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Tuesday, June 18, 2013

ताजमहल (TAJMAHAL) → विश्व की एक खास धरोहर (कुछ पल आगरा से ......2)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों ! " कुछ पल आगरा से " श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आगरा के बारे में कुछ जानकारियां प्रस्तुत की थी । अब इसी श्रृंखला के बढ़ाते हुए इस लेख में आपको लिए चलते है, विश्व प्रसिद्ध दुनिया के लिए एक आश्चर्य खूबसूरत स्मारक ताजमहल की सैर पर .......

ताजमहल एक ऐसा नाम जिसे लेते ही एक खूबसूरत ईमारत की आकृति आँखों के सामने उभर आती है और मुगल बादशाह शाहजहाँ के अपनी बेगम मुमताज महल के लिए अजीमो प्यार का एक खूबसूरत अहसास दिला देती है । ताजमहल केवल एक स्मारक नहीं बल्कि प्यार करने वालो के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है, किसी शायर ने ताजमहल के बारे में कुछ ऐसा कहा है " एक ताजमहल संगेमरमर का जैसे प्रेमी के गाल पे ढरका एक आँसू " । 

The Tajmahal, Agra ( पेड़ पौधे के बीच से ताज का सुहाना नजारा  )

Tuesday, May 28, 2013

आगरा (Agra) → कुछ जानकारी ताजनगरी के बारे में (कुछ पल आगरा से ......1)

Written By→ Ritesh Gupta
अब तक मैंने कुमाऊं श्रृंखला के माध्यम से कुमाऊं के विभिन्न स्थलों के यात्रा का वर्णन किया था । अब हम पहाड़ों निकल कर आपको ले चलते है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विश्व मानचित्र पर सबसे अधिक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल आगरा शहर की सैर पर । 

आगरा शहर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरो में एक है । मुगल बादशाह के असीम प्रेम का प्रतीक ताजमहल के  कारण आगरा मधुयामिनी मनाने (Honeymoon Desination) वालो के लिए आदर्श पर्यटक स्थल बन गया है, वैसे दुनिया भर के अधिकतर लोगो इच्छा होती है कि अपने जीवनकाल में इस खूबसूरत ताजमहल का एक दीदार अवश्य करे। भौगोलिक द्रष्टि से यह प्रदेश के पश्चिमी इलाके में यमुना नदी के किनारे बसा हुआ काफी बड़ा शहर है । आगरा शहर पश्चिम में  राजस्थान और दक्षिण पर मध्य प्रदेश सीमा से घिरा हुआ हैं ।  राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या  NH-2 ( Kolkata - Delhi), NH-3 (Agra-Mumbai), NH-11 (Agra - Jaipur - Bikaner,) और NH-93 (Agra - Aligarh- Moradabad) आगरा को भारत के अधिकतर छोटे और बड़े शहरो से बखूबी जोड़ते है । अभी कुछ साल पहले निर्मित भारत का आधुनिकतम एक्सप्रेसवे छह लाइन यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway Agra - Greater Noida 165km ) ने दिल्ली को और नजदीक ला दिया है । 

Beauty of the mortal love...THE TAJMAHAL (दुनिया का एक अजूबा - खूबसूरत ताजमहल )

Thursday, May 9, 2013

नैनीताल (Nainital→ खूबसूरत नैनी झील और सम्पूर्ण यात्रा सार (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....14)

Written By→ Ritesh Gupta 
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13) में मैंने कुमाऊँ के जागेश्वर धाम की यात्रा का वर्णन आप सबके सम्मुख प्रस्तुत किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला इस अंतिम कड़ी में प्रस्तुत है, नैनीताल की खूबसूरत झील की चारों तरफ का पैदल यात्रा वृतांत और मेरी इस सम्पूर्ण कुमाऊं यात्रा श्रृंखला का सारांश।  


जागेश्वर की एक दुकान से एक लीटर पेट्रोल कार में डालकर हम लोग अपने वापिसी के सफ़र पर चल दिए । करीब तीस किलोमीटर पहाड़ी रास्ते का सफ़रतय कर हम लोग दो बजे के आसपास अल्मोड़ा पहुँच गए । वहाँ पर एक पेट्रोल पम्प से टैक्सी कार में पेट्रोल भरवा कर फिर चल दिए । पेट्रोल  पम्प से बाहर निकलते ही देखा का अल्मोड़ा की पहाड़ की खाई की तरफ की सड़क कटने काफी नीचे धंस गयी और कुछ दुकाने भी इसके लपेटे में आ गयी थी , हम लोग सड़क के सुरक्षित हिस्से होते हुए अपने आगे की यात्रा पर निकल गए । सुबह हम लोग केवल नाश्ता करके ही चले थे, सो काफी देर चलने के बाद हम लोगो को भूख सताने लगी तो रास्ते में पहाड़ी गाँव के पास एक अच्छे से ढाबे को देखकर कार को रुकवा दिया और उस ढाबे में स्वादिष्ट भोजन करने के बाद NH-37 से फिर नैनीताल की तरफ अग्रसर हो लिए । 

रास्ते में हमे कोसी नदी पर पड़ने वाला वही पुल मिला जहाँ से आते में हम लोग रानीखेत के लिए मुड़े थे, इसी तरह रास्ते की सुंदरता का अवलोकन करते हुए, कैंची धाम और भोवाली होते हुए शाम के साढ़े चार बजे के आसपास हम लोग नैनीताल पहुँच गए ।
Tallital Chowk of Nainital (यह नैनीताल का व्यस्तम  तल्लीताल चौराहा )


Friday, April 19, 2013

जागेश्वर (ज्योतिर्लिंग) Jageshwar → भगवान शिव का प्रसिद्ध धाम के दर्शन (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....13)

Written By→ Ritesh Gupta
प्रिय मित्रों और पाठकगणों - जय भोलेनाथ  की.... !
कुमाऊँ श्रृंखला के पिछले लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का.....12) में मैंने कुमाऊँ के पाताल भुवनेश्वर और वहाँ से जागेश्वर धाम तक की यात्रा का वर्णन किया था । अब इस कुमाऊं श्रृंखला अग्रसर करते हुए आज चलते हैं चारों तरफ से देवदार के जगंलो से घिरे प्राचीन श्री जागेश्वर धाम के मंदिर और करते हैं भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जो नागेश दारुकावने के नाम से जाने जाते हैं । 

गयारह बजे के आसपास हम लोग जागेश्वर धाम की एक छोटी नदी / नाले के किनारे मुख्य सड़क पर थे । मुख्य सड़क के किनारे कई सारी गाड़ियां खड़ी हुई थी हमारे कार चालक ने मंदिर के सबसे पास एक खाली जगह देखकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया हम लोग भी कार से निकलकर मंदिर के दर्शन करने चल दिए, सड़क से ही स्लेटी रंग के मंदिर के शिखर और उस मंदिर के ठीक पीछे देवदार के घने वृक्षों जंगल नजर आ रहे थे इस समय यहाँ के मौसम में सूरज की रौशनी सीधी पड़ने के कारण कुछ गर्माहट थी, पर साथ ही साथ चल रही ठंडी हवा तम और मन सुकून पहूँचाने के लिए काफी थी   

A View just before Jageshwar Temple (देवदार के वृक्षों के मध्य जागेश्वर के मुख्य मंदिर तक जाता रास्ता)

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