Written By→ Ritesh Gupta
" कुछ पल आगरा से " श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आपको आगरा के एत्माद्दौला (बेबी ताज) के बारे वर्णन किया था । अब इसी श्रृंखला के अग्रसर करते हुए आज के इस लेख में आपको लिए चलते है, आगरा के एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल " अकबर का मकबरा (सिकन्दरा) Akbar Tomb " की सैर पर .......
" कुछ पल आगरा से " श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आपको आगरा के एत्माद्दौला (बेबी ताज) के बारे वर्णन किया था । अब इसी श्रृंखला के अग्रसर करते हुए आज के इस लेख में आपको लिए चलते है, आगरा के एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल " अकबर का मकबरा (सिकन्दरा) Akbar Tomb " की सैर पर .......
ऐतिहासिक शहर होने के कारण आगरा में जगह-जगह मुगलकालीन उत्कृष्ट कृतियों के दर्शन होना आम बात है । इन्ही में से एक है "अकबर का मकबरा" जो राष्ट्रिय राजमार्ग के सिकन्दरा नाम की जगह गुजरते हुए हमेशा से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है । मुगलकालीन वास्तुशिल्प से अलंकृत मुगल साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध बादशाह अकबर का मकबरा; आगरा का तीसरा सबसे बड़ा पर्यटक स्थल है, जो आगरा के सिकन्दरा नामक स्थान पर राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2 Agra to Mathura ) पर स्थित है।
देश मुख्य राजमार्ग पर स्थित होने के कारण इस स्मारक पर आगरा के अन्य स्मारको/रेलवे स्टेशनो या बस स्नाथको से स्थानीय वाहनो (रिक्शा, टैम्पो, बस) द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है ।
1. NH-2 (राष्ट्रीय राजमार्ग-2) दिल्ली की तरफ से आगरा आते हुए अंतराज्जीय बस स्नाथक (ISBT) से पांच किलोमीटर पहले सिकन्दरा नाम (नवीन सब्जी मंडी के पास ) की जगह पर स्थित इस स्मारक पर पहुँच सकते है ।
2. यमुना एक्सप्रेसवे या कानपुर की तरफ से आने NH-2 से होते हुए की आगरा के वाटर वर्क्स चौराहा (स्मारक की दूरी →10 किमी० ), अंतराज्जीय बस स्नाथक (ISBT) से होते हुए दिल्ली की तरफ चलते हुए इस स्मारक पर पहुँच सकते है ।
3. बिजलीघर चौराहे / ताजमहल या लाल किले से जीवनी मंडी चौराहा, वाटर वर्क्स से NH-2 से दिल्ली की तरफ चलते हुए हुए इस स्मारक पर पहुँच सकते है ।
4. आगरा कैंट/राजा मंडी रेलवे स्टेशन से महात्मा गाँधी मार्ग (M.G. Road) से भगवान टाकीज चौराहे से NH-2 के अंतराज्जीय बस स्नाथक (ISBT) से होते हुए दिल्ली की तरफ चलते हुए इस स्मारक पर पहुँच सकते है ।
स्मारक के प्रवेश द्वार के समीप ही गाड़ियों को विराम अवस्था में रखने के लिए काफी बड़ी साफ सुधरी पार्किंग (Parking) बनी हुई है, जहाँ पर अपने निजी वाहनों से आने वालो को काफी सहूलियत मिलती है । स्मारक में प्रवेश करने से पहले टिकिट लेना आवश्यक जो स्मारक के लाल पत्थर के दरवाजे (ENTRY GATE) के पास टिकिट काउंटर से प्राप्त हो जाती है । यहाँ पर भारतीय सैलानियों के लिए टिकिट दर प्रति व्यक्ति मात्र दस रूपये (INR 10.00) है, और पन्द्रह साल तक के बच्चो के लिए नि:शुल्क प्रवेश है । विदेशी सैलानियों के लिए टिकिट दर 110.00 (INR 110.00) रूपये है । स्मारक भ्रमण का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक का है ।
अपने शासनकाल में ही मुग़ल बादशाह अकबर ने अपने लिए एक मकबरा बनाने का निर्णय लिया और इसको बनाने का निर्माण कार्य सन 1605 से शुरू कर दिया था पर अपने जीते जी वो इसे पूरा न कर सका । बादशाह के इंतकाल के बाद उनके बेटे जाहांगीर से इसका निर्माण सन 1613 में पूर्ण करा दिया था, इस तरह से यह मकबरा मजदूरो और शिल्पियों के अथक परिश्रम बाद के आठ साल में पूर्ण हो पाया था । सम्राट अकबर का यह मकबरा उनके दूरदर्शिता और धर्मनिरपेक्षता का प्रतिनिधित्व करता है, इसी वजह से इस मकबरे पर हिंदू , इस्लामिक, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मो की वास्तुशिल्प निर्माण शैली की छाप देखने को मिल जाती है । इस मकबरे का निर्माण लाल बलुआ, संगमरमर और रंगीन पत्थरो से किया गया है, इसमें प्रयुक्त संगमरमर में बेहद ही खूबसूरत नक्काशी की गई है और इसे विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे आभूषणों से सजाया गया है ।
सिकन्दरा स्थित यह मकबरा 119 एकड़ भूभाग में फैला हुआ है । ऊँची दीवारों से घिरे बड़े भूभाग में बागों और घास के पार्क के मध्य (चार बाग आधार) यह मकबरा एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है । अकबर का मकबरा 105 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र पर बना हुआ है और इसके निर्माण में परिशुद्धता के लिए कम्पास का सहारा लिया गया था । इस मकबरे की मुख्य खासियत इसका राजमार्ग की तरफ का दरवाजा, जो राजमार्ग से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है । जिसे बुलंद दरवाजा भी कहा जाता है । इसी दरवाजे से शुरू होकर एक चौड़ा रास्ता मुख्य मकबरे तक जाता है । यह दरवाजा एक मेहराब पर बना हुआ है और इसमें संगमरमर से चार मीनारें बनी हुई हैं । इस बुलंद दरवाजे का अवलोकन करते हुए लाल पत्थर के एक चौड़े रास्ते से दोनो तरफ के बाग, हरी घास के मैदान और उनमे स्वछंद विचरण करते हिरनो को देखते हुए मुख्य स्मारक की ईमारत पर पहुँच जाते है, जहाँ बादशाह अकबर की कब्र स्थापित है । मुख्य स्मारक की ईमारत लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित है । बागों के मध्य स्थित इस स्मारक का आकार चारों तरफ से एक समान है और चारों तरफ एक चौड़ा रास्ता चारों तरफ के दरवाजो तक जाता है । ईमारत के उपर बड़ी संख्या में चौकोर संगमरमर से छतरिया बनी हुई । एक द्रष्टि में ही पांच मजिला स्मारक की बनावट और वास्तु शिल्पकला लोगो को अपने आप आकर्षित और सम्मोहित कर देती है ।
सिकन्दरा स्थित यह मकबरा 119 एकड़ भूभाग में फैला हुआ है । ऊँची दीवारों से घिरे बड़े भूभाग में बागों और घास के पार्क के मध्य (चार बाग आधार) यह मकबरा एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है । अकबर का मकबरा 105 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र पर बना हुआ है और इसके निर्माण में परिशुद्धता के लिए कम्पास का सहारा लिया गया था । इस मकबरे की मुख्य खासियत इसका राजमार्ग की तरफ का दरवाजा, जो राजमार्ग से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है । जिसे बुलंद दरवाजा भी कहा जाता है । इसी दरवाजे से शुरू होकर एक चौड़ा रास्ता मुख्य मकबरे तक जाता है । यह दरवाजा एक मेहराब पर बना हुआ है और इसमें संगमरमर से चार मीनारें बनी हुई हैं । इस बुलंद दरवाजे का अवलोकन करते हुए लाल पत्थर के एक चौड़े रास्ते से दोनो तरफ के बाग, हरी घास के मैदान और उनमे स्वछंद विचरण करते हिरनो को देखते हुए मुख्य स्मारक की ईमारत पर पहुँच जाते है, जहाँ बादशाह अकबर की कब्र स्थापित है । मुख्य स्मारक की ईमारत लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित है । बागों के मध्य स्थित इस स्मारक का आकार चारों तरफ से एक समान है और चारों तरफ एक चौड़ा रास्ता चारों तरफ के दरवाजो तक जाता है । ईमारत के उपर बड़ी संख्या में चौकोर संगमरमर से छतरिया बनी हुई । एक द्रष्टि में ही पांच मजिला स्मारक की बनावट और वास्तु शिल्पकला लोगो को अपने आप आकर्षित और सम्मोहित कर देती है ।
चबूतरे से हरे-भरे घास के पार्क और बीच-बीच में लगे पेड़ बड़े ही सुंदर नजर आते है । हरे -भरे इन घास के पार्क में भूरे और काले रंग हिरनो का एक छोटा अभ्यारण को बसाया गया । इन पार्को के मध्य उन्हें विचरण करते और घास चरते हुए देखने का एक अपना ही सुखद अनुभव है । किसी भी सैलानियों को इन पार्क में घूमने और हिरनो को कुछ खिलाने की या उन्हें परेशान करने इजाजत नहीं है । स्मारक क्षेत्र में काफी संख्या में बत्तख और लंगूर (Black Face Monkey) भी घूमते हुये मिल जाते है । जो सैलानियों के द्वारा दिए जाने वाले खाने के लिए स्मारक के मुख्य रास्ते पर आ जाते है ।
अकबर का मकबरा, सिकन्दरा , आगरा ( Akbar Tomb, Sikandra ,Agra) |
अकबर का मकबरा, सिकन्दरा , आगरा ( Akbar Tomb, Sikandra ,Agra) |
अकबर का मकबरा, सिकन्दरा , आगरा ( Akbar Tomb, Sikandra ,Agra) |
राजमार्ग से नजर आने वाला मुख्य चार मिनार्र वाला (बुलंद) दरवाजा (Main Gate of Akbar Tomb from NH-2) |
मुख्य कब्र स्मारक का लाल पत्थर और संगमरमर की कारीगरी से प्रयुक्त दरवाजा (Akbar Tomb, Sikndra, Agra ) |
चबूतरे से नजर आता हरी घास का पार्क और बाग (Akbar Tomb, Sikanadra Agra ) |
पार्क में विचरण करते हिरन (DEAR in Park at Akbar Tomb, Sikanadra Agra ) |
चलिए अब आगरा के अकबर के मकबरे (सिकन्दरा)की हमारी सैर यही समाप्त करते है । आगरा के इसी श्रृंखला में अगले लेख में आप सभी ले चलेंगे आगरा के किसी नए और मनोरंजक/ एतिहासिक स्थल पर ....तब तक के लिए नमस्कार और पढ़ने के लिए आप सभी बंधुओ को धन्यवाद !
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Table of Contents → कुछ पल आगरा से श्रृंखला के लेखो की सूची :
2. ताजमहल (TAJMAHAL) → विश्व की एक खास धरोहर (कुछ पल आगरा से ......2)
3. लालकिला (Red Fort, Agra) → आगरा की एक और विश्व धरोहर (कुछ पल आगरा से ......3)
4. एत्माद्दौला, आगरा → Itmad-ud-Daulah (Baby Taj), Agra ( कुछ पल आगरा से....... 4 )
5. अकबर का मकबरा (Akbar Tomb, AGRA) → बादशाह का आरामगाह (कुछ पल आगरा से ....... 5)
6. ताज नेचर वॉक (Taj Nature Walk,AGRA)→प्रकृति से ताज के दर्शन (कुछ पल आगरा से ....... 6)
7. महताब बाग ( Mehtab Bagh )→ मुगलकालीन खूबसूरत बाग (कुछ पल आगरा से ......7)
8. कीठम झील सूर सरोवर पक्षी विहार..Keetham Lake, Runkata,Agra (कुछ पल आगरा से ......7)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬3. लालकिला (Red Fort, Agra) → आगरा की एक और विश्व धरोहर (कुछ पल आगरा से ......3)
4. एत्माद्दौला, आगरा → Itmad-ud-Daulah (Baby Taj), Agra ( कुछ पल आगरा से....... 4 )
5. अकबर का मकबरा (Akbar Tomb, AGRA) → बादशाह का आरामगाह (कुछ पल आगरा से ....... 5)
6. ताज नेचर वॉक (Taj Nature Walk,AGRA)→प्रकृति से ताज के दर्शन (कुछ पल आगरा से ....... 6)
7. महताब बाग ( Mehtab Bagh )→ मुगलकालीन खूबसूरत बाग (कुछ पल आगरा से ......7)
8. कीठम झील सूर सरोवर पक्षी विहार..Keetham Lake, Runkata,Agra (कुछ पल आगरा से ......7)
एक दिन इसे भी देखेंगे।
ReplyDeleteजरुर देखियेगा जाट देवता जी
Deleteसिकंदरा के बारे में आपने बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी रीतेश जी ! आपके आलेख के माध्यम से सिकंदरा के अनूठे शिल्प के बारे में लोगों को कुछ तो पता चल सकेगा वरना अब मकबरे में ऊपर तक जाकर इसकी वास्तु कला और शिल्प को निहारना नितांत असंभव है ! पुरानी इमारतों के रखरखाव के नाम पर उनकी पुख्ता मरम्मत कराने की जगह आर्कियोलोजिकल डिपार्टमेंट हर जगह ताले लगाने में माहिर है ! लिहाजा सिकंदरा में अब मुख्य इमारत के चारों ओर घूम कर चार बाग, हिरन और लंगूरों को देख कर ही संतोष कर लेना पड़ता है ! बढ़िया आलेख एवँ खूबसूरत तस्वीरें !
ReplyDeleteलेख पर ध्यान केंद्रित करने और सुंदर शब्दों के माध्यम टिप्पणी के लिए धन्यवाद जी.....
Deleteआपका यहाँ पर हमेशा स्वागत है
मै तो इसके बिलकुल पास तक होकर भी नही जा पाया
ReplyDeleteआपको जाना चाहिये था....खैर कोई बात नहीं अगली बार साथ साथ देखने जायेंगे...
Deleteमेरी शादी के बाद यानि, सन् 1984 में जब मेरी सहधर्मिणी मुझे घुमाने लेकर गयी थी तो आगरा ही गये थे हम लोग! :) ताजमहल के अलावा दूसरा स्मारक जो हमने देखा था, निश्चय ही वह सिकन्दरा ही रहा होगा पर अब समय के साथ उस यात्रा की स्मृति बहुत धूमिल हो गई है। रितेश गुप्ता का आभार कि उन्होंने मुझे अपना आगरा पुनः चित्रों के माध्यम से ही सही, दिखा तो दिया। पर मुझे आलेख में इस बार बहुत सारी त्रुटियां दिखाई दीं जो आपके आलेखों में पहले कभी नहीं देखीं ! फोंट के साइज़ भी अलग - अलग दिखाई दे रहे हैं। पता नहीं, मेरा ब्राउज़र ही मुझे सता रहा है या और कुछ मसला है। यदि आपके पास और भी कुछ चित्र हों जिनसे दीवारों की कलाकृतियों को नज़दीक से देखा जा सके तो कृपया अवश्य लगायें। नमस्कार !
ReplyDeleteसर जी...
Deleteलेख पर टिप्पणी करने और गलतियो पर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद | कोशिश करूँगा की और चित्र इस लेख में लगा सकु.....| आगरा आपका इंतजार कर रहा है.....
धन्यवाद
bahar se kai bar dekha hai Agra jathe hue par kabhi andar nahi gaya ....next time
ReplyDeleteसिकंदरा के बारे में चित्रों सहित महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार , रीतेश जी ...!
DeleteRECENT POST - फागुन की शाम.
धन्यवाद महेश जी..... अगली बार अंदर से जरुर देखियेगा....
Deleteअबकी बार सिकंदरा पहुंचेगे, अगर आगरे में गर्मी नही रही तो :)
ReplyDeleteअबकी बार आप सर्दियों में आइये , आगरा में गर्मी नहीं होगी...
Deleteएक बार जाके आई … बहुत सुन्दर प्रस्तुति। । होली की हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए धन्यवाद...... आपको भी होली की शुभकामनाएँ
Deleteएक बार जोधपुर से लौटे समय जल्दी में ताज महल देखा था लेकिन अकबर का मकबरा नहीं देख पायी. आज आपके सुन्दर चित्रों के साथ आलेख पढ़कर जानकारी मिलती .. दिल्ली तो आना-जाना लगा रहता है कभी लौटे व्यक्त जरुर जाऊंगी ..
ReplyDeleteअभी तक जाना नसीब नहीं हुआ है पर ...बहुत ही सुंदर है
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