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Monday, May 14, 2018

कश्मीर का अद्भुत मंदिर माँ खीर भवानी (Kheer Bhawani Temple Kashmir..10)

Written By Ritesh Gupta

इस श्रंखला को प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिये । कश्मीर एक ऐसा नाम जिसे सुनते है आँखों के सामने सुंदर प्राकृतिक द्रश्य, बहती नदिया, झीले, पहाड़, बर्फ से ढकी चोटियाँ, हरे-भरे घास के मैदान, खिलते हुए फूल नजर आ जाते है । इसके सिवा कश्मीर में काफी कुछ देखने को भी कश्मीर है जैसे मंदिर , मस्जिद और कुछ ऐतिहासिक अवशेष । आज की इस पोस्ट में आपको ले चलते है कश्मीर के अंदुरीनी ईलाके में स्थित माँ खीर भवानी मंदिर की यात्रा के साथ शाम के समय डल झील की शिकारे से झील की बीच स्थित बाजार की सैर पर -

खीर भवानी मंदिर कश्मीर (Kheer Bhawani Temple, Kashmir)
यात्रा छटवां  दिन (28 जून ) दूसरा पहर

सोनमर्ग भ्रमण की यात्रा के बाद गाड़ी से हम लोग वापिस हो लिए अब हमारी अगली मंजिल खीर भवानी मंदिर जाकर माँ खीर भवानी के दर्शन करने की थी । सोनमर्ग से निकलते समय थाजीवास ग्लेशियर सामने नजर रहा था , इस नजारे को पीछे छोड़ते हुए हम आगे चल दिए । रास्ते में सिंध नल्लाह / नदी हमारे साथ चल रहा था , कही कही बर्फ के ग्लेशियर नदी में मिलते नजर आ रहे थे , सुबह और अब के नजारे में कुछ फर्क नजर आ रहा था क्योकि समय दोपहर का था और धूप भरपूर पड़ रही थी । सोनमर्ग से श्रीनगर की तरफ रास्ते पर चलते हुए करीब 60 किमी के बादगंदेरबल नाम की एक जगह आई जो कश्मीर का एक बड़ा जिला है, यही से दाई तरफ का रास्ता माँ खीर भवानी मंदिर अलग हो जाता है । एक दो बार रास्ते में लोगो से मंदिर के रास्ते के बारे में पूछा भी तो उन्होंने बताया की आप लोग सीधे चले जाइए करीब सात या आठ किमी के बाद तुलामुला गाँव में स्थित मंदिर तक पहुँच जाओगे ।

गंदेरबल से करीब आठ किमी चलने के बाद हम लोग मंदिर पहुँच गये । वही पर चौक पर एक जगह गाड़ी को पार्किंग में लगवाया । तुल्ला-मुला का ये चौक पर एक छोटा बाजार भी था, जहाँ पर स्थानीय शाकाहारी खाने-पीने और कपड़े-खिलौनों की दुकाने थी । मुख्य मंदिर यहाँ से आगे एक द्वार से कुछ दूरी पर अंदर ही था और मुख्य द्वार पर फौजी भाइयो के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था एक किले की भाति की हुई थी, सघन चेकिंग के बाद द्वार से मंदिर परिसर प्रवेश कर अंदर की तरफ चल दिए । यहाँ से आगे रास्ते बाए तरफ  आगुन्तको के लिए एक शौचालय की व्यवस्था भी की हुयी है और रास्ते के दोनों तरफ कुछ कमरे, हॉल भी बने हुए है जो शायद मन्दिर प्रबंधन में लगे कर्मचारियों के लिए हो सकते है ।

अब कुछ मंदिर के बारे में । खीर भवानी मंदिर एक देवी मंदिर है, जो कि माँ दुर्गा का ही एक रूप है । ये कश्मीर एक प्रसिद्ध मंदिर है और ये श्रीनगर से करीब 22 किमी दूर गंदेरबल नाम के जिले में तुलामुला गाँव में एक पवित्र चश्मे (पानी का झरना) पर स्थित है । इस मंदिर का निर्माण सन 1912 महाराजा प्रताप सिंह के द्वारा किया किया गया बाद में इस मंदिर का पूरा निर्माण महाराजा हरी सिंह ने करवाया । ये मंदिर कश्मीर में हिन्दू धर्म का मुख्य आस्था स्थल है और गैर समुदाय के लोग भी इस मंदिर पर विश्वाश रखते है । मंदिर परिसर एक बड़े में फैला हुआ है, मंदिर परिसर में चारो तरफ चिनार के पेड़ और एक छोटी नदी की धारा बहती हुई निकलती है जिस कारण से यहाँ की खूबसूरती बेमिशाल नजर आती है । शुरू से ही मंदिर में मुख्यत: प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाया जाता रहा है, सो इस मंदिर का नाम "खीर भवानी" मंदिर पड़ गया । इस मंदिर की देखरेख जम्मू कश्मीर की "धर्मार्थ ट्र्स्ट" नाम की संस्था करती है ।

मंदिर के चारो तरफ एक छोटी बहती हुई नदी / झरना है, जिस पर एक छोटे से पुल से पार करके मंदिर में प्रवेश किया । मंदिर का वातावरण बहुत शांत था और पेड़ो छाया मन्दिर प्रांगण में चारो तरफ थी जिससे इस जगह शीतलता का आभास हो रहा था । यहाँ से आगे एक हनुमान जी का छोटा मंदिर भी है जहाँ पर दर्शन करने के उपरांत अंदर के तरफ चल दिए । देवी जी का मुख्य मंदिर एक छोटे से कुंड के ऊपर बने चबूतरे पर है और कुंड में काफी कम मात्रा पानी भरा हुआ था पर पानी का रंग कुछ सफेद रंग का था । खीर भवानी देवी जी के दर्शन सही से एक हाल से होते है क्योकि चबूतरे पर बने सुज्ज्तित मंदिर का मुख उसी तरफ है सो उस हाल में प्रवेश कर माँ के दर्शन किये । कुंड के ऊपर बने चबूतरे पर सफेद संगमरमर के दो सिंह विराजमान है और बीच में एक छोटे से मंदिर में देवी जी प्रतिमा एक पिंडी के रूप में साज सज्जा और श्रंगार के साथ सुशोभित है ।

माँ खीर भवानी के दर्शन उपरांत हाल के बाहर ही एक प्रसाद कक्ष बना हुआ जहाँ से उस समय खीर का प्रसाद स्टील के कटोरी में वितरित ही रहा था । प्रसाद कक्ष से प्रसाद के रुप खीर का प्रसाद लिया और प्रसाद ग्रहण करने के बाद कटोरी को धोकर वही रख दिया । कुछ देर मंदिर में ही आपस में सब लोगो के फोटो खीचे पर ध्यान रहे की मुख्य हाल में और वहां से माँ की प्रतिमा का फोटो लेने पर प्रतिबंध किया हुआ था । इस तरह से "माँ खीर भवानी जी" दर्शन के उपरांत हमारी खीर भवानी मंदिर की यात्रा पूर्ण हुई और वापिस उसी पार्किंग वाली जगह पर आ गये । यहाँ से अपने गाड़ी में बैठकर वापिस श्रीनगर शहर के तरफ अपना रुख किया ।

शाम के साढ़े छह बजे तक हम लोग डल झील के सामने  ( शायद गेट न. 2 के सामने ) एक गली पर कल बुक कराये एक होटल "होटल डौन" Hotel Down में पहुँच गये । होटल के अंदर ही गाड़ी को खड़ा करवाकर होटल के काउन्टर से अपने पांचो कमरे के चाबी लेकर कुछ देर वहां पर आराम किया और करीब रात के साढ़े सात बजे डल झील के किनारे आ गये । इस समय झील के किनारे का माहौल बहुत ही खुबसूरत और मौसम सुहाना बना हुआ था, डल झील के किनारे की सड़क पर वाहनों के रेलमपेल भी बहुत थी । सड़क के दूसरे तरफ की दुकाने और रेस्तरा बिजली की रौशनी चमक रही थी और वही फुटपाथ पर छोटे दुकानदार आपना सामान बेचने में व्यस्त थे, जैसे लकड़ी के गुच्छे, नाव, बोक्स, पर्स, शॉल, स्वेटर आदि और इसके विपरीत झील के तरफ मुडेर पर सैलानी बैठकर कर झील की खूबसूरती और ठंडी हवा के मजे ले रहे थे । झील में लाइन से लगे हाउसबोट के लाईटे और उनकी झील में पड़ती परछाई बड़ी शोभायन लग रही थी , जैसे आसमान के सितारे झील में उतर आये हो ।

कल हम लोगो ने शिकारा से डल झील की सैर नहीं की थी और आज के दिन झील में शिकारा से सैर का पूरा मन था सो अधिक समय होने के बाबजूद झील में सैर के लिए बजट शिकारा की खोज में चल दिए । चलते फिरते एक शिकारे वाले से सौदा पट गयी कल अन्य शिकारा वाले जो मूल्य मांग रहे थे, उससे आधे मूल्य में दो शिकारे कर लिए और चल दिए रात के समय (करीब रात के सवा आठ बजे ) डल झील में शिकारे के सैर पर और हमने इसे नाम दिया -"Shikara Ride in Night" । डल झील के गेट नम्बर 11 के शिकारा स्टेण्ड से शिकारा में सवार हुए , सजे धजे शिकारा में बैठने के लिए नाव के बीच में गद्दे की तरह जगह बनी हुई थी और पीठ टिकाने के लिए मुलायम सिरहाना बना हुआ था ।

शिकारा में बैठने के बाद छप छप की आवाज के साथ झील में आगे बढ़ना शुरू कर दिया, झील के किनारे से दूर होते हुए एक गजब की खामोशी हो गयी, हवा किनारे के तुलना में और ठंडी हो गयी । झील में कतार में खड़े हाउसबोट के बीच में से एक रास्ता से होते हुए गोल्डन लेक पर पहुंचे, शिकारा वाले ने बताया की यहाँ पर सारे हाउसबोट फाइव स्टार श्रेणी के होटल है और कतार में गोल आकृति में झील में खड़े हुए है । गोल्डन लेक रंग बिरंगी रोशनियों में पानी में खड़े शिकारे एक अद्भुत द्रश्य उतपन्न कर रहे थे, मानो आकाश अपने सितारों सहित झील में उतर गया हो । यहाँ से आगे बढ़ते हुए पानी के एक गलियारे (दोनों तरफ हाउसबोट) से आगे निकलते हुए झील में हाउसबोटो पर बनी दुकानों के एक बड़े बाजार में पहुँच गये । इसे यहाँ का मीना बाजार के नाम से जानते है जो झील के बीच उथले पानी मे बना हुआ है । यहाँ से गुजरते हुए एक बारगी की अहसास हुआ की हम किसी बड़े शहर के बाजार से गुजर रहे हो, इसका वीडियो पोस्ट के अंत में दिया हुआ है ।

पानी के गलियारे पर दोनों पर हाउसबोट में बड़ी-बड़ी और आलिशान कपड़े, गलीचे, स्वेटर और गर्म शालो की दुकाने बनी हुई थी । ऐसी ही एक बड़ी दुकान पर शिकारे वाले ने शिकारा किनारे लगा दिया और बोला की आपको जो देखना और खरीदना हो खरीद लो, खैर हमे वैसे भी कुछ नहीं खरीदना था सो दुकान में अंदर जाकर कुछ सामान देखकर शिकारा में वापिस आ गये । वैसे ये सब दुकानदार इन्ही शिकारे वालो के द्वारा लाये के सैलानियों पर निर्भर रहते है और कमीशन भी इन्ही को दुकानदार से मिलता होगा । इस तरह आगे बढ़ते हुए बाजार के अंत तक पहुँच गये । यहाँ पर झील में तैरते हुए खेतन जर आये , इन बड़ी बड़ी घास उगी हुई थी और इन पर कुछ सब्जियों और फूलो की खेती की जाती है । अब यहाँ से शिकारा वाला हम लोग वापिस लेकर चल दिए और करीब आधा घंटे चलने के बाद वापिस झील के किनारे पर आ गये ।


रात का समय अधिक हो गया था सो खाना खाने डल गेट नबर चार के सामने एक दुकान पर चले गये । डल झील के सामने की अधिकतर खाने पीने दुकाने शाकाहारी है और स्वादिष्ट व्यजन भी परोसा जाता है । यहाँ पर रात्रि भोज निपटाकर कुछ देर वही के बाजार और फुटपाथ की दुकानों से कुछ खरीदारी की और वापिस होटल आ गये । अगले दिन हम लोगो को सुबह जल्द ही श्रीनगर से वापिस उधमपुर के लिए निकलना था, सो बिना समय गवांये  अपने अपने कमरों में आराम करने के लिए चले गये  ।


इस यात्रा लेख सम्बन्धित चित्रों का संकलन आप लोगो के प्रस्तुत है →

सोनमर्ग से लौटते समय के कुछ द्रश्य

सोनमर्ग से लौटते समय के कुछ द्रश्य

सोनमर्ग से लौटते समय के कुछ द्रश्य

माँ खीर भवानी मंदिर का मुख्य द्वार (Maa Kheer bhawani Temple )

माँ खीर भवानी मंदिर (Maa Kheer bhawani Temple )

माँ खीर भवानी मंदिर (Maa Kheer bhawani Temple )

माँ खीर भवानी मंदिर (Maa Kheer bhawani Temple )

माँ खीर भवानी में कुंड जहाँ माँ दुर्गा स्वरुप खीर भवानी की प्रतिमा स्थापित है
माँ खीर भवानीके मुख्य चबूतरे पर संगमरमर के सिंह

माँ खीर भवानी जी का पिंडी रूप में दर्शन

माँ खीर भवानी मंदिर में हनुमान जी का एक छोटा मंदिर
सजा धजा एक खूबसूरत शिकारा जो श्रीनगर की पहचान है

रौशनी में जगमगाता एक आलिशान हाउसबोट (Lighting in Houseboat)

रौशनी में जगमगाता एक आलिशान हाउसबोट (Lighting in Houseboat)

रौशनी में जगमगाता एक आलिशान हाउसबोट (Lighting in Houseboat)

झील के बीचो बीच हाउसबोटो पर बनी दुकाने (A Shop at Dal Lake on The houseboat)

झील के बीचो बीच हाउसबोटो पर बनी दुकाने (A Shop at Dal Lake on The houseboat)

रौशनी में जगमगाता एक आलिशान हाउसबोट (Lighting in Houseboat)

झील के बीचो बीच हाउसबोटो पर बनी दुकाने (A Shop at Dal Lake on The houseboat)

झील के बीचो बीच हाउसबोटो पर बनी दुकाने (A Shop at Dal Lake on The houseboat) मीना बाजार

झील के बीचो बीच हाउसबोटो पर बनी दुकाने (A Shop at Dal Lake on The houseboat)

HOTEL DAWN , SRINAGAR

"Shikara Ride in Night" रात के समय शिकारे में नौकायन का चलचित्र और मीना बाजार के नजारे

ये था हमारे कश्मीर यात्रा के छटवे दिन के दूसरे पहर के खीर भवानी और डल झील में शिकारे से नौकायन की यात्रा का लेखा जोखा, अब इस लेख को यही समाप्त करते है मिलते कश्मीर यात्रा के एक नये लेख श्रीनगर से वापिसी के साथ । आप लोगो यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का दिल से धन्यवाद  !
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कश्मीर यात्रा  श्रृंखला के लेखो की सूची : 

4. कुछ सुनहरे पल पहलगाम से, कश्मीर (Local Travel to Pahalgam - Kashmir..4)
5. पहलगाम से श्रीनगर, कश्मीर का यादगार सफर (Pahalgam to Srinagar - Kashmir..5)
6. हिमालय की गोद में बसे श्रीनगर, कश्मीर की सैर(Local Sight Seen to Srinagar, Kashmir.6)
7. गुलमर्ग - विश्वप्रसिद्ध पर्वतीय स्थल की सैर (Travel to Gulmarg, Kashmir...7)
8. श्रीनगर की सैर - कश्मीर (Local Tour to Srinagar, Kashmir... 8)
9. सोनमर्ग - जोजिला दर्रा से जीरो पॉइंट का सफर (Travel to Sonamarg, Zojila Pass, Kashmir....9)
10. कश्मीर का अद्भुत मंदिर माँ खीर भवानी (Kheer Bhawani Temple - Kashmir..10)
11. 11. कश्मीर का सुहाना सफर - अंतिम भाग ( Return from Kashmir via Road.. 11) 
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18 comments:

  1. शिकारा राइड @ नाईट के नजारे बहुत मस्त लगे....बढ़िया पोस्ट

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    Replies
    1. धन्यवाद प्रतीक भाई जी

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस - मृणाल सेन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. दर्शनीय स्थल है -प्रस्तुतीकरण भी तदनुरूप .

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    1. धन्यवाद प्रतिभा जी

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-05-2018) को "रोटी है तकदीर" (चर्चा अंक-2972) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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    1. आपका बहुत आभार आभार जी

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  5. बढ़िया पोस्ट रीतेश जी .एक बार मैं भी यहाँ जा चूका हूँ .यादें ताज़ा करवा दी .

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    1. धन्यवाद नरेश भाई जी .....

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  6. वाह खीर भवानी मंदिर के नाम से ही मालूम पड़ता है कि खीर का प्रसाद यहां मिलता होगा और भवानी से ही प्रतीत हो जाता है कि देवी दुर्गा का कोई मंदिर होगा। ऐसे ही खीर का प्रसाद हमें त्रिवेंद्रम में पद्मनाभ स्वामी मंदिर में मिला था। जितने भी मंदिर है हर जगह पता नहीं क्यों फोटोग्राफी बंद कर दिया है, शायद फोटो लेने के चक्कर में वहां भीड़ इकट्ठा न हो पाए इसलिए। कितना सुहाना लगता होगा न रात के समय झील में शिकारे पर पानी में छप-छप की आवाज। एक संगीत की तरह मालूम पड़ता होगा। वृत्तांत के साथ-साथ सभी फोटो नयनाभिराम और मनोहारी है ऐसा लगता है कि उड़ कर चलें जाएं पर संभव नहीं है।

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    Replies
    1. हर जगह मंदिरों के अपनी कहानी अलग अलग ही .... अलग रूप भी है प्रसाद के ..
      आपका ये अंदेशा सही हो सकता है फोटो प्रतिबंधित करने के मामले में ...
      पोस्ट पर टिप्पणी के लिए आपका शुक्रिया दिल से

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  7. बहुत ही सुन्दर वर्णन रितेश जी। अच्छा लगा।

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  8. बेहद सुन्दर दृश्य आपने देखाए है, हमे आप जैसे लोगो से प्रेरणा मिलती है|
    द्यान्यवाद|

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