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Tuesday, June 13, 2017

श्री वृन्दावन धाम - एक दिव्य स्थल (Vrindavan - A Divine Place )

Written By Ritesh Gupta

राधे राधे !
ये दिव्य शब्द वृन्दावन की गलियों में हर तरफ गूंजता सुनाई देगा, क्योकि ये नगरी भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की भक्ति से ओतप्रोत भक्तो की नगरी जो है । यहाँ के निवासी/अनिवासी अभिवादन स्वरूप आपस मे एक दूसरे से यही "राधे राधे" शब्दो का उपयोग करते है । एक कहावत है - जहाँ के कण कण में बसे हो श्याम वो श्री वृन्दावन धाम । यहाँ की मृदा, वायु और जल मे सब जगह भगवान श्रीकृष्ण का वास माना जाता है, इस तीर्थ क्षेत्र की यात्रा करने वाला भक्त अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानता है और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में सारोबार हो जाता है । इस क्षेत्र को बृज क्षेत्र या बृज भूमि कहते है जिसमे मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, गोवर्धन,  आगरा , धोलपुर, जलेसर, भरतपुर, हाथरस, अलीगढ, इटावा, मैनपुरी, एटा, कासगंज और फ़िरोज़ाबाद आदि जिले आते है । चलिये चलते है इस पोस्ट के माध्यम से उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध वृंदावन धाम की पावन यात्रा पर -

रंगीन प्रकाश से अद्भुत छवि प्रस्तुत करता है "प्रेम मंदिर", वृन्दावन  (Colorful by Light beautiful Prem Mandir, Vridavan)

Sunday, September 9, 2012

गोवर्धन (Goverdhan)→ ब्रज प्रदेश की पवित्र भूमि (पवित्र स्थल भक्ति यात्रा)

Written By Ritesh Gupta
जय श्री कृष्णा ….राधे-राधे…!
मित्रों ! आज मैं एक और नई श्रृंखला शुरू करने जा रहा हूँ, जिसका नाम हैं → पवित्र स्थल भक्ति यात्रा । इस श्रृंखला में मैं आपको समय-समय पर मेरे द्वारा किये गए पवित्र स्थलो के दर्शन लाभ का वर्णन लेखो के माध्यम से कराउंगा । आज के इस श्रृंखला के प्रथम लेख में मैं आपको ले चलता हूँ ……..भगवान श्री कृष्णजी की लीलास्थली ब्रज प्रदेश के पावन भूमि पर बसे परम पूजनीय पवित्र स्थल श्री गोवर्धन की यात्रा पर । इस यात्रा में मेरे साथ मेरे पिताजी, माताजी, मेरी धर्मपत्नी, और मेरे हर सफ़र के साथी मेरे दोनो बच्चे अंशिता और अक्षत शामिल थे ।

यह सप्ताहांत शनिवार का दिन था, अपने दिनभर काम-काज से घर लौटा तो घर के लोगो से सूचना मिली की कल रविवार को गोवर्धन दर्शन करने जाना हैं । मैंने कहा कि ,”अभी स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं, कल की कल देखेंगे ” यह कहकर रात का खाना हम लोग सो गए । अगले दिन सुबह (26-अगस्त-2012, दिन रविवार) मेरी आँख जल्दी खुल गयी पर सभी घर के लोग अभी सोये पड़े थे । रात की बात याद आई तो मेरा मन भगवान श्री गिरिराज जी के दर्शन को आतुर हो उठा, फटाफट से सबको उठाया, चलने के लिए तैयार होने को कहा । इससे पहले मैं गोवर्धन नौ-दस साल पहले सात-आठ बार हो आया हूँ, और हर बार वहाँ की इक्कीस किलोमीटर की परिक्रमा भी लगा चुका हूँ और आज भगवान के अचानक बुलावे पर मेरा मन गोवर्धन जाने को आतुर हो उठा । वो कहा जाता हैं न जब तक भगवान न बुलाये तब तक उनके दर्शन नहीं होते तो आज हमारा भगवान के दरबार से बुलावा आया था । इस समय हिंदी कलेंडर के अनुसार पुरषोत्तम मास का (लौंद का महीना) माह चल रहा हैं और इस माह में गोवर्धन में भगवान श्री गिरिराज के दर्शन और गोवर्धन की परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता हैं । यह कहा जाता हैं कि इस माह में गोवर्धन की यात्रा करने से भक्तो को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती हैं ।

गोवर्धन पर्वत धारण किये हुए भगवान श्री कृष्ण
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