Written by Ritesh Gupta
नमस्कार दोस्तों ! पिछले लेख में हम लोगो ने मनाली के पास रोहतांग दर्रा (Rohtang Pass) की सैर की थी, जिसके बारे आपने मेरे पिछले लेख एक सुहाना सफ़र मनाली का….3 में पढ़ा ही होगा । आइये अब चलते हैं “सोलांग घाटी की यात्रा “ पर ।
समय चक्र का पहिया अपनी गति से चला जा रहा था और हम लोगो को पता ही नही चला की रोहतांग के खुशगवार माहौल में सैर करते हुए तीन घंटे कब बीत गए और रोहतांग से अब विदा लेने का समय हो गया था । हम लोगो का यहाँ से जाने का मन तो नहीं कर रहा था, पर समय के अनुसार चलने को विवश थे । चलते-चलते अंतिम बार रोहतांग की खूबसूरत वादियों का ध्यान से अवलोकन किया और लगभग दोपहर के 12:15 बजकर अपनी कार में बैठकर अपने अगले पड़ाव
सोलांग घाटी के लिए चल दिए गए ।
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Solang Valley , Manali (सोलंग घाटी , मनाली ) |
रोहतांग से वापिसी के समय पूरे रोहतांग पर सड़क के किनारे पर कई सारे लोगो को मौज-मस्ती और बर्फ में एक दूसरे के साथ आनन्द लेते हुए देखना हमारे ले लिए एक सुखद अनुभव था । वैसे मैंने कई लोगो और अपने मित्रों से सुना रखा था की वो लोग मनाली घूमने गए थे और किसी न किसी कारण से रोहतांग नहीं जा सके यदि रोहतांग पहुँच भी गए तो वहाँ उन्हें ताज़ी बर्फ नहीं मिली पर इन मामले में हम बहुत खुशनसीब थे, क्योकि हम लोग पहली बार मनाली गए और बड़े आराम से बिना परेशानी के रोहतांग भी पहुँच भी गए साथ ही साथ ढेर सारी ताज़ी बर्फ भी मिल गयी थी ।
रोहतांग से आगे बढ़ते हुए रास्ता उबड़खाबड़ और काफी ढलान वाला था और रोहतांग से वापिस होते कई सारी गाड़ियां आगे और पीछे चल रही थी, जिससे कई जगह संकरे मार्ग पर जाम के स्थिति सी पैदा हो रही थी । कुछ देर चलने के बाद सड़क से नीचे
मरही गाँव नजर आने लगा था और सड़क के किनारे बहुत से लोग पैराग्लाइडिंग का लुफ्त ले रहे थे । पैराग्लाइडिंग कराने वाले पूरी सुरक्षा के साथ पर्यटको के साथ स्वयं घाटी में छलांग लगाकर उन्हें रोमांचक अनुभव प्रदान करा रहे थे और मरही बेस कैंप के नजदीक उतर रहे थे । खैर पौन घंटे के बाद हम लोगं “मरही” गाँव पहुँच गए । इस समय
“मरही” में मनाली की ओर जाने वाली मुख्य मार्ग पर जाम लग रहा था सो एक सड़क किनारे के रेस्तरा पर थोड़ी देर सुस्ताने के लिए कार खड़ी दी । रेस्तरा में कार चालक और हम लोगो ने चाय और बच्चो ने कोल्डड्रिंक और चिप्स का नाश्ता किया । कुछ देर यहाँ बिताने और जाम थोड़ा हल्का हो जाने के बाद हम लोग फिर से अपने सफ़र पर चल दिए ।
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A Snow Capted Hill at Rohtang Pass (अलविदा रोहतांग, जल्द ही फिर मिलेंगे ।) |
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Just Opposite of first picture a Hill of Rohtang (ये खूबसूरत वादियाँ, गगन चूमते पहाड़ अक्सर याद आते हैं ।) |
इसी मार्ग पर आगे चलते हुए मरही गाँव से कुछ किलोमीटर नीचे उतरते हुए नदी पर बने एक संकरे पुल पर आने और जाने वाली गाड़ियो की अधिकता आपस में पुल पर फँस जाने के कारण भयंकर और करीब आधा किलोमीटर लंबा जाम लग गया था और हम लोग जाम में सबसे पीछे लगे हुए थे । ऐसा लग रहा था की जाम खुलने में करीब आध-पौन घंटा लग जाएगा । बगल में व्यास नदी नीचे घाटी में अपने पूरे वेग से बह रही थी बड़ा ही सुन्दर नजारा नजर आ रहा था । तभी हमारे कार चालक ने एक गाड़ी के घाटी में उतरते हुए और व्यास नदी को पार करके जाम से आगे की खाली सड़क पर जाते हुए देखा । उसके ऐसा करते देख कार चालक ने उसी रास्ते से जाने के लिए कहने लगा तो हमने कहा कि “वो बड़ी गाड़ी हैं और हमारी गाड़ी छोटी हैं इससे क्या नदी पार हो जायेगी और क्या तुमने क्या पहले कभी कार से नदी पार की हैं ?” । कार चालक ने कहा ” हां ! मैं ऐसा पहले भी कर चुका हूँ और इससे गाड़ी से बड़े आराम से नदी पार हो जायेगी ।”
अंत में काफी बातचीत करने के बाद हमारी रजामंदी से कार चालक ने इंडिका कार को सड़क के किनारे एक कच्चे रास्ते से होते हुए व्यास नदी घाटी की ओर चल दिया । नदी में पानी अपने पूरे वेग से बह रहा था नदी के दूसरी ओर कुछ लोग अपनी गाडियाँ धो रहे थे । हमारे कार चालक ने कार को पहला गियर लगाया और जोर से एक्सीलेटर देते हुए नदी मे उतारकर पानी के वेग से लड़ते हुए नदी को तिरछा पार कर लिया । कार नदी के दूसरे किनारे बहाब के कारण थोड़ा सा जगह बदल कर आगे पहुँच गयी थी और वहाँ किनारे पर दूसरी गाडियां खड़े होने के कारण रास्ता बंद था सो गाड़ी को पानी में ही बैक करके सही और खाली रास्ते से होते हुए हाइवे पर आ गए थे । जब हम कार से नदी को पार कर रहे थे, तब हमारे दिल की धड़कन कई गुना बढ़ गयी थी और हमें रोमांच और भय मिश्रित अनुभव की अनुभूति हुई थी । कार से वेगमान नदी को पार करने का यह वाकया आज तक हमारे दिल में जिन्दा हैं और हमें आज भी एक पूर्ण रोमांच की अनुभूति देता हैं । कार से नदी को पार करने से एक बात तो पता चल गयी थी की हमारा कार चालक काफी अनुभवी और कुशल चालक था ।
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Manali To Solang Valley Road Map Chart |
खैर मार्ग के जाम और खराब रास्ते की कठिनाईयों का सामना करते हुए और कोठी नाम की जगह के पास स्थित दुकान पर किराए के गर्म कपड़े वापिस करने के पश्चात लगभग तीन घंटे में हम लोग पलचान गाँव तक पहुँच गए । पलचान से थोड़ा आगे चलने पर दो मोड़ नजर आये दाहिने वाला सोलांग घाटी की और बायां वाला मनाली की ओर । हम लोगो को सोलांग नाला की ओर जाना था सो हम लोग दायें मुड़ गए । थोड़ा चलने और सोलांग नाला पर बने नदीपुल पार करने के बाद हम लोग सवा तीन बजे के आसपास रमणीय सोलांग घाटी में पहुँच गए ।
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Natural panoramic View of Solang Valley
(सोलांग घाटी में अपने प्राकृतिक सौंदर्य से अचंभित करती ये हरी-भरी वादियाँ )
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सोलांग घाटी (Solang Valley)
हम लोगो ने कार को घाटी के बाहर जाती सड़क के किनारे ही खड़ा करवाकर एक छोटे से रास्ते घाटी में प्रवेश किया था । सोलांग घाटी के अंदर समतल स्थल पर कही-कही पानी भरा हुआ था जिससे चलने-फिरने में थोड़ी परेशानी हो रही थी । सोलांग घाटी में काफी भीड़भाड़ थी और लोग-बाग अपनी सुविधानुसार इस घाटी का लुफ्त ले रहे थे । सोलांग घाटी की हरियाली से परिपूर्ण ढलान का दूर तक का खूबसूरत नजारा देखकर हम तो मंत्रमुग्ध से हो गए थे । यदि मौसम की बात करे तो मौसम बहुत ही सुहावना था और मन को लुभाने वाली ठंडी-ठंडी चल रही थी ।
घाटी में प्रवेश द्वार के सामने ही एक उड़नखटोले (Rope-way) व्यवस्था थी जो ओंक और पाइन के जगंलो से घिरे पहाड़ की ३०० मीटर की सबसे ऊँची चोटी तक जा रही थी । हमने सोचा चलो रोपवे की भी सैर कर लेते हैं और टिकिट काउंटर पर जाकर एक व्यक्ति का किराया पूछा तो उसने हमें एक चक्कर (नीचे से पहाड़ की चोटी और वापिस तक का ) रूपये 400/- प्रति व्यक्ति बताया जो हमें महंगा नहीं बल्कि बहुत महंगा लगा, पर प्रकृति के इस खूबसूरत सानिध्य में आकर काफी लोग इस महंगे रोपवे का भी लुफ्त ले रहे थे । हमने तो रोपवे पर जाने का विचार ही त्याग दिया था । घाटी में लोगो को रोमांचक खेलो का लुफ्त लेते और प्रकृति के नजारों को देखना भी बहुत अच्छा लग रहा था । पैराग्लाइडिंग तो हमें करनी नहीं थी सो हमने ऐसे ही एक पैराग्लाइडिंग काउंटर पर जाकर पैराग्लाइडिंग का मूल्य भी मालूम किया उसमे हमें एक बार के रूपये 700/- बताए जो पहाड़ के सामने की ऊँचाई से पैराग्लाइडिंग कराने के थे । सोलांग के आकाश में चिड़ियों की तरह मडराते लोगो को पैराग्लाइडिंग और पैराशूटिंग करते देखना बड़ा ही अच्छा लग रहा था ।
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Praglading, Zorbing & Horse Riding at Solang Valley (तरह-तरह रोमांचक खेल का भरपूर आनदं ) |
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Beauty of Solang Valley (घाटी के शानदार नजारों से नजर ही नहीं हटती ) |
सोलांग घाटी में कोई भी खाने-पीने की दुकान या रेस्तरा नहीं था, पर घाटी के बाहर सड़क किनारे कुछ दुकाने थी जो मैगी और चाय-कोफ़ी बेच रहे थे । वैसे मनाली के पास सोलांग घाटी कुछ समय हरे-भरे वातावरण में व्यतीत करने के लिए बहुत ही अच्छी जगह हैं । यहाँ की वादियों में टहलते हुए एक अलग ही सुकून दिल को मिलता हैं । सोलांग घाटी में टहलते और प्रकृति का आनंद लेते हुए हम लोगो को लगभग दो घंटे व्यतीत हो गए थे । सूरज की रौशनी मद्धम सी पड़ने लगे थी और शाम सी होने लगी थी । काफी समय हो जाने के कारण अब हमे मनाली भी लौटना था सो एक बार सोलांग घाटी को एक नजर निहारने के बाद कार में बैठकर वापिस मनाली की ओर चल दिए ।
जब हम लौट रहे थे तब मनाली से सोलांग घाटी की के रास्ते पर सड़क निर्माण और सड़क के किनारे साफ-सफाई, रंगाई-पुताई का काम बड़ी तेजी से चल रहा था और इसी कारण सड़क के एक तरफ का हिस्सा बंद कर दिया था, जिससे जाम के हालत पैदा हो गए थे ।
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Rohtang Tunnel ( Making on Progress ) |
सड़क बनने और रंगाई-पुताई का तेजी से काम होने का कारण वो हमें बाद में पता चला कि सोलांग घाटी से करीब आठ और मनाली से करीब बीस किमी० आगे ढूंढी (DHUNDHI) नाम की जगह पर हिमाचल प्रदेश के महतवपूर्ण योजना
“रोहतांग सुरंग (ROHTANG TUNNEL)” की आधारशिला रखी जानी हैं, और आधारशिला का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गाँधी के द्वारा 28-जून-2010 होना था ।रोहतांग सुरंग हिमालय के पीरपंजाल श्रृंखला में स्थित रोहतांग पास के नीचे बन रही हैं । 8.8 किलोमीटर की ये टनल भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग होगी। ये टनल 2015 में बनकर तैयार हो जाएगी। इसके बनते ही मनाली और लद्दाख/लाहुल स्पीति के मध्य करीब 46 किलोमीटर का सफर कम हो जाएगा । रोहतांग दर्रा भारी बर्फ़बारी के कारण छह महीने के लिए बंद हो जाता हैं और लद्दाख/लाहुल स्पीति सड़क संपर्क मार्ग बिल्कुल खत्म हो जाता हैं इस सुरंग के बन जाने पर मनाली से लद्दाख/लाहुल स्पीति का संपर्क हमेशा के लिए बहाल हो जायेगा और 80 किमी० प्रति घंटे के रफ़्तार से गाडियाँ इस सुरंग में दौड़ सकेंगी ।
सड़क निर्माण के कारण जाम का सामना करते हुए मनाली पहुँचने में हमें लगभग एक घंटे से ज्यादा ही समय लग गया था । माल रोड बंद हो गाड़ियों के लिए बंद हो चुका सो पीछे वाले रास्ते से होते हुए कार चालक ने कुल्लू की तरफ माल रोड से कुछ कदम ही दूर तिब्बत मार्केट के सामने “वन विहार” के सामने गाड़ी खड़ी कर दी । हम लोग वही वन विहार के पास कार से उतर गए और कार चालक को वापिस होटल भेज दिया । वन विहार का खुलने का समय सुबह 8:00 बजे और बंद होने का समय शाम 7:00 बजे तक का था । घने और ऊँचे देवदार के वृक्षों से घिरा “वन विहार” मनाली की प्रशिद्ध स्थलो में एक हैं और इसका प्रवेश शुल्क रूपये 5/- प्रति व्यक्ति हैं । जब हम पहुंचे उस समय शाम के साढ़े छह का समय हो रहा था और शाम को सात बजे यह बंद होने वाला था । हम लोगो का वन विहार घूमने मन नहीं था, क्योंकि पूरे दिन रोहतांग और सोलांग घाटी घूमने के कारण काफी थकान के साथ-साथ पैरो में भी दर्द हो रहा था और वन विहार घूमने के लिए केवल आधे घंटे समय था । वन विहार कल घूमने का सोचकर कर अभी घूमने के इरादा त्याग दिया और सामने से ही एक फल की दुकान से कुछ फल ख़रीदे और आराम करने के लिए वापिस होटल पहुँच गए ।
होटल के कमरे में लगभग दो घंटे का विश्राम करने के पश्चात अब हमारी थकान कुछ कम हो गयी थी और रात के आठ बजे के आसपास हम लोग वापिस माल रोड कुछ देर घूमने और रात का खाना खाने पहुँच गए । माल रोड पर कल की अपेक्षा आज बहुत अधिक भीड़ थी, लोग बाग अपने में पूरी तरह मस्त थे और मनाली के सुहाने मौसम में सड़क के बीच डीवायडर पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटा रहे थे । हम लोगो ने शुरू से अंत तक माल रोड एक बड़ा चक्कर लगाया और सड़क के बीच डीवायडर पर बैठ गए । एक मालिश वाला हमारे पास आकार मालिश कराने के लिए जिद्द करने लगा पर मेरा मन नहीं था मालिश कराने के पर छोटे भाई अनुज ने मोलभाव करके पचास रूपये वाली मालिश से पच्चीस रूपये में तय किया और उसकी सेवा का लुफ्त उठाया । करीब एक घंटा माल रोड पर बिताने के बाद हम लोग खाना खाने के लिए एक अच्छे रेस्तरा के तलाश करने लगे । एक अच्छा रेस्तरा हमें वन विहार के सामने के बाजार में दूसरी मंजील पर नजर आया । सीडिया चढ़ कर हम लोग उस रेस्तरा (अब नाम याद नहीं हैं) में पहुँच गए, रेस्तरा अंदर से काफी शांत और अच्छी साज-सज्जा से युक्त अच्छे वातावरण में था । आज खाने में नान-सब्जी की जगह साऊथ इंडियन व्यंजन का मन था सो हमने ओनियन डोसा, मसाला डोसा और बच्चो के लिए चाउमीन का आदेश दिया । बीस मिनट में हमारा आर्डर आ गया, यहाँ का खाना काफी स्वादिष्ट था । रात काफी हो गयी थी सो हम खाना खाने के बाद सीधे होटल के कमरे में पहुँच गए थे ।
इसी के साथ हमारा आज के इस दिन का हाल यही समाप्त होता हैं । अगले दिन की हमारी कोई भी योजना नहीं थी, कल का कार्यक्रम कल ही बनायेगे; यही सोच कर हम लोग अगले दिन की एक नई सुबह के लिए सो गए । अगले भाग में “ मनिकरण की यात्रा ” के बारे में अपना अगला अनुभव प्रस्तुत करूँगा । आज सोलांग घाटी की यात्रा आपको कैसी लगी, आपकी प्रतिकिया और अगले लेख के लिए सुझावों का स्वागत हैं । अगले लेख तक के लिए आपका धन्यवाद !
नोट : ऊपर लगाये गए फोटो में दर्शाये गए समय और दिनांक वास्तविक हैं ।
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6.
मनिकरण → पवित्र स्थल का भ्रमण (एक सुहाना सफ़र मनाली का….6)
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रितेश जी राम राम, सोलंग घाटी वाकई खूबसूरत घाटी हैं, यहाँ जितना भी समय बिताओ कम हैं. एक बात समझ नहीं आती हैं की रोपे वे आदि के किराए इतने ज्यादा क्यों होते हैं. यदि किराए वाजिब हो तो सभी लोग उसमे सैर कर सकते हैं, और रोप वे वालो की आमदनी भी बढ़ेगी. रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग बन रही हैं. यदि आप को याद हो जब अटल जी प्रधान मंत्री थे तो, उन्होंने २००३ में इस प्रोजेक्ट को पास किया था, और इसका उदघाटन किया था. कांग्रेस की सरकार आने पर कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया था, फिर ७ साल बाद सोनिया का नाम करने के लिए सोनिया से इसका उदघाटन कराया. ऐसा ही कांग्रेस ने ऋषिकेश - कर्णप्रयाग रेल योजना के साथ किया. खैर छोडो इन बातो को, आपका यात्रा वृत्तान्त अच्छा चल रहा हैं. मनिकर्ण की यात्रा की प्रतीक्षा रहेगी. वन्देमातरम
ReplyDeleteप्रवीन जी...
Deleteलेख पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद ...
रोपवे का अधिक किराया होना हो सकता उनके कुछ अपने कारण हो....
रोहतांग के बारे में जो आपने बताया वो मुझे पता था .....पर लेख में मैंने वर्तमान की स्थिति के बारे में लिखा हैं....
मनिकरण का विवरण जल्द ही मिलेगा....
Sachmuch maza aa gaya ...
ReplyDeleteBahut hi shandaar taswire hai..
Etni bhyanak garmi me bhi thandak ka ahsaas kra diya aapne .Agar ak photo wahan ka bhi hota jahan se car ke dawara nadi par ki thi or bhi jyada maza aa jata..
धन्यवाद ....सुरेश कुमार जी...|
Deleteनदी पार करते समय फोटो खिचने का याद ही नहीं रहा....|
बहुत रहा यह यात्र प्रसंग!
ReplyDeleteपितृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
we are enjoying your journey.thanks
ReplyDeleteThanks gagan juneja ji
Deleteशिमला -कुल्लू ,मनाली और रोहतांग की सैर तो हमने की थी पर किसी ने हमें सोलांग के बारे में नहीं बताया ,,,इसलिए नही जा सके ..अब दोबारा इस खुबसूरत धाटी में जाएगे ....बहुत सुंदर तस्वीरे हेई
ReplyDeleteअब तो हमने इस लेख के द्वारा बता ही दिया सोलांग घाटी के बारे ....अब जरुर जाना...
Deleteधन्यवाद
अद्भुत सौन्दर्य दर्शन कराने के लिए आप का धन्यवाद ..............
ReplyDeleteधन्यवाद नमन जी
DeleteCan we go to manali with 10 month baby in first week of july
ReplyDeleteहर्षिता जी.....
Deleteवैसे जुलाई का पहला हफ्ता घूमने लायक और मौसम भी सही होता हैं और वहाँ के सीजन का अंत भी 5 जुलाई तक लगभग समाप्त हो जाता है.. क्योंकि मानसून के कारण वारिश की सम्भावना बनी रहती हैं.....हो सके तो जून के अंत में जाइए....अपने दस महीने के नन्हे बेबी को लेकर...पर बेबी के लिए कुछ गरम कपड़े लेकर जरुर जाना....धन्यवाद
Go river rafting or scuba diving or paragliding or paramotoring...
ReplyDeleteScuba Diving In Kamshet
Lush greanry and nice view, but I guess we will see snow covered solang valley as per seeing reviews
ReplyDeleteThanks a lot Harshita ji,
DeleteVery Good Place ...Paramotoring in Kaamshet
ReplyDeleteYes really very fantastic place ...Paramotoring in Kaamshet
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ReplyDeleteहम लोग भी जाने का मन बना रहे है
ReplyDeleteआपके द्वारा दे गयी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteमार्च का महीना जाने के लिए कैसा रहेगा।
ReplyDeleteमार्च का महिना सही रहेगा ....बर्फ भी मिल सकती है
DeleteHey.mujhe ye jana h Dec m kullu m river rafting hoti h kya
ReplyDeleteशायद नही होती ....क्योकि बर्फ पड़ जाती है दिसम्बर में
DeleteMujhe 29 Dec ko manali Jane k program h.us time solang velly m ice hoti h kya.
ReplyDeleteSuperb post, we enjoyed each and everything as per written in your post. Thank you for this article because it’s really informative, I Really like this post.
ReplyDeletehttps://www.bharattaxi.com/
Nice post, Manali is a beautiful hill station nestled at the foothills to the himalayas. Overall, the trip was good. I did paragliding while returning from Rohtang Pass to Manali. This was the best experience ever. shimla-manali tour packages
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