गंगटोक से (Left Side of Mount Kanchenjungha) |
कंचनजंघा पर्वत, गंगटोक शहर से ( Mount Kanchenjungha from Gangtok City) |
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गंगटोक में रेलिंग लगाकर बनाया क्र पैदल मार्ग ( Foot way by covering Iron Railing in Gangtok) |
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पहाड़ो के सुन्दर द्रस्यावली ( A beautiful from from The Darjeeling Road) |
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पहाड़ो के सुन्दर द्रश्यावली के बीच चाय बगान ( Tea Garden from The Darjeeling Road) |
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पहाड़ो के सुन्दर द्रश्यावली के बीच चाय बगान ( Tea Garden from The Darjeeling Road) |
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पहाड़ो के सुन्दर द्रश्यावली के बीच चाय बगान ( Tea Garden from The Darjeeling Road) |
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मार्ग में घने वन का द्रश्य (A beautiful view from the Darjeeling Road) |
दार्जीलिंग का मशहूर नैरो गेज रेलवे स्टेशन (Darjeeling Railways Station) |
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दार्जीलिंग का मशहूर नैरो गेज रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म (A Platform of Darjeeling Railways Station) |
स्टेशन पर विश्राम करता एक इंजन (Engine of Toy Train) |
सफाई के लिए स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन (A Train stand at Station for Cleaning) |
दार्जीलिंग रेलवे स्टेशन का टिकिट खिड़की (A Ticket Counter at Station) |
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गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
गंगटोक (सिक्किम), दार्जिलिंग श्रृंखला के लेखो की सूची :
3. एक नजर, गंगटोक शहर, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
4. गंगटोक शहर के स्थानीय स्थलों का भ्रमण, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
5. बाबाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम-Baba HarbhajanSingh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)
6. छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)
7. गंगटोक से दार्जिलिंग का सफ़र (Travel to Darjeeling, West Bengal )
8. पर्वतीय नगर दार्जीलिंग की सैर (Sight Seen of Darjeeling Hill Station, West Bengal)
9. प्रकृति से मुलाकात - दार्जीलिंग नगर की सैर में (Sight Seen of Darjeeling, West Bengal)
10. दार्जीलिंग नगर की सैर - नये स्थलों के साथ (Siight Seen of Darjeeling 2, West Bengal)
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4. गंगटोक शहर के स्थानीय स्थलों का भ्रमण, सिक्किम (Sight Seen to Gangtok City, Sikkim)
5. बाबाबा हरभजनसिंह मंदिर, सिक्किम-Baba HarbhajanSingh Temple (Travel to East Sikkim, Gangtok)
6. छंगू झील का सफ़र, सिक्किम - Tsomgo Lake (Travel to East Sikkim, Gangtok)
7. गंगटोक से दार्जिलिंग का सफ़र (Travel to Darjeeling, West Bengal )
8. पर्वतीय नगर दार्जीलिंग की सैर (Sight Seen of Darjeeling Hill Station, West Bengal)
9. प्रकृति से मुलाकात - दार्जीलिंग नगर की सैर में (Sight Seen of Darjeeling, West Bengal)
10. दार्जीलिंग नगर की सैर - नये स्थलों के साथ (Siight Seen of Darjeeling 2, West Bengal)
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Darjeeling City on the Map
Aapke photo hamesha sundar hote haun
ReplyDeleteधन्यवाद मनु जी ....
Deleteकंचनजंघा के दृश्य तारीफे काबिल हैं ,किस्मत वाले हैं आप जो बरसात के दिनों में भी आपको खुला आसमान मिल गया,ड्राइवर का नाम और फ़ोन नंबर भी सलंग कर दीजिये तो वहां जाने वालों को सहायता रहेगी ,चाय बागानों को देखकर मुझे अपनी ऊटी की यात्रा याद आ गयी
ReplyDeleteटिप्पणी के के लिए शुक्रिया हर्षिता जी | सही कहा आपने गंगटोक से कंचनजंघा के दर्शन हमे किस्मत से ही हुए है | इस समय अब हमारे पास ड्राइवर का फोन नम्बर नहीं है | यहाँ के चाय बगान शानदार है
DeleteNice pictures and description
ReplyDeleteNice pictures and description
ReplyDeleteThanks a lot Vishal Ji
Deletenice post and pics ..i loved this local toy train.
ReplyDeleteThanks a Lot Pratima ji
Deleteअच्छा पोस्ट और अच्छे फ़ोटो ।
ReplyDeleteरूमटेक मोनेस्टरी गंगटोक की प्राचीन मोनेस्ट्री में से एक है ;और बहुत खूबसूरत भी है ।
आपको ये कैसे miss कर दिए ।
इसके अलावा गंगटोक के बगल में ही pelling और रचिंगपोंग ये दोनों जगह भी घुमक्कडी के लिए अच्छी जगह है ।
अच्छा पोस्ट और अच्छे फ़ोटो ।
ReplyDeleteरूमटेक मोनेस्टरी गंगटोक की प्राचीन मोनेस्ट्री में से एक है ;और बहुत खूबसूरत भी है ।
आपको ये कैसे miss कर दिए ।
इसके अलावा गंगटोक के बगल में ही pelling और रचिंगपोंग ये दोनों जगह भी घुमक्कडी के लिए अच्छी जगह है ।
आपका पहला कम्मेंट देखकर बहुत ख़ुशी हुई , आपको धन्यवाद भी | समय आभाव और अधिक दूर होने के कारन इस मोनेस्ट्री को देखने से चूक गये | pelling और रचिंगपोंग का पता था मुझे .... इन्हें अगली बार के लिए छोड़ दिया है
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-10-2015) को "स्वयं की खोज" (चर्चा अंक-2118) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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चित्र कॉपी नहीं हो रहे हैं।
चित्रों का तो ताला खोलो मित्र।
इस प्रविष्टि को चर्चा मंच मे शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया |
Deleteसुंदर चित्र और बढ़िया वर्णन । मेरी ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।
ReplyDeleteधन्यवाद मधुलिका जी |
Deleteबहुत सुन्दर सचित्र यात्रा संस्मरण |
ReplyDeleteआशा
शुक्रिया आशा जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteअब दार्जलिंग की सुहानी सैर होगी मुझे तो आनन्द आ गया । कंचनजन्धा की पर्वत श्रृंखला बर्फ से ढंकी चोटियां उस पर सोने की परत डाली सूरज की किरणे वाह ! प्रकृति का नायाब तोहफा।
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ जी..... आगे भी आनंद लेती चलो .....| कंचनजंघा ने तो हमारा भी मन मोह लिया था |
DeleteSuperb travel tel Ritesh ji. Pictures are stunning. Got little late to go through this post. Breath taking views of Kanchanjungha and excellent description. Waiting for Darjeeling.
ReplyDeleteThanks for sharing.
Thanks a Lot Mukesh ji. As always your wonderful comments.
Deleteकंचनजंगा और दार्जिलिंग रेलवे के फोटो बहुत ही मनमोहक हैं ! मन तुरंत हो उठता है चल यार एक बार तो चल ! सुन्दर वृतांत , जानकारी भरा !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी सारस्वत जी |
Deleteबहुत ही सुंदर वर्णन। प्रतीत हुआ मानो हम साक्षात् ही आप द्वारा वर्णित स्थानों को देख रहे हों। मुझे भी बहुत अच्छा लगता है घूमना। इस बार दार्जीलिंग जाने का सोच रहे हैं दोस्तों के साथ। आपके यात्रा वृतांत पश्चात् यह इच्छा और अधिक प्रबल हो गई है।
ReplyDeleteMai b es April me darjling to Sikkim ghumne ka plan kr rha huin.... Aapka blog padhkar jane ke liye aur b excited about hua. Thanks
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