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Sunday, September 9, 2012

गोवर्धन (Goverdhan)→ ब्रज प्रदेश की पवित्र भूमि (पवित्र स्थल भक्ति यात्रा)

Written By Ritesh Gupta
जय श्री कृष्णा ….राधे-राधे…!
मित्रों ! आज मैं एक और नई श्रृंखला शुरू करने जा रहा हूँ, जिसका नाम हैं → पवित्र स्थल भक्ति यात्रा । इस श्रृंखला में मैं आपको समय-समय पर मेरे द्वारा किये गए पवित्र स्थलो के दर्शन लाभ का वर्णन लेखो के माध्यम से कराउंगा । आज के इस श्रृंखला के प्रथम लेख में मैं आपको ले चलता हूँ ……..भगवान श्री कृष्णजी की लीलास्थली ब्रज प्रदेश के पावन भूमि पर बसे परम पूजनीय पवित्र स्थल श्री गोवर्धन की यात्रा पर । इस यात्रा में मेरे साथ मेरे पिताजी, माताजी, मेरी धर्मपत्नी, और मेरे हर सफ़र के साथी मेरे दोनो बच्चे अंशिता और अक्षत शामिल थे ।

यह सप्ताहांत शनिवार का दिन था, अपने दिनभर काम-काज से घर लौटा तो घर के लोगो से सूचना मिली की कल रविवार को गोवर्धन दर्शन करने जाना हैं । मैंने कहा कि ,”अभी स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं, कल की कल देखेंगे ” यह कहकर रात का खाना हम लोग सो गए । अगले दिन सुबह (26-अगस्त-2012, दिन रविवार) मेरी आँख जल्दी खुल गयी पर सभी घर के लोग अभी सोये पड़े थे । रात की बात याद आई तो मेरा मन भगवान श्री गिरिराज जी के दर्शन को आतुर हो उठा, फटाफट से सबको उठाया, चलने के लिए तैयार होने को कहा । इससे पहले मैं गोवर्धन नौ-दस साल पहले सात-आठ बार हो आया हूँ, और हर बार वहाँ की इक्कीस किलोमीटर की परिक्रमा भी लगा चुका हूँ और आज भगवान के अचानक बुलावे पर मेरा मन गोवर्धन जाने को आतुर हो उठा । वो कहा जाता हैं न जब तक भगवान न बुलाये तब तक उनके दर्शन नहीं होते तो आज हमारा भगवान के दरबार से बुलावा आया था । इस समय हिंदी कलेंडर के अनुसार पुरषोत्तम मास का (लौंद का महीना) माह चल रहा हैं और इस माह में गोवर्धन में भगवान श्री गिरिराज के दर्शन और गोवर्धन की परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता हैं । यह कहा जाता हैं कि इस माह में गोवर्धन की यात्रा करने से भक्तो को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती हैं ।

गोवर्धन पर्वत धारण किये हुए भगवान श्री कृष्ण

Sunday, September 2, 2012

नैनीताल ( Nainital ) → हिमालय पर्वत का शानदार गहना (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का….2)

नमस्कार मित्रों ! आप लोगो ने मेरा पिछला लेख ” सुहाना सफ़र कुमाऊँ का….1″   तो पढ़ा ही होगा,  जिसमे मैंने दिल्ली से काठगोदाम और काठगोदाम से नैनीताल तक अपने सफ़र का वर्णन किया था । अब अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज की इस भाग में आपको ले चलता हूँ, नैनीताल के विभिन्न खूबसूरत और रोमांचल स्थलों की सैर → ” नैनीताल दर्शन “ पर ।

भौगोलिक और पौराणिक द्रष्टि से नैनीताल →

यात्रा वृतांत को आगे बढ़ाने से पहले थोड़ा सा नैनीताल के बारे में जान ले । उत्तरभारत के हिमालय पर्वतमाला की सुरम्य वादियों में स्थित नैनीताल भारत के सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटन स्थलों में एक हैं, जो भारत के उत्तराखंड राज्य में कुमाऊँ मंडल के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित हैं । नैनीताल की समुंद्रतल से ऊँचाई लगभग 1968 मीटर (6455फीट) हैं । समुंद्रतल से इतनी ऊँचाई और चारों हरियाली के कारण यहाँ का मौंसम हमेशा सुहावना और ठंडा बना रहता हैं । नैनीताल में प्रदेश का एक हाईकोर्ट भी स्थापित हैं जहाँ प्रदेश भर के वाद-विवाद का निपटारा किया जाता हैं । नैनीताल क्षेत्र में तालो और झीलों की अधिकता के कारण इसे झीलों की नगरी भी कहा जाता हैं । नैनीताल का मुख्य आकर्षण यहाँ की नैनी झील हैं, जो चारों ओर से हरे-भरे पेड़ो से लदे पहाड़ों से घिरा हुआ हैं । मुख्य नैनीताल शहर नैनी झील इर्द-गिर्द पहाड़ी पर बसा हुआ हैं । इन हरे-भरे पहाड़ों की परछाई हमेशा झील में पड़ती रहती हैं, जिस कारण से झील का स्वच्छ पानी हरे रंग का नजर आता हैं । प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के कारण यहाँ पर साल भर सैलानियों का जमावबाड़ा लगा रहता हैं, मुख्तय गर्मियों के मौसम में यहाँ का मौसम सुहावना और ठंडा होने कारण लाखो के संख्या में यहाँ पर घूमने वालो की हलचल लगी रहती हैं ।

नैनीताल सबसे निकटवर्ती रेलवे स्टेशन काठगोदाम हैं । काठगोदाम रेलवे स्टेशन दिल्ली, बरेली, हावड़ा और लखनऊ रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं । काठगोदाम से नैनीताल लगभग 34किमी० की दूरी पर स्थित हैं, जिसे टैक्सी या लोकल बसों की सहायता से आसानी से पूरा करके यहाँ पहुंचा जा सकता हैं । नैनीताल के दूरी देश के मुख्य शहर आगरा से 376किमी०, दिल्ली से 320किमी०, अलमोड़ा से 68किमी०, पातालभुवनेश्वर 188किमी०, मुक्तेश्वर से 52किमी०, हरिद्वार से 234किमी०, कर्णप्रयाग से 185किमी० और बरेली से 190किमी० हैं ।

Naini Lake & Tiffin Top (Dorothy’s Seat) Hill View from Hotel Paryatak ( बड़े ही सुहाने लगते हैं यह झील और पहाड़ )

Sunday, August 12, 2012

नैनीताल ( Nainital ) → प्रसिद्ध पर्वतीय नगर की रेलयात्रा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....1)

नमस्कार मित्रों ! अपनी पिछ्ली श्रृंखला  सुहाना सफ़र मनाली का    के समापन के बाद आज मैं एक नई श्रृंखला शुरू करने जा रहा हूँ → सुहाना सफ़र कुमाऊँ का ” । जैसा की हम जानते हैं कि भारत का सत्ताईसवाँ राज्य देवभूमि उत्तराखंड भारत के सबसे खूबसूरत और प्रकृति संपन्न राज्यों में एक हैं और प्रकृति में इसे अपने हाथो से बखूबी सवारा और संजोया हैं, या फिर यह कह लो कि उत्तराखंड में आकर हम लोगो को प्रकृति के विराट स्वरूप के दर्शन हो जाते हैं । उत्तराखंड राज्य को मंडल के आधार पर दो भागो में विभक्त किया गया हैं, पहला गढ़वाल और दूसरा कुमाऊँ । गढ़वाल मंडल में सात (देहरादून, उत्तरकाशी, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी और टिहरी जिले) और कुमाऊँ मंडल में छह (नैनीताल, अलमोड़ा, पित्थौरागढ़, चम्पावत, उधमसिंह नगर और बागेश्वर जिले) जिले आते हैं । इस नई श्रृंखला में आपको अपने द्वारा की गयी उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल कुछ जगहों की यात्रा के बारे में अपना अनुभव कुछ कड़ियों के माध्यम से प्रस्तुत करूँगा । आज की इस कड़ी में, मैं आप लोगो को ले चलता हूँ →  दिल्ली से काठगोदाम की रेल यात्रा और काठगोदाम से नैनीताल की टैक्सी यात्रा पर ।

पेड़ पौधे के साये से नैनी झील का रूप ही निराला दिखता हैं………

Monday, July 16, 2012

मनिकरण ( Manikaran )→ पवित्र स्थल का भ्रमण (एक सुहाना सफ़र मनाली का….6)

Written By - Ritesh Gupta 
 
नमस्कार दोस्तों ! पिछले लेख में मैंने आप लोगो को व्यास और पार्वती नदी घाटी के बीच बसे “पवित्र स्थल मनिकरण” के बारे में वताया था, जिसे आप मेरे पिछले लेख “एक सुहाना सफ़र मनाली का….5″ में पढ़ सकते हैं । आइये अब चलते हैं इस श्रृंखला के अंतिम लेख “पवित्र स्थल मनिकरण के भ्रमण” पर ।

सुबह मनाली से चलने के बाद कार की साहयता से तीन बजे के आसपास हम लोग मनिकरण पहुँच ही गए । मनिकरण में धूप तेज थी पर मौसम काफी ठंडा था, पूरी घाटी में पार्वती नदी का शोर किसी मधुर संगीत की तरह गुंजायमान था । यहाँ पहुँचने के बाद के सबसे पहले एक खाली स्थान देखकर कार को सड़क के किनारे लगा दिया और एक होटल की तलाश करने अपने छोटे भाई अनुज के साथ निकल पड़ा । कई होटल छानमारे पर सस्ता होटल हमें कही नहीं मिला, ज्यादातर सभी होटल के कमरे का किराया रु०1500/- प्रतिदिन से अधिक ही बताया जा रहा था और ऊपर से यह कह रहे थे जल्दी से यही कमरे ले लो नहीं तो सप्ताहांत होने के कारण दिल्ली वाले आ जायेगे और आपको फिर कोई कमरा भी नहीं मिलेगा । फिर भी हमने अपनी तलाश जारी रखी करीब आधे घंटे की मेहनत रंग लाई ही गयी और पार्वती नदी के किनारे टैक्सी स्टैंड से पहले एक होटल (अब नाम याद नहीं हैं) पहुँच गए ।


Manikaran Town in the Morning (सुबह के समय मनिकरण का नजारा )

होटल लगभग पूरा खाली था, कई सारे रूम देखने के बाद हमें उस होटल का एक कमरा पसंद आ गया, कमरा काफी सुव्यवस्थित और बड़ा था । कमरे की बालकनी से बहती पार्वती नदी का सुन्दर द्रश्य नजर आ रहा था और उस कमरे लगे बाथरूम भी काफी बड़ा और साफ़ सुधरा था । उसने हमें उस कमरे के रु.1200/- बताये और उससे एक रुपया भी नीचे करने को तैयार नहीं हुआ, उसने कहाँ की,”आपको अभी यह होटल खाली नजर आ रहा हैं, पर रात तक यह पूरा भर जायेगा ।” काफी कहने पर पर वो एक अतरिक्त बिस्तर देने को राजी हो गया था । सबसे अच्छी बात इस होटल की थी कि इसकी अपनी तीन या चार कार लायक पार्किंग की भी व्यवस्था थी । हमने होटल के उस कमरे को कुछ अग्रिम राशि देकर आरक्षित कर लिया । कार को होटल की पार्किंग में लगाकर कमरे में सारा सामान पंहुचा दिया । यहाँ के होटलों की एक खास बात यह की होटलो में गर्म पानी के लिए गीजर की कोई व्यवस्था नहीं हैं । यहाँ के होटलों में गर्म पानी की आपूर्ति नदी के उस पार स्थित गर्म कुंड से होती हैं, जो चार-पांच मिनट गर्म पानी का नल खुला छोड़ने पर गर्म पानी आने लगता हैं ।

लगभग एक घंटा सफ़र की थकावट उतारने के बाद हम लोग गर्म कुंड में नहाने के इरादे पार्वती नदी के दाई तरफ के मंदिर, पुराने बाज़ार की ओर चल दिया । टैक्सी स्टैंड के अंतिम छोर से पार्वती नदी को एक पुल की साहयता से पार किया । पुल के नीचे से अपने अथाह जलराशि के साथ रोद्र रूप में बहती पार्वती नदी काफी वेगमान, भयानक और मन को अति सुन्दर लग रही थी । पुल पार करने के बाद सबसे पहले प्राचीन श्री राम मंदिर नजर आया, इस मंदिर में गर्म कुंड के पानी में नहाने की व्यवस्था भी हैं । थोड़ा आगे बढ़ने पर नैना भगवती मंदिर हैं और वही पर एक छोटे से चौराहे पर लकड़ी का पुराना सुन्दर रथ जगन्नाथजी की यात्रा हेतु रखा हुआ था । चौराहे से आगे जाने पर प्राचीन मंदिर श्री रघुनाथ जी का आया हैं, इस मंदिर के बाहर बेहद ही गर्म उबलते पानी का एक चश्मा(कुंड) सड़क के समीप ही था, जिसमे से बहुत तेजी से गर्म भाप निकल रही थी । प्रकृति का यह चमत्कार देखकर कर हम प्रभु के सामने नतमस्तक हो गए । यह कुंड इतना गर्म था कि आप किसी कपड़ो में कच्चे चावल या चने बांधकर इस कुंड में छोड़ कुछ मिनटों में उबलकर पक जाते हैं । इसी उबलते चश्मे के पीछे नहाने का पानी से भरा हुआ एक स्नानागार कुंड बनाया हुआ था, पर इस स्नानागार का पानी अत्यधिक गर्म होने के कारण आज बंद था । यहाँ पर महिलाए और पुरुषों दोनो के लिए अलग-अलग नहाने कि व्यवस्था हैं । गर्म कुंड का पानी गंधक युक्त हैं और इस पानी में नहाने से चर्म सम्बन्धी सारे रोग दूर हो जाते हैं ।

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