श्रीनगर - इस श्रंखला को प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिये । "कितनी खूबसूरत से तश्वीर है, मौसम बेमिसाल बेनजीर है, ये कश्मीर है, ये कश्मीर है, पर्वतो के दर्मिया है, जन्नतो के दर्मिया, आज के दिन हम यहाँ है, ये कश्मीर है, ये कश्मीर है " बेमिसाल फिल्म का ये गीत की लाइने कश्मीर पर सटीक बैठती है । कश्मीर की प्राकृतिक सुदंरता और स्वच्छ आवोहवा के कारण एक समय पर यहाँ पर काफी भारतीय फिल्मो का निर्माण यहाँ पर हुआ था, पर जब से आतंकवाद काली छाया इस घाटी में पड़ी तब से हिंदी सिनेमा ने इस जगह से अपने मुख मोड़ लिया । खैर कश्मीर यात्रा वृतांत के इस अगले लेख में आपको मैं स्थानीय श्रीनगर की मनमोहक जगहों से परिचय करवाऊंगा , तो लीजिये चलते है श्रीनगर की सैर पर :-
कश्मीर की सुन्दरता को चार चाँद लगाती श्रीनगर की डल झील ( Dal Lake at Srinagar. Kashmir )
यात्रा चौथा दिन (26 जून ) दूसरा पहर
श्रीनगर "जम्मू और कश्मीर" राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी है । श्रीनगर, कश्मीर घाटी में झेलम नदी के किनारे और डल झील के इर्द गिर्द बसा ये शहर समुद्र सतह से करीब 1590 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है । कश्मीर घाटी के पहाड़ो के मध्य ये शहर काफी बड़े मैदानी इलाके में बसा हुआ एक बड़े मैदानी शहर जैसा ही है । भारत के प्रमुख नगरो - जम्मू से श्रीनगर की दूरी 290 किमि०, लेह से 434 किमि०, कारगिल से 204 किमि०, दिल्ली से 838 किमि०, आगरा से 1038 किमि०, कोलकाता से 2334 किमि०, इंदौर से 1750 किमि० लगभग है । श्रीनगर भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जो जम्मू से सीधा एक सड़क मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग NH-1A) से जुड़ा हुआ, लगभग आधे से जायदा रास्ता पहाड़ी है और यहाँ पर पहुँचने ले लिए विभिन्न प्रकार की वाहन सुविधा जम्मू से आसानी से उपलब्ध है । श्रीनगर का अपना एक हवाई अड्डा भी है, जो सीधा जम्मू और दिल्ली हवाई अड्डे जुड़ा हुआ है, प्रतिदिन हवाई सेवा इन शहरों से यहाँ के लिए उपलब्ध है । अब तो कश्मीर रेलवे ने कश्मीर में रेलवे का विकास कर लिया है फ़िलहाल अभी भारत के अन्य शहरों से उधमपुर और कटरा तक रेल सुविधा उपलब्ध है उसके बाद बनिहाल से बारामुला तक । अभी कटरा से बनिहाल रेल लाईन निर्माणाधीन है , जल्द ही इसके पूरे होते ही शेष भारत "जम्मू और कश्मीर" के जम्मू होते हुए उधमपुर - कटरा - बनिहाल - कजीगुड - अनंतनाग - अवन्तिपुरा - श्रीनगर - बडगाम - बारामुला तक सीधे तौर पर रेललाईन से जुड़ जायेगा । जैसा की श्रीनगर एक प्राकृतिक पर्यटक शहर के साथ-साथ एक एतिहासिक शहर भी है, क्योकि यहाँ पर कई मुगलकालीन बागो के साथ-साथ एतिहासिक मंदिर और मस्जिदे भी मौजूद है ।
डल झील : - डल झील (Dal lake) श्रीनगर शहर का मुख्य आकर्षण है, ये कश्मीर की स्वच्छ पानी की वुलर झील के बाद दूसरी सबसे बड़ी झील है । करीब 21 किमि० परिक्षेत्र में फैली हुई ये झील तीनो तरफ से जबारवान पहाड़ी श्रृंखला से घिरी हुई है । इस झील में पानी की आपूर्ति इन्ही पहाड़ियों से बहते श्रोतो से आता है, बरसातो में पानी की अधिक मात्रा हो जाने पर अत्यधिक पानी को झेलम नदी में बहा दिया जाता है । इस झील की गहराई करीब 8 फिट से लेकर 20 फिट तक है । श्रीनगर की डल झील में एक छोटा शहर भी पनपता है, झील के बीच में टापू नुमा जमीन और झील में हाउसबोट के रूप में रहने के लिए बढ़िया होटल और घर बने हुए है, इनके बीच पानी की गलियां है, जिनमे अवागामन शिकारा (एक छोटी लम्बी सी नाव ) के द्वारा किया जाता है । जमीन की तरह आलिशान दुकाने (मुख्यतः स्थानीय कारीगरी का सामान जैसे गर्म कपड़े, शाल और कश्मीरी वस्त्र ) बनी हुई है । छोटे छोटे रेस्तरा भी है और नावो पर फेरी लगाकर सामान बेचा जाता है । झील में विशेष प्रकार (सब्जी और फूल ) से खेती भी की जाती है । कही कही झील में टापू पर बगीचे बने हुए जैसे चार चिनार और नेहरु पार्क । एक प्रकार से कह सकते है ये झील यहाँ की लोगो के रोजमर्रा की जरूरते काफी हद तक पूरा करती है । अत्यधिक सर्दियों में कही कही ये झील जम भी जाती है ।
ये बाते हुयी श्रीनगर और डल झील के बारे में अब चलते है अपने यात्रा वृतांत की तरफ । हाउसबोट से आकर हम लोग डल गेट न. 4 के पास अपनी गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगे । सड़क से ही झील और उसके आसपास की फोटोग्राफी की जाने लगी तभी हमारी गाड़ी आ गयी और सभी लोग उसमे सवार होकर सबसे पहले श्रीनगर के सबसे प्रसिद्ध मंदिर "शंकराचार्य मंदिर" (Shankracharya Temple) के दर्शन के चल दिए । डल झील की किनारे वाली सड़क को बुलेवार्ड रोड (Bouleward Road) के नाम से जाना जाता है, इस रास्ते पर करीब एक किमि० चलने के बाद शंकराचार्य पर्वत जाने का रास्ता दाई तरफ आता है, पर यहाँ पर चेक पोस्ट पर सघन चेकिंग के बाद ही आगे जाने दिया जाता है, सभी लोगो को गाड़ी से उतार कर पूरी गाड़ी की चेकिंग करने के बाद ही आगे जाने दिया गया । सघनवन क्षेत्र के बीच पहाड़ी रास्ते से करीब सात किमि० की दूरी तय करते हुए हम लोग मंदिर के आधार स्थल तक पहुँच गये । आगे जाने से पहले यहाँ पर प्रति व्यक्ति की चेकिंग पुलिस के द्वारा की गयी और किसी प्रकार का सामान आगे नहीं ले जाने दिया गया, मतलब कैमरा, मोबाइल, पर्स कुछ भी नही और इन्हें नीचे रखने की व्यवस्था भी कोई नही थी , खैर दो लो नीचे ही रुक गये सारा सामान लेकर । इस चेक पोस्ट आगे करीब 100 सीढ़ियों (दम फुलाने वाली) चढ़ने बाद हम लोग शंकराचार्य मंदिर पहुँच गये । मौसम की बात करे तो हम लोगो अनुकूल ही था सो जायदा समस्या उत्त्पन्नन हुई ।ऊपर जाकर सबसे पहले भर पेट पानी पिया और भगवान के दर्शन किये ।
ये मंदिर डल झील के नेहरु पार्क सामने शंकराचार्य पर्वत की चोटी पर समुद्रतल से 1850 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है । भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर बेहद खूबसूरत नजर आता है ।, ये कश्मीर घाटी के सबसे प्राचीन मंदिरों (करीब दौ सौ साल पुराना) में से एक है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक है । माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादत्य ने 371 ई.पू. में करवाया था और मंदिर तक जाने वाली सीढ़ियों का निर्माण डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने करवाया था । इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुन्दर है उस निर्माण शैली प्रभावित करती है । गर्भ गृह में अराध्य भगवान शिव का विशाल शिवलिंग विराजमान है जो एक नजर में सम्मोहित करता प्रतीत होता है । ऊंचाई पर होने के कारण सम्पूर्ण श्रीनगर का भव्य और सुन्दर रूप नजर आता है । मंदिर के पास ही आदि गुरु शंकराचार्य की एक गुफा भी है जहाँ पर गुरु में तप किया था ।
बारी बारी से कुछ देर में हम लोग मंदिर में भगवान आशुतोष के दर्शन करने और शंकराचार्य गुफा के दर्शन करने के पश्चात् वापिस चल दिए । लौटते हुए रास्ते में एक व्यू पॉइंट पर भी रुके जहाँ से श्रीनगर और झेलम नदी नजर आ रही थी, यही पर फोटोग्राफी भी की गयी । दूर नीचे तलहटी में झेलम नदी केकिनारे बने हुए घर बड़े खूबसूरत नजर आ रहे थे । यहाँ से निकलने की बाद हमे नहीं पता था की अब हम कहाँ जाने वाले है , वो तो हमे हमारा गाड़ी का ड्राइवर अपने हिसाब से घूमा रहा था । हम लोग वापिस डल झील की किनारे वाली सड़क पर आ गये, झील के किनारे चलते हुए बड़े ही खूबसूरत नज़ारे दिख रहे थे और कही-कही में फुव्वारे में चल रहे थे । चलते- चलते एक चलचित्र (Video) बनाया है जो आपको नीचे मिल जाएगा ।
यहाँ से कुछ देर चलने के बाद फिर दांये मुड़ गये । कुछ देर में हम लोग यहाँ के एक और प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर "ज्येष्ठा देवी मंदिर" (Zestha Devi Temple) पहुँच गये । डल झील से कुछ दूरी पर ये मंदिर शांत और सुन्दर वातावरण बड़े क्षेत्र में व्यवस्थित है । ये मंदिर माँ जेष्ठा देवी जी को समर्पित है, कहते है माँ जेष्ठा देवी जी उत्त्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी । मुख्य मंदिर में माता जी प्रतिमा एक छोटे से कुंड के ऊपर एक छोटे से मंदिर में स्थापित की गयी है । मंदिर में आगंतुको और श्रद्धालुओ को रहने के लिए कमरों की व्यवस्था भी है जिसे ऑनलाइन साईट से बुक किया जा सकता है । माँ ज्येष्ठा देवी जी के दर्शन के पश्चात मंदिर परिसर के खूबसूरत फूलो और फलो के बाग-बगीचों के बीच से ऊपर के तरफ चलते हुए एक भगवान शिवजी का मंदिर है , जिसमे एक बड़ा शिवलिंग विराजमान है । यहाँ के दर्शन के दर्शन के बाद कुछ ऊपर चलते हुए एक मंदिरऔर है जिसमे माँ एक बड़े शिला के रूप में विराजमान है, एक बड़े शिला पर सिंदूर लगा हुआ था और कुछ सिक्के भी चिपके हुए थे । माँ ज्येष्ठा देवी जी के दर्शन लाभ करने के पश्चात , हम लोग मंदिर से बाहर आ गये और अपने अगले पड़ाव चलने के लिए गाड़ी में सवार हो गये ।
कुछ मिनट की पहाड़ी यात्रा के बाद हम लोग अब "परी महल" (Pari Mahal) पहुँच गये । पार्किंग में गाड़ी को खड़ा करने के बाद गाड़ी का पार्किंग शुल्क की रसीद ली और परी महल प्रवेश करने हेतु प्रवेश शुल्क (Entry Fess) प्रति व्यक्ति से टिकिट ली । परी महल एक छह मंजिल एक एतिहासिक ईमारत है जिसके आगे एक बाग़-बगीचे प्रत्येक मंजिल विकसित है । परी महल को परियो के घर के रूप में भी जाना जाता है, कहते है कभी यहाँ पर असमान से परियां उतर के आती थी । सत्रहवी शताब्दी में परी महल को मुगल बादशाह के बड़े पुत्र दारा शिकोह ने बनवाया था । दारा शिकोह ने सूफी मुल्ला शाह बदाख्शी के सम्मान में यहाँ पर एक बौद्ध मठ का भी निर्माण करवाया था जो इस समय खंडहर का रूप के चुका है । परी महल डल झील के दक्षिण पश्चिम में जबरावान पर्वत श्रंखला की ऊंचाई पर बना हुआ है । इसके निर्माण शैली की बात करे तो पुरानी ईमारत के सामने एक घास का मैंदान और चारो तरफ बगीचे फिर इसी तरह से ईमारत के बगल से ऊपर जाने की सीढ़ियाँ और इस ईमारत की छत पर फिर वैसा की घास का मैदान और बगीचा इसी तरह से छह मंजिल तक बना हुआ है । इस महल और बाग परिसर की लम्बाई 122 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है । परी महल के बागो के लिए पानी की आपूर्ति पहाड़ो से बहकर आये छोटे-छोटे झरनों से होती है । यहाँ के बगीचे में विभिन्न प्रकार के फूलो और फलो के पेड़ लगे हुए है । परी महल से झील और शहर के आसपास का बड़ा ही मनोरम नजारा दिखाई देता जिसे शायद ही कोई भुला सके ।
परी में महल देखने में हम लोगो को शाम के पौने आठ बज चुके थे खैर यहाँ से जल्द ही हम लोग चल दिए और परी महल से कुछ दूर नीचे उतरने के बाद गाड़ी से कुछ मिनट में ही हम लोग "चश्मे शाही" (Chashme Shahi) बाग़ पहुँच । रात घिरने को आई थी और संध्याकलिन धुधलिका चारो और छाने लगी थी, सूर्य भी अपनी विश्राम अवस्था में जाने को आतुर था और मौसम काफी ठंडा हो गया था । सो जल्द ही हम सभी लोग बाग के अंदर सीढ़ियों से जाने लगे तो सामने की टिकिट खिड़की से आवाज आई "भाई साहब, टिकिट तो लेते जाइए" । सभी लोग अंदर जा चुके थे, सबसे अंत में मैं ही था सो सभी की टिकिट (दस रूपये प्रति व्यक्ति) लेकर "चश्मे शाही बाग़" में प्रवेश किया ।
"चश्मे शाही बाग" एक मुगलकालीन बाग़ है, जिसे मुगल बादशाह शाहजहाँ के समय में बादशाह के बड़े पुत्र "दारा शिकोह" के लिए बादशाह के आदेश पर मुगल मंत्री "अली मरदान खान" ने सन 1632 में पहाड़ी की जमीन से फूटे एक प्राकृतिक झरने के इर्द गिर्द इसका शाही बाग़ निर्माण करवाया था । इस झरने का पानी प्राकर्तिक रूप से शुद्ध और मिनरल वाटर जैसा है । कहते है - इस झरने का पानी के पीने से सुपाच्य बढ़ता है और पेट के रोगों को दूर करता है । मुगल काल में इसे शाही झरने का नाम दिया गया था और इसके पानी का उपयोग केवल मुगल बादशाहों के लिए किया जाता था । जबरावान पर्वत के साये करीब एक एकड़ जमीन में निर्मित इस शाही बाग़ की लम्बाई 108 मीटर और चौड़ाई 38 मीटर है । श्रीनगर में मुगलों द्वारा निर्मित तीन मुग़ल बागो में ये सबसे छोटा बाग़ है, सबसे बड़ा बाग़ यहाँ का निशात बाग (मुग़ल गार्डन) है और दूसरा बड़ा बाग़ शालीमार बाग़ है, जो कि डल झील के किनारे बने हुए है ।
जब हम लोगों ने बाग़ में प्रवेश किया तब संध्याकालीन धुधलिका में बाग़ की रंगीन लाईटे जल चुकी थी, सम्पूर्ण बाग़ रंग बिरंगी रौशनी से नहा चुका था । ऊपर की तरफ चलते हुए बाग़ के बीच में चश्मे शाही का झरना पत्थर से निर्मित निर्माण और छोटे कुंड केमध्य बह रहा था । सबसे ऊपर पहुँचने पर हम लोग उस जगह पर पहुंचे जहाँ से ये झरना निकल रहा था , इस झरने को इस मुगल शैली में निर्मित पत्थर से ढका गया था । खैर हम लोगो ने वही से बहते झरने का पानी पिया, पानी वाकई में मीठा और सुद्ध था । ऊपर आते समय ड्राइवर में हमे एक बोतल भी दी थी झरने का पानी ऊपर से भरकर मेरे लिए लेते आना सो उसकी बोतल को भरी फिर वापिस चल दिए नीचे की तरफ ।
लगभग अँधेरा हो चुका था सो आज को हम लोगो ने यही विराम दिया और वापिस अपने डल गेट न. 4 पर पहुँच गये । ड्राइवर से कह दिया की कल जल्द ही सुबह गुलमर्ग चलना है सो ड्राइवर शर्मा जी भी आराम गाड़ी लेकर अपनी पार्किंग में चले गए । रात के सवा आठ बज रहे थे, झील में एक कतार में खड़े हाउसबोटों कि लाईटे जल चुकी थी, ऐसा लग रहा था कि झील में जुगनू उतर गए, नजारा बड़ा ही दिल को लुभाने वाला था, दूसरी तरफ झील की सड़क किनारे का बाजार जगमग हो चुका था । सड़क और बाजार में पर्यटकों कि काफी भीड़ यहाँ वहाँ अपने में मस्त समय पास कर रहे थे । हम लोग कुछ देर बाजार कि कुछ दुकाने में समान देखने व्यस्त रहे उसके बाद झील के किनारे बैठकर ठंडी हवा और झील लुभावने द्रश्यो का आनंद लिया । रात के सवा नौ बज चुके थे और अब तो पेटपूजा का भी समय हो चुका था । सो अपने हाउसबोट के सामने वाली सड़क के गेट न० चार के सामने के एक रेस्तरा से रात्रि भोजन लुत्फ़ लिया गया । रात्रि भोजन के पश्चात अब समय था आराम का और उसके लिए हमे शिकारा से हाउसबोट पर भी जाना था सो हाउसबोट के मालिक को फोन करके शिकारा मंगवाया गया । कुछ देर में शिकारा आ भी गया और हम सब लोग हाउसबोट पर पहुँचने के बाद दोनों हाउसबोटो के अपने-अपने कमरे में एक दूसरे को शुभरात्रि बोलते हुए आराम करने चल दिए ।
आज का दिन घूमने के हिसाब से हमे समय कम ही मिला, क्योंकि पहलगाम से श्रीनगर आने में जाम के वजह से ही काफी समय व्यतीत हो गया था और दोपहर तक श्रीनगर पहुँचे थे । हम लोग शाम के समय ही श्रीनगर घूमने निकल सके थे, जिसमे हम लोग केवल चार जगह ही घूम सके खैर जितना भी घूमे हमे उतना ही श्रीनगर अच्छा लगा । दोपहर के समय मौसम में गर्माहट थी पर संध्याकाल का समय और रात ठंडी थी । जिस रेस्तरा से रात के समय हमने खाना खाया था वो पूर्णत शाकाहारी था और भोजन भी स्वादिष्ट था ।
इस यात्रा लेख सम्बन्धित चित्रों का संकलन आप लोगो के प्रस्तुत है →
शंकराचार्य मंदिर पर चेकिंग पॉइंट, यही से आगे सीढ़ियाँ शुरू हो जाती है (Shankracharya Temple, Srinagar)
शंकराचार्य मंदिर का एक बोर्ड (Shankracharya Temple, Srinagar)
शंकराचार्य मंदिर कि पार्किंग से लिया एक श्रीनगर का चित्र (View from Shankracharya Temple Parking)
मंदिर के रास्ते एक व्यू पॉइंट से झेलम नदी और शहर का नजारा (A View from view point on the way to Temple)
मंदिर के रास्ते एक व्यू पॉइंट से शहर का नजारा (A View from view point on the way to Temple)
मंदिर के रास्ते एक व्यू पॉइंट से झेलम नदी और शहर का नजारा (A View from view point onthe way to Temple)
मंदिर के रास्ते एक व्यू पॉइंट (A View Point on the way to Temple, Srinagar)
डल झील, श्रीनगर (Dal Lake, Srinagar)
डल झील, श्रीनगर (Dal Lake, Srinagar)
डल झील, श्रीनगर (Dal Lake, Srinagar)
डल झील में चलते फव्वारे, श्रीनगर (Artificial Fountain in Dal Lake, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर का रास्ता, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
वंदनीय माँ ज्येष्ठा देवी जी, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
एक फूल का चित्र ज्येष्ठा देवी मंदिर के बगीचे से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
शिव मंदिर - ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
एक फूल का चित्र ज्येष्ठा देवी मंदिर के बगीचे से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
एक चित्र सेव के पेड़ से, ज्येष्ठा देवी मंदिर के बगीचे से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
एक फूल का चित्र ज्येष्ठा देवी मंदिर के बगीचे से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
एक फूल का चित्र ज्येष्ठा देवी मंदिर के बगीचे से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
एक फूल का चित्र ज्येष्ठा देवी मंदिर के बगीचे से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर के परिसर का चित्र ऊपर से, श्रीनगर (Zestha Devi Temple Cpmplex, Srinagar)
ज्येष्ठा देवी मंदिर जाने क मुख्य रास्ता, श्रीनगर (Entry Gate, Zestha Devi Temple, Srinagar)
संध्याकालीन डल झील क खूबसूरत नजारा, श्रीनगर (A Beautiful View of Dal Lake, Srinagar)
परी महल , श्रीनगर (Pari Mahal, Srinagar)
एक बड़ा फूल, परी महल, श्रीनगर (Pari Mahal, Srinagar)
परी महल से डल झील का दूर तक का नजारा, श्रीनगर (A View from Pari Mahal, Srinagar)
दूर दिखाई देता चार चिनार टापू परी महल से (Pari Mahal, Srinagar)
परी महल से दूर तक का नजारा, श्रीनगर (A View from Pari Mahal, Srinagar)
परी महल से डल झील का दूर तक का नजारा, श्रीनगर (A View from Pari Mahal, Srinagar)
परी महल से नीचे क गार्डन का नजारा, श्रीनगर (A View from Pari Mahal, Srinagar)
परी महल का नजारा, श्रीनगर (Pari Mahal, Srinagar)
एक सफेद बड़ा फूल, परी महल, श्रीनगर (Pari Mahal, Srinagar)
परी महल का बाग, श्रीनगर (A Garden Area of Pari Mahal, Srinagar)
परी महल का मुख्य प्रवेश द्वार और पार्किंग, श्रीनगर (Entrance Gate of Pari Mahal, Srinagar)
चश्मे शाही बाग का प्रवेश द्वार (Entrance Gate of "Chashme Shahi Garden)
चश्मे शाही बाग का प्रवेश द्वार (Entrance Gate of "Chashme Shahi Garden)
चश्मे शाही बाग, श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
चश्मे शाही बाग, श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
चश्मे शाही बाग, श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
चश्मे शाही बाग, श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
चश्मे शाही बाग, श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
चश्मे शाही बाग वो शाही सुद्ध पानी का चश्मा , श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
चश्मे शाही बाग, श्रीनगर ("Chashme Shahi Garden" Srinagar)
रात के समय झील में कतार खड़े जगमगाते हाउसबोट (Houseboat in the Lake)
रात के समय झील में कतार खड़े जगमगाते हाउसबोट (Houseboat in the Lake)
रात के समय झील में कतार खड़े जगमगाते हाउसबोट (Houseboat in the Lake)
एक आर्टिफिशियल ज्वैलरी की स्थानीय दुकान से एक चित्र
हाउसबोट का एक छत का फानूस, श्रीनगर
हाउसबोट से सड़क क नजारा (A View from Houseboat, Srinagar)
ये थे हमारे कश्मीर यात्रा के चौथे दिन कि यात्रा का लेखा जोखा, अब इस लेख को यही समाप्त करते है मिलते कश्मीर यात्रा के एक नये लेख साथ और सैर पर चलेंगे विश्व प्रसिद्ध "गुलमर्ग" Gulmarg की यात्रा पर । आप लोगो यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का दिल से धन्यवाद !
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ कश्मीर यात्रा श्रृंखला के लेखो की सूची :
रितेश जी पहले तो आपका आभार जो आपने अपनी श्रीनगर यात्रा की पोस्ट हम लोगो के साथ शेयर की। शंकराचार्य मन्दिर डल झील की सामने वाली पहाडी पर दिॆॆॆखता है, मै नही जा पाया था। आपने श्रीनगर की सैर करा दी। मजा आ गया, फोटो देखकर ताज़गी का अहसास हुआ। अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।
ब्लॉग पोस्ट पर आपके सुझावों और टिप्पणियों का सदैव स्वागत है | आपकी टिप्पणी हमारे लिए उत्साहबर्धन का काम करती है | कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी से लेख की समीक्षा कीजिये |
रितेश जी पहले तो आपका आभार जो आपने अपनी श्रीनगर यात्रा की पोस्ट हम लोगो के साथ शेयर की। शंकराचार्य मन्दिर डल झील की सामने वाली पहाडी पर दिॆॆॆखता है, मै नही जा पाया था।
ReplyDeleteआपने श्रीनगर की सैर करा दी। मजा आ गया, फोटो देखकर ताज़गी का अहसास हुआ।
अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।
धन्यवाद सचिन त्यागी जी .......
Deleteश्रीनगर के फोटो जब भी देखो एक ताजगी अहसास होता है |
मुझे मेरी श्रीनगर की यात्रा याद आ गई बढ़िया फोटो
ReplyDeleteधन्यवाद विनोद भाई
Deleteढेर सारे खूबसूरत चित्रों से सजी एक शानदार पोस्ट .
ReplyDeleteधन्यवाद नरेश जी ......
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/02/8.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी......
DeleteLovely pics!
ReplyDeleteThanks a Lot
Deleteकश्मीर तो कश्मीर ही हुआ, इसकी तारीफ में बोलने को शब्द नहीं हैं मेरे पास। यहाँ घरों की छत में लाल रंग की प्रधानता लग रही है।
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी .... आपके विचार अच्छे लगे...
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आना हुआ रितेश जी ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें
ReplyDeleteचश्मे शाही बाग,और डल झील,के फोटो देखकर वाकई ताज़गी का अहसास हुआ रितेश जी
प्रणाम संजय भास्कर जी.... |
Deleteटिप्पणी की जरिये आपकी प्रेरणा मिलती रहे सदा ....
धन्यवाद जी
वाह वाह !
ReplyDeleteखूबसूरत कश्मीर , खूबसूरत श्रीनगर!
दिल से लिखी इस पोस्ट दिल से सराहना ।
#घुमक्कड़ी_दिल_से
धन्यवाद पाण्डेय दिल से
Deleteबहुत सुंदर दिल से.......
ReplyDeleteधन्यवाद अनिल जी दिल से
Deleteइन छुट्टियों में मेरा भी कश्मीर जाने का प्रोग्राम है। आपने बहुत ही खूबसूरती से विस्तृत तरीके से लेख लिखा है। इससे बहुत आसानी हो गयी।
ReplyDeleteधन्यवाद जी
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