Written By Ritesh Gupta
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क्लिक कीजिये । मूलतः सम्पूर्ण कश्मीर में प्राकृतिक सुदंरता चारो तरफ बिखरी पड़ी हुई है - पर कहते है की गुलमर्ग उनमे से सबसे सुन्दर जगहों में से एक मन जाता है । गुलमर्ग मुख्यतः दो शब्दों के मेल से बना है, गुल अर्थात "फूल" और मर्ग मतलब "मैदान" इस हिसाब से गुलमर्ग को फूलो की मैदान माना गया है । वैसे गुलमर्ग में प्राकृतिक सुन्दरता चहुँ और बिखरी पड़ी हुई, हरी घास का एक बड़ा मैदान, हिमान्छिदित पहाड़ियां, मोहक वातावरण, शुद्ध जलवायु । चलिए कश्मीर यात्रा श्रंखला की इस भाग में आपको लिए चलते है गुलमर्ग की सैर पर :-
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गुलमर्ग के मुख्य हरे भरे मैदान की एक छोटी से पहाड़ी पर एक मंदिर ( A Shiv Temple at Gulmarg Green Field) |
यात्रा पांचवा दिन (27 जून ) पहला पहर
आज के दिन गुलमर्ग जाने के लिए हम सभी लोग जल्दी उठ गये थे, नित्य कर्म से निवर्त होकर सभी लोग तैयार हो गये, गाड़ी वाले को भी आने के लिए फोन कर दिया । एक करके सभी लोग हाउसबोट से एक शिकारे के द्वारा डल झील के किनारे वाली सड़क पर आ गये । तब तक गाड़ी की प्रतीक्षा में कुछ फोटोग्राफी भी डल झील के आसपास की गयी । सुबह के समय के यहाँ के नजारे बेहद खूबसूरत थे, सूर्यदेव भी पहाड़ी के पीछे से अवतरित हो रहे थे, दूर बर्फ से ढकी गुलमर्ग पहाड़ियां (ये हमे शिकारे वाले ने बताया था की जो दूर पहाड़ियां नजर आ रही है वो ही गुलमर्ग है ) प्रभात वेला में सूर्य के प्रकाश से सिंदुरी आभा लिए हुई थी और मौसम भी शानदार और ठंडा था । वैसे पहले से योजना के अनुसार हमे आज के दिन सोनमर्ग जाना था, पर मुकेश भालसे और उनके परिवार की ईच्छा थी की पहले गुलमर्ग जाये क्योकि उनके पास आज ही का दिन था घूमने के लिए और अगले दिन उन्हें वापिस जम्मू जाना था, सो इस कारण से पहले गुलमर्ग ही घूमने के लिए चुना गया ।
कुछ देर की प्रतीक्षा के बाद गाड़ी डल गेट न. 4 के पास आ गयी और उसमे सभी लोगो के बैठ जाने के बाद सुबह के सात बजे के आसपास गुलमर्ग के लिए चल दिए । डल से आगे हम लोग श्रीनगर की सुबह के समय वीरान सड़क से होते हुए गुजर रहे थे, शहर अभी सोया हुआ था और हम लोग चुपके से गुलमर्ग की तरफ चले जा रहे थे । सुबह से किसी ने नाश्ता नही किया था सो एक जगह पर अच्छा सा रेस्तरा देखकर गाड़ी वाले ने रोक दिया । चाय, ब्रेड और आलू के परांठो से सुबह का नाश्ता करके पेट की भूंख को कुछ हद तक शांत किया गया और बच्चे लोग तो बच्चे ही है उन्हें तो चाय और ब्रेड से जायदा चिप्स और कोल्डड्रिंक पसंद है सो उनका भी ध्यान रखा गया । नाश्ता करने के बाद फिर से यात्रा को बिना देरी किया फिर से विधिवत रूप से सुचारू रखा गया । एक जगह रास्ते में खिलनमर्ग के पास हमारी गाड़ी को एक पुलिस वालो ने चेकिंग के लिए रोक दिया, ड्राइवर ने अपनी गाड़ी के सारे कागज चेक करवाए और पूर्णत संतुष्टि के बाद ही गाड़ी को आगे जाने दिया ।
गुलमर्ग के बारे में : (Gulmarg "Meadow of Flowers")
गुलमर्ग जम्मू कश्मीर राज्य का बारामुला जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटक स्थल है । पश्चिमी हिमालय के पीरपंजाल पर्वत श्रेणी के अंतर्गत अफरावत पर्वत के साये में स्थित गुलमर्ग की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग 2700 मीटर है । गुलमर्ग राज्य की राजधानी श्रीनगर से करीब 55 किमि० की दूरी पर स्थित है, गुलमर्ग तक आने के श्रीनगर से टैक्सी और प्राइवेट बसे आसानी से उपलब्ध हो जाती है । गुलमर्ग का पहले असली नाम "गौरीमर्ग" था जो एक गडरिये ने हिन्दू देवी पार्वती के नाम पर रखा था पर बाद में सोलहवी शताब्दी में सुल्तान युसूफ शाह ने इस जगह का नाम बदल गुलमर्ग (मतलब फूलो का मैदान) रख दिया । मुगल बादशाह जहाँगीर भी गुलमर्ग से जंगली फूलो की 21 प्रजातियों को अपने बाग के लिए ले गये थे । उन्नीसवी शताब्दी में अंग्रेजो के शासनकाल मैदानों के गर्मी से बचने के लिए अंग्रेज भी गर्मियों में गुलमर्ग आये और उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए यहाँ पर गोल्फ कोर्स का विकास किया, वर्तमान में गुलमर्ग स्थित गोल्फ कोर्स विश्व में समुंद्र सतह से सबसे ऊंचाई बना गोल्फ कोर्स है । गुलमर्ग में पर्वतों के साये प्रकृति निर्मित बहुत बड़ा घास का बड़ा ढलान युक्त मैदान है जिसे बुग्याल भी कह सकते है । सर्दियों में इस मैदान में जब बर्फ पड़ती है तो नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है, इन ढलानों पर सर्दियों का मुख्य खेल स्किंईग की जाती है और सिखाई भी जाती है ।
गुलमर्ग में एशिया में सबसे ऊंचाई पर बना गंडोला (Cable Car) भी है, इस गंडोले को कश्मीर सरकार और एक फ्रेंच कम्पनी ने मिलकर बनाया है । गुलमर्ग का ये गंडोला दो (Phase 1 और Phase 2) भाग में गुलमर्ग के पर्वत की सैर करवाता है । पहले भाग (Phase 1) में धरातल से शुरुआत करके 2.5 किमि० की दूरी तय करके ये कौंगडोर (समुंद्र तल से ऊंचाई 3068 मीटर ) नाम की जगह पर पहुंचता है, दूसरे भाग (Phase 2) में ये कौंगडोर से 2.5 किमि० की दूरी तय करके अफरात स्टेशन (समुंद्र तल से ऊंचाई 3948 मीटर ) तक पहुंचता है । अफरात स्टेशन से दूर तक के बर्फ से ढके हिमालय पर्वत दर्शन हो जाते है और अक्सर इस स्टेशन पर गर्मियों में बर्फ भी मिल जाती है । अधिकतर पर्यटक दोनोंभाग में इस जगह की यात्रा करना पसंद करता है । गंडोला के पहले भाग किराया रूपये 700 प्रति व्यक्ति और दूसरे भाग का किराया 900 रूपये प्रति व्यक्ति है । इस गंडोले का तीसरा भाग भी है जिसने चेयर कार से कौंगडोर से मैरी सोल्जर (एक पहाड़ी) की ऊंचाई तक जाया जाता है, इसमें दस साल से छोटे बच्चे को जाने के अनुमति नही है, किराया 250 प्रति व्यक्ति है । इस गंडोले की टिकिट ऑनलाइन भी बुक करवाई जा सकती है साईट का पता है →
http://gulmarggondola.com/
गुलमर्ग पर्वतीय पर्यटक स्थल पर आसपास काफी घूमने की काफी जगह है ।
गुलमर्ग गंडोला (Gulmarg Gandola) से
अफरावत पर्वत (Aphrawat Peak) तक की ऊंचाई पर पहुँचकर वहां से दिखने वाले मनोरम नजारों का आनंद ले सकते है, अधिकतर इतनी ऊँचाई पर बर्फ मिल जाती है । अफरावत पर्वत की चोटी पर से ही कुछ दूरी का ट्रेक करके
अलपत्थर झील (Alpather Lake) को घूमा जा सकता है । गुलमर्ग में 18 छेद वाला
गोल्फ कोर्स पार्क (Gulmarg Golf Course) है, जिसकी सैर जा सकती है । गुलमर्ग से 10 कीमी के आसपास एक पर्वतीय
निग्गली नल्लाह (Ningle Nallah) यहाँ के मुख्य स्थलों में से एक है अफरावत पर्वत की पिघली बर्फ इस नल्लाह में बहती है जो जंगलो और पर्वतों के प्रष्ठभूमि में बहुत खूबसूरत नजर आती है ।
ऑटर सर्कल वाक (Outer Circle Walk) में आप गुलमर्ग की 11 किमि० लम्बे इस ट्रेक का आनंद लिया जा सकता है और इस वाक पर कश्मीर की वादियों की सैर के साथ साथ 8500 मीटर ऊँची विश्व की सबसे ऊँची चौथी पहाडी "नंगा पर्वत" को देखा जा सकता है ।
चलते है अपने यात्रा वृतांत की तरफ, गाड़ी चेक करवाने के बाद हम लोग अपनी मंजिल के तरफ अग्रसर रहे , अब तक हम लोग लगभग मैदानी इलाके में सफर कर रहे थे पर तंगमर्ग नाम की जगह से आगे गुलमर्ग के पहाड़ियों का घुमावदार रास्ता शुरू हो गया, इन पहाड़ियों पर हर मोड़ पर कुछ ऊँचाई पर भारतीय सिपाही सड़क सुरक्षा में तैनात थे, हर आने - जाने वाले की गतिविधियों में निगरानी कर रहे थे । आतंकवाद बाहुल क्षेत्र होने के कारण यहाँ पर इतनी चाक -चौकस सुरक्षा का प्रबंध भारतीय सेना के द्वारा किया जा रहा था । खैर हम लोग भी इस यात्रा में खूबसूरत द्रश्य का आनंद लेते रहे और चलते रहे अपनी मंजिल की तरफ । गुलमर्ग से पहले एक मोड़ पर एक बड़ा ही खूबसूरत द्रश्य दिखाई दिया, ये एक व्यू पॉइंट था जहाँ से गुलमर्ग के पीछे की बर्फ से ढकी पहाड़िया नजर आ रही थी । इस जगह पर वापिसी में रुकने का सोच कर बिना रुके हम लोग कुछ देर में ही लगभग सुबह के साढ़े नौ बजे गुलमर्ग पहुँच गये ।
कश्मीर का प्रमुख पर्यटक स्थल होने के कारण गुलमर्ग में सड़क एक तरफ के किनारे पर काफी अच्छी जैसे कई प्रकार के होटल, रेस्तरा, शाकाहारी भोजनालय, स्थानीय वस्तुओ की दुकाने, शौचालय आदि व्यवस्थाये थी । सड़क की दूसरी तरफ अफरात पर्वत के साये काफी बड़े भूभाग में हरा भरा घास का पहाड़ी ढलान युक्त और कही समतल मैदान था जो एक नजर से हम लोगो को आकर्षित कर रहा था । मेरे ख्याल से मैदान बीच दूर एक होटल भी नजर आ रहा था जो शायद बड़े बजट के होटल हो सकते है । इस समय यहाँ का मौसम चमकीली धूप होने के वावजूद भी कभी ठंडा था, यदा-कदा सैलानी अपने सैर सपाटा वाले अंदाज में विचरण कर रहे थे । मैदानी भूभाग में विचरण हेतु खच्चरों की अच्छी व्यवस्था थी, पर उनके मल से फैली दुर्गन्ध भी चारो तरफ व्याप्त थी । गाडी वाले में गाडी को एक पार्किंग में न लगाकर कुछ आगे जाकर सड़क किनारे खड़ा कर दिया । हम लोग भी गाड़ी से उतर के गुलमर्ग सैर को निकल लिए ।
सबसे पहले हम सभी लोग अपने अपने हिसाब तरोताजा हुए और एकत्रित होकर उस हरे भरे मैदानी इलाके में चल दिए । तभी कुछ खच्चर वालो ने हमे घेर लिया की चलो आपको इन खच्चरों से इस जगह की सैर करवाते है पर हम लोगो में से कोई भी राजी नहीं, वैसे पैसे की पूछा तो उनका मूल्य भी काफी अधिक था । खैर हम लोग इस झमेले से निकल कर आगे बढ़ते रहे और मैदानी इलाके में एक छोटी पहाड़ी पर लाल रंग एक मंदिर नजर आया । यह वोही मंदिर था जहाँ पर राजेश खन्ना और मुमताज अभिनीत आप की कसम फिल्म का "जय जय शिव शंकर" गीत का फिल्माकन हुआ था । मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी, हम सभी लोग मंदिर पहुँच गये, भगवान भोलेनाथ के दर्शन किये फिर उसके बाद आसपास के शानदार नजारों का आनंद लिया । मंदिर से मैदान और दूर बर्फ से ढके हुए अरफात पर्वत मनोहारी द्रश्य नजर आ रहा । सामने इसी पर्वत पर धरातल से चोटी तक का गुलमर्ग गंडोला भी नजर आ रहा था । सभी लोगो का विविध तरीको से फोटो सेशन शुरू हो गया, काफी देर यहाँ से नजारों को निहारते रहे, कुछ देर बाद ही मैदान में हजारो की संख्या में मैदान में भेड़ो का झुण्ड आ गया घास चरने के लिए । हम लोगो ने इतने संख्या में भेड़ो को पहली बार देखा था । खैर मंदिर से दर्शन करने के पश्चात नीचे उतर आये और साथ के कुछ लोगो को गुलमर्ग शायद ज्यादा पसंद नही आया था सो वापिस चलने कहने लगे की अब श्रीनगर में डल झील में जाकर शिकारे की सैर करनी है । खैर कुछ देर और यहाँ पर समय बिताने की सोचकर सभी लोग इधर उधर विचरण करने लगे । महिलाये और बच्चा पार्टी खरीदारी में व्यस्त हो गये । कई लोगो ने अपने और बच्चो के लिये सस्ते में जैकेट खरीद ली, खरीदारी के बाद बच्चो को अल्पाहार की व्यवस्ता की गयी ।
कुछ समय यहाँ पर और व्यतीत किया और वापिसी के लिए गाड़ी की तरफ चल दिए, हमारी गाड़ी का चालक बोला इतनी जल्दी घूम लिए, हमने कहा की बस कुछ लोगो को शायद ये जगह पसंद नहीं आ रही है सो आधे दिन का समय अभी बचा हुआ है सो सभी लोग पौने बारह बजे के आसपास वापिस चल दिए । रास्ते में कुछ देर उसी व्यू पॉइंट पर भी रुके जो गुलमर्ग आते समय रास्ते में दिखाई दिया था । यहाँ पर एक दुकान कम रेस्तरा था, कुछ देर यही से हरियाली घाटी और बर्फ से ढकी पहाड़ी द्रश्य का आनंद लिया गया ।
कुछ समय बाद अपनी यात्रा को जारी रखा, जन हम लोग तंगमर्ग नाम की जगह के पास से गुजर रहे थे तब सड़क किनारे फल की दुकान नजर आई, एक ऐसी ही दुकान पर रुक गये । वो फलवाला पहाड़ी फल जैसे स्ट्राबेरी, चेरी, खुमानी, सेब, केसर आदि बेच रहा था । उसने कहा की चलिए आपको अपना बाग़ - बगीचा दिखाते है पर उसे दिखाने के प्रति व्यक्ति रूपये 20/- लगेगे । हमने कहा ये जयादा है तो उसने कहा चलो दस रूपये प्रति व्यक्ति दे देना और बच्चो का कुछ नहीं । फिर हम लोग उसका बाग़ देखने चल दिए , छोटे-छोटे पेड़ो पर कच्चे सेब लटक रहे थे , ग्रुप के किसी बच्चे ने सेब तोड़ लिए तो वो बहुत नाराज होने लगा और बच्चो पर चिल्ला दिया, बच्चे गुस्सा होकर गाड़ी में चले गये तो हमने कहा ये क्या तरीका चिल्लाने का । जब उसने माफ़ी तब हम बच्चो के साथ उसका बगीचा अंदर से देखने चल दिए । अंदर ही उसकी एक बड़ी दुकान भी थी जहाँ पर फलो के साथ पहाड़ी औषधि केसर, बादाम, अखरोट, काजू आदि बेचीं जा रही थी । अंदर से उसका बगीचा काफी बड़ा था हम लोगो ने विभिन्न पहाड़ी फलो के पेड़ और फूलो के पौधे देखे जो हमने कभी नही देखे थे । पेड़ पर लटकती चेरी और सेब के पेड़ देखे और स्ट्राबेरी का पौधा देखा और खाए भी । अंत में उसकी बगीचे वाली दुकान पर आ गये कुछ लोगो ने बादाम और केसर भी ख़रीदे । अंत में उसके प्रवेश शुल्क का भुगतान करने के बाद हम लोग वपिस श्रीनगर की तरफ चल दिए । रास्ते में कश्मीर रेलवे रेल लाइन भी एक जगह से जाती हुई नजर आई , पहाड़ी क्षेत्र में रेलवे लाइन बड़ी सुन्दर नगर आती है ।
इस यात्रा लेख सम्बन्धित चित्रों का संकलन आप लोगो के प्रस्तुत है →
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डल झील से सुबह के समय नजर आती गुलमर्ग की पहाड़िया (At Morning Time From Dal Lake) |
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पर्वत के उस पार से सूर्य का आगमन (Sun Rise seen from Dal lake) |
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सुबह के समय डल झील (Dal lake in Morning Time) |
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डल झील में रंगीन शोभा बिखेरते शिकारे (Shikaare at Dal Lake) |
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सुबह के समय डल झील के बाहर की सड़क का नजारा (Road beside Dal lake) |
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कश्मीर की सुन्दरता को चार चाँद लगाती डलझील (Beautiful Dal Lake) |
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एक चित्र मेरा भी डल झील के किनारे से (Its me at Dal Lake Side) |
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डल झील के पास से बर्फीले पहाड़ का द्रश्य |
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गुलमर्ग को जाते समय सुबह के समय श्रीनगर के रास्ते और बाजार (On The Way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग के रास्ते दिखाई देती कश्मीर की खूबसूरती (On The Way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग के रास्ते बीच में एक कस्बे का नजारा (On The Way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग जाते समय रास्ते से दिखाई देती कश्मीर की खूबसूरती (On The Way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग का हरा भरा मैदानी क्षेत्र, इसे एक तरह से बुग्याल भी कह सकते है (Green Field of Gulmarg) |
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गुलमर्ग से नजर आता अफरात पर्वत (Afraat Mountain at Gulmarg) |
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गुलमर्ग से नजर आता अफरात पर्वतऔर गुलमर्ग का नजारा (Gulmarg Town) |
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गुलमर्ग से नजर आता अफरात पर्वत (Afraat Mountain at Gulmarg ) |
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गुलमर्ग से दूसरी तरफ नजर आता एक और बर्फ से ढका पर्वत (Another Side from Gulmarg) |
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गुलमर्ग के अफरात पर्वतपर बना गंडोला (Gulmarg Gandola ) |
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गुलमर्ग की खूबसूरती हरे भरे ढलानों में (Gulmarg Green Field ) |
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गुलमर्ग की खूबसूरती हरे भरे ढलानों में (Gulmarg Green Field ) |
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गुलमर्ग की खूबसूरती हरे भरे ढलानों मेंचरती हुई भेड़े (Grazing Sheep at Gulmarg Field) |
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गुलमर्ग की खूबसूरती हरे भरे ढलानों में (Gulmarg Green Field ) |
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गुलमर्ग की खूबसूरती हरे भरे ढलानों में (Gulmarg Green Field ) |
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दूसरी तरफ से गुलमर्ग का बसा हुआ क्षेत्र (Gulmarg Town ) |
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दूसरी तरफ से गुलमर्ग का बसा हुआ क्षेत्र (Gulmarg Town) |
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अफरात पर्वत के साये गुलमर्ग की खूबसूरती हरे भरे ढलानों में (Gulmarg Green Field ) |
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ढलानों पर ऊँचाई बना शिव का खूबसूरत मंदिर (A Shiv temple at Gulmarg) |
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गुलमर्ग में गर्म कपड़ो की एक स्थानीय दूकान (Warm Cloths Shop at Gulmarg) |
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गुलमर्ग वापिसी के समय रास्ते एक व्यू पॉइंट (A View Point on the way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग वापिसी के समय रास्ते एक व्यू पॉइंट (A View Point on the way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग वापिसी के समय रास्ते एक व्यू पॉइंट से द्रश्य (A View Point on the way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग वापिसी के समय रास्ते एक व्यू पॉइंट से द्रश्य (A View Point on the way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग वापिसी के समय रास्ते एक व्यू पॉइंट से द्रश्य (A View Point on the way to Gulmarg) |
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गुलमर्ग वापिसी के समय रास्ते एक व्यू पॉइंट से द्रश्य (A View Point on the way to Gulmarg) |
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वापिसी के समय एक बाग़ में फूल का चित्र (Picture from fruit Garden on the way to Gulmarg) |
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वापिसी के समय एक बाग़ में चेरी का चित्र (Picture from fruit Garden on the way to Gulmarg) |
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वापिसी के समय एक बाग़ में फूल का चित्र (Picture from fruit Garden on the way to Gulmarg) |
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वापिसी के समय एक बाग़ में सेव का चित्र (Picture from fruit Garden on the way to Gulmarg) |
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वापिसी के समय एक बाग़ में फूल का चित्र (Picture from fruit Garden on the way to Gulmarg) |
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रास्ते में एक जगह से नजर आती कश्मीर रेलवे की लाइन (Kashmir Railway Line on the way to Srinagar) |
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झेलम नदी श्रीनगर में प्रवेश करते समय (Jhelam river ) |
ये थे हमारे कश्मीर यात्रा के पांचवे दिन के पहले पहर के यात्रा का लेखा जोखा, अब इस लेख को यही समाप्त करते है मिलते कश्मीर यात्रा के एक नये लेख साथ और सैर पर चलेंगे श्रीनगर की विश्व प्रसिद्ध "मुगल गार्डन" की यात्रा पर । आप लोगो यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का दिल से धन्यवाद !
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कश्मीर यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
4.
कुछ सुनहरे पल पहलगाम से, कश्मीर (Local Travel to Pahalgam - Kashmir..4)
5. पहलगाम से श्रीनगर, कश्मीर का यादगार सफर (Pahalgam to Srinagar - Kashmir..5)
6.
हिमालय की गोद में बसे श्रीनगर, कश्मीर की सैर(Local Sight Seen to Srinagar, Kashmir.6)
बढ़िया जानकारी युक्त पोस्ट और सुन्दर फोटो । खासकर सुबह वाले फोटो मस्त आये हैं ।
ReplyDeleteधन्यवाद कौशिक जी ... दिलसे
Deleteगुलमर्ग की यात्रा बढ़िया वृतान्त ।
ReplyDeleteपरंतु गुलमर्ग से इतनी जल्दी लौट आये ?
धन्यवाद मुकेश पाण्डेय जी दिलसे .
Deleteजी हाँ..जल्दी आ गये | क्योकि साथ के कुछ लोगो को गुलमर्ग अधिक अच्छा नहीं लगा और उन लोगों डल झील में शिकारे की सैर भी करनी थी इसलिए
गुलमर्ग जाने की इच्छा हमारी भी बरसों से है, लेकिन जब भी मूड बनता है, कश्मीर में कुछ न कुछ कांड हो ही जाता है। कश्मीर रेलवे भी आकर्षित करता है।
ReplyDeleteक्या ऐसे समय मे परिवार के साथ जाना सुरक्षित रहेगा?
इच्छा को दिल में न दबाइए जरुर कश्मीर जाइए |
Deleteमेरे हिसाब से पूर्णत सुरक्षित है कश्मीर की यात्रा करना ...हमारे देश के वीर जवान हमेशा सहायतार्थ हमेशा उपलब्ध रहते है |
आपका दिल से आभार ...
ReplyDeleteआपका आभार जी दिल से
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट। गुलमर्ग मतलब फूलो का मैदान, जब मै गया था तब बर्फ ही बर्फ थी लेकिन आपके समय मे हरियाली ही हरियाली,,, मजा आया पढ कर व फोटो बहुत ही सुंदर लगे।
ReplyDeleteधन्यावद सचिन भाई जी.... सच कहा हरियाली में अलग ही नशा है पहाड़ो का
Deleteपुरे साल भर बाद ।हम तो तरस गए थे कश्मीर दासता सुनने को
ReplyDeleteअब लिख दिया न बुआ जी...
Deleteअब इस लेख के बारे में भी तो कुछ कह दीजिये.
कैमरे में कैद कर लिया आपने इस खूबसूरती को ... बहुत लाजवाब ...चित्रों ने इस गर्मी के मौसम में कुछ पल की राहत दे दी...अति सुंदर
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद भास्कर जी....
Deleteaap arafat parvat tak nahi gaye...foto bahut khoobsurat hai
ReplyDeleteनहीं जा पाए अराफत तक अपने ही कारणों से .....
Deleteधन्यवाद टिप्पणी के लिए
khubsoorat pictures aur lajawab vivran
ReplyDeleteधन्यवाद अभयानंद जी .
Deleteसुन्दर तस्वीरें. रोचक विवरण. बच्चों को डाँटना सही था लेकिन वो काम अभिवावकों का था. उसे चिल्लाना नहीं चाहिए था. लेकिन अक्सर अभिभावक ऐसा नहीं करते हैं. मैं कई यात्राओं पे गया हूँ जहाँ बच्चे हुड़दंग मचाते रहते हैं और अभिभावक अपने में मस्त रहते हैं. अक्सर परेशानी दूसरों को होती है जो बेचारे शिष्टाचारवश सब सहते रहते हैं.
ReplyDeleteधन्यवाद विकास जी ...
Deleteआपकी बात सही है...अभिभावकों का अपने बच्चो पर नियंत्रण होना चाहिए जिससे दुसरो का नुकसान न हो...
पर कुछ बच्चे अज्ञानतावश गलती क्र देते है...तो उन्हें समझाना अभिभावकों का काम है ...
धन्यवाद आपके विचारो के लिए
रितेश जी ,
ReplyDeleteफोटोग्राफी जबरदस्त कि हे आपने ....
भेंडे वली फोटो सबसे ज्यादा पसंद आयि..
आपका बहुत बहुत धन्यवाद उत्साहबर्धक टिप्पणी के लिए.
Deleteaaj maine is post ko dubara padha
ReplyDeleteदुबारा कैसा लगा .....
Deletebhed vala photo best hai is post ka...
ReplyDeleteधन्यवाद ....मुझे भी अच्छा लगा था तभी फोटो लिया
Deleteभाई कश्मीर नहीं जन्नत है बस मेरा तो यह मानना है 1 साल में 10 दिन कश्मीर के नाम के होने चाहिए सच में बहुत खूबसूरत जगह है
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने..... शानदार जगह है कश्मीर
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