Written by → Ritesh Gupta
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा नैनीताल शहर के यात्रा के बारे में । अब इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आप लोगो के चलते है, रामनगर गाँव, आमला, बरेली में स्थित श्री अहिक्षेत्र पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ क्षेत्र दिगम्बर जैन मंदिर (श्री अहिच्छत्र ) के यात्रा वृतांत पर ।
नैनीताल से वापिसी के बाद शाम के साढ़े सात बजे के आसपास भीमताल स्थित होटल ताल पैराडाईज पहुँचने के बाद कमरे में आराम किया । साढ़े आठ बजे के आसपास होटल के रेस्टोरेंट से रात के खाने के बुलावा आ गया । खाना कल की तरह बुफे तरीके से होटल के पूर्व नियोजित मेन्यू के हिसाब से रेस्तरा में लगाया गया था, खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चल दिए । अगले दिन सुबह नींद जल्दी ही खुल गयी, कमरे की बालकनी से भीमताल और उसके पीछे के पहाड़ी से सूर्योदय का शानदार नजारा सम्मोहित कर रहा था, और प्रात काल के वेला में झील का नजारा बड़ा ही सुन्दर लग रहा था । सामने के पहाड़ों के मध्य से आती मंत्रो की ध्वनि मन को पुलकित कर रही थी, शायद यह आवाज यहाँ पर बसे ओशो के आश्रम से आ रही थी । खैर आज हमारी यहाँ से वापिसी थी, सो अपनी दैनिक कार्य-कलापों से निपट कर होटल के रेस्तरा से नाश्ता करके वापिस जाने के लिए तैयार हो गए ।
नैनीताल से वापिसी के बाद शाम के साढ़े सात बजे के आसपास भीमताल स्थित होटल ताल पैराडाईज पहुँचने के बाद कमरे में आराम किया । साढ़े आठ बजे के आसपास होटल के रेस्टोरेंट से रात के खाने के बुलावा आ गया । खाना कल की तरह बुफे तरीके से होटल के पूर्व नियोजित मेन्यू के हिसाब से रेस्तरा में लगाया गया था, खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चल दिए । अगले दिन सुबह नींद जल्दी ही खुल गयी, कमरे की बालकनी से भीमताल और उसके पीछे के पहाड़ी से सूर्योदय का शानदार नजारा सम्मोहित कर रहा था, और प्रात काल के वेला में झील का नजारा बड़ा ही सुन्दर लग रहा था । सामने के पहाड़ों के मध्य से आती मंत्रो की ध्वनि मन को पुलकित कर रही थी, शायद यह आवाज यहाँ पर बसे ओशो के आश्रम से आ रही थी । खैर आज हमारी यहाँ से वापिसी थी, सो अपनी दैनिक कार्य-कलापों से निपट कर होटल के रेस्तरा से नाश्ता करके वापिस जाने के लिए तैयार हो गए ।
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श्री अहिक्षेत्र पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ क्षेत्र दिगम्बर जैन मंदिर, रामनगर गाँव, आमला, बरेली (Parshvnath Jain Temple, Amla) |