Written By - Ritesh Gupta
नमस्कार दोस्तों ! पिछले लेख में मैंने आप लोगो को व्यास और पार्वती नदी घाटी के बीच बसे “पवित्र स्थल मनिकरण” के बारे में वताया था, जिसे आप मेरे पिछले लेख “एक सुहाना सफ़र मनाली का….5″ में पढ़ सकते हैं । आइये अब चलते हैं इस श्रृंखला के अंतिम लेख “पवित्र स्थल मनिकरण के भ्रमण” पर ।
सुबह मनाली से चलने के बाद कार की साहयता से तीन बजे के आसपास हम लोग मनिकरण पहुँच ही गए । मनिकरण में धूप तेज थी पर मौसम काफी ठंडा था, पूरी घाटी में पार्वती नदी का शोर किसी मधुर संगीत की तरह गुंजायमान था । यहाँ पहुँचने के बाद के सबसे पहले एक खाली स्थान देखकर कार को सड़क के किनारे लगा दिया और एक होटल की तलाश करने अपने छोटे भाई अनुज के साथ निकल पड़ा । कई होटल छानमारे पर सस्ता होटल हमें कही नहीं मिला, ज्यादातर सभी होटल के कमरे का किराया रु०1500/- प्रतिदिन से अधिक ही बताया जा रहा था और ऊपर से यह कह रहे थे जल्दी से यही कमरे ले लो नहीं तो सप्ताहांत होने के कारण दिल्ली वाले आ जायेगे और आपको फिर कोई कमरा भी नहीं मिलेगा । फिर भी हमने अपनी तलाश जारी रखी करीब आधे घंटे की मेहनत रंग लाई ही गयी और पार्वती नदी के किनारे टैक्सी स्टैंड से पहले एक होटल (अब नाम याद नहीं हैं) पहुँच गए ।
होटल लगभग पूरा खाली था, कई सारे रूम देखने के बाद हमें उस होटल का एक कमरा पसंद आ गया, कमरा काफी सुव्यवस्थित और बड़ा था । कमरे की बालकनी से बहती पार्वती नदी का सुन्दर द्रश्य नजर आ रहा था और उस कमरे लगे बाथरूम भी काफी बड़ा और साफ़ सुधरा था । उसने हमें उस कमरे के रु.1200/- बताये और उससे एक रुपया भी नीचे करने को तैयार नहीं हुआ, उसने कहाँ की,”आपको अभी यह होटल खाली नजर आ रहा हैं, पर रात तक यह पूरा भर जायेगा ।” काफी कहने पर पर वो एक अतरिक्त बिस्तर देने को राजी हो गया था । सबसे अच्छी बात इस होटल की थी कि इसकी अपनी तीन या चार कार लायक पार्किंग की भी व्यवस्था थी । हमने होटल के उस कमरे को कुछ अग्रिम राशि देकर आरक्षित कर लिया । कार को होटल की पार्किंग में लगाकर कमरे में सारा सामान पंहुचा दिया । यहाँ के होटलों की एक खास बात यह की होटलो में गर्म पानी के लिए गीजर की कोई व्यवस्था नहीं हैं । यहाँ के होटलों में गर्म पानी की आपूर्ति नदी के उस पार स्थित गर्म कुंड से होती हैं, जो चार-पांच मिनट गर्म पानी का नल खुला छोड़ने पर गर्म पानी आने लगता हैं ।
लगभग एक घंटा सफ़र की थकावट उतारने के बाद हम लोग गर्म कुंड में नहाने के इरादे पार्वती नदी के दाई तरफ के मंदिर, पुराने बाज़ार की ओर चल दिया । टैक्सी स्टैंड के अंतिम छोर से पार्वती नदी को एक पुल की साहयता से पार किया । पुल के नीचे से अपने अथाह जलराशि के साथ रोद्र रूप में बहती पार्वती नदी काफी वेगमान, भयानक और मन को अति सुन्दर लग रही थी । पुल पार करने के बाद सबसे पहले प्राचीन श्री राम मंदिर नजर आया, इस मंदिर में गर्म कुंड के पानी में नहाने की व्यवस्था भी हैं । थोड़ा आगे बढ़ने पर नैना भगवती मंदिर हैं और वही पर एक छोटे से चौराहे पर लकड़ी का पुराना सुन्दर रथ जगन्नाथजी की यात्रा हेतु रखा हुआ था । चौराहे से आगे जाने पर प्राचीन मंदिर श्री रघुनाथ जी का आया हैं, इस मंदिर के बाहर बेहद ही गर्म उबलते पानी का एक चश्मा(कुंड) सड़क के समीप ही था, जिसमे से बहुत तेजी से गर्म भाप निकल रही थी । प्रकृति का यह चमत्कार देखकर कर हम प्रभु के सामने नतमस्तक हो गए । यह कुंड इतना गर्म था कि आप किसी कपड़ो में कच्चे चावल या चने बांधकर इस कुंड में छोड़ कुछ मिनटों में उबलकर पक जाते हैं । इसी उबलते चश्मे के पीछे नहाने का पानी से भरा हुआ एक स्नानागार कुंड बनाया हुआ था, पर इस स्नानागार का पानी अत्यधिक गर्म होने के कारण आज बंद था । यहाँ पर महिलाए और पुरुषों दोनो के लिए अलग-अलग नहाने कि व्यवस्था हैं । गर्म कुंड का पानी गंधक युक्त हैं और इस पानी में नहाने से चर्म सम्बन्धी सारे रोग दूर हो जाते हैं ।
हमने किसी स्थानीय दुकानदार से नहाने लायक और कुंड के बारे में पूछा तो उसने बताया कि आगे गुरूद्वारे में भी दो कुंड हैं, एक कुंड गुरूद्वारे के मुख्य भवन के नीचे ढका हुआ हैं और दूसरा कुंड खुले में पार्वती नदी पार करके हैं । हम लोग मनिकरण के घने बाजार और संकरी गलियों से होते आगे चलते रहे हैं यहाँ के बाजार में अधिकतर दुकानों पर प्रसाद, छोटे बर्तन, खान-पीने का सामान, बच्चो के खिलौने, मेवो आदि की थी । कुछ देर चलने के बाद मनिकरण का मुख्य आराध्य देव शिव भगवान का मंदिर आ गया । हम लोग मंदिर में प्रवेश कर गए, मंदिर के अंदर दरवाजे से थोड़ा आगे ही एक उबलते गर्म पानी का एक ओर चश्मा (कुंड) था । कुंड के ऊपर ही दीवार पर भगबान भोलेनाथ का बड़ा सा चित्र अंकित हैं । गर्म कुंड के कारण मंदिर का फर्श भी अत्यधिक गर्म हो रहा था, अन्जाने में फर्श पर नंगे पैर चलने पर लोग उचक-उचक कर चल रहे थे । पैर जलने से बचाने के लिए मंदिर परिसर में जूट की चटाई और लकड़ी के पटरियां डाली हुई थी । हमने मंदिर के इस खौलते इस गर्म कुंड में झाँक कर देखा । कुंड का पानी बहुत तेजी से उबल रहा था और कई सारे बड़े-बड़े मटके कुंड के गर्म पानी में रखे हुए थे । इन मटको में गुरुद्वारे के लंगर का खाना पक रहा था, जिन मटको पर बोरी पड़ी हुई थी उनमे दाल और जो मटके खुले हुए थे उनमे चावल पक रहा था । बहुत से भक्त लोग इस कुंड में धागे की साहयता से छोटी-छोटी पोटलियो में प्रसाद के लिए चावल और चने पका रहे थे । एक रास्ता मंदिर के पास से ही गुरूद्वारे के अंदर जाने के लिए था । हमें सबसे पहले नहाना था, सो हम लोग उस रास्ते से गुरूद्वारे के अंदर चले गए । चप्पल जूता स्टैंड पर हम लोगो ने चप्पल जूते जमा करा दिए और गुरुद्वारे का गर्म पानी के स्नानागार पहुँच गए ।
यह गुरुद्वारे का स्नानागार (नहाने का कुंड) ठीक गुरुद्वारे के नीचे एक छोटे से स्विमिंगपुल जैसा था और गहराई करीब तीन या साढ़े तीन फुट थी । मुख्य कुंड के पास ही महिलाए के लिए अलग से कुंड की व्यवस्था थी । इस कुंड में एक बड़े पाइप की साहयता से बगल के शिवमंदिर के उबलते कुंड का गर्म पानी मिलाया जा रहा था । देखने में पानी बिल्कुल स्वच्छ था, हाथ लगाने पर पानी गुनगुने से थोड़ा सा ही गर्म था । ठन्डे मौसम से गर्म पानी देखकर हमारा मन नहाने को मचल उठा और फटाफट कपड़े उतारकर कुंड के पानी में उतर गए । हमारे बच्चे तो गर्म पानी के वजह से बार कुंड से बाहर आ रहे थे । काफी देर गंधक युक्त गर्म कुंड में स्नान करने के पश्चात हम लोग तैयार होकर अंदर के रास्ते से ही भगवान शिवजी के मंदिर में पहुँच गए । प्रसाद के लिए महमें मंदिर से बाहर आना पड़ा, दरवाजे के पास ही एक दुकान से हमने प्रसाद ख़रीदा और वापिस मंदिर आ गए । मंदिर प्रागंण काफी साफ सुधरा था और ठंडी हवा चल रही थी । मंदिर में भगवान भोले नाथ का शिवलिंग खूबसूरत फूलो से सुशोभित था और बड़ा मनोहारी लग रहा था । हम लोगो ने मंदिर में भगवान शिव का ध्यान किया, उनकी वंदना की और आशीर्वाद लिया । हमने मुख्य शिव मंदिर के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी की । शिवलिंग के सामने बड़े से पीतल के नंदी जी की खूबसूरत मूर्ति विराजमान थी, यहाँ नंदी जी के साथ हमने कुछ फोटो ली ।
भोलेनाथ जी के दर्शन करने के पश्चात हम लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुँच गए । एक पतले रास्ते से गुरुद्वारे में प्रवेश किया, मुख्य भवन गुरुद्वारा परिसर कुछ सीडियाँ चढ़कर एक बड़े से हॉल में था । सीडियाँ पर काफी भीड़ थी, बमुश्किल हाल में प्रवेश किया । पूरे हॉल में बैठने के लिए साफ़ सुधरे गड्डे बिछे हुए थे और भीड़ होने के वावजूद यहाँ का वातावरण में शांति व्याप्त थी । हमने मनिकरण साहिब तक्ख के आगें अपना मत्था टेका और देशी घी के हलुवे का प्रसाद ग्रहण किया । कुछ समय हॉल के शांत माहौल में बिताने के बाद हम लोग हाल से बाहर आ गए । हॉल के बाहर ही दाई तरफ लंगर के लिए एक बड़ा हॉल भी था पर इस समय सफाई कार्य के चलते लंगर बंद था । हम लोगो ने पूरा गुरुद्वारा परिसर अच्छे से घूमा । गुरूद्वारे को सड़क तक जोड़ने वाले पार्वती नदी पर बने पैदल पुल पर भी गए । यहाँ से नदी का तेज वेग साफ़ मालूम पड़ रहा था और पुल के बीचो-बीच ठंडी हवा चल रही थी । पुल के दोनो ओर का नजारा शानदार था । कुछ फोटो पुल पर लेने के बाद वापिस मणिकरण के बाजार में आ गए ।
काफी समय बाजार घूमते हुए और सामान का मोल भाव करते हुए बिता दिया । एक छोटे से चाय की दुकान पर चाय और आलू के परांठे ओर चाउमिन का नाश्ता किया । रास्ते में पड़ने वाले और मंदिर के दर्शन करने के बाद शाम के सवा सात बजे तक हम लोग वापिस होटल के कमरे में पहुँच गए । लगभग दो-तीन घंटे आराम करने के बाद दस बजे के आसपास हमने अपना रात का खाना टैक्सी स्टैंड के चौक पर स्थित एक ढाबेनुमा रेस्तरा पर खाया, खाना यहाँ का काफी स्वादिष्ट था । मनिकरण के सभी दुकाने इस समय बंद हो चुकी थी कुछ ढाबे ही खुले नजर आ रहे थे । रात अधिक हो जाने के कारण वापिस कमरे में आ गए । कमरे में आकार काफी समय खिड़की से बाहर बहती पार्वती नदी को देखते रहे, ठंडी हवा चल रही थी । रात के सन्नाटे में अँधेरे के आगोश में लिपटे पूरे मनिकरण में नदी का शोर चहु ओर गूंज रहा था । इस समय हमें एक अलग ही अहसास की अनुभूति हो रही थी । बैठे-बैठे जब आँखों में नींद भर आई तब खिड़की बंद करके चुपचाप से कम्बल ओड़कर सो गए ।
ऐसा ही वीडियो मैंने होटल के कमरे की खिड़की से बहती हूयी पार्वती नदी का और वहाँ से नदी के पार दिखता मनिकरण का बनाया हैं जिसे आप मेरे यू-ट्युब के इस लिंक पर देख सकते हैं → पार्वती नदी और मनिकरण
दिन शनिवार,26 जून 2010 को सुबह के सात बजे हमारी नींद खुल । खिड़की से बाहर मनिकरण का नज़ारा लिया, आज धूप काफी खिली हुई थी, नदी पार का हर चीज चमकदार लग रही थी । आज का दिन हमारी यात्रा का अंतिम दिन था और हमें 12:00 के आसपास मनिकरण से वापिसी करनी थी । हमारे नहाने का आज का कार्यक्रम भी गर्म कुंड में पर ही था, सो धुले कपड़े थैली में डाले और चल दिए कुंड की तरफ । जिस होटल में हम ठहरे थे, उसके सारे कमरे किराये पर उठ चुके थे । हम लोग रास्ते में पड़ने वाले पहले कुंड पहुंचे तो वो आज भी अधिक गर्म पानी के कारण बंद था । अतः नहाने के लिए हम लोग गुरूद्वारे वाले ढके हुए कुंड पर गए । नहा धोकर नौ बजे के आसपास हम भोले नाथ जी के मंदिर पहुँच गए वहाँ मंदिर जाकर में भगवान शंकर के शिवलिंग के दर्शन किये और उनकी पूजा की ।कुछ समय यहाँ बिताने के बाद मंदिर से जुड़े अंदर के रास्ते गुरूद्वारे के निचले भाग में स्थित छोटी सी एक गर्म गुफा पर पहुँच गए, इस गुफा का रास्ता बहुत ही छोटा था (जैसा कि फोटो में देख सकते हैं)। हम लोगो ने झुककर गुफा में प्रवेश किया । अंदर से गुफा काफी छोटी थी और गुफा के अंदर के दीवार वाले पत्थर काफी गर्म थे । कई लोग दीवार पर अपनी पीठ टिकाकर गुफा की गर्मी का आनन्द ले रहे थे ।
गुफा के अंदर से दर्शन करने के बाद हम लोगो ने गुरूद्वारे के मुख्य भवन में जाकर मत्था टेका । कुछ देर बाद मुख्य भवन से निकल कर दाहिने तरफ के लंगर वाले हॉल में पहुँच गए । इस समय पौने दस बज रहे थे और हॉल में लंगर चल रहा था, हॉल में काफी भीड़ जमा थी कई लोग अपनी बारी के प्रतीक्षा कर रहे थे । हम लोगो में हॉल में से ही एक जगह से धुले हुए बर्तन लिए और एक खाली जगह देखकर बैठ गए । लंगर में हमने चावल, कड़ी, दाल, चनिया और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया । लंगर मे स्वादिष्ट खाना भोजन करने के बाद हम लोग सीढ़ियों से गुरूद्वारे के निचले हिस्से में पहुँच गए, गुफा से बाहर निकलने के पश्चात हम लोग मनिकरण के बाजार में घूमते हुए हम लोगो ने वापिसी में प्राचीन रघुनाथ मंदिर, लकड़ी की सुंदर नक्काशी से निर्मित नैना भगवती का मंदिर और मुख्य प्राचीन श्री राम मंदिर के दर्शन किये ।
प्राचीन श्री राम मंदिर मनिकरण का एक मुख्य मंदिर हैं । श्री राम मंदिर तक जाने के लिए कुछ सीढ़िया चढ़कर जाना होता हैं । यह मंदिर पत्थर और पत्थर की सुन्दर कलाकृति से निर्मित भव्य और बड़ा मंदिर हैं । जब हम लोग इस मंदिर में पहुंचे तो मंदिर की सुंदरता, दीवारों पर पत्थरों की सुन्दर कलाकृति देखकर मुग्ध हो गए । हम लोगो ने बड़ी श्रद्धा से मंदिर में भगवान के दर्शन लाभ उठाया और मंदिर की सुन्दर कलाकृति का अवलोकन किया । इस मंदिर में भी नहाने हेतु गर्म कुंड की भी व्यवस्था थी ।
पौने ग्यारह के आसपास हम लोग वापिस होटल के कमरे में पहुँच गए । अपना बिखरा हुआ सारा सामान समेट कर बैगो में पैक कर लिया । पौने बारह बजे के आसपास हम लोगो ने होटल वाले को कमरे का पूरा हिसाब कर दिया और कार में सारा सामान डाल कर अपनी वापिसी की यात्रा शुरू की और मनिकरण को अलविदा किया । पर यह क्या ! होटल की पार्किंग से निकलते ही लंबा जाम मिल गया । आज मनिकरण में काफी संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों के आवागमन के कारण मनिकरण का यह छोटा सा रास्ता पूरी तरह से जाम पड़ा था । मनिकरण के इस छोटे से रास्ते पर कुछ बड़ी बसों के आने कारण जाम और भी भयंकर हो गया था । हम लोग जाम में धीरे-धीरे खिसकते हुए आगे बढ़ रहे थे । इस जाम के कारण हमारा काफी समय बर्बाद हो गया, लगभग दो-ढाई घंटे जाम फँसे रहने के बाद कसोल से पहले चौड़ी सड़क आने पर जाम लगभग समाप्त हो गया । दोपहर के ढाई बज रह थे और अब जोरो से भूंख भी सताने लगी थी । हमने कार चालक से खाना खाने के लिए किसी ढाबे या रेस्तरा पर रुकने को कहा । हमारे कार चालक ने कसोल से छह किलोंमीटर आगे साँझा-चूल्हा नाम के रेस्तरा गाड़ी रोक दी । हमें कसोल के पास स्थित साँझा-चूल्हा रेस्तरा बनावट से बहुत ही खूबसूरत और सुन्दर रंगों से भरपूर लगा । रेस्तरा के बाहर बहुत सुन्दर पेड़ पौधे से युक्त हरा-भरा बगीचा भी था, मेरे ख्याल से शायद इसमें रुकने की भी व्यवस्था थी । हम लोग भोजन करने के लिए रेस्तरा में अंदर चले गए । लकड़ी से निर्मित झोपड़ीनुमा आकार का यह रेस्तरा अंदर से काफी बड़ा और भी पूरी तरह से हिमाचली संस्कृति और साज-सज्जा निर्मित था । रेस्तरा में सेवा देने वाले वेटर और लोग हिमाचली वेशभूषा में थे, और वहाँ आये लोगो आग्रह बड़ी शालीनता से स्वीकार कर रहे थे । लगभग आधे घंटे में हम लोग यहाँ से खाना खाकर निकल लिए और आपनी यात्रा को जारी रखा ।
चार बजे के आस पास हम लोगो ने भुंतर के पार्वती नदी और व्यास नदी पर बने पुल को पार लिया था । भुंतर से हम लोग MDR30 से NH21* हाइवे पर चल दिए । इसी मार्ग पर हमने अपनी यात्रा को जारी रखा । रात के दस बजे के आसपास हम लोग चंडीगढ़ के पास के हाइवे पर चल रहे थे, यहाँ से आगे हमें खाने के लिए कोई ढंग का ढाबा नहीं मिला । रात को लगभग 12:00 बजे के आसपास करनाल से आगे एक बड़े ढाबे पर खाने के लिए गाड़ी रोकी । खाना खाकर पनी इस यात्रा को हमने जारी रखा, और रात के सन्नाटे में हाइवे पर कार से चलते हुए लगभग तीन बजे हम लोग अपने नॉएडा स्थित आवास पर पहुँच गए । रात को ही हमने अपने कार चालक को कार का पूरा हिसाब भी कर दिया था ।
इस प्रकार हमारी (एक सुहाना सफ़र मनाली का) मनाली, रोहतांग और मनिकरण की यादगार यात्रा के इस श्रृंखला यही समापन होता हैं । आज की मनिकरण की यात्रा आपको कैसी लगी, आपकी बहुमूल्य प्रतिकिया का स्वागत हैं । जल्द ही एक नई श्रृंखला लेकर जल्द ही उपस्थित होऊंगा तब तक के लिए धन्यवाद ! जय हिंद, जय भारत, जय घुमक्कड़ी !
नोट : ऊपर लगाये गए फोटो में दर्शाये गए समय और दिनांक वास्तविक हैं ।
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नमस्कार दोस्तों ! पिछले लेख में मैंने आप लोगो को व्यास और पार्वती नदी घाटी के बीच बसे “पवित्र स्थल मनिकरण” के बारे में वताया था, जिसे आप मेरे पिछले लेख “एक सुहाना सफ़र मनाली का….5″ में पढ़ सकते हैं । आइये अब चलते हैं इस श्रृंखला के अंतिम लेख “पवित्र स्थल मनिकरण के भ्रमण” पर ।
सुबह मनाली से चलने के बाद कार की साहयता से तीन बजे के आसपास हम लोग मनिकरण पहुँच ही गए । मनिकरण में धूप तेज थी पर मौसम काफी ठंडा था, पूरी घाटी में पार्वती नदी का शोर किसी मधुर संगीत की तरह गुंजायमान था । यहाँ पहुँचने के बाद के सबसे पहले एक खाली स्थान देखकर कार को सड़क के किनारे लगा दिया और एक होटल की तलाश करने अपने छोटे भाई अनुज के साथ निकल पड़ा । कई होटल छानमारे पर सस्ता होटल हमें कही नहीं मिला, ज्यादातर सभी होटल के कमरे का किराया रु०1500/- प्रतिदिन से अधिक ही बताया जा रहा था और ऊपर से यह कह रहे थे जल्दी से यही कमरे ले लो नहीं तो सप्ताहांत होने के कारण दिल्ली वाले आ जायेगे और आपको फिर कोई कमरा भी नहीं मिलेगा । फिर भी हमने अपनी तलाश जारी रखी करीब आधे घंटे की मेहनत रंग लाई ही गयी और पार्वती नदी के किनारे टैक्सी स्टैंड से पहले एक होटल (अब नाम याद नहीं हैं) पहुँच गए ।
होटल लगभग पूरा खाली था, कई सारे रूम देखने के बाद हमें उस होटल का एक कमरा पसंद आ गया, कमरा काफी सुव्यवस्थित और बड़ा था । कमरे की बालकनी से बहती पार्वती नदी का सुन्दर द्रश्य नजर आ रहा था और उस कमरे लगे बाथरूम भी काफी बड़ा और साफ़ सुधरा था । उसने हमें उस कमरे के रु.1200/- बताये और उससे एक रुपया भी नीचे करने को तैयार नहीं हुआ, उसने कहाँ की,”आपको अभी यह होटल खाली नजर आ रहा हैं, पर रात तक यह पूरा भर जायेगा ।” काफी कहने पर पर वो एक अतरिक्त बिस्तर देने को राजी हो गया था । सबसे अच्छी बात इस होटल की थी कि इसकी अपनी तीन या चार कार लायक पार्किंग की भी व्यवस्था थी । हमने होटल के उस कमरे को कुछ अग्रिम राशि देकर आरक्षित कर लिया । कार को होटल की पार्किंग में लगाकर कमरे में सारा सामान पंहुचा दिया । यहाँ के होटलों की एक खास बात यह की होटलो में गर्म पानी के लिए गीजर की कोई व्यवस्था नहीं हैं । यहाँ के होटलों में गर्म पानी की आपूर्ति नदी के उस पार स्थित गर्म कुंड से होती हैं, जो चार-पांच मिनट गर्म पानी का नल खुला छोड़ने पर गर्म पानी आने लगता हैं ।
लगभग एक घंटा सफ़र की थकावट उतारने के बाद हम लोग गर्म कुंड में नहाने के इरादे पार्वती नदी के दाई तरफ के मंदिर, पुराने बाज़ार की ओर चल दिया । टैक्सी स्टैंड के अंतिम छोर से पार्वती नदी को एक पुल की साहयता से पार किया । पुल के नीचे से अपने अथाह जलराशि के साथ रोद्र रूप में बहती पार्वती नदी काफी वेगमान, भयानक और मन को अति सुन्दर लग रही थी । पुल पार करने के बाद सबसे पहले प्राचीन श्री राम मंदिर नजर आया, इस मंदिर में गर्म कुंड के पानी में नहाने की व्यवस्था भी हैं । थोड़ा आगे बढ़ने पर नैना भगवती मंदिर हैं और वही पर एक छोटे से चौराहे पर लकड़ी का पुराना सुन्दर रथ जगन्नाथजी की यात्रा हेतु रखा हुआ था । चौराहे से आगे जाने पर प्राचीन मंदिर श्री रघुनाथ जी का आया हैं, इस मंदिर के बाहर बेहद ही गर्म उबलते पानी का एक चश्मा(कुंड) सड़क के समीप ही था, जिसमे से बहुत तेजी से गर्म भाप निकल रही थी । प्रकृति का यह चमत्कार देखकर कर हम प्रभु के सामने नतमस्तक हो गए । यह कुंड इतना गर्म था कि आप किसी कपड़ो में कच्चे चावल या चने बांधकर इस कुंड में छोड़ कुछ मिनटों में उबलकर पक जाते हैं । इसी उबलते चश्मे के पीछे नहाने का पानी से भरा हुआ एक स्नानागार कुंड बनाया हुआ था, पर इस स्नानागार का पानी अत्यधिक गर्म होने के कारण आज बंद था । यहाँ पर महिलाए और पुरुषों दोनो के लिए अलग-अलग नहाने कि व्यवस्था हैं । गर्म कुंड का पानी गंधक युक्त हैं और इस पानी में नहाने से चर्म सम्बन्धी सारे रोग दूर हो जाते हैं ।
हमने किसी स्थानीय दुकानदार से नहाने लायक और कुंड के बारे में पूछा तो उसने बताया कि आगे गुरूद्वारे में भी दो कुंड हैं, एक कुंड गुरूद्वारे के मुख्य भवन के नीचे ढका हुआ हैं और दूसरा कुंड खुले में पार्वती नदी पार करके हैं । हम लोग मनिकरण के घने बाजार और संकरी गलियों से होते आगे चलते रहे हैं यहाँ के बाजार में अधिकतर दुकानों पर प्रसाद, छोटे बर्तन, खान-पीने का सामान, बच्चो के खिलौने, मेवो आदि की थी । कुछ देर चलने के बाद मनिकरण का मुख्य आराध्य देव शिव भगवान का मंदिर आ गया । हम लोग मंदिर में प्रवेश कर गए, मंदिर के अंदर दरवाजे से थोड़ा आगे ही एक उबलते गर्म पानी का एक ओर चश्मा (कुंड) था । कुंड के ऊपर ही दीवार पर भगबान भोलेनाथ का बड़ा सा चित्र अंकित हैं । गर्म कुंड के कारण मंदिर का फर्श भी अत्यधिक गर्म हो रहा था, अन्जाने में फर्श पर नंगे पैर चलने पर लोग उचक-उचक कर चल रहे थे । पैर जलने से बचाने के लिए मंदिर परिसर में जूट की चटाई और लकड़ी के पटरियां डाली हुई थी । हमने मंदिर के इस खौलते इस गर्म कुंड में झाँक कर देखा । कुंड का पानी बहुत तेजी से उबल रहा था और कई सारे बड़े-बड़े मटके कुंड के गर्म पानी में रखे हुए थे । इन मटको में गुरुद्वारे के लंगर का खाना पक रहा था, जिन मटको पर बोरी पड़ी हुई थी उनमे दाल और जो मटके खुले हुए थे उनमे चावल पक रहा था । बहुत से भक्त लोग इस कुंड में धागे की साहयता से छोटी-छोटी पोटलियो में प्रसाद के लिए चावल और चने पका रहे थे । एक रास्ता मंदिर के पास से ही गुरूद्वारे के अंदर जाने के लिए था । हमें सबसे पहले नहाना था, सो हम लोग उस रास्ते से गुरूद्वारे के अंदर चले गए । चप्पल जूता स्टैंड पर हम लोगो ने चप्पल जूते जमा करा दिए और गुरुद्वारे का गर्म पानी के स्नानागार पहुँच गए ।
यह गुरुद्वारे का स्नानागार (नहाने का कुंड) ठीक गुरुद्वारे के नीचे एक छोटे से स्विमिंगपुल जैसा था और गहराई करीब तीन या साढ़े तीन फुट थी । मुख्य कुंड के पास ही महिलाए के लिए अलग से कुंड की व्यवस्था थी । इस कुंड में एक बड़े पाइप की साहयता से बगल के शिवमंदिर के उबलते कुंड का गर्म पानी मिलाया जा रहा था । देखने में पानी बिल्कुल स्वच्छ था, हाथ लगाने पर पानी गुनगुने से थोड़ा सा ही गर्म था । ठन्डे मौसम से गर्म पानी देखकर हमारा मन नहाने को मचल उठा और फटाफट कपड़े उतारकर कुंड के पानी में उतर गए । हमारे बच्चे तो गर्म पानी के वजह से बार कुंड से बाहर आ रहे थे । काफी देर गंधक युक्त गर्म कुंड में स्नान करने के पश्चात हम लोग तैयार होकर अंदर के रास्ते से ही भगवान शिवजी के मंदिर में पहुँच गए । प्रसाद के लिए महमें मंदिर से बाहर आना पड़ा, दरवाजे के पास ही एक दुकान से हमने प्रसाद ख़रीदा और वापिस मंदिर आ गए । मंदिर प्रागंण काफी साफ सुधरा था और ठंडी हवा चल रही थी । मंदिर में भगवान भोले नाथ का शिवलिंग खूबसूरत फूलो से सुशोभित था और बड़ा मनोहारी लग रहा था । हम लोगो ने मंदिर में भगवान शिव का ध्यान किया, उनकी वंदना की और आशीर्वाद लिया । हमने मुख्य शिव मंदिर के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी की । शिवलिंग के सामने बड़े से पीतल के नंदी जी की खूबसूरत मूर्ति विराजमान थी, यहाँ नंदी जी के साथ हमने कुछ फोटो ली ।
Holy Shivlingam at Main Shiv Temple at Manikaran (मनिकरण का मुख्य शिव मंदिर में स्थापित परम पूज्य शिवलिंग…जय भोले नाथ की.. ) |
Lord Shiv Temple & Brass Nandi Ji (शिव मंदिर और पीतल के नंदी जी बड़ी मूर्ति ) |
मंदिर में मनिकरण का महात्म्य लिखा एक बोर्ड |
A Small Temple in Shiv Temple (शिव मंदिर में स्थापित भगवान शिव का एक अन्य छोटा मंदिर ) |
a sculpture of Bholenath ji above Hot water Spring (गर्म चश्मे के ऊपर भोलेनाथ जी के मनोहारी रूप को प्रस्तुत करता एक कलाकृति ) |
काफी समय बाजार घूमते हुए और सामान का मोल भाव करते हुए बिता दिया । एक छोटे से चाय की दुकान पर चाय और आलू के परांठे ओर चाउमिन का नाश्ता किया । रास्ते में पड़ने वाले और मंदिर के दर्शन करने के बाद शाम के सवा सात बजे तक हम लोग वापिस होटल के कमरे में पहुँच गए । लगभग दो-तीन घंटे आराम करने के बाद दस बजे के आसपास हमने अपना रात का खाना टैक्सी स्टैंड के चौक पर स्थित एक ढाबेनुमा रेस्तरा पर खाया, खाना यहाँ का काफी स्वादिष्ट था । मनिकरण के सभी दुकाने इस समय बंद हो चुकी थी कुछ ढाबे ही खुले नजर आ रहे थे । रात अधिक हो जाने के कारण वापिस कमरे में आ गए । कमरे में आकार काफी समय खिड़की से बाहर बहती पार्वती नदी को देखते रहे, ठंडी हवा चल रही थी । रात के सन्नाटे में अँधेरे के आगोश में लिपटे पूरे मनिकरण में नदी का शोर चहु ओर गूंज रहा था । इस समय हमें एक अलग ही अहसास की अनुभूति हो रही थी । बैठे-बैठे जब आँखों में नींद भर आई तब खिड़की बंद करके चुपचाप से कम्बल ओड़कर सो गए ।
ऐसा ही वीडियो मैंने होटल के कमरे की खिड़की से बहती हूयी पार्वती नदी का और वहाँ से नदी के पार दिखता मनिकरण का बनाया हैं जिसे आप मेरे यू-ट्युब के इस लिंक पर देख सकते हैं → पार्वती नदी और मनिकरण
दिन शनिवार,26 जून 2010 को सुबह के सात बजे हमारी नींद खुल । खिड़की से बाहर मनिकरण का नज़ारा लिया, आज धूप काफी खिली हुई थी, नदी पार का हर चीज चमकदार लग रही थी । आज का दिन हमारी यात्रा का अंतिम दिन था और हमें 12:00 के आसपास मनिकरण से वापिसी करनी थी । हमारे नहाने का आज का कार्यक्रम भी गर्म कुंड में पर ही था, सो धुले कपड़े थैली में डाले और चल दिए कुंड की तरफ । जिस होटल में हम ठहरे थे, उसके सारे कमरे किराये पर उठ चुके थे । हम लोग रास्ते में पड़ने वाले पहले कुंड पहुंचे तो वो आज भी अधिक गर्म पानी के कारण बंद था । अतः नहाने के लिए हम लोग गुरूद्वारे वाले ढके हुए कुंड पर गए । नहा धोकर नौ बजे के आसपास हम भोले नाथ जी के मंदिर पहुँच गए वहाँ मंदिर जाकर में भगवान शंकर के शिवलिंग के दर्शन किये और उनकी पूजा की ।कुछ समय यहाँ बिताने के बाद मंदिर से जुड़े अंदर के रास्ते गुरूद्वारे के निचले भाग में स्थित छोटी सी एक गर्म गुफा पर पहुँच गए, इस गुफा का रास्ता बहुत ही छोटा था (जैसा कि फोटो में देख सकते हैं)। हम लोगो ने झुककर गुफा में प्रवेश किया । अंदर से गुफा काफी छोटी थी और गुफा के अंदर के दीवार वाले पत्थर काफी गर्म थे । कई लोग दीवार पर अपनी पीठ टिकाकर गुफा की गर्मी का आनन्द ले रहे थे ।
गुफा के अंदर से दर्शन करने के बाद हम लोगो ने गुरूद्वारे के मुख्य भवन में जाकर मत्था टेका । कुछ देर बाद मुख्य भवन से निकल कर दाहिने तरफ के लंगर वाले हॉल में पहुँच गए । इस समय पौने दस बज रहे थे और हॉल में लंगर चल रहा था, हॉल में काफी भीड़ जमा थी कई लोग अपनी बारी के प्रतीक्षा कर रहे थे । हम लोगो में हॉल में से ही एक जगह से धुले हुए बर्तन लिए और एक खाली जगह देखकर बैठ गए । लंगर में हमने चावल, कड़ी, दाल, चनिया और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया । लंगर मे स्वादिष्ट खाना भोजन करने के बाद हम लोग सीढ़ियों से गुरूद्वारे के निचले हिस्से में पहुँच गए, गुफा से बाहर निकलने के पश्चात हम लोग मनिकरण के बाजार में घूमते हुए हम लोगो ने वापिसी में प्राचीन रघुनाथ मंदिर, लकड़ी की सुंदर नक्काशी से निर्मित नैना भगवती का मंदिर और मुख्य प्राचीन श्री राम मंदिर के दर्शन किये ।
प्राचीन श्री राम मंदिर मनिकरण का एक मुख्य मंदिर हैं । श्री राम मंदिर तक जाने के लिए कुछ सीढ़िया चढ़कर जाना होता हैं । यह मंदिर पत्थर और पत्थर की सुन्दर कलाकृति से निर्मित भव्य और बड़ा मंदिर हैं । जब हम लोग इस मंदिर में पहुंचे तो मंदिर की सुंदरता, दीवारों पर पत्थरों की सुन्दर कलाकृति देखकर मुग्ध हो गए । हम लोगो ने बड़ी श्रद्धा से मंदिर में भगवान के दर्शन लाभ उठाया और मंदिर की सुन्दर कलाकृति का अवलोकन किया । इस मंदिर में भी नहाने हेतु गर्म कुंड की भी व्यवस्था थी ।
Mata Naina Bhagwati, Manikaran (लकड़ी के सुन्दर मंदिर माता नैना भगवती की मनिहारी प्रतिमा …..जय माता दी…) |
पौने ग्यारह के आसपास हम लोग वापिस होटल के कमरे में पहुँच गए । अपना बिखरा हुआ सारा सामान समेट कर बैगो में पैक कर लिया । पौने बारह बजे के आसपास हम लोगो ने होटल वाले को कमरे का पूरा हिसाब कर दिया और कार में सारा सामान डाल कर अपनी वापिसी की यात्रा शुरू की और मनिकरण को अलविदा किया । पर यह क्या ! होटल की पार्किंग से निकलते ही लंबा जाम मिल गया । आज मनिकरण में काफी संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों के आवागमन के कारण मनिकरण का यह छोटा सा रास्ता पूरी तरह से जाम पड़ा था । मनिकरण के इस छोटे से रास्ते पर कुछ बड़ी बसों के आने कारण जाम और भी भयंकर हो गया था । हम लोग जाम में धीरे-धीरे खिसकते हुए आगे बढ़ रहे थे । इस जाम के कारण हमारा काफी समय बर्बाद हो गया, लगभग दो-ढाई घंटे जाम फँसे रहने के बाद कसोल से पहले चौड़ी सड़क आने पर जाम लगभग समाप्त हो गया । दोपहर के ढाई बज रह थे और अब जोरो से भूंख भी सताने लगी थी । हमने कार चालक से खाना खाने के लिए किसी ढाबे या रेस्तरा पर रुकने को कहा । हमारे कार चालक ने कसोल से छह किलोंमीटर आगे साँझा-चूल्हा नाम के रेस्तरा गाड़ी रोक दी । हमें कसोल के पास स्थित साँझा-चूल्हा रेस्तरा बनावट से बहुत ही खूबसूरत और सुन्दर रंगों से भरपूर लगा । रेस्तरा के बाहर बहुत सुन्दर पेड़ पौधे से युक्त हरा-भरा बगीचा भी था, मेरे ख्याल से शायद इसमें रुकने की भी व्यवस्था थी । हम लोग भोजन करने के लिए रेस्तरा में अंदर चले गए । लकड़ी से निर्मित झोपड़ीनुमा आकार का यह रेस्तरा अंदर से काफी बड़ा और भी पूरी तरह से हिमाचली संस्कृति और साज-सज्जा निर्मित था । रेस्तरा में सेवा देने वाले वेटर और लोग हिमाचली वेशभूषा में थे, और वहाँ आये लोगो आग्रह बड़ी शालीनता से स्वीकार कर रहे थे । लगभग आधे घंटे में हम लोग यहाँ से खाना खाकर निकल लिए और आपनी यात्रा को जारी रखा ।
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1. Agra to Manali Via Noida/Delhi by Car (एक सुहाना सफ़र मनाली का....1)
2. मनाली→हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्वतीय नगर (एक सुहाना सफ़र मनाली का....2)
3. रोहतांग पास → बर्फीली घाटी की रोमांचक यात्रा (एक सुहाना सफ़र मनाली का....3)
6. मनिकरण → पवित्र स्थल का भ्रमण (एक सुहाना सफ़र मनाली का….6) 2. मनाली→हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्वतीय नगर (एक सुहाना सफ़र मनाली का....2)
3. रोहतांग पास → बर्फीली घाटी की रोमांचक यात्रा (एक सुहाना सफ़र मनाली का....3)
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मनमोहक चित्र सुंदर यात्रा वृतांत
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए धन्यवाद सुशिल जी....
Deleteमणिकरण में सन ९५ में गई थी तब में और आज के मणिकर्ण में जमीं आसमान का अंतर है ..यहां हर होटल और घर में गर्म पानी का कुण्ड होता है और सभी जगह खाना इसी पानी से पकता है ... तुम चाहते तो गुरूद्वारे में रूम मिल जाता ..यादें ताज़ा हो गई ..
ReplyDeleteदर्शन जी......समय के साथ बदलाव तो आते ही रहते हैं ऐसा ही मणिकरण के साथ भी हुआ हैं...
Deleteहम लोगो को गुरूद्वारे रूम मिलने के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी....बाद में गुरूद्वारे गए तब पता चला की यहाँ भी रूम मिलता हैं....पर तब तक हम होटल में रूम ले चुके थे और उस समय गुरूद्वारे में रूम के लिए मारामारी थी मतलब भीड़ बहुत थी.....|
धन्यवाद
बहुत बढ़िया रितेश भाई, पिछले साल ही जून में गया था मनाली और मणिकरण, आपने फिर यादें ताज़ा कर दी.
ReplyDeleteधन्यवाद धर्मेन्द्र जी..... ऐसे ही आते रहिये इस ब्लॉग....|
Deletebeuatiful fotos and interesting details
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मनभावन चित्रों सहित निरंतरता लिए यात्रा वर्णन
ReplyDeleteमनमोहक तस्वीरें और रोचक यात्रा वृतांत.
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए आप सभी धन्यवाद ...
ReplyDeleteI read your full blog and it was very informative, and helped me a lot. I always look for blog like this on the internet with which I can enhance my skills, day trip to agra
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