Guest Post Written by Kishan Bahety
#hiddenplaces
#City of Joy, Kolkata
#Sea IP Church
#Tong on Church
पिछली पोस्ट में मैंने आप सब लोगो को कोलकाता के एक बहुत पुराने से समय से चल रहा चीनियों के अनोखे बाजार के बारे में बत्ताया था । अब आपको लिए चलते है इसी बाजार के आसपास के बुद्ध मंदिर और चर्च की सैर पर । तेरेत्ति चाइना बाजार से पेट पूजा करके मै और मेरे मित्र संदीप मन्ना चीनी बुद्ध
मन्दिर देखने के तैयार हो गए सही जगह हमे भी पता नहीं थी । सो हमने एक आंटी जो मोमोज बेच रही थी उनसे इसके बारे में पूछा, उन्होंने हमे दो गली बाद ही चर्च है
ऐसा बताया गया । मुख्यत बौद्ध मन्दिर को गोम्पा या मोनेस्ट्री कहा जाता है
पर चर्च शब्द सुनकर हमे भी बहुत आश्चर्य हुआ । चूँकि मन्दिर बगल में ही था सो हमने बाइक को वही पार्क करके पैदल ही चर्च देखने के लिए निकल पड़े ।
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
पैदल ही दो मिनट के अंदर हम दोनों सी "सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) के मुख्य दरवाजे पर पहुँचे । जिसकी बनावट
बिलकुल चर्चनुमा जैसी ही थी । शायद ये लोग ब्रिटिश और पुर्त्गिज लोग से
प्रभावित होकर इन बुद्ध मन्दिर की बनावट चर्च की तरह की और नाम भी चर्च ही रख दिया। वैसे भी सेक्सपियर जी कह गए है की "नाम में क्या रखा है " ('What is in The Name ') बस प्रार्थना स्थल का कोई भी नाम हो मन शुद्ध होना चाहिए । मन्दिर के मुख्य
दरवाजे से अंदर घुसते ही एक वाचनालय दिखाई पड़ा ,जहाँ कई चीनी पुस्तके
और अख़बार पड़े हुए थे, पर वहां पर कही भी भगवान बुद्ध न दिखाई पड़े । हमने सोचा की
कही हम गलत जगह तो नही आ गए । तभी पास एक सीड़ी दिखाई दी जिससे एक भारतीय मूल
चीनी महिला उतरते दिखायी पड़ी । हम भी लपक कर सीड़ी पर चल दिए, चढ़ते-
चढ़ते पूजा की धूप की भीनी - भीनी खुशबू सांसो में समां रही थी ।
मन्दिर प्रथम तल पर था, वहां शायद अभी-अभी पूजा ख़त्म हुई थी । हमे
देख पुजारी जी ने हमे मन्दिर बंद करने की बात कह कर जल्दी निकलने की
हिदायत भी दी । शहर की मध्य में इतने सुंदर और प्राचीन मन्दिर को हम
जल्दी-बाजी में नहीं देखना चाहते थे ,सो पुजारी बाबा/Monk (चर्च के
पादरी तो बिलकुल नहीं लग रहे थे) को बिना बटर वाला मस्का लगाकर १5 मिनट
रुकने के लिए मना लिया ।
ये मन्दिर १८ वी सदी के अंत में बना था, जो
शायद किसी चीनी मिल (इस बार खाने वाली चीनी) के मालिक ने बनवाया था । भगवान बुद्ध की प्रतिमा को जैसे किसी हिदू मन्दिर के भगवान को सजाया जाता
है, वैसे ही सजाया था । यहाँ पर प्रसाद के तौर पर फल से लेकर डेरीमिल्क चोकलेट तक भगवान बुद्ध को अर्पण कर सकते है । खैर हम दोनों थोड़ी प्रार्थना के बाद फोटो खीचने में मग्न हो गये । मन्दिर के बाहर बरामदे में धूप को जलाने के लिए एक अलग तरह पात्र
बनाया हुआ था । तभी पुजारी बाबा ने मंदिर से बाहर जाने के लिए आवाज लगायी, सो अब हमने अब बाहर निकलना ही
बेहतर समझा ।
यहाँ से निकलते ही हम अब दूसरे चर्च यानि
"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church को देखने निकल पड़े ।
बाइक से हम उस इलाके का दो बार चक्कर काट लिए कई लोगो
से पूछा ,"हमे नाम नहीं पता था" पर कोई भी इसके बारे में नहीं बता पाया ।
१० मिनट तक हम रुक-रुक कर लोगो से पूछते रहे पर कुछ फायदा न हुआ । हम वापिस लौटने ही वाले तभी वो मोमोज वाली आंटी का लड़का अपने दुकान के सामान
के साथ आता हुआ दिखाई दिया । हमने जब दूसरी चर्च के बारे में पूछा, तो
उसने कहा आप नानकीन वाली "टोग ओन चर्च" खोज रहे हो , हमने उसकी हाँ में हाँ मिला दी । उसने अंगुली से इशारा किया की ये सामने वाली ही तो है वो। हमे
आश्चर्य हुआ क्योकि हम यहाँ से दो बार इस जगह से गुजर चुके थे पर चूँकि मन्दिर के
बाहर कूड़े का अम्बार और कबाड़ख़ाने को देखकर हम कल्पना नहीं कर पाए की ये जगह यही पर होगी । उस लड़के से बात करने पर पता चला की इस मन्दिर के निचले तल पर
पहले एक चीनी होटल था ,जिसका नाम नानकीन था । लोग इस मन्दिर को इसी नाम से
अब जानते है । खैर इस हम मुख्य दरवाजे पर पहुंचे तब तक ये मन्दिर चर्च
भी बंद हो चुका था । पर थोडा आवाज देने पर एक बुजुर्ग आदमी आये, और दरवाजा
खोल दिया । शायद अगर ये मन्दिर होता तो हमे ठाकुर जी के जागने का इंतजार
करना पड़ता ।
उन्होंने हमे मन्दिर को अच्छी तरह से घुमाया । पहले
निचले तल पर स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा देखी, फिर वहां से उन्होंने
हमे प्रथम तल पर चलने को कहा । वहां स्थापित देवता का एक नया रूप देखने को मिला, जो चीनी
Warrior God Kwan Ti का है । मन्दिर के अंदर कुछ मुखौटे पड़े थे, जिसे
चीनी नव वर्ष में उत्सव में व्यवहार लाते है । वहां का चित्र खीच कर जब हम
तृप्त हो गए तब हमने अंकल से पूछा की मन्दिर के बाहर कूड़ा घर कैसे , तो
शायद हमने उनकी दुखती रग पर हाथ फेर दिया ।
उन्होंने बताया की ये
मन्दिर नानकीन द्वारा १९२४ के लगभग बनाया गया है । मन्दिर ऊपर और नीचे
रेस्टोरेंट, जो उस समय का सबसे पहला चीनी रेस्टोरेंट था । यहाँ राजकपूर, दिलीप साहब से लेकर कई नामी -गिरामी लोग आ चुके है । उस समय मन्दिर
में सिर्फ चीनी लोग को ही जाने की इजाजत थी । इसके बाद नानकीन ने इसे
किसी दूसरे चीनी Au Wah परिवार को बेच दिया, जिसने इस जमीन को कई बार
बेचने की चेष्टा की पर ट्रस्ट का मन्दिर होने के कारण बिक्री नहीं कर पाया ।
अब २०१३ के बाद एक नयी समस्या खड़ी हो गयी या कहे खड़ी कर दी गयी । इस
मन्दिर के बाहर जानबूझ कर विशाल कूड़ाघर बना दिया गया । शायद कुछ लोग चाहते
है की इससे परेशांन होकर ये ट्रस्ट मन्दिर की जमीन उन्हें बेच दे । ये
काम बिना सरकारी सहयोग से नहीं हो सकता । खैर ये लोग अपनी लड़ाई कोर्ट में
लड़ रहे है । हम (चीनी) अल्पसंख्यक है, इसलिए ऐसा कर सकते है , ऐसा किसी
कट्टरपंथी के प्रार्थनागाह के साथ करने की हिम्मत कोई कर सकता है ।
मन्दिर को देखकर जितना हम खुश हुए, उतना ही अंकल की बात सुनकर दुखी , खैर अंकल ने हमे जाते-जाते नगाड़े को बजाकर कर हमे विदा किया ।
चलिए अब देखते इस सुन्दर स्थल को चित्रों की जुबानी →
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"सी आईपी चर्च" (Sea IP Church) |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
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"टोंग ऑन चर्च" Tong on Church |
चलिए उपरोक्त जानकारी के साथ कोलकाता के इस छुपे हुए बाजार
के बारे में इस लेख का समापन करता हूँ । आशा करता हूँ , आपको इस नई जगह
के बारे पढ़कर अच्छा लगा होगा । अगले भाग में आप लोगो को ले चलेंगे कोलकाता
के एक और छुपे स्थल की सैर पर । इसी के साथ आप सभी बहुत बहुत धन्यवाद ।
(C) किसन बाहेती
My Another post on this Blog...
1.
रींचेनपोंग- सिक्किम... Rinchenpong, Sikkim → A Hidden Place, Information by Kishan Bahety.
2. 108 शिव मंदिर समूह, वर्धमान (108 Shiva Temple at Nawab hat, Bardhaman, West Bengal)
3. कोलकाता का एक छुपा स्थल → तेरेत्ति बाजार (About Tiretti Bazar, Kolkata by Kishan Bahety )
दोनों चर्च का विवरण और चित्र बहुत अच्छा लगा किशन जी। 'नाम में क्या रखा है' ये बात कालिदास ने नहीं, शेक्सपियर ने कही थी। अगर शेक्सपियर को पता चले तो वह अपने इस डायलॉग को तुरंत वापिस ले लेते। नाम बदलने से होने वाली हानि जो एकदम समझ आ जाती! ;-)
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteमैंने जानबूझ कर कालिदास जी का नाम लिखा । जब नाम में क्या रखा है तो शेक्सपियर कहे या कालिदास क्या फर्क पड़ता है ।
वैसे आपने Ip man movie देखी है क्या? चीन की एक विशेष जाति है Ip जो अपनी युद्ध कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
ReplyDeleteबिलकुल सही पकडे है सर आपने ।
Deleteवैसे ये सारी युद्ध कलाये की जननी शायद आर्यवर्त है
बढ़िया छुपी हुई जानकारी और सुंदर फोटू...
ReplyDeleteधन्यवाद कौशिक जी ।
Deleteबाद एक छोटी सी कोशिश की है
सुंदर पोस्ट किशन भाई
ReplyDeleteआभार ,
Deleteबहुत सुदंर..
ReplyDeleteप्रेम जी
Deleteआपका धन्यवाद
राकेश जी
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद