Written by Ritesh Gupta
आप लोगो ने मेरा पिछला लेख (सुहाना सफ़र कुमाऊँ का…..7) तो पढ़ा ही होगा, जिसमे मैंने नैनीताल का प्रसिद्ध मंदिर माँ नैनादेवी और कुमाऊँ का ही एक और प्रसिद्ध मंदिर श्री कैंची की यात्रा का उल्लेख किया था । इस तरह से अब हमारा लगभग नैनीताल और उसके आसपास के स्थलों का भ्रमण हो चुका था । अब चलते हैं नैनीताल शहर से बाहर और अपनी इस कुमाऊँ की श्रृंखला को भी आगे की तरफ अग्रसर करते हुए इस लेख में कुँमाऊ के प्रसिद्ध पर्वतीय नगर " रानीखेत " की यात्रा पर ले चलता हूँ ।
कैंची धाम बाबा नीव करौरी आश्रम के दर्शन करने के बाद हम लोग टैक्सी में बैठकर उसी सड़क मार्ग NH-87 पर चलते रहे । कुछ देर पहाड़ों में चलने के बाद कोसी नदी और उसकी घाटी दिखाई देना शुरू हो गयी । हम लोग भी कोसी नदी के साथ-साथ के सड़कमार्ग चलते रहे, रास्ते में कोसी नदी कभी सड़क के सामंन्तर और कभी पहाड़ों गहराई में चली जाती थी । बस यूँही कुछ देर पहाड़ और नदी का अवलोकन करते हुए, कुछ किलोमीटर बाद एक स्थान ऐसा आया जहाँ पर कोसी नदी पर सड़क के बायीं तरफ एक पुल बना हुआ था । यह नदी पुल NH-87 का ही एक हिस्सा हैं और रानीखेत जाने का रास्ता भी, बिना मुड़े सीधा रास्ता अल्मोड़ा राज्ज्यीय मार्ग SH-37 हैं, जो कुमाऊँ के एक महत्वपूर्ण नगर अल्मोड़ा को जोड़ता हैं । खैर अपनी योजनानुसार हम लोगो को सर्वप्रथम रानीखेत जाना था, सो सड़क की बायीं तरफ के कोसी नदी के पुल को पार कर हम लोग इसी रास्ते पर चलते रहे ।
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Mountain View from NH-87 Toward Ranikhet (दिल को लुभाते यह सुन्दर नज़ारे…) |