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Wednesday, March 13, 2013

पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvneshwar) → हिमालय की गोद में एक अद्भुत पवित्र गुफा (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....11)

Written By Ritesh Gupta

 "ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनं। 
उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।"

प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल कौसानी और बैजनाथ मंदिर यात्रा का वर्णन किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं, कुमाऊँ का एक ऐसा स्थान पर जहाँ पर भगवान शिव अपने तैतीस करोड़ देवी-देवताओं के साथ पहाड़ के गर्भ में पाताल के अंदर एक गहरी गुफा में विराजमान हैं,  उस जगह का नाम हैं "पाताल भुवनेश्वर" आईये अब चलते हैं, पाताल भुवनेश्वर की अचंभित कर देने वाली पवित्र और रहस्मयी गुफा की यात्रा पर ।

समय लगभग दिन के सवा ग्यारह बजे का होगा बागेश्वर के सर्विस सेंटर में टैक्सी कार को सही कराने के बाद हम लोग गाड़ी की खराब होने वाली समस्या से चिंता मुक्त होने के बाद अपने आगे की यात्रा पर चल दिए । यहाँ से हम लोगो का अगला कदम पाताल भुवनेश्वर जाकर पाताल में स्थित पवित्र गुफा के दर्शन करने का था । बागेश्वर के चौराहे पर आने के बाद थोड़ा आगे जाकर सरयू नदी पर बने पुल को पार करने बाद इसी रास्ते पर चलते रहे । यह सड़क मार्ग काफी अच्छा, सपाट, गड्डे रहित और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर था । रास्ते के दोनो तरफ पाइन के जंगल और उनके बीच से जाता घुमावदार रास्ता और मौसम के ठंडक मन को बड़ा ही सुकुन पंहुचा रही थी

Nice looking... Pine Forest on the way (चीड़ के जंगलो का मनमोहक साम्राज्य )

Friday, February 1, 2013

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath →भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....10)

Written By→ Ritesh Gupta

अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..9) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “कौसानी का सूर्योदय और प्राचीन बैजनाथ मंदिर” की यात्रा पर ।

बैजनाथ (उत्तराखंड) Baijnath Temple , भगवान शिव को समर्पित अति-प्राचीन मंदिर

Tuesday, January 22, 2013

कौसानी (Kausani) → प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....9)

Written By→ Ritesh Gupta
अपने पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8) में मैंने प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल रानीखेत और वहाँ के विभिन्न स्थानों का उल्लेख किया था । इस कुमाऊँ श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब रानीखेत से निकलकर चलते हैं, उत्तराखंड प्रदेश के अंतर्गत कुमाऊँ का स्वर्ग कहा जाने वाला छोटा पर प्रसिद्ध पर्वतीय नगर “ कौसानी " की यात्रा पर ।

लगभग समय 3:00 बजे के आसपास हम लोग रानीखेत के गोल्फ कोर्स वापिस चल दिए । कुछ किलोमीटर बाद रानीखेत शहर से काफी पहले कार चालाक ने कार को एक दाए तरफ के रास्ते “रानीखेत-द्वारहाट-कौसानी” मार्ग पर ले लिया । इस मोड़ से सोमेश्वर 43किमी० और कौसानी 55किमी० की दूरी पर था । कुछ देर चलने के बाद पहाड़ की चढ़ाई पर चढ़ते समय हमारी टैक्सी कार (मारुती अल्टो) में कुछ खराबी आ गयी । ढलान पर बिल्कुल सही चल रही थी, पर चढ़ाई पर पूरे एक्सीलेटर दबाने के बाद भी मुश्किल से धीरे-धीरे चल रही थी और झटके ले रही थी जैसे उसका करंट आ जा रहा हो । कार चालक ने एक स्थान पर रोककर भी देखा भी पर उसके लिए नए माडल का इंजन होने के कारण उसे कुछ समझ में न आया । आखिर क्या करते, आसपास कोई कार का गैराज भी नहीं था तो मज़बूरीवश हमारा कार चालक उसी अवस्था में गाड़ी को खींचता रहा जिससे कार का एवरेज भी कम हो रहा था । रास्ते में जब भी चढ़ाई आती तभी कार की में परेशानी शुरू जाती थी, बाकी ढलान और समतल रास्ते पर कार बराबर दौड़ रही थी ।

Ranikhet-Dwarhat-Kuasani Road (रानीखेत से कौसानी की दूरी लगभग 55किमी० हैं)

Monday, December 31, 2012

रानीखेत ( Ranikhet ) → हिमालय का खूबसूरत पर्वतीय नगर (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..8)

Written by Ritesh Gupta

आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल का प्रसिद्ध मंदिर माँ नैनादेवी और कुमाऊँ का ही एक और प्रसिद्ध मंदिर श्री कैंची की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा लगभग नैनीताल और उसके आसपास के स्थलों का भ्रमण हो चुका था । अब चलते हैं नैनीताल शहर से बाहर और अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को भी आगे की तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में कुँमाऊ के प्रसिद्ध पर्वतीय नगर " रानीखेत " की यात्रा पर ले चलता हूँ ।

कैंची धाम बाबा नीव करौरी आश्रम के दर्शन करने के बाद हम लोग टैक्सी में बैठकर उसी सड़क मार्ग NH-87 पर चलते रहे । कुछ देर पहाड़ों में चलने के बाद कोसी नदी और उसकी घाटी दिखाई देना शुरू हो गयी । हम लोग भी कोसी नदी के साथ-साथ के सड़कमार्ग चलते रहे, रास्ते में कोसी नदी कभी सड़क के सामंन्तर और कभी पहाड़ों गहराई में चली जाती थी । बस यूँही कुछ देर पहाड़ और नदी का अवलोकन करते हुए, कुछ किलोमीटर बाद एक स्थान ऐसा आया जहाँ पर कोसी नदी पर सड़क के बायीं तरफ एक पुल बना हुआ था । यह नदी पुल NH-87 का ही एक हिस्सा हैं और रानीखेत जाने का रास्ता भी, बिना मुड़े सीधा रास्ता अल्मोड़ा राज्ज्यीय मार्ग SH-37 हैं, जो कुमाऊँ के एक महत्वपूर्ण नगर अल्मोड़ा को जोड़ता हैं । खैर अपनी योजनानुसार हम लोगो को सर्वप्रथम रानीखेत जाना था, सो सड़क की बायीं तरफ के कोसी नदी के पुल को पार कर हम लोग इसी रास्ते पर चलते रहे ।
Mountain View from NH-87 Toward Ranikhet (दिल को लुभाते यह सुन्दर नज़ारे…)

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