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Friday, June 2, 2017

निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता ( Nipponzan Myohoji Buddhist Temple, Kolkata by Kishan Bahety)

 Guest Post Written by Kishan Bahety 

                                                              "बुद्धम् शरणम् गच्छामि"

ये मन्त्र एशिया के उन सभी देशो में आपको सुनने मिल जायेगा, जिसे दुनिया के उन्नत देशो में से एक माना जाता है, पर जिस देश से बौद्ध मन्त्र और धर्म की उत्पत्ति हुई है वही इसका सबसे पहले पतन भी हुआ । कुछ जगहों (बिहार का "गया") को छोड़कर ।  जिस बौद्ध की बाते हमारे पाठयक्रम में शामिल है वो बस किताबो तक ही सीमित रह गया है । भारत में बौद्ध धर्म का मुख्य स्थल या केंद्र बिन्दू  (Main Center) "गया" है, जहाँ भगवान गौतम बुद्ध का सबसे बड़ा मंदिर है । इसके अलावा भारत में कई मंदिर या स्तूप देखने को मिल जायेगे, तवांग से लेकर लद्दाख तक,  मनाली से लेकर राजगीर तक । जो हर जगह पर्यटको के लिए खास आकर्षक का केंद्र है ।  ऐसा एक बौद्ध मंदिर या स्तूप हमारे शहर कोलकाता में भी है, अफ़सोस इस पर बंगाल पर्यटन का कोई विशेष ध्यान न देने के कारण गुमनामी के अँधेरे में जा रहा है ।

Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )
कोलकाता जो हर धर्मावलंबीयो का केंद्र बिंदु रहा है पर शायद सरकार किसी खास मजहब के लोगो पर ही विशेष ध्यान दे रही है । इस कारण पर्यटक मंत्री अतीत की इस धरोहर को बंगाल पर्यटन से दूर रखकर इमामबाड़ा को ज्यादा प्रोहत्साहित करते है । खैर मेरे एक घुम्मकड़ मित्र प्रतिक गांधी (मुम्बई) से मुझे इस जगह के बारे में पता चला उनका ननिहाल यही पर है सो छुट्टियों में वो यहाँ आये थे । यहाँ के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ खास इसलिए की कोलकाता में रहने वाले 90 प्रतिशत लोगो शायद ही इस जगह के बारे में जानते हो । अपनी इस उत्सुकता को शांत करने, मै और घुमक्कड़ संदीप मन्ना तय रविवार को  सुबह 9 बजे यहाँ के लिए अपने घर से निकल पड़े । ये मंदिर या स्तूप कोलकाता के ढाकुरीया और लेक के करीब स्थित है । हम लोग संदीप मन्ना की बाइक से वहाँ गए थे । यहाँ आप एस्पलेनैड या BBD बाग से  गरियाहॉट ढाकुरिया (A.M.R.I हॉस्पिटल) वाली बस में आराम से जा सकते है । अगर आप कोलकाता दर्शन के लिए निकले है तो बिड़ला तारामंडल या विक्टोरिया देखने के बाद यहाँ जा सकते है, ये मंदिर इन जगह से करीब पड़ेगा ।

बातो बातो में मंदिर का नाम बताना तो भूल ही गया । चलिए नाम के साथ इसका परिचय भी पूरा कर देता हूँ । इस शांति स्तूप का नाम  बुद्ध धर्म गुरु या लामा " Nipponzan Myohoji" के नाम  से Nipponzan Myohoji Buddhist Temple जाना जाता है और ये मंदिर जापानी बुद्ध मंदिर के नाम से जाना जाता है । "Nipponzan Myohoji" जापान से यहाँ आकर देश की आजादी से पहले सन् 1935 में ये मंदिर बनाया । जो भारत का सबसे पुराना बौद्ध मंदिर भी माना जाता है । उसके बाद इन्होंने और इनके  बाद के लामाओ ने भारत में ऐसे ही 36 मंदिर बनाये । जिसका निर्माण 1933 में जुगल किशोर जी बिड़ला के सहयोग से चालू हुआ था । जापान में इनकी संस्था के हर प्रोविंस में मंदिर है ।  गौतम बुद्ध के राजगिरी  में तपस्या के दौरान बने  उनके जापानी शिष्य निचेरन ने बुद्ध के विचारो से  NA-MU-,MYO-HO-REN-GE-KYO ("ना मू मयो हो रेन गे क्यो") का मूल मन्त्र के रूप में  सबको दिया । जिसे बुद्ध धर्म का मूल मन्त्र या सिद्ध लोटस  मन्त्र सूत्र  भी माना जाता है । ये मन्त्र आपको हर बुद्ध मंदिर के बाहर या अंदर देखने को मिल जायेगा ।

लामा निप्पोनजन जी का गांधी जी से अच्छे सम्बन्ध थे, शांति प्रचारक होने के कारण इन्होने द्वितीय विश्व युद्ध का बड़ा विरोध किया, निप्पोनजन का सन् 1985 में निधन हो गया था ।इस मंदिर के अंदर बुद्ध की प्रतिमा के साथ इनकी प्रतिमा देखने को मिल जायेगी । कालान्तर में ये मंदिर बड़ी जीर्ण छिन अवस्था में पहुँच गया था पर तत्कालीन लामा के देखरेख में इसे फिर से नवीनीकृत किया गया । इसमें पश्चिमी बंगाल सरकार ने कोई सहयोग नहीं किया इन्होंने ही सबसे एकत्रित करके ये मंदिर का उद्धार कार्य किया । मंदिर की का बाहरी आकर्षक उसका सफ़ेद कमल फूल की तरह की बनावट है । मंदिर के अंदर प्रतिमा से लेकर बाकि सभी पूजा सम्बंधित वस्तुए के सुनहरे रंग आकर्षित करते है । मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम 5 बजे के लगभग आरती होती है जो देखने लायक होती है । यूँ तो इस मंदिर को कम लोग जानते है इसलिए यहाँ भीड़ न का बराबर होती है पर बुद्ध पूर्णिमा के दिन यहाँ अच्छी खासी भीड़ मिल जायेगी ।

एक विशेष खासियत जो इसे अन्य मंदिरो से अलग करता है वो ये की मंदिर बंद होने के बाद भी विशेष आग्रह पर दर्शनार्थीओ के लिए खोला जाता है और भगवान नाराज भी नहीं होते । वैसे मंदिर सुबह 5 बजे  12 बजे तक और शाम 3 बजे से 7 बजे तक खुला रहता है । यहाँ हमे लामा तो नहीं मिले पर एक  बंगाली बाबू मिले जो अभी नए नए  बुद्ध सन्यासी बने थे  ।इन्होंने इस मंदिर के बारे में सम्पूर्ण सप्रेम जानकारी दी और बुद्ध पूर्णिमा के दिन मंदिर आने का न्यौता भी दिया ।


मानचित्र के हिसाब से मंदिर की स्थिति

चलिए अब देखते इस सुन्दर स्थल को चित्रों की जुबानी →

Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Nipponzan Myohoji (निप्पोंज़न मायोजी )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

Inside Nipponzan Myohoji (Japanese) Buddhist Temple, Kolkata (अन्दर से निप्पोंज़न मायोजी बुद्ध मंदिर, कोलकाता )

चलिए उपरोक्त जानकारी के साथ कोलकाता के इस छुपे हुए जापानी बुद्ध मंदिर के बारे में इस लेख का समापन यही करता हूँ । जल्द ही आपके समक्ष  अगले  भाग में आप लोगो को ले चलेंगे कोलकाता कुछ और स्थलों की सैर पर । इसी के साथ आप सभी बहुत बहुत धन्यवाद  ।
(C) किसन बाहेती, कोलकाता

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9 comments:

  1. सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी।

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  2. Replies
    1. धन्यवाद
      कमल भाई

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  3. बढ़िया और नवीन जानकारी । वैसे गया में भी भारतीय बौद्ध नही है । बोधगया में अधिकांश बौद्ध विदेशी ही है ।

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    1. विदेशी लोग हमारे सुविचार ग्रहण कर रहे और हम उनके कुविचार ।
      यही कारण बौद्ध धर्म उत्पत्ति के देश में ही उसकी कोई क़द्र नहीं

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  4. आपकी इस यात्रा से में उस दिन की याद कर बैठा...धन्यवाद किशन जी

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  5. बुद्धम शरणम गच्छामि।

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  6. ऐसी ही हु-ब-हू एक मंदिर राजगीर (बिहार ) में भी है, फोटो भी वैसे ही है, फोटो देखकर लगता कि हम राजगीर में है और विवरण पढ़कर कोलकाता का अहसास

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