इस श्रंखला को प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिये । कहते है यदि असली कश्मीर के नज़ारे देखने तो पहलगाम आइये । विश्व प्रसिद्ध पहलगाम भारत की मुख्य पवित्र अमरनाथ यात्रा का मुख्य आधार केंद्र होने के साथ-साथ कश्मीर घाटी की सबसे खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों में एक है । यहाँ पर तेज बहती पहाड़ी नदी, बर्फ से ढके पहाड़, शुद्ध और प्रदुषण मुक्त आवोहवा, शानदार नदी घाटी, सुन्दर बगीचे, घने जंगल, रोमांचक ट्रेकिंग मार्ग आदि सब कुछ है जिसकी आवश्यकता एक सच्चे प्रकृति प्रेमी होती है । यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम तो है ही, साथ ही साथ किसी को भी पल में मन्त्र-मुग्ध करने वाला भी है । आज का मेरा लेख इसी खूबसूरत स्थल "पहलगाम" के इर्द गिर्द पर आधारित है । चलिए चलते है, इस नगर की सैर पर मेरी जुबानी इस यात्रा वृतांत के माध्यम से -
बेताब वैली और लिद्दर नदी से बना खूबसूरत नजारा, पहलगाम, कश्मीर (Betab Valley, Pahalgam, Kashmir)
विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल पहलगाम जम्मू-कश्मीर राज्य का एक छोटा कस्बा है, जो अनंतनाग जिले के अंतर्गत आता है और अनंतनाग से 43 किमी० दूर स्थित है । लिद्दर नदी के किनारे बसा पहलगाम समुद्रतल करीब 2190 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पहलगाम की खूबसूरती में चार-चाँद लगाती है, कस्बे के मध्य से बहती हुई लिद्दर नदी और घाटी में बने खूबसूरत बाग-बगीचे । देश के प्रमुख नगरो से पहलगाम की दूरी - श्रीनगर (88 किमी०), दिल्ली (827किमी०), जम्मू (292किमी०), अमृतसर (460 किमी०), आगरा (1027किमी०) और शिमला (640किमी०) । अमरनाथ यात्रा के लिए सड़क मार्ग का अंतिम बिंदु चन्दनबाड़ी यहाँ से 16 किमी० दूर है, फिर उससे आगे अमरनाथ जी के लिए 34किमी० ट्रेकिंग करके पहाड़ी मार्गो से आगे अमरनाथ जी की पवित्र गुफा जाना होता है । नीचे पहलगाम से अमरनाथ गुफा का सड़क मार्ग का चार्ट दिया हुआ है ।
पिछले दिन हम लोगों ने उधमपुर से पहलगाम तक सम्पूर्ण सफ़र बारिश में ही तय किया था और हमने पहलगाम के होटल में कुल पांच कमरे बुक किये थे, चार नीचे भूतल पर और एक द्रतीय तल । मेरा कमरा ऊपर की मंजिल पर ही था । दूसरे दिन सुबह मेरी आंख जल्दी पांच बजे खुल गयी, अब बारिश बिल्कुल बंद हो चुकी थी और होटल की खिड़की से बाहर नजारा हमारी सोच से भी बेहतर और शानदार निकला । सब कुछ बारिश में धुला धुला नजर आ रहा था, दूर पहाड़ो पर धुंध और बर्फ नजर आ रही थी और खिड़की से आती ठंडी हवा सुई सी चुभो रही थी । सुबह के नित्यक्रम से निर्वत होकर नीचे जाकर सबको उठाया और पहलगाम में क्या देखना है आज, उसकी योजना मुकेश जी और अनुज के साथ बनाई गयी । होटल के एक कर्मचारी से बात हुई तो उसने बताया की आप यहाँ के नियम के हिसाब (शायद टैक्सी एसोशियन के अनुसार ) से अपनी गाड़ी से नहीं घूम सकते आपको यहाँ पर घूमने के लिए यही की स्थानीय गाड़ी से लेनी होगी । ये मुझे बुरा लगा की यहाँ लोग पैसा कमाने के लिए क्या-क्या पाबंदियां लगा देते है । खैर हम लोगो घूमना था, सो होटल के काउंटर से घूमने का विवरण माँगा, तो उसने एक परचा थमा दिया । उसमे से हमे आधे दिन का टूर (Half Day Tour as per Prospectus) पसंद आ गया जिसमे "बेताब वैली, चन्दनबाड़ी, अरु वैली और पहलगाम चिड़ियाघर" शामिल था और एक गाड़ी का किराया रु.1500/- था । होटल के कर्मचारी ने फोन करके हम लोगो के लिए दो गाड़ी बुक कर दी ।
सुबह के साढ़े आठ बजे तक सभी लोग तैयार हो गये, हल्का-फुल्का नाश्ता किया गया और होटल के आस-पास और बगीचे में पहाड़, फूलो और एक दूसरे की फोटोग्राफी शुरू हो गयी । उसी समय शॉल और स्वेटर बेचने वाले कुछ लोग आ गये और उनके बार-बार आग्रह पर वही पर खरीददारी भी शुरू हो गयी, जिसको जो पसंद आया मोलभाव करके गर्म कपड़े खरीद लिए । गाड़ी के इंतजार में इसी बीच बारिश भी शुरू हो गयी और कुछ देर बाद बंद भी हो गयी । सुबह के नौ बजे के आस पास हमारे द्वारा आरक्षित की हुई दो वैन आ गयी और शुरू हो गयी हम लोगो की स्थानीय पहलगाम की यात्रा ।
बेताब वैली, पहलगाम (BETAB VALLEY, PAHALGAM)
होटल से निकलने के बाद चंदनवाड़ी मार्ग पर कुछ किलोमीटर चलने हुए दाई तरफ के एक रास्ते पर उतरने के बाद सबसे पहले हम लोग सुबह के साढ़े नौ बजे "बेताब वैली" पहुँच जाते है । बेताब वैली पहलगाम की सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत नदी घाटी है । ये हिमालय की पीर-पंजाल और जास्कर रेंज के मध्य स्थित है । ये मुख्य शहर पहलगाम से करीब 8 किमी० दूर चन्दनवाड़ी मार्ग पर है । अस्सी के दशक में इस घाटी में कई फिल्मो की शूटिंग हुई थी जैसे कभी-कभी, सिलसिला, कश्मीर की कली, आरजू, जब जब फुल खिले, सिलसिला, पर इस घाटी नाम पड़ा सन्नी दियोल और अमृता सिंह की पहली हिट फिल्म बेताब की शूटिंग के कारण । इस कारण तभी से घाटी का नाम "बेताब वैली" दे दिया गया ।
गाड़ी से उतरने के पार्किग के पास तेज गति से बहती तो लिद्दर नदी ने एक खूबसूरत झरना रूप ले रखा था, झरने के इस मोहक रूप ने हम लोगो को मन्त्र-मुग्ध सा कर दिया । हम लोग भी अपने होश खोकर झरने के इर्द-गिर्द विभिन्न मुद्राओ में फोटो लेते रहे । काफी समय यही पर व्यतीत कर दिया तो सोचा, चलो ऊपर की ओर चलकर देखते है । अब देखिये अब तक हम लोग इसी लिद्दर नदी के झरने और आस-पास को ही बेताब वैली समझ रहे थे, हकीकत में आगे जाकर देखा तो पता चला की एक गेट को पार करने के बाद ही बेताब वैली है । गाड़ी के ड्राइवर ने हम लोगो गेट से बहुत पहले (जहाँ से गेट नजर नहीं आ रहा था ) ही उतार दिया था, और बताया भी नहीं था, की बेताब वैली आगे जाकर है और जब अंदर जाने लगे तो ड्राइवर बोला की अन्दर न जाओ आपको ऊपर से आगे जाकर दिखा देंगे । खैर हम सभी लोग गेट के अंदर चल दिए तो गेट पर से किसी ने ईशारा किया की टिकिट ले लीजिये । टिकिट लेने गये तो एक व्यक्ति का टिकिट रू100/- , इतनी महंगी टिकिट आजतक हमने किसी बाग या बगीचे की नहीं ली थी । इतने दूर आये है, तो प्रसिद्ध बेताब वैली देखना तो बनता है, सो मन-रखकर कर 11 टिकिट ले ली; फिर भी हम लोगो ने बच्चो की टिकिट नहीं ली क्योकि बच्चो की टिकिट भी रु०50/- की थी ।
गेट से अन्दर जाकर ही पता चला की ये वैली इतनी प्रसिद्ध क्यों है, प्रकृति का विराट स्वरूप चहुँ ओर बिखरा हुआ था । चारो तरफ पहाड़, पहाड़ से टकराते बादल, घाटी के बीच से सर्पिलाकार सड़क और सड़क के समानन्तर बहती लिद्दर नदी, व्यवस्थित बगीचे, घास का मैदान और मैदान में नदी किनारे झोपड़ीनुमा निर्माण, नदी पर एक छोटा पुल, घने जंगल आदि सब कुछ था जो एक प्रकृति प्रेमी को चाहिए । अन्दर जाते है सभी लोग अपने-अपने तरीके से प्रकृति का आनंद लेने लगे, एक बच्चा सफेद खारगोश लेकर घूम रहा था तो मेरा छोटा बीटा उसे लेकर फोटो खीचने की जिद्द करने लगा, दस रूपये किराये पर खरगोश लेकर जब उसके फोटो खीचे तब वो आगे चलने को तैयार हुआ । थोडा आगे चलने पर एक छोटी से बाड़ पार करके एक झोपड़ीनुमा घर के पास की घास के मैदान पर जाकर बोला, फोटो खीचो । फिर यहाँ से आगे निकले तो एक पुल के नीचे भी फोटो खिचवाया फिर पुल के पास ही एक नदी के किनारे सीढ़ियाँ उतरकर फोटो खिचवाया । खैर हम लोग घाटी के स्वरूप को अपने नैन रूपी कैमरे से भी संगृहीत कर रहे थे । लिद्दर नदी के ऊपर से एक छोटा पुल पार करने के बाद एक खुले से स्थान (घास का मैदान ) पर पहुँच गये । पहाड़ो पर खुला हुआ स्थल बहुत अच्छा लगता है, मैदान में ही कश्मीरी पारम्परिक वेशभूषा के वस्त्र लिए कुछ बैठे हुए थे और कश्मीरी वेशभूषा में फोटो खिचवाने के लिए वस्त्र किराए पर दे रहे , अरे नहीं वस्त्र तो फ्री में ही थे पर आप इन्हें पहनकर जितने भी फोटो खीचोगे उस हिसाब से आपको प्रति फोटो शायद दस रूपये चुकाना होगा । मुकेश भालसे जी की धर्मपत्नी कविता भालसे और उनकी बेटी ने तो कश्मीरी वस्त्र पहनकर काफी फोटो भी खिचवाये । हमारे पीछे-पीछे गाड़ी के ड्राइवर भी आ गये कहने लगे "देर न करो हमे और भी जगह जाना है "। खैर हम लोग भी कुछ देर और टहलते हुए 11 बजे के आसपास गेट से बाहर आ गये । गेट के बाहर हल्का-फुल्का चाट (भेलपुरी, पकोड़े, चना-प्याज, भुट्टे अदि) का मजा लिया गया और गाड़ी में बैठ चल दिए अगली मंजिल की तरफ ।
चंदनवाड़ी (CHANDANWARI, PAHALGAM)
बेताब वैली से चंदनवाड़ी का रास्ता बेहद खूबसूरत था, रास्ते में कई जगह
पहाड़ो पर बर्फ जमी हुई थी और बर्फ पिघलने बहते हुए बहुत से पहाड़ी झरने नीचे घाटी में बहती
हुई लिद्दर नदी मिलते जा रहे थे, साथ ही साथ घाटी में चारो तरफ भरपूर
हरियाली फैली हुई थी, ये समस्त द्रश्य आँखों और मन को एक अलौकिक शांति
पहुंचाने के लिए काफी थे। कुछ दिनों बाद अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली थी सो सभी जगह पर इस यात्रा की तैयारी चल रही थी । कही यात्रियों के लंगर बनाये रहे थे तो कही विश्राम के लिए टेंट लगाये जा रहे थे । करीब आधा घंटे की यात्रा के बाद हम लोगो ड्राइवर में सड़क किनारे खाली जगह देखकर उतार दिया और कहा की यहाँ से आगे गाड़ी नही जायेगी । आप लोग जल्दी से घूम कर आ जाओ । हम लोग यहाँ से आगे पैदल ही चल दिए, आगे जाकर ये रास्ता भी खत्म हो गया ।
चंदनवाड़ी मुख्य पहलगाम से करीब 16किमी० दूर एक छोटा सा क़स्बा है जो समुंद्र तल से करीब 2840 मीटर ऊंचाई है । अमरनाथ यात्रियों के लिए पहलगाम से यही तक
सडक मार्ग अंतिम छोर है, इससे आगे श्री अमरनाथ जी गुफा तक जाने के लिए
पहाड़ी पैदल मार्ग शुरू हो जाता है । इस छोटे से कस्बे में सभी छोटी-छोटी
जरुरतो का सामान का एक छोटा बाजार भी है, जहाँ पर कपडे, जूते , दवाईया,
छाते, टॉर्च, कैमरे का सामान, बैटरी, खाने का सामान इत्यादि आसानी मिल जाता है । चंदनवाड़ी में ही अमरनाथ जी मार्ग से आती हुई एक छोटी सी नदी और लिद्दर नदी का संगम भी है ।
जहाँ रास्ता खत्म हुआ वहां पर घाटी में एक मोटी बर्फ का बड़ा ग्लेशियर था, जिसका नाम स्थानीय लोग चंदनवाड़ी ग्लेशियर कह रहे थे । ग्लेशियर के मुहाने मतलब नीचे से तेज गति से एक नदी बहती हुई निकल रही थी । ये द्रश्य हमारे लिए अनुपम ही था क्योकि हम लोग पहली बार बर्फ के नीचे से बहती हुई नदी देख रहे थे । ग्लेशियर पर काफी पर्यटक/घुमक्कड़ लोग अपनी मौज मस्ती और खेल-कूद व्यस्त थे । हम लोग भी ग्लेशियर पर घूमने चल दिए तबतभी कुछ दुकानदार पीछे लग गये की जूते ले लो नहीं तो बर्फ पर चल नहीं पाओगे पर हम लोगो ने न लिए,पर वो लोग अंत तक पीछे पड़े रहे । जब सम्भालते हुए ग्लेशियर काफी पर पहुंचे तो पता चला की ये काफी बड़ा बर्फ ग्लेशियर है जो पहाड़ की ऊंचाई तक जा रहा था । मिटटी के कारण बर्फ मटमैली और काफी गन्दी हो चुकी थी । अमरनाथ जी जाने का रास्ता इसी ग्लेशियर से आगे के तरफ जाता हुआ नजर आ रहा था, साथ में ग्लेशियर के पीछे नदी भी दिखाई दे रही थी जो सम्भवतः इसी ग्लेशियेर के अंदर से होती हुई आगे निकल रही थी । बर्फ पर फिसलन भी काफी थी सो काफी संभलकर चलना पड़ रहा था जहाँ चुके वही फिसल जाना तय था । यहाँ पर आकर मेरे कैमरे की बैटरी खत्म हो गयी,आगे फोटो मुझे अपने मोबाइल से ही लेनी पड़ी ।
ग्लेशियर पर स्थानिय लोग लकड़ी की स्लाइड से लोगो को स्लाइड भी करा रहे थे, पूछने पर मूल्य भी बहुत अधिक जैसे एक पॉइंट से रु० 100, दूसरे ऊपर वाले पॉइंट रु० 200 और तीसरे पॉइंट से रु० 300 । मतलब स्थानीय नागरिको ने पर्यटकों को मौजमस्ती कराने के साथ-साथ इसको अपने रोजगार का साधन भी बनाया हुआ था । कुछ लोग ग्लेशियर पर नीचे ही रहे और कुछ लोग काफी ऊंचाई तक चले गये, ऊपर से नजारा और चंदनवाड़ी का नजारा बहुत अच्छा लग रहा है, मौसम जयादा ठंडा नहीं था पर जबकी बर्फ के कारण पैर गल रहे थे ।अब हम लोग ऊपर चढ़ तो गये पर वापिस आने में हालात ख़राब क्योकि ढलान के कारण फिसल रहे थे । हम लोगभी बर्फ पर पैर गड़ा-गड़ा नीचे उतर रहे थे । सच में ये हम लोगो के लिए बड़ा रोमांचक अनुभव था, भाव डर और ख़ुशी दोनों के थे ।
कुछ लोग स्लाइड कराने वालो से तय करके नीचे चले गये, मेरे बच्चे कुछ ऊपर थे सो उनको एक स्लाइड वाला भी नीचे ले आया । मेरे नीचे आने परअब स्लाइड वाला अनाप-शनाप पैसे मांगने लगा । मैंने कहा की भाई तुझे इनको नीचे लाने के लिए बोला किसने अब तू अपनी मर्जी लाया है तो जायज पैसा ले ले । पर वो न माना, मैं भी अड़ा रहा केवल रु० 100 दूंगा लेना हो तो ले नहीं तो जा । वो बोला नीचे तुम्हारी शिकायत कर दूंगा मैंने कहा कर दे और मैंने कहा कि "जब मैंने तुझसे नीचे लाने के लिए कहा ही नहीं था तो क्यों नीचे लाया, अब जब लाया है तो जायज पैसा ले और जा" और मैं बच्चो को लेकर चल दिया । वो पगडण्डी/सडक तक पीछे-पीछे आ गया अंत में रु० 100 लेकर बडबडाता हुआ चला गया । खैर ये मेरी अकेले की व्यथा नही थी अक्सर ऐसा यात्रियों के साथ कभी-कभी होता रहता है । पर यहाँ की सैर सभी के लिए रोमांचक अनुभव लिए हुए थी । सड़क किनारों दुकानों से हल्का-फुल्का अल्पाहार लिया गया । समय काफी हो चुका था दोपहर के एक बजे रहे थे सो गाड़ी में बैठकर अपने अगली मंजिल एक और नए स्थल की तरफ रवाना हो गए ।
इस यात्रा लेख सम्बन्धित चित्रों का संकलन आप लोगो के प्रस्तुत है →
पहलगाम का होटल ( Hotel Indian Palace at Chandanwadi Road, Pahalgam)
होटल से शानदार द्रश्य (A View from Hotel, Pahalgam)
होटल से शानदार द्रश्य (A View from Hotel, Pahalgam)
होटल से शानदार द्रश्य (A View from Hotel, Pahalgam)
A Flower from Hotel
होटल से शानदार द्रश्य (A View from Hotel, Pahalgam)
होटल के बगीचे में गुलाब के फूल ( Roses at Hotel Garden)
होटल के बगीचे में गुलाब के फूल ( Roses at Hotel Garden)
On the way to Betab Valley (बेताब वैली के रास्ते में नजारा )
On the way to Betab Valley (बेताब वैली के रास्ते में नजारा )
लिद्दर नदी , पहलगाम ( Lidder Riverat Betab Valley)
लिद्दर नदी , पहलगाम ( Lidder Riverat Betab Valley)
लिद्दर नदी , पहलगाम ( Lidder Riverat Betab Valley)
बेताब वैली का मुख्य गेट ( Betab Valley Gate )
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम
Betab Valley, Pahalgam (बेताब वैली, पहलगाम)
बेताव वैली के पास एक पहाड़ पर सुन्दर द्रश्य
बेताबवैली के रास्ते एक छोटा ग्लेशियर
चन्दनबाड़ी के जाते हुए
Chandanwadi Market , Pahalgam
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर के नीचे से निकलती नदी)
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर के नीचे से निकलती नदी)
चंदनवाड़ी से एक नजारा (A View from Chandanwadi)
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर के नीचे से निकलती नदी)
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर )
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर )
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर )
Chandanwadi Glacier (चंदनवाड़ी पर ग्लेशियर )
तो ये था हमारे कश्मीर यात्रा के तीसरे दिन पहले पहर के भ्रमण का लेखा जोखा, अब इस लेख को यही समाप्त करते है मिलते कश्मीर यात्रा के एक नये लेख साथ । आशा करता हूँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा, यदि अच्छा लगे तो टिप्पणी के माध्यम से विवेचना जरुर करे। जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का धन्यवाद !
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ज्यादातर लोगों की आदत भी होती है बाहर से आने वालों से ज्यादा से ज्यादा पैसा ऐंठ लेने की । खैर आपने सही किया कि ज्यादा पैसा नहीं दिया ।बेताब वैली का नजारा सच में मंत्रमुग्ध कर देने वाला है ।फोटो बहुत सुन्दर लिये हैं आपने ।
पहलगाम से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद । बेताब वैली का नाम सुनते ही "जब हम जवा होंगे जाने कहाँ होंगे " गाना याद आ जाता है । मुझे लगता है 100रुपये के चक्कर में कई लोग इसे देखने से वंचित हो जाते है । पहलगाम की खूबसूरती आपके खूबसूरत तस्वीर में दिख रही है । फ़ोटो से आप पुष्प प्रेमी भी लगते है ।
हां सही कहा ...बेताब वैली के नाम से यही गाना याद हो आता है ....| भाई जब इतनी दूर आये है तो 100 रूपये क्या देखना था... खैर जो टिकिट है वो तो लेनी ही थी....| हाँ पुष्प बहुत पसंद है
कश्मीर में दूसरे प्रदेश से आये यात्रियों से सभी जगह इसी तरह पैसे बटोरतें हैं. दो मास के बाद पोस्ट आई, इसको इतना सुंदर बनाने में तथा फोटो को आपकी कला द्वारा यह बेताब वैली और सुंदर लग रही है। चंदनवाड़ी से आगे अमरनाथजी में तो कुदरत का अपना ही अंदाज़ दिखता है।
मैं पहलगाम 2013 में गया था तब पहलगाम की तरफ से श्री अमरनाथ बाबा के दर्शन को गए थे। ....पहलगाम सच में बहुत खूबसूरत है और उतना ही सुन्दर आपने वर्णन किया है....।
ब्लॉग पोस्ट पर आपके सुझावों और टिप्पणियों का सदैव स्वागत है | आपकी टिप्पणी हमारे लिए उत्साहबर्धन का काम करती है | कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी से लेख की समीक्षा कीजिये |
ब्लॉग बुलेटिन की १४०० वीं बुलेटिन, " ऑल द बेस्ट - १४००वीं ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteरितेश जी बहुत अच्छी जानकारी दी आपने! और फोटोज एक से एक बहतरीन आए है !
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई......
Deleteफोटो बहुत बेहतरीन है जी
ReplyDeleteधन्यवाद हितेश जी
Deleteज्यादातर लोगों की आदत भी होती है बाहर से आने वालों से ज्यादा से ज्यादा पैसा ऐंठ लेने की । खैर आपने सही किया कि ज्यादा पैसा नहीं दिया ।बेताब वैली का नजारा सच में मंत्रमुग्ध कर देने वाला है ।फोटो बहुत सुन्दर लिये हैं आपने ।
ReplyDeleteयोगी जी.....टिप्पणी के लिए आपका शुक्रिया....
Deleteबेताब वैली का नजारा वाकई में बहुत सुन्दर था...
पहलगाम से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteबेताब वैली का नाम सुनते ही "जब हम जवा होंगे जाने कहाँ होंगे " गाना याद आ जाता है ।
मुझे लगता है 100रुपये के चक्कर में कई लोग इसे देखने से वंचित हो जाते है ।
पहलगाम की खूबसूरती आपके खूबसूरत तस्वीर में दिख रही है । फ़ोटो से आप पुष्प प्रेमी भी लगते है ।
हां सही कहा ...बेताब वैली के नाम से यही गाना याद हो आता है ....|
Deleteभाई जब इतनी दूर आये है तो 100 रूपये क्या देखना था... खैर जो टिकिट है वो तो लेनी ही थी....|
हाँ पुष्प बहुत पसंद है
धन्यवाद किसन जी.....
सुन्दर पहलगाम के सुन्दर दर्शन,तस्वीरें एक से बढ़कर एक हैं। स्लेज में जबरन पैसे ऐठने जैसे बातें होना पर्यटक स्थलों के लिए आम बात जैसी ही हो गयी है आजकल
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी....| जबरन पैसे ऐठने वाली बाते तो अक्सर सभी जगह हो ही जाती है |
Deleteकश्मीर में दूसरे प्रदेश से आये यात्रियों से सभी जगह इसी तरह पैसे बटोरतें हैं. दो मास के बाद पोस्ट आई, इसको इतना सुंदर बनाने में तथा फोटो को आपकी कला द्वारा यह बेताब वैली और सुंदर लग रही है। चंदनवाड़ी से आगे अमरनाथजी में तो कुदरत का अपना ही अंदाज़ दिखता है।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया सर्वेश जी....
Deleteआप काम काज से कुछ समय निकालकर लिख लेता हूँ..... व्यस्त रहता हूँ इसलिए देर से पोस्ट आती है |
Photo mast hey sirji,
ReplyDeletePahalgam winter me ja sakte hey kya? Best visit time konsa hey?
धन्यवाद सुनील जी....
Deleteजी हाँ आप सर्दियों में जा सकते है....| वैसे घूमने का सही समय तो मई -जून होता है | फिर फरवरी तो मार्च
शानदार। एक बार जाके आ गया अब दोबारा जाने की इच्छा है ☺
ReplyDeleteधन्यवाद | जरुर जाइए इच्छा का न मारिये...
Deleteरोचक यात्रा संस्मरण.....पहलगांव की और बेताब वैली की खूबसूरती का सुंदर शब्दों और जानदार चित्रों के माध्यम से शानदार वर्णन 👌
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार टिप्पणी के लिए ...
Deleteधन्यवाद
धन्यवाद
ReplyDeleteरोचक यात्रा संस्मरण
ReplyDeleteधन्यवाद जी...
Deletevery beautiful post and fotos
ReplyDeleteThanks a lot Sir ji
DeletePehchan mai mini sweet zeeland dekhne jana tha boht badiya hai
ReplyDeleteThanks ji
Deleteमैं पहलगाम 2013 में गया था तब पहलगाम की तरफ से श्री अमरनाथ बाबा के दर्शन को गए थे। ....पहलगाम सच में बहुत खूबसूरत है और उतना ही सुन्दर आपने वर्णन किया है....।
ReplyDeleteबाबा अमरनाथ जाने के लिए मुख्य रास्ता तो पहलगाम से ही है |
Deleteपोस्ट पर आने और टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद